22-03-2018, 08:38 PM | #11 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
फारस के एक शहर में अलीबाबा और कासिम नाम के दो भाई रहते थे . उनके पिता ने मरने से पहले दोनों भाइयो को बराबर सम्पति दे दी लेकिन कासिम ने अलीबाबा से सारी सम्पति हडप ली . कासिम ने एक बढ़िया दूकान और माकन खरीदकर एक विधवा औरत से शादी कर ली . कासिम अपनी सम्पति को ओर बढाता हुआ अमीर हो गया . दूसरी तरफ अलीबाबा पहले ही कासिम द्वारा सम्पति हडपने से गरीब हो गया था . उसने एक गरीब लड़की से शादी कर ली और बुरे दौर से गुजरने लगा . वो लकडिया काटकर उन्हें बेचता था जिससे उसका परिवार चलता था . एक दिन वो लकडिया काटने जंगल में गया तभी उसको उसकी तरफ जोरो से धुल उडती हुई दिखी .उसको दूर से कुछ घोड़े उसकी ओर आते दिखाई दिए . हालांकि वहा पर लुटेरो का खतरा नही था फिर भी अलीबाबा ने खुद को बचाने के लिए एक पेड़ पर छुपकर बैठ गया . वो पेड़ पर ऐसी जगह बैठा जहा उसको कोई नही देख सकता था लेकिन वो सबको देख सकता था . वो पेड़ एक चट्टान के पास थी . तभी एक चट्टान के पास जाकर सारे घोड़े रुक गये . उसने देखा कि सभी घोड़ो पर आदमी हथियार लेकर बैठे थे और वहा पर आकर घोड़ो से उतर गये थे . अलीबाबा ने उन आदमियों को गिना तो वो कुल चालीस थे . वो सभी लुटेरे थे और उन सबके घोड़ो पर चोरी का सामान लदा हुआ था . >>>
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22-03-2018, 08:39 PM | #12 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (तीन/2)
तभी उन लुटेरो में से उनका सरदार आगे बढ़ा और चट्टान के पास आकर बोला “खुल जा सिम सिम ” . तभी उस चट्टान में से एक दरवाजा खुला और एक एक करकेसभी लुटेरे अंदर चले गये . उनके अंदर जाने के बाद दरवाजा बंद हो गया . अलीबाबा वहा पेड़ पर बैठा सब देख रहा था और थोड़ी देर बाद वो सभी 40 लुटेरेउस गुफा से बाहर आ गये . सभी के बाहर आ जाने के बाद सरदार ने वापस “बंद होजा सिम सिम ” कहकर गुफा का दरवाजा बंद कर दिया . अब सभी लुटेरे जिस रस्तेसे आये उसी से वापस चले गये . अलीबाबा फिर भी कुछ देर बैठा रहा ताकि शायदकोई गलती से दुबारा लौटकर ना आ जाए . सब कुछ शांत होने के बाद जब उसे यकीनहो गया कि अब कोई वापस नही आ सकता है , वो पेड़ से नीचे उस चट्टान के नजदीकगया . वो चट्टान के पास जाकर सोचने लगा कि मै भी कोशिश करके देखता हु जो वोलुटेरे बोल रहे थे . अलीबाबा बोला “खुल जा सिम सिम ” और उस गुफा का दरवाजाखुल गया . अब वो गुफा के अंदर चला गया और वो गुफा बहुत बड़ी जगह थी . उसकेगुफा के अंदर गुस्ते ही गुफा का द्वार बंद हो गये . उस गुफा के अंदर उपर कीओर दरार से रोशनी के कारण सब कुछ दिखाई दे रहा था . अब वो उस गुफा के अंदरघूमकर देखने लगा और उसे उस गुफा में बहुत सारे हीरे ,जवाहरात , सोना , चांदी और कीमती चोरी के सामान बिखरे हुए थे . ऐसा लग रहा था कि लुटेरो नेकाफी समय तक लुटा हुआ सामान यहा रखा हुआ था . उसने वहा से उतना सोना चांदीऔर जवाहरात उठा लिया जितना वो ले जा सकता था . >>>
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22-03-2018, 08:41 PM | #13 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (तीन/3)
अब वो गुफा से बाहर निकल गया और वापस गुफा को उसी मन्त्र से बंद कर दिया . अब वो घर पंहुचा और अपने घर के दरवाजे बंद कर ध्यान से सभी बोरिया रख दी . जब उसकी पत्नी ने इतना सारा सोना और अशर्फिया देखा तो वो सोचने लगी कि उसकेपति ने कही पर चोरी की होगी लेकिन अलीबाबा ने अपनी पत्नी को सारी कहानीबताई . अब अलीबाबा ने अपनी पत्नी को कहा “मै अभी एक गड्डा खोद देता हुजिसमे हम सभी सोने जवाहरात और अशर्फियों को गाड़ देता हु और जब तक तुम मेरेभाई से तराजू लेकर आ जाओ ” . अब अलीबाबा की पत्नी तुरंत कासिम के घर गयी औरकासिम की पत्नी से तराजू माँगा . कासिम की पत्नी बहुत चालाक थी और वो येदेखना चाहती थी कि इतने सालो में इन्होने कभी कुछ नही तोला और आज ऐसा क्यातोल रहे है इसलिए उसने उसने तराजू के नीचे गोंद चिपका दिया ताकि जो भी योतोलेंगे वो इस तराजू के साथ चिपक जाएगा अब अलीबाबा की पत्नी अपने घर आ गये और उस तराजू को अशर्फियों की बोरी पर रखअशरफिया तौलती गयी . उधर अलीबाबा ने गड्डा खोद दिया था और उन सारीअशर्फियों को उस गड्डे में दफन कर दिया ताकि किसी को पता ना चल सके . अब वोतराजू वापस कासिम की पत्नी को लौटाने गयी लेकिन उसको सोने की अशर्फी केतराजू के नीचे चिपके होने की खबर नही थी . अन उसने तराजू कासिम की पत्नी कोदिया और वापस घर लौट आयी . अब कासिम की पत्नी ने तराजू की नीचे देखा तोउसे एक सोने की अशर्फी मिली . अब वो सोचने लगी कि अलीबाबा के साथ जरुरखजाना लगा होगा जो वो उन अशर्फियों को तोल रहा था . जब कासिम घर आया तोउसकी पत्नी ने उसको सारी बात बताई . >>>
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22-03-2018, 08:44 PM | #14 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (तीन/4)
कासिम को इस बात की खबर लगते ही अगले दिन अलीबाबा के घर पहुच गया और कहा “तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो , तुम इतने गरीब हो फिर भी अशरफिया टोल रहे थे ” . अलीबाबा घबरा गया कि उसके भाई को कैसे पता चल गया . कासिम ने उसके भाई को वो अशर्फी दिखाते हुए कहा “तुम्हारे पास ऐसी कितनी अशरफिया है , मेरी पत्नी को जो तुमने तराजू लौटाया था ये उसके नीचे चिपककर आयी थी इसलिए अब जल्दी से मुझे वो खजाना बता दो वरना मै कोतवाल को बुला दूंगा ” . अलीबाबा घबरा गया और अशर्फियों के बारे में अनजान बनने लगा . अब कासिम ने उसको और उसकी पत्नी को जान से मारने की धमकी दी और अलीबाबा को सारा राज बताना पड़ा. अब अगले दिन कासिम अकेला अलीबाबा की बताई हुयी जगह पर 10 खच्चर लेकर गया और उसी गुफा के बाहर आकर बोला “खुल जा सिम सिम ” और गुफा का दरवाजा खुल गया . अब गुफा के अंदर हीरे जवाहरातो और अशर्फियों को देखकर उसकी आँखों पर विश्वास नही हुआ . उसने जितना माल उठा सकता था वो खच्चरों पर लाद दिया . जब वो वापस बाहर जाने के लिए दरवाजे के द्वार पर आया वो “खुल जा सिम सिम ” की जगह पर दूसरा मन्त्र बोलने लग गया और द्वार नही खुला . वो बार बार याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे याद नही आया . अब वो उस गुफा के अंदर फंस गया था।। -------- भाग तीन समाप्त --------
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23-03-2018, 12:13 PM | #15 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (चार/1)
अब बाकी बचे सारे डाकू शहर में आ गए और अलीबाबा के घर की तरफ बढ़ने लगे . अबडाकुओ का मुखिया अलीबाबा के घर गया और से कहा “मैंने सारे मर्तबान आपकेतबेले में रख दिए है , आज मै वापस अपने शहर पहुचने में देर हो जाएगी औरमुझे यहाँ किसी सराय का भी नही पता, इसलिए अगर आपको परेशानी ना हो तो आज कीरात आपके यहा ठहर सकता हु ? ” अलीबाबा मान गए और उसको मेहमान की तरह खानाखिलाया . शाम को वो टहलने का बहाना कर तबेले में चला गया और अपने सभीसाथियो को सचेत कर दिया कि वो जब रात को जब आदेश देगा तब हमला कर देंगे . इस तरह ये कहकर वापस अलीबाबा के घर चला गया . अब मरजीना रात को दिया जलाने गयी तो उसने देखा कि तेल तो खत्म हो गया . अलीबाबा ने उसे तबेले में रखे मर्तबानो से थोडा तेल ले आने को कहा .अबमरजीना तबेले में चली गयी और वो जैसे ही मर्तबान के पास गयी , उसे आवाज आयी “क्या हमला करने का वक़्त आ गया है ?” . मरजीना एकदम घबरा गयी और बिना कुछबोले उसने खतरे का आभास लगा लिया . अब वो सभी जारो के पास जाकर कहने लगी “अभी हमला करने का वक़्त नही आया है ” , इस तरह उसे मालुम हो गया कि केवल एकजार को छोडकर सभी मर्तबानो में डाकू है . उसने तेल वाले मर्तबान से तेललिया और वापस घर लौट आयी . >>>
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23-03-2018, 12:14 PM | #16 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (चार/2)
अब घर आते ही उसने बत्ती जला दी और एक बड़े बर्तन में पानी गर्म किया और उसमे तेल मिला दिया . अब उसने वो गर्म तेल का पानी ले जाकर तबेले के हर मर्तबान में डाल दिया और मर्तबान को ऊपर से जोर से बंद कर दिया . इस तरह सभी डाकू मर गये . अब वो घर आयी और बत्तिया बुझा कर सोने को चली गयी . सरदार ने देखा कि अभी सब सो गये और अपने साथियो को हमले के लिए बोलने का सही वक़्त है . अब वो तबेले में जाकर बोलने लगा “हमला करने का वक़्त आ गया है लेकिन उन मर्तबानो में से कोई नही बोला ” . अब उसने मर्तबान खोलकर देखे तोउसके सभी साथी मारे गये थे . उसे पता चल गया कि अलीबाबा ने उसे भी मारनेका पूरा इंतजाम कर रखा होगा इसलिए वो घर जाने के बजाय वहा से भाग गया. रात की घटना से अनजान अलीबाबा अगले दिन जागा . मरजीना ने रात की घटनाअलीबाबा को बताई और अलीबाबा को अपनी दासी की बहादुरी पर गर्व हुआ . अलीबाबाने उसको अपनी जान बचाने के लिए दासता से मुक्त कर दिया . अब अलीबाबा नेतरीके से उन सभी मर्तबानो के तेल को बेचने का बहाना कर शहर से बाहर ले जाकरसभी लाशो को दफन कर दिया . >>>
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23-03-2018, 12:18 PM | #17 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (चार/3)
उधर डाकुओ के सरदार ने वापस गुफा में जाकर अलीबाबा से प्रतिशोध लेने की योजना बनाई . वो काफी समय तक अपने साथियो की मौत पर रोया और उस दिन सो गया . अगले दिन एक नई योजना लेकर वापस शहर गया . उसने अलीबाबा के बेटे की दुकान के सामने एक नई दूकान खोली और उसके जीवन भर की कमाई की महंगी चीजो को बेचने का कारोबार करने लग गया . इस बार वो भेष बदलकर आया और उसने अपना नाम कोजिया हुसैन रखा . धीरे धीर कुछ दिनों में वहा के व्यापारियों और अलीबाबा के बेटे से दोस्ती कर ली. हुसैन ने अलीबाबा को भी तोहफे देकर दोस्त बना लिया. एक दिन अलीबाबा के बेटे ने हुसैन को घर पर खाने के लिए बुलाया . हुसैन अलीबाबा के घर आया और उसने बिना नमक का भोजन बनाने को कहा . मरजीना को ये सुनकर थोडा शक हुआ कि ऐसा कौनसा महमान आया जो बिना नमक का खाना खाता है लेकिन बिना कुछ विचार किये उसने खाना बना दिया . जब मरजीना उसको खाना खिलाने के आयी तो वो डाकुओ के सरदार को पहचान गयी क्योंकि उसने दो तीन बार ढंग से देखा हुआ था . अब उसने अपने मालिक की जान बचाने के लिए एक ओर योजना बनाई . वो तुरंत अंदर जाकर एक नाचने वाली बनकर आ गयी . उसने अलीबाबा के बेटे को सब बता दिया और दोनों ही साथ में नाचने के लिए आ गये. >>>
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23-03-2018, 12:20 PM | #18 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (चार/4)
अब हुसैन उनका नाच देखने के लिए रुक गया और अलीबाबा को मारने का मौका ढूंडने लगा . मरजीना ने एक कटार अपने कपड़ो में छुपा कर रखी थी . नाचते नाचते वो हुसैन के पास आयी और उसके सीन में कतार घोंप दी . उसी समय डाकुओ के सरदार की मौत हो गयी .अलीबाबा ये देखकर चौंक गया कि उसने अपने मेहमान को मार दिया . लेकिन मरजीना ने हुसैन की सारी सच्चाई बताई कि वो उनको मारने आया था . मैंने इसको उसी वक़्त पहचान लिया जब इसने नमक के लिए मना किया था क्योंकि पिछली बार जब वो व्यापारी बनकर आया था तब भी उसने नमक के लिए मना किया था इसी शक के आधार पर मैंने उसे पहचान लिया . मरजीना ने दुसरी बार अलीबाबा की जान बचाई इसलिए उसने मरजीना को बहुत शुक्रिया कहा . अलीबाबा ने उसको बिलकुल आजाद कर दिया और उसकी अपने बेटे से शादी करा दी . अलीबाबा का बेटा भी पहले ही उससे प्रेम करता था इसलिए राजी हो गया . उन्होंने चुपके से हुसैन के शव को दफन कर दिया ताकि किसी को पता ना चल सके . अब वो कई दिनों तक उस गुफा तक नही गया क्योंकि उसने सोचा की दो डाकू अभी भी बाकी होंगे जबकी उनको तो सरदार ने नाकामी के चलते पहले ही मार दिया था . फिर भी एक दिन हिम्मत करके वो वहा गया और उसे उस गुफा में कोई नही मिला . उसने वहा से बहुत सारा धन ले लिया और अपने बेटे को भी उस गुफा के बारे में बता दिया ताकि जरूरत पड़ने पर वहा से अशर्फिया ले सके . इस तरह अलीबाबा और उसका परिवार खुशी खुशी जीवन व्यतीत करने लगा . ---------- समाप्त ---------
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