11-05-2013, 12:57 AM | #11 |
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Re: मंटो ने कहा था
जब हमला हुआ तो मोहल्ले के अल्प संख्यकों में से मार डाले गए, बाकी जानें बचा कर भाग गए. एक आदमी और उसकी पत्नि अपने घर के तहखाने में छिप गए. दो दिन और दो रातें वो वहीँ छिपे रहे. कोई मदद के लिए न आया. दो दिन और गुज़र गए. मौत का डर कम होने लगा. लेकिन भूख और प्यास सताने लगे. चार दिन और बीत गए. अब पति-पत्नि को ज़िन्दगी और मौत से कोई दिलचस्पी न रही. दोनों तहखाने से बाहर निकले. आदमी ने बड़ी कमजोर आवाज में मोहल्ले वालों को संबोधित करते हुए कहा, “हम दोनों अपने आपको तुम्हारे हवाले करते हैं. हमें मार डालो.” सुन कर लोग सोच में पड़ गए. उनमे से एक ने कहा, “हमारे धर्म में तो जीव हत्या पाप है.” उन लोगों ने आपस में सलाह की और दंपत्ति को योग्य कार्यवाही के लिए दूसरे मोहल्ले के लोगों के हवाले कर दिया. ** Last edited by rajnish manga; 11-05-2013 at 11:59 PM. |
11-05-2013, 12:58 AM | #12 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / तुम्हारा रसूल
“खो, एकदम जल्दी बोलो, तुम कौन ए?” “मैं ... मैं” “खो, शैतान का बच्चा, जल्दी बोलो ! इंदु ए या मुसलमीन?” “मुसलमीन.” “खो, तुम्हारा रसूल कौन ए?” “मुहम्मद खां.” “ठीक ए, जाओ.” ** |
11-05-2013, 01:01 AM | #13 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / ग़लती
“कौन हो तुम?” “हर हर महादेव !” “सबूत?” “मेरा नाम धरमचंद है.” यह कोई सबूत नहीं !” “वेदों में से कोई बात मुझसे पूछ लो.” “हम वेदों की बात नहीं जानते. कोई सबूत दो.” “कैसा सबूत?” “पाजामा खोलो.” पाजामा खुलते ही शोर मच गया. “मार डालो .. मार डालो .” ठहरो .. ठहरो ! मैं तुम्हारा भाई हूँ.” “तो यह क्या सिलसिला है ?” दरअसल जिस इलाके से आ रहा हूँ, वह हमारे दुश्मनों का इलाका था. इसलिए मजबूर हो कर ऐसा करना पड़ा .... सिफ अपनी जान बचाने के लिए. एक यही चीज गलत हो गई. बाकी बिलकुल ठीक हूँ.” “उड़ा दो ग़लती को.” किसी ने कहा. ग़लती उड़ा दी गई. साथ ही धरमचंद भी उड़ गया. ** |
11-05-2013, 02:13 AM | #14 |
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Re: मंटो ने कहा था
बहुत ही श्रेष्ठ सूत्र है, मित्र रजनीशजी। निस्संदेह मंटो एक महान कथाकार थे। इन झकझोर देने वाली रचनाओं को मंटो जैसा जिंदादिल इंसान ही मजाहिया दर्ज़े में रख सकता है, अन्यथा उर्दू अदब का यह बेशकीमती खज़ाना किसी भी इंसान की पलकें भिगो देने में समर्थ है। धन्यवाद।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
12-05-2013, 12:35 AM | #15 | |
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Re: मंटो ने कहा था
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12-05-2013, 12:38 AM | #16 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / मिश्टेक हो गया !
उस आदमी का पेट चाक करती हुयी छुरी नाफे के नीचे तक चली गई. इजारबंद कट गया. छुरी मारने वाले के मुंह से अफ़सोस का कलमा निकल गया, “च ..च ..च .. यह तो मिश्टेक हो गया.” ** |
12-05-2013, 12:40 AM | #17 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / आग
दंगाइयों पर वहशत सवार थी. आग लगी तो सारा मोहल्ला जल उठा. सिर्फ एक दूकान बच गई. दूकान पर जो बोर्ड लगा हुआ था उस पर लिखा था – “यहाँ इमारतसाजी का सामान मिलता है.” ** |
12-05-2013, 12:41 AM | #18 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / झटका
“मैंने उसके गले पर छुरी रखी, हौले हौले फेरी, और उसे हलाल कर दिया.” “यह तुमने क्या किया ..?” “क्या?” उसे हलाल क्यों किया?” “मजा आता है इस तरह.” “मजा आता है के बच्चे ! तुझे झटका करना चाहिए था – इस तरह.” और हलाल करने वाले की गर्दन का झटका हो गया. ** |
12-05-2013, 12:44 AM | #19 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / चमड़ी या दमड़ी बलवाई मकान मालिक को बड़ी मुश्किल से घसीट कर बाहर ले आये. कपड़े झाड़ कर वह उठ खड़ा हुआ और बलवाइयों से कहने लगा, “तुम मुझे मार डालो, लेकिन खबरदार जो मेरे रुपए-पैसे को हाथ लगाया तो ..” ** |
13-05-2013, 02:48 PM | #20 |
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Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया /छुट्टियां
“पकड़ लो .. पकड़ लो .. देखो, जाने न पाए. !” शिकार थोड़ी सी दौड़-धूप के बाद पकड़ लिया गया. जब भाले उसके आर-पार होने के लिए आगे बढ़े तो उसने कांपती हुयी आवाज में गिड़गिड़ा कर कहा, “मुझे न मारो ... मुझे न मारो ... मैं छुट्टियों में अपने घर जा रहा हूँ.” ** |
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