08-06-2013, 09:10 AM | #11 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
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08-06-2013, 09:11 AM | #12 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
समलैंगिकता और उभयलिंगता को लेकर एक भ्रम की स्थिति इस विषय का अध्ययन करने वाले विद्वानों में भी बनी रही है। कई अध्येताओं ने स्वीकार किया है कि मनुष्य और अन्य जीवों में भी नर-मादा के भेद को हर स्तर पर परिभाषित कर पाना मुश्किल है।
ऐसे लोग शायद ही मिलें जो समलैंगिक मैथुन के साथ विपरीत लिंगी मैथुन न करते हों। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पुरुष और स्त्री के बीच शारीरिक रूप से अंतर स्पष्ट हैं, पर मानसिक रूप से यह अंतर पूरी तरह साफ नहीं है। सेक्स एक मनो-शारीरिक प्रक्रिया है, पर भूलना नहीं होगा कि एक भावना के रूप में इसका स्थान मन में ही है। मनोविश्लेण सिद्धांत के जनक सिग्मंड फ्रायड ने 1905 में ही यह लिखा था, "अभी तक मुझे किसी पुरुष अथवा स्त्री के एक भी ऐसे मनेविश्लेषण से साबका नहीं पड़ा जिसमें समलैंगिकता का यथेष्ट तत्व न आता हो।" भारतीय पौराणिक ग्रंथों में अर्द्ध-नारीश्वर की जो परिकल्पना मिलती है, उससे भी यह स्पष्ट है।
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08-06-2013, 09:11 AM | #13 |
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08-06-2013, 09:12 AM | #14 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
होमोसेक्शुअलटी को लेकर पूरी दुनिया में काफी शोध हुए हैं। इस विषय पर सबसे महत्त्वपूर्ण अधययन जर्मन विद्वान मैग्नस हिर्शफेल्ड ने प्रस्तुत किया।
सन् 1914 में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'डर होमेसेक्सुआलिटाट' को उस वक्त इस विषय का विश्वकोश माना गया। लेकिन 18वीं सदी के अंत में जर्मनी में दो पुरुषों की मानसिक दशाओं का वर्णन किया गया था जो एक-दूसरे के प्रति जबरदस्त यौन आकर्षण महसूस करते थे। हास्ली, कैस्पर और उलरीखस ने इस प्रवृत्ति का व्यापक अध्ययन किया और इसे 'यूरेनवाद' नाम दिया। सन् 1870 के बाद वेस्टफाल ने एक समलैंगिक स्त्री का जीवन-इतिहास प्रकाशित किया और बताया कि यह प्रवृत्ति उसमें जन्मजात थी, इसलिए इसे अनैतिक नहीं कहा जा सकता।
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08-06-2013, 09:13 AM | #15 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
महान चिकित्सक क्राफ्ट एबिंग ने इस विषय पर आधारभूत शोध किया। अपनी पुस्तक 'साइकोपेथिया सेक्सुआलिस' में उन्होंने समलैंगिकता पर विशद अध्ययन प्रस्तुत किया है।
इसके बाद मोल ने इस विषय पर अपना ग्रंथ प्रस्तुत किया जो काफी प्रशंसित हुआ। हिर्शफेल्ड ने लिखा है कि समलैंगिकता स्त्रियों में भी उतनी ही दिखाई पड़ती है जितनी पुरुषों में, पर इसका पता लगा पाना थोड़ा मुश्किल होता है। महान मूर्तिकार माइकेल एंजेलो को भी समलैंगिक बताया गया है। कहा जाता है कि उनके मूर्ति-शिल्प में समलैंगिक वासना का पोषण किया गया है और वह कई पुरुषों के प्रति आकर्षित थे। नवजागरण काल के अन्यतम कवि मार्लो को भी समलैंगिक बताया गया है। कहा जाता है कि प्रसिद्ध दार्शनिक बेकन भी समलैंगिक थे। (ऊपर तस्वीर में माइकेल एंजेलो की फेमस पेंटिंग)
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08-06-2013, 09:15 AM | #16 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
अमेरिकी विद्वान एम.डब्ल्यू.पेक ने अपने सर्वेक्षण में यह पाया था कि बोस्टन को कॉलेजों में 60 लोगों में 7 समलैंगिक थे और 6 ने तो यह स्वीकार किया था कि वे समलैंगिक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं।
जी.वी.हैमिल्टन ने 100 विवाहित पुरुषों पर एक सर्वेक्षण किया था। उन्होंने पाया कि 100 में सिर्फ़ 44 ही ऐसे थे जिन्हें बचपन के समलैंगिक खेलों की याद नहीं आती थी। 46 पुरुषों और 23 स्त्रियों ने उन्हें बताया था कि किशोरावस्था में अपने ही लिंग के व्यक्तियों से निकटता के दौरान वे कामोत्तेजित हो जाते थे।
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08-06-2013, 09:16 AM | #17 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
कैथराइन डेविस ने लिखा है कि सर्वेक्षण के दौरान 31.7 प्रतिशत औरतों ने समलैंगिक भावनात्मक संबंधों को स्वीकार किया और 27.5 प्रतिशत विवाहित महिलाओं ने माना कि बचपन में वे समलैंगिक सेक्स से जुड़े खेल खेलती थीं।
यह माना जाता है कि समलैंगिक रति के लिए 'यौन विपरीतता' शब्द का प्रचलन सबसे पहले इटली में हुआ। रीत्ति, तमासिया और लोम्ब्रोसो जैसे विद्वानों ने समलैंगिक कामुक भावनाओं और क्रियाओं का विशद वर्णन किया है। फ्रांस में सबसे पहले इस क्षेत्र में शार्को और मनियान ने 1882 में शुरू किया जिसे बाद में फेरे, सेरिए और सां-ला जैसे शोधकर्ताओं ने आगे बढ़ाया। रूस मे तार्नोवस्की ने इस प्रवृत्ति के अध्ययन की शुरुआत की।
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08-06-2013, 09:16 AM | #18 |
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08-06-2013, 09:17 AM | #19 |
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Re: दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा,
इंग्लैंड में साहित्य-मर्मज्ञ जॉन एडिंगटन ने इस विषय पर दो पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया। एक 'प्राचीन यूनान में समलैंगिकता' और दूसरी 'समलैंगिक व्यभिचार की आधुनिक समस्याएं'।
एडवर्ड कार्पेन्टर ने इस विषय पर एक पुस्तिका और बाद में जर्मन भाषा में एक ग्रंथ का प्रकाशन किया। फ्रांसीसी विद्वान राफालोविच ने इस विषय पर महत्त्वपूर्ण अध्ययन प्रस्तुत किया था। समलैंगिकता पर हेवलॉक एलिस की पुस्तक सबसे पहले 1896 में जर्मनी में, फिर इंग्लैंड और अमेरिका में प्रकाशित हुई। वहां कीर्नान और हाइड्स्टन जैसे विद्वानों ने पहले ही इस विषय पर काम किया था। हेवलॉक एलिस का मानना है कि इस विषय पर सबसे उल्लेखनीय पुस्तक मेरेनान की है जो 1932 में प्रकाशित हुई और स्पेनिश से अनूदित है
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08-06-2013, 09:17 AM | #20 |
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