11-05-2014, 07:21 AM | #11 |
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Re: माँ
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
11-05-2014, 07:24 AM | #12 |
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Re: माँ
हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते
बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह
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11-05-2014, 07:25 AM | #13 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 07:25 AM | #14 |
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Re: माँ
सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’
रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है
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11-05-2014, 07:26 AM | #15 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 07:27 AM | #16 |
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Re: माँ
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना भेजे गए फ़रिश्ते हमारे बचाव को जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
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11-05-2014, 07:27 AM | #17 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 07:29 AM | #18 |
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Re: माँ
तार पर बैठी हुई चिड़ियों को सोता देख कर फ़र्श पर सोता हुआ बेटा बहुत अच्छा लगा इस चेहरे में पोशीदा है इक क़ौम का चेहरा चेहरे का उतर जाना मुनासिब नहीं होगा अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’ माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है
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11-05-2014, 07:31 AM | #19 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 07:31 AM | #20 |
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Re: माँ
मुसीबत के दिनों में हमेशा साथ रहती है पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है पुराना पेड़ बुज़ुर्गों की तरह होता है यही बहुत है कि ताज़ा हवाएँ देता है किसी के पास आते हैं तो दरिया सूख जाते हैं किसी के एड़ियों से रेत का चश्मा निकलता है
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