19-06-2011, 09:28 PM | #11 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
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क्योंकि हर एक फ्रेंड जरूरी होता है. |
23-06-2011, 12:37 AM | #12 | |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
Quote:
काफी "दिमाकदार" हो मनीष भाई आखिर जासूस के चेले जो ठहरे
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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23-06-2011, 04:26 AM | #13 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
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25-06-2011, 10:32 AM | #14 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
आप सभी लोगो ने मेरे पहले "ख्याल" पर बहुत ही रोचक और तार्किक प्रतिक्रियाएं दी है।
अब मेरा अगला "ख्याल"..... अगर मनुष्यो के भी दुम होते? |
25-06-2011, 12:28 PM | #15 | |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
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क्योंकि दम वाले बन्दर तो हम थे ही
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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05-07-2011, 06:24 PM | #16 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
अगर मनुष्यो के भी दुम होते तो, मनुष्य सबसे पहले तो दुम भी अलग-अलग स्टाइल के रखता। उन्हे सजाने-सवारने के लिए अनेकों तेल और क्रीम बाजार में उलपब्ध होते। आज जैसे मुछ को प्रतिष्ठा के रूप मे, चेहरे को सौन्दर्य के लिए, मैंटेन करते है, वैसे ही दुम को भी शायद किसी व्यतित्व के साथ जोड़ दिया जाता। तब दुम प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता। किसी धार्मिक, सामाजिक आयोजन मे दुम सटाने की भी प्रथा बन जाती। लंबे और छोटे दुम के मानक तय होते। दुम के सिरे के बाल भी स्टायालिश होते। दुम मे दुम बांध कर खिचने की प्रतियोगिता का भी आयोजन होता।
लेकिन हे प्रारब्ध.... हमे दुम दी ही नहीं..... जबकि सारे जानवरो के दिया। |
05-07-2011, 06:41 PM | #17 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
अगला ख्याल है.....
अगर मनुष्य जलचर होते, यानि कि पानी में रहने वाले जीव होते। |
04-10-2011, 04:47 PM | #19 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
तो मानसून का इन्तजार नहीं करना पड़ता.
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04-08-2012, 02:05 PM | #20 |
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Re: ख्यालो की दुनियाँ में ।
अगला ख्याल है......
अगर विश्व अलग-अलग देशो मे न बटकर, एकल विश्व समुदाय (One World Community) होता....... |
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