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#201 |
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![]() ![]() ममी को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया जिसमें इसे रखा गया। कैबिन में रखे गए इस ममी के बाल और नाखून बढ़ते रहते हैं। |
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#202 |
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![]() ![]() इस ममी की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे ममी के बारे में जाकारी देते है। ऐसी मान्यता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व यह मृत देह ममी एक संत था। गीयू गांव में इस दौरान बिछुओं का बहुत प्रकोप हो गया। इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए इस संत ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे जमीन में दफन करने के लिए कहा। |
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#203 |
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![]() ![]() जब इस संत को जमीन में दफन किया गया तो इसके प्राण निकलते ही गांव में इंद्रधनुष निकला और गांव बिछुओं से मुक्त हो गया। |
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#204 |
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यहां बकरों की टांगों को पहले चीर दिया जाता है, फिर भरा जाता है जहर!
![]() चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश का मलाणा एक ऐसा जगह है, जहां के वाशिंदों के बारे में विद्वानों का मत है कि ये लोग सिकन्दर के सैनिकों के वंशज हैं। अपने कथन की पुष्टि में ये विद्वान मलाणा के जमलू देवता के मंदिर के बाहर लकड़ी की दीवारों पर हुई नक्काशी का प्रमाण देते हैं, जिसमें युद्धरत सैनिकों को एक विशेष पोशाक और हथियारों से लैस दिखाया गया है। मलाणा वासियों की बोली भी बडी विचित्र है और ऐसी मान्यता है कि यह बोली ग्रीक भाषा से कुछ मिलती-जुलती है। इसके अलावा मलाणा वासियों के नैन-नक्श भी ग्रीक के मूल लोगों की तरह तीखे हैं। चारों ओर से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा और मलाणा नदी के मुहाने पर बसा मलाणा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में समुद्र तल से 8640 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। |
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#205 |
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![]() ![]() मलाणा से जुडा एक अजूबा यह है कि यहां विश्व की सबसे पुरानी लोकतान्त्रिक व्यवस्था मौजूद है। भारतीय गणराज्य का एक अंग होते हुए भी मलाणा की अपनी एक अलग न्यायपालिका और कार्यपालिका है। भारत सरकार के कानून यहां नहीं चलते। इस गांव की अपनी अलग संसद है, जिसके दो सदन हैं- ज्येष्ठांग (ऊपरी सदन) और कनिष्ठांग (निचला सदन)। ज्येष्ठांग में कुल 11 सदस्य होते हैं। जिनमें तीन सदस्य कारदार, गुर व पुजारी स्थायी सदस्य होते हैं। शेष आठ सदस्यों को गांववासी मतदान द्वारा चुनते हैं। इसी तरह कनिष्ठांग सदन में गांव के प्रत्येक घर से एक सदस्य को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। यह सदस्य घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति होता है। |
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#206 |
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![]() ![]() दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही सदनों में गांव की किसी महिला को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता और इनमें पुरुषों का ही वर्चस्व होता है। अगर ज्येष्ठांग सदन के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाये तो पूरे ज्येष्ठांग सदन को पुनर्गठित किया जाता है। इस संसद में घरेलु झगडे, जमीन-जायदाद के विवाद, हत्या, चोरी और बलात्कार जैसे मामलों पर सुनवाई होती है और दोषी को सजा सुनाई जाती है। संसद भवन के रूप में यहां एक ऐतिहासिक चौपाल है जिसके ऊपर ज्येष्ठांग सदन के 11 सदस्य और नीचे कनिष्ठांग सदन के सदस्य बैठते हैं। अगर संसद किसी विवाद का निपटारा करने में विफल रहती है तो मामला स्थानीय देवता जमलू के सुपुर्द कर दिया जाता है और इस मामले में देवता का निर्णय अन्तिम व मान्य होता है। |
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#207 |
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![]() ![]() जमलू देवता द्वारा फैसला सुनाए जाने की प्रक्रिया भी बडी विचित्र है। इस प्रक्रिया के तहत दोनों पक्षों को एक-एक बकरा लाने को कहा जाता है। फिर दोनों बकरों की टांग चीरकर उसमें जहर भर दिया जाता है। जिसका बकरा पहले मर जाये, वही पक्ष दोषी माना जाता है और उसे सजा कबूल करनी पड़ती है। |
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#208 |
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![]() ![]() देवता के निर्णय को चुनौती देने की हिम्मत कोई नहीं करता और न ही देवता के फैसले के खिलाफ कोई अदालत में जाने की जुर्रत करता है। अगर कोई देवता के फैसले का अपमान करे तो मलाणावासी उसका सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं। यहां आने वाले आगन्तुक को देवता की तरफ से दो समय की खाद्य सामग्री व रहने का स्थान दिया जाता है। इस कार्य के लिये चार आदमी तैनात होते हैं, जिन्हें ‘कठियाला’ कहा जाता है। |
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#209 |
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सफेद साड़ी वाली लड़की करती है 'इंतजार'
![]() रांची। झारखंड की राजधानी रांची को लौहनगरी जमशेदपुर से जोडऩे वाली सड़क यानी नेशनल हाइवे 33 को अब दुनिया जानने लगी है क्योंकि टीम इंडिया के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी की आराध्य देवी दिवड़ी माता का मंदिर इसी सड़क के किनारे है। पर, इस सड़क के बारे में एक और खास बात है जो शायद बाहर के लोग नहीं जानते। यह सड़क एक ऐसी घाटी से होकर गुजरती है, जहां होने वाले सड़क हादसों में मरने वालों का अनुपात देश भर में सबसे अधिक है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन मौतों की वजह वहां बसने वाली प्रेतात्माएं हैं जो रात में अक्सर दिखाई देती हैं। अचानक अजीबोगरीब लोगों को देखकर वाहन चलानेवालों का ध्यान अक्सर भटक जाता है, और हादसे हो जाते हैं। इन हादसों से निपटने के लिए धार्मिक से लेकर प्रशासनिक तक कई उपाय किए गए पर कोई समाधान नहीं हो सका है। |
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#210 |
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![]() ![]() ईश्वर से प्रार्थना और सुरक्षित ड्राइविंग भी झारखंड के रांची-जमशेदपुर नेशनल हाईवे-33 पर बहुतों की जिंदगियां बचाने में नाकामयाब साबित हुई हैं। सुरक्षित यात्रा के लिए जमशेदपुर से रांची की तरफ जाने वाले लोग वहां के वनदेवी मंदिर में बड़ी ही श्रद्धा के साथ रुकते हैं फिर आगे बढ़ते हैं, वहीं रांची से जमशेदपुर की ओर जाने वाले लोग बुंडू के पास तैमाड़ा घाटी में बने हनुमान व काली मंदिर के पास रुके बिना आगे नहीं बढ़ते। |
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