10-12-2010, 01:11 AM | #201 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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आपके व्यक्तित्व का मैँ स्वयं कायल हूँ और जिसके फलस्वरूप आपसे अधिकाधिक संवाद की प्रबल इच्छा कभी - कभी व्यग्र हो उठती है । |
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10-12-2010, 01:30 AM | #202 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
सर्वप्रथम आपको नमन ! आपकी संक्षिप्त सारगर्भित टिप्पणी , दादा द्वारा दबंग के सन्दर्भ मेँ की गई विश्लेष्णात्मक व्याख्या की ओर इशारा करती हुई प्रतीत होती है । मेरे द्वारा इसकी पुनरावृत्ति न हो , ऐसा प्रयास करुँगा ।
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10-12-2010, 02:26 AM | #203 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
शुक्रिया जनाब , मैँ तो स्वयं आप का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ । सार्वजनिक तौर पर आपकी प्रस्तुति ( ? ) चरित्रहीन की प्रशंसा का तो कोई भी अवसर नहीँ छोड़ा । माफ कीजियेगा यह प्रश्नचिन्ह इसलिए लगाना पड़ गया कि किसी सूत्र पर राष्ट्रकवि दिनकर की रचना के साथ आपकी चरित्रहीन को भी उद्धृत करते हुए एक प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी थी जिसमेँ मेरी अज्ञानता का उपहास सा किया जा रहा था । मेरी मान्यता है कि जब हम किसी अन्य की रचना को पोस्ट करेँ तो उसका नाम अवश्य देना चाहिए । यदि नहीँ तो प्रविष्टिकर्ता को ही रचनाकार / संकलनकर्ता के रूप मेँ प्रश्नोँ का उत्तर देने के लिए आगे आना पड़ेगा । यह असम्भव है कि सम्पूर्ण साहित्य हमारे द्वारा पढ़ा जा चुका हो या फिर दिनकर अथवा प्रसाद ने जो लिख दिया हो , वो अकाट्य है और उसकी मीमाँसा नहीँ की जा सकती । किसी प्रगतिशील समाज मेँ तर्क को तो सर्वोपरि स्थान मिलना चाहिए । यदि तर्क न होते तो प्रेमचन्द का होरी आज भी प्रासंगिक होता । गतिशीलता के लिए तर्क आवश्यक है और तर्क कद नहीँ देखता । निशांत जी बहुत कचोटा था जब उत्तर के स्थान पर कुछ और प्राप्त हुआ । मित्र आपसे शेयर कर अपना समझने की पहल हो चुकी है , उम्मीद है कि आप भी निराश नहीँ करेँगे ।
Last edited by Kumar Anil; 10-12-2010 at 02:36 AM. |
10-12-2010, 10:14 AM | #204 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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मैं कवी नहीं हूँ ये बात मैं कई स्थानों पर स्वीकार भी चूका हूँ हाँ पर कवितायेँ मुझे बेहद पसंद है कुछ जो ज्यादा पसंद आती है उन्हें आप लोगों के साथ बाँट लेता हूँ अभी जल्दी में हूँ पर आपके उत्तर को देखकर जवाब ना देना मुझे उचित प्रतीत नहीं हुआ शेष बाद में .........................
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10-12-2010, 10:48 AM | #205 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
अनिल भाई,
बहुत बढ़िया लिखते है, लेखन मे परिपक्वता नजर आती है..... बढ़िया इंसान भी नजर आते है.... |
10-12-2010, 04:24 PM | #206 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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नंबर आपको सन्देश में भेजे देते हैं बंधू, संवाद भी हो जायेगा | हम एक ही क्षेत्र से हैं सो एक जुड़ाव तो पहले से ही है | |
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10-12-2010, 06:05 PM | #207 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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10-12-2010, 08:39 PM | #208 | |
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Re: दोस्तोँ की नजर
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आपने पता नहीं किस कोण से मुझे इस लायक समझ लिया कि मेरे व्यक्तित्व की छाप किसी के भी ऊपर पड़ सके ?? फिर भी अगर मेरे व्यक्तित्व से किसी भी एक व्यक्ति को विवादों से दूर रहने की प्रेरणा मिला जाए तो मैं अपने आपको धन्य समझूंगा. एक बार पुनः आपके प्रति धन्यवाद व्यक्त करते हुए. आपका मित्र अनिल
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11-12-2010, 07:29 AM | #209 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
अब मैँ अनिल भैया से आग्रह करुगाँ
अगले दोस्त का नाम का घोसना करे धन्यवाद
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
19-12-2010, 11:30 AM | #210 |
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Re: दोस्तोँ की नजर
अब जो दोस्त के बारे आपलोगोँ को अपना अमुल्य राय देना हैँ
उनका नाम हैँ अभय दोस्तोँ के नजर मेँ आपलोग इनके बारे मेँ लिखिए
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