17-04-2012, 09:20 PM | #2121 | |
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Re: साक्षात्कार
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मेरा मानना है कि स्थितियां उतनी बुरी नहीं हैं, जितनी प्रचारित की जाती हैं ! एक अच्छी पत्रिका लोग आज भी खरीदने को तैयार हैं, लेकिन आप निकालें तो सही ! यदि सारिका, दिनमान और रविवार उसी तेवर से निकलें, तो मैं आज भी खरीदने को तैयार हूं ! असल दिक्कत यह है कि ये सारी पत्रिकाएं बड़े घरानों की थीं, जिन्हें न साहित्य से लेना-देना था, न पत्रकारिता से और न पाठक से, अपने आन्तरिक बदलावों और समस्याओं से ग्रस्त इन घरानों को संघर्ष के बजाय उनका दम तोड़ देना बेहतर लगा ! जो समूह हिन्दी की प्रतिष्ठित फिल्मी पत्रिका को अपनी अंग्रेज़ी पत्रिका का नाम देकर 'माधुरी समाहित' लिख सकता है, उसे उसके बंद हो जाने पर अफ़सोस क्योंकर होगा ? ज्ञानरंजनजी ने 'पहल' बंद की, तो उसके पीछे उनके स्वास्थ्यगत कारण हैं, पाठक अथवा रचनाधर्मिता का अभाव नहीं ! एक नज़र इधर डालें - केन्द्रीय प्रकाशन विभाग आजकल, बालभारती, समकालीन साहित्य आदि निकाल रहा है, उत्तर प्रदेश का सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश निकाल रहा है ! हिमाचल आदि कई अन्य प्रदेश भी ऐसा ही कर रहे हैं, साथ ही अनेक लघु पत्रकाएँ भी निरंतर छाप रही हैं ! ये सभी विशुद्ध साहित्यिक/सरोकार वाली पत्रिकाएं हैं, बरसों से निकल रही हैं और इनकी प्रसार संख्या में कभी कोई कमी नहीं हुई अर्थात फर्क नियति का नहीं, नीयत का है ! जहां तक सवाल पत्रकारिता का है, उसमें कहीं कोई कमी नहीं आई है, जो श्रेष्ठ सृजन कर सकते हैं, उनके पास पत्रिकाएं निकालने जितना धन नहीं है और जिनके पास धन है, उनमें ऎसी कोई इच्छा नहीं है ! मुझे तो यही कारण नज़र आता है !
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18-04-2012, 12:37 AM | #2122 |
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Re: साक्षात्कार
आपकी नज़र मैं भारत की ३ सबसे बड़ी समस्याएँ कौन सी है और क्यों? और इनका मुकाबला कैसे किया जा सकता है.
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18-04-2012, 12:56 AM | #2123 |
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Re: साक्षात्कार
अलैक जी, आपका आभार कि आपने वक्त निकाल कर अपने विचारो को इस मंच पर रखा ।
वैसे तो आपके जैसे प्रतिभाशाली और उच्च विचारो से परिपूर्ण व्यक्तित्व को मैं सीमित विचारधारा वाला क्या प्रश्न करूगा फिर भी अपने मार्गदर्शन के लोभ मेँ ये जानना चाहूँगा कि आपके जीवन की 3 गलतीया जो आपसे हूई और आप चाहेगे कि आपके मित्र वो गलती ना करे ।
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==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
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18-04-2012, 01:28 AM | #2124 | |
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Re: साक्षात्कार
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क्या आपको नहीं लगता वामपंथी विचारधारा भारतीय राजनीति से लगभग लुप्त होने के कगार पर है, पिछले २ सालो में वामपंथ जो की केवल केरल और बंगाल में था, वहां से भी बाहर हो गया.
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18-04-2012, 02:30 PM | #2125 |
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Re: साक्षात्कार
सबसे पहले स्थान पर मैं संकीर्ण जातिवादी मानसिकता और धर्म के प्रति इस कदर अंधविश्वास को रखता हूं कि हम अपने देश से बाहर हुई घटनाओं पर भी वह सब करने पर उतारू हो जाते हैं, जो कुछ घटना वाले देश में भी नहीं हो रहा होता है ! इन दोनों से इतनी दिक्कतें जुड़ी हैं कि देश का बहुत सा बहुमूल्य समय, संपत्ति और संसाधन इनसे उत्पन्न आपदाओं या वैचारिक संग्राम की भेंट चढ़ जाते हैं ! उसके बाद राजनीति में शुचिता की कमी ! जितना भ्रष्ट राजनीतिक आचरण और वैचारिक शून्य इस देश में है, वैसा आपको कहीं नहीं मिलेगा ! संभवतः तानाशाहों से संचालित देशों में भी नहीं ! अपनी विचारधारा के प्रति ईमानदारी का अभाव इस कदर है कि याद करें तो आपको कई सज्जन ऐसे स्मरण हो आएंगे, जो हर सरकार में शामिल नज़र आते हैं, सरकार किसी दल की क्यों न हो ! शुचिता का इससे बड़ा उपहास और क्या होगा कि किसी मुद्दे पर आप अपने दल से अलग होकर नया दल बनाएं और चुनाव बाद अपने मतदाताओं को अपमानित और शर्मसार करते हुए फिर उसी दल के गले में बाहें डाले दिखाई पड़ें ! मेरी नज़र में पहली समस्या इस दूसरी समस्या की बहुत बड़ी वज़ह है ! जब तक संकीर्ण जातिवादी मानसिकता नहीं बदलेगी, क्षेत्रीयता की समस्या भी बनी रहेगी और इसी प्रकार के दल सरकार बनाते रहेंगे, जिन्हें सिर्फ अगली बार फिर सरकार बना लेने की चिंता होती है, न विकास की, न देश की ! ... और मेरे विचार से देश की तीसरी सबसे बड़ी समस्या है अशिक्षा ! इंटरनेशनल यूथ फाउंडेशन की कल ही जारी की गई रिपोर्ट ‘अपॉरच्युनिटी फॉर एक्शन’ को देखें ! रिपोर्ट के अनुसार भारत में 15 वर्ष और इससे ज्यादा उम्र की करीब 27 करोड़ आबादी निरक्षर है और बीच में ही स्कूल छोड़ देने वालों की तादाद में कमी लाने की दिशा में काफी प्रगति के बावजूद भारत में करीब 27 करोड़ लोग निरक्षर हैं ! एक अनुमान के मुताबिक 15 वर्ष और ज्यादा उम्र के करीब 27 करोड़ लोग निरक्षर हैं ! 15 से लेकर 24 साल की महिलाओं में साक्षरता की दर अपने आयु वर्ग के पुरुषों की तुलना में दोगुनी है ! इस स्थिति में भी वर्तमान में हम प्राथमिक शिक्षा पर सबसे कम खर्च कर रहे हैं ! क्या आप कह सकते हैं कि यह निरक्षर आबादी देश को कोई बहुत ज्यादा योगदान दे सकती है ! मेरा मानना है कि जब तक हम इन सबसे निजात नहीं पाएंगे, विकास की बात करना ही बेमानी है !
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18-04-2012, 04:05 PM | #2126 | |
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Re: साक्षात्कार
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अपनी सबसे बड़ी कमजोरी अथवा गलती के रूप में सर्वप्रथम मैं 'क्रोध' को स्वीकार करता हूं ! इसने मुझे अनेक नुकसान पहुंचाए ! यदि यह कमजोरी मुझमें नहीं होती, तो मैं आज अमेरिका का ग्रीन कार्ड धारक नागरिक होता और मेरा जीवन आज कुछ और ही होता ! मैंने अपनी इस गलती का एहसास बहुत देर से किया और जब तक इस पर काबू पाया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी ! हां, स्वयं पर नियंत्रण के बाद मैं आज खुद को एक बेहतर और सुखी इंसान समझता हूं ! जो मित्र यह पढ़ रहे हैं, मेरी उनसे सविनय प्रार्थना है कि कृपया नरम बनें, सोच को सकारात्मक बनाएं और जब भी आप पर क्रोध हावी होने का प्रयास करे, आप उस घटना के मूल में छिपे अपने हित के बारे में सोचें ! बस, आपका नज़रिया बदल जाएगा ! मेरी दूसरी सबसे बड़ी गलती 'शराब और सिगरेट' का बहुत कम आयु में आदी हो जाना ! कम उम्र में कुछ वज़हें आपको इनकी ओर आकृष्ट करती हैं ! अन्य बहुत से कारणों में से एक सबसे बड़ा कारण मेरी समझ के अनुसार यह भी है कि किशोर खुद को 'बड़ा' हो गया दिखाना चाहते हैं और फिर इन बुराइयों के चंगुल में फंस जाते हैं ! एक दिन मेरे एक कवि मित्र ने फेसबुक पर पोस्ट किया, "... अब मैं शराब से तौबा कर चुका हूं, तो हैरान हूं कि पहले मैं जहां समय नहीं होने का रोना रोया करता था, अब मेरे पास समय ही समय है ... और मैं उसका जम कर लुत्फ़ उठा रहा हूं ... खूब लिख रहा हूं, इतना जितना मैंने पहले कभी नहीं लिखा !" यह थी वह प्रेरणा, जिसने मुझे गत दिसंबर के अंत में इन व्यसनों से मुक्ति की ओर बढ़ाया ! सच कहूं तो सिगरेट को मैं शराब से ज्यादा बड़ा, खराब और दूसरों के लिए हानिकारक व्यसन मानता हूं, क्योंकि शराब का एक समय 'शाम' नियत है, लेकिन धूम्रपान के साथ ऐसा नहीं है ! अब मैं इससे मुक्त हूं तो कवि मित्र के एहसास को सही मानों में समझ सकता हूं कि इनके चंगुल में फंसे रहने के समय में मैं अब तक क्या कुछ खो चुका हूं ! जो मित्र इनके आदी हैं, उनसे मेरी प्रार्थना है कि आप शीघ्र इनसे मुक्ति पाएं, तब आप जीवन के सच्चे आनंद को महसूस कर सकेंगे ... और कृपया अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें कि वे इन बुराइयों के नजदीक कभी नहीं जाने पाएं ! ... और मेरी तीसरी सबसे बड़ी गलती 'पोर्न इंडस्ट्री' पर कुछ लेखन सामग्री जुटाने के लिए ऎसी साइट्स पर जाना और फिर जीवन के कुछ अनमोल वर्ष नष्ट कर देना ! बाद में मेरी एक मनोचिकित्सक मित्र से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि पोर्न आपमें एक ऐसा मनोविकार उत्पन्न करता है कि आप बेवज़ह उसे इकट्ठा करने लगते हैं ! ऐसा बहुत कम लोग कर पाते हैं कि इस तरह की किसी एक सामग्री को एक बार देखें और डिलीट कर दें ! यदि आप इसके चंगुल में फंसे, तो आप इसे एकत्र करना शुरू कर देंगे, बिना यह सोचे कि आपके एक बार देख लेने या पढ़ लेने के बाद यह किसी काम का नहीं है और यह संग्रह जितना बढ़ता जाएगा आपकी संतुष्टि भी उतनी ही बढ़ती जाएगी अर्थात यह एक नशा और उससे उत्पन्न होने वाला मनोविकार है ! मेरी सभी से प्रार्थना है कि आप इस बुराई से दूर रहें और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जितना संभव हो फैलने से रोकें ! धन्यवाद !
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18-04-2012, 05:56 PM | #2127 |
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Re: साक्षात्कार
अब तक की आपके जीवन में सबसे ख़ुशी का क्षण कब आया था?
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18-04-2012, 06:36 PM | #2128 |
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Re: साक्षात्कार
मैं आपके कथन से सौ प्रतिशत सहमत हूं ! निश्चय ही भारत में वामपंथ ऐतिहासिक दुर्दशा के कगार पर है, लेकिन इसके लिए वामपंथी विचारधारा नहीं, उसे यहां लागू करने में त्रुटियां करने वाले जिम्मेदार हैं ! सोवियत संघ 1922 से 1991 तक चला ! इतने वर्षों में रूस के साथ, जॉर्जिया, उज्बेकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान, लिथुआनिया, लातविया, अज़रवैजान, उक्रेन, बेलारूस, एस्टोनिया, मोल्दाविया, आर्मेनिया आदि जो छोटे और पिछड़े हुए देश इसमें सम्मिलित थे, वहां क्या प्रगति हुई और आज वहां क्या हाल है; यह आप भली भांति जानते हैं ! उस शासन ने वहां के ऐसे-ऐसे स्थानों को वे सभी सुविधाएं मुहैया कराईं, जिनके बारे में पहले वहां कोई स्वप्न देखने की स्थिति में भी नहीं था ! आज जिन इलाकों में बड़े-बड़े बांध, चौड़ी सड़कें तथा अन्य सभी सुविधाएं नज़र आती हैं, उनमें से साइबेरिया जैसे कई इलाकों तक पहले आप पहुंचने की सोच भी नहीं सकते थे ! ... और आज, इनमें से आधे से ज्यादा देशों में आज तानाशाह शासन कर रहे हैं या धार्मिक उन्माद के कारण उग्रवादी पैदा हो रहे हैं ! सबसे बढ़ कर भुखमरी और गरीबी के कारण उक्रेन आज विश्वभर में वेश्याएं निर्यात करने का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है और उसे वैश्विक वेश्यालय कहा जाता है ! आपको याद होगा कि भारत सरकार ने एक-दो माह पूर्व वहां से आने वाली महिलाओं को वीजा देने में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए थे ! क्या इन देशों की वर्तमान स्थिति के लिए वह विचारधारा जिम्मेदार है ! नहीं, मेरा मानना है कि उससे किनारा कर लेना ही इस त्रासदी का सबसे बड़ा कारण है ! जहां तक भारत का सवाल है, मैं एक विचित्र नज़रिया पेश करने जा रहा हूं ! हो सकता है कि आप जैसे अनेक लोग इससे असहमति जताएं, लेकिन यह मेरा बेहद निजी आकलन और नज़रिया है, इससे सभी सहमत हों, ऎसी मेरी कोई आकांक्षा भी नहीं है ! मेरा मानना है कि कोई भी वाद या विचारधारा उस देश के हिसाब से लचीला रुख अपना कर यानी तनिक बदलाव के साथ ही कारगर हो सकती है, लेकिन वामपंथियों ने ऐसा नहीं सोचा ! यदि सोवियत संघ में वामपंथी मजदूरों के बल पर क्रान्ति लाने में सफल हो गए तो, यहां भी आंख बंद कर 'दुनिया के मजदूरों एक हो' नारा बुलंद किया जाने लगा, जबकि यहां उद्योग से ज्यादा विकसित और जरूरी कृषि क्षेत्र था यानी यहां चीन का नज़रिया अधिक कारगर होता ! एक और सबसे बड़ी गलती ... एक ओर मार्क्स ने कहा है कि धर्म अफीम है और दूसरी ओर भारतीय वामपंथियों ने इस विषय में सभी सिद्धांतों को ताक पर रख, कांग्रेस की उसी राह पर चलना उचित समझा, जिसके अनुसार हिन्दुओं को गाली दो और प्रगतिशील कहलाओ ! शाहबानो केस में न्यायालय के प्रगतिशील फैसले को उलटने में कांग्रेस के साथ बढ़-चढ़ कर भूमिका निभाना भारतीय वामपंथियों की सबसे बड़ी भूल थी, जिसने अंततः यह साबित कर दिया कि आपकी किसी सिद्धांत, किसी विचारधारा में कोई आस्था नहीं है और आप भी अन्य सभी पार्टियों जैसे ही हैं ! जिन वोटों के लिए यह किया गया, उन पर तो मुलायमजी ने कब्ज़ा कर लिया, हस्र आपके सामने है ! यह भी सिर्फ एक उदाहरण है, मुझसे बहस की जाए, तो मैं ऐसे दर्जनों उदाहरण गिना सकता हूं, जिनकी बिना पर यह सहज साबित हो सकता है कि ये असल में वामपंथी पार्टियां सिर्फ नाम के लिए हैं !
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18-04-2012, 06:41 PM | #2129 |
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Re: साक्षात्कार
जब मुझे प्रवासी एशियाइयों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने उर्दू साहित्य को योगदान के लिए 'हज़रत अमीर खुसरो' अवार्ड से नवाज़ा ! यह मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी इसलिए थी कि उर्दू मेरी मातृभाषा नहीं है ! इसे मैंने महज़ अपने शौक के लिए बड़े होने पर सीखा था और उसमें किए गए सृजन के लिए सम्मानित किया जाना मुझे अपनी बड़ी उपलब्धि लगी थी !
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18-04-2012, 07:49 PM | #2130 |
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Re: साक्षात्कार
अलैक जी आपसे सवाल पूछने में काफी मज़ा आ रहा है और ज्ञान में इजाफा भी हो रहा है. आज शाम फिर से आपके लिए ७ सवाल.
१. मान लीजिये २०१४ में ऐसी स्थिथि आ जाती है की आपके पास २ आप्शन है और आपको वोट करने के लिए बोला जा रहा है, पहला नरेन्द्र मोदी का आप्शन है और दूसरा राहुल गांधी का, आपको वोट करना है की भारत का प्रधान मंत्री कौन हो? फिर आप किसको वोट करेंगे और क्यों? २. इन्टरनेट आज अपने विचार जाहिर करने का एक बहुत ही सशक्त माध्यम हो गया है, ऐसे में चाहे केंद्र सरकार हो या ममता की सरकार, सभी इसपर कण्ट्रोल लगाना चाहते हैं. इसका एक कारण मैं यह भी मानता हूँ की इन्टरनेट पर majority भाजपा supporters की है, इसलिए कांग्रेस और बाकी एंटी BJP दल इन्टरनेट को कण्ट्रोल करना चाहते है, आपका क्या नजरिया है इस मामले में? ३. २६/११ के समय में देश की एक जानी मानी पत्रकार बरखा दत्त ने अपने चैनल का TRP बढाने के चक्कर में लाइव कैमरा के सामने कुछ ऐसी जानकारियाँ दे दी जिससे आतंकवादियों को यह पता चल गया की लोग कहा छिपे हुए हैं, कुछ लोग तो कहते हैं, इसी तरह की रिपोर्टिंग के कारण हेमंत करकरे की जान गयी. आपको नहीं लगता की मीडिया के ऊपर भी एक third पार्टी संस्था का कण्ट्रोल होना चाहिए जो की सरकार और मीडिया से स्वतंत्र हो ताकि मीडिया को नियम कानून के हिसाब से चलाया जा सके. आखिरकार डेमोक्रेसी के चौथे स्तम्भ को भी तो किसी ना किसी के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए. ४. क्या आप अन्ना के आन्दोलन से सहमत हैं? एक democratically elected सरकार को अनशन के नाम पर मजबूर करना कहाँ तक सही है? ५. आपको क्या लगता है यह गांधी परिवार आखिर कब तक देश की राजनीति का केंद्रबिंदु बना रहेगा? क्या कैडर based पार्टियों की जगह अब हर जगह राजनैतिक वंशो ने ले लिया है? ६. जिस तरह देश जी जनसँख्या बढती जा रही है, आपको नहीं लगता की हम लोग यहाँ एक population bomb पर बैठे हुए है जो एक दिन फट जाएगा? ७. आप अमेरिका में काफी दिनों से हैं, आपको वहां और यहाँ के लोगो के नजरिये में क्या अंतर नज़र आता है?
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