My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 05-11-2017, 01:03 AM   #211
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

वही किस्सा एक नए रूप में
हिसाब ज्यों का त्यों, कुनबा डूबा क्यों?

औसत की बात चली तो एक साहूकार की कहानी याद आ गई। साहूकार महोदय अपनी बीवी और तीन बच्चों के साथ पास के शहर को जा रहे थे। रास्ते में एक नदी पड़ी। नांव का इंतजार किया। वो नहीं आयी तो साहूकार ने सोचा कि ये नदी तो घुसकर पार की जा सकती है। उन्होंने किनारे से लेकर बीच तक नदी की गहराई नापी – 1 फुट, 3 फुट, 7 फुट, 3 फुट और 1 फुट यानी नदी की औसत गहराई निकली 15/3=3 फुट। अब साहूकार ने अपने कुनबे में सभी की ऊंचाई नापी। वो खुद 5 फुट 10 इंच के, बीवी 5 फुट 2 इंच की, पहला बेटा 4 फुट 8 इंच का, छोटी बेटी 3 फुट 4 इंच की और गोद का बेटा 2 फुट का। उन्होंने गिना कि इस तरह कुनबे की औसत लंबाई हुई करीब 4 फुट ढाई इंच। यानी, कुनबे की औसत लंबाई नदी की औसत गहराई से पूरे 1 फुट ढाई इंच ज्यादा है। इसलिए कुनबा तो आसानी से नदी पार कर जाएगा। साहूकार बीबी-बच्चे समेत नदी में उतर गए। उन्हें तैरना आता था, सो नदी के उस पार पहुंच गए। बाकी सारा कुनबा बीच नदी में बह गया। साहूकार फेर में पड़कर कहने लगे – हिसाब ज्यों का त्यों, कुनबा डूबा क्यों...
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 19-11-2017, 07:25 PM   #212
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

चोट तब करो जब लोहा गरम हो
(प्रमिला कटरपंच के ब्लॉग से साभार)

मैं सबसे बातें कर रही हूँ। बच्चों से और औरतों से, युवाओं से और बूढ़ों से भी। लेकिन लगता है जैसे वे मेरी भाषा नहीं समझ रहे हैं। ये गाडिया लोहार हैं. वे सब मेरी ओर देखते हैं, तनिक सा मुस्कराते हैं और फिर लोहे को गर्म करने और उसे हथौड़े से पीटने के कार्य में व्यस्त हो जाते हैं। वे सब अपने-अपने कामों में व्यस्त हैं, जैसे उन्हें हमसे कोई सरोकार नहीं है। सूरज बादलों के पीछे छिप गया है और तपती धूप में तपते लोहे पर काम करने वाले ये नर-नारी थोड़ा ठंडापन महसूस करते हैं। बहुत देर तक लोगों को काम करती देखती रहती हूँ। वहाँ सब लोग काम कर रहे हैं, चाहे वह आदमी हो या औरत, छोटा हो या बड़ा, युवा हो या वृद्ध। बच्चे भी इस काम में उनका हाथ बंटा रहे हैं। थोडा आश्चर्य होता है और थोड़ा गर्व भी। जब देखती हूँ हौथड़े हाथ में लिये गर्म लाल लोहे को पीट रही हैं। सहसा बचपन में पढ़ी हुई अंग्रेजी कविता की पंक्तियाँ याद आ जाती है, जो हर पढ़े-लिखे व्यक्ति द्वारा रोजाना प्रयोग में आने वाला मुहावरा बन गया है - हिट व्हेन दा आयरन इज हâ। इन भोले-भाले और अनपढ़ लोगों ने बिना पढ़े ही इस मुहावरे के तथ्य को जैसे अपने जीवन में आत्मसात कर लिया है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 21-11-2017, 07:36 PM   #213
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

एक भोजपुरी मुहावरा
(पूजा उपाध्याय के ब्लॉग से साभार)

बातचीत का एक बहुत जरूरी हिस्सा होती हैं कहावतें...पापा जितने मुहावरे इस्तेमाल करते हैं मैं उनमें से शायद 40 प्रतिशत ही इस्तेमाल करती हूँ, वो भी बहुत कम. हर मुहावरे के पीछे कहानी होती है...अब उदहारण लीजिए...अदरी बहुरिया कटहर न खाय, मोचा ले पिछवाड़े जाए. ये तब इस्तेमाल किया जाता है जब कोई बहुत भाव खा रहा होता है...कहावत के पीछे की कहानी ये है कि घर में नयी बहू आई है और सास उसको बहुत मानती है तो कहती है कि बहू कटहल खा लो, लेकिन बहू को तो कटहल से ज्यादा भाव खाने का मन है तो वो नहीं खाती है...कुछ भी बहाना बना के...लेकिन मन तो कटहल के लिए ललचा रहा है...तो जब सब लोग कटहल का कोआ खा चुके होते हैं तो जो बचे खुचे हिस्से होते हैं जिन्हें मोचा कहा जाता है और जिनमें बहुत ही फीका सा स्वाद होता है और जिसे अक्सर फ़ेंक दिया जाता है, बहू कटहल का वही बचा खुचा टुकड़ा घर के पिछवाड़े में जा के खाती है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 29-11-2017, 08:21 PM   #214
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

'प्राण जाय पर वचन न जाय' से
'जान बची सो लाखों पाय' तक


यह उस जमाने की कहानी है, जब ब्रिटिश साम्राज्य के अधीनस्थ विभिन्न राजे-रजवाड़े अपनी-अपनी आजादी के लिए आपस में कटते-पिटते अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार कर चुके थे। हमारे कथा का नायक ऐसे ही एक रजवाड़े का युवराज था। इंग्लैंड में ऊंची शिक्षा हासिल कर लौटने के बाद उसने जाना कि उसके परदादा ने ‘प्राण जाय पर वचन न जाय’ नामक संस्कृति में फिट होने के कारण राजगद्दी हासिल की थी, और उसके दादा ने गरीब-निरीह प्रजा के प्राणों की खातिर अंग्रेजों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। और पिता ने प्रजा के साथ खुद को ‘जान बची तो लाखो पाये’ मुहावरे में फिट कर लिया। युवराज के पढाई के लिए विदेश जाने के पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य ने सिर्फ इतना किया था कि एक दिन आत्मसमर्पण का भव्य आयोजन करवाया था। उसमें दादा से एक सादे कागज पर देसी भासा में हस्ताक्षर कराकर उन्हें आजाद कर दिया। यानी लिखित एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कराकर उनकी सेना के तमाम घोड़े-हाथियों पर कब्जा किया, उनकी तलवार-भाले से लैस सेना को ‘पैदल’ कर दिया और जान बख्श दी। अंग्रेजों के निर्देश पर दादा ने ‘राज्य’ के राज-काज का अधिकार युवराज के पिता को सौंप दिया। अंग्रेजी पढ़ने-लिखने की तैयारी में व्यस्त युवराज समझदार था। इसलिए समझ गया कि उसे गुलामी बरतने की आजादी मिली है। हालांकि यह भी कमोबेश ठीक उसी तरह की आजादी है, जो उसके पुरखों ने अपने शासन में अपनी प्रजा को दे रखी थी।
(इन्टरनेट से साभार)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 04-12-2017, 01:38 PM   #215
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

बार बार सुना झूठ सच लगता है

एक भोलाराम नाम का व्यक्ति होता है। वह शहर से बकरी खरीद कर लाता है। रास्ते में उसे तीन ठग मिलते हैं। ठगों का दिल बकरी पर आ जाता है तथा वे आपस में सलाह करते हैं कि किसी न किसी तरह भोलू से बकरी हथिया ली जाये। तीनों ठग अलग-अलग हो जाते हैं।

तयशुदा योजना के तहत पहला ठग जाकर भोला राम को पूछता है, ''क्यों भाई, ये क्या ले जा रहे हो?"
''दिखाई नहीं देता? बकरी है।" भोले ने उत्तर दिया,

''बकरी कहां है, ये तो कुत्ता है।"

भोला उस ठग से बहस करने लगा, ''कुत्ता नहीं भई यह बकरी है, बकरी।"

''नहीं कुत्ता है।"

''नहीं बकरी है।"

''कुत्ता।"

''बकरी।"

ठग भोला राम से काफी देर बहस करने के बाद चला जाता है। वह थोड़ा आगे जाता है तो उसे दूसरा ठग मिलता है, ''भोला राम कहां से आ रहे हो?"
''शहर गया था, बकरी खरीदने।"

''तथा ले आये कुत्ता?" ठग ने ठहाका लगाया।

भोला राम ने बकरी की ओर देखकर जबाव दिया, ''कुत्ता नहीं, यह बकरी है।"

''बकरी क्या ऐसी होती है, यह तो कुत्ता है।"

भोला राम की उस ठग के साथ भी काफी बहस होती है। थोड़ा आगे जाने पर भोलाराम को तीसरा ठग मिलता है, ''और सुनाओ मित्र, कुत्ते को कहां ले जा रहे हो?"

कुत्ता कह रहे हैं तो जरूर ही यह कुत्ता होगा, बकरी नहीं। गांव में जाने पर लोग मजाक न करें, इसलिये वह बकरी का रस्सा वहीं छोड़कर चला जाता है तथा ठग बकरी को संभाल लेते हैं।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 13-12-2017, 01:35 PM   #216
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

ढोल की पोल
(पंचतंत्र की एक कहानी)

एक बार एक जंगल के निकट दो राजाओं के बीच घोर युद्ध हुआ। एक जीता दूसरा हारा। सेनाएं अपने नगरों को लौट गई। बस, सेना का एक ढोल पीछे रह गया। उस ढोल को बजा-बजाकर सेना के साथ गए भांड व चारण रात को वीरता की कहानियां सुनाते थे।

युद्ध के बाद एक दिन आंधी आई। आंधी के ज़ोर में वह ढोल लुढकता-पुढकता एक सूखे पेड के पास जाकर टिक गया। उस पेड की सूखी टहनियां ढोल से इस तरह से सट गई थी कि तेज हवा चलते ही ढोल पर टकरा जाती थी और ढमाढम ढमाढम की गुंजायमान आवाज़ होती।

एक सियार उस क्षेत्र में घूमता था। उसने ढोल की आवाज़ सुनी। वह बडा भयभीत हुआ। ऐसी अजीब आवाज़ बोलते पहले उसने किसी जानवर को नहीं सुना था। वह सोचने लगा कि यह कैसा जानवर हैं, जो ऐसी जोरदार बोली बोलता हैं ’ढमाढम’। सियार छिपकर ढोल को देखता रहता, यह जानने के लिए कि यह जीव उडने वाला हैं या चार टांगो पर दौडने वाला।

एक दिन सियार झाडी के पीछे छुप कर ढोल पर नजर रखे था। तभी पेड से नीचे उतरती हुई एक गिलहरी कूदकर ढोल पर उतरी। हलकी-सी ढम की आवाज़ भी हुई। गिलहरी ढोल पर बैठी दाना कुतरती रही।

सियार बडबडाया 'ओह! तो यह कोई हिंसक जीव नहीं हैं। मुझे भी डरना नहीं चाहिए।'

सियार फूंक-फूंककर क़दम रखता ढोल के निकट गया। उसे सूंघा। ढोल का उसे न कहीं सिर नजर आया और न पैर। तभी हवा के झुंके से टहनियां ढोल से टकराईं। ढम की आवाज़ हुई और सियार उछलकर पीछे जा गिरा।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 13-12-2017, 01:39 PM   #217
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

'अब समझ आया।' सियार समझने की कोशिश करता हुआ बोला 'यह तो बाहर का खोल हैं। जीव इस खोल के अंदर हैं। आवाज़ बता रही हैं कि जो कोई जीव इस खोल के भीतर रहता हैं, वह मोटा-ताजा होना चाहिए। चर्बी से भरा शरीर। तभी ये ढम=ढम की जोरदार बोली बोलता हैं।

अपनी मांद में घुसते ही सियार बोला 'ओ सियारी! दावत खाने के लिए तैयार हो जा। एक मोटे-ताजे शिकार का पता लगाकर आया हूं।'

सियारी पूछने लगी 'तुम उसे मारकर क्यों नहीं लाए?'

सियार ने उसे झिडकी दी 'क्योंकि मैं तेरी तरह मूर्ख नहीं हूं। वह एक खोल के भीतर छिपा बैठा हैं। खोल ऐसा हैं कि उसमें दो तरफ सूखी चमडी के दरवाज़े हैं।मैं एक तरफ से हाथ डाल उसे पकडने की कोशिश करता तो वह दूसरे दरवाज़े से न भाग जाता?'

चांद निकलने पर दोनों ढोल की ओर गए। जब वह् निकट पहुंच ही रहे थे कि फिर हवा से टहनियां ढोल पर टकराईं और ढम-ढम की आवाज़ निकली। सियार सियारी के कान में बोला 'सुनी उसकी आवाज? जरा सोच जिसकी आवाज़ ऐसी गहरी हैं, वह खुद कितना मोटा ताजा होगा।'

दोनों ढोल को सीधा कर उसके दोनों ओर बैठे और लगे दांतो से ढोल के दोनों चमडी वाले भाग के किनारे फाडने। जैसे ही चमडियां कटने लगी, सियार बोला 'होशियार रहना। एक साथ हाथ अंदर डाल शिकार को दबोचना हैं।' दोनों ने ‘हूं’ की आवाज़ के साथ हाथ ढोल के भीतर डाले और अंदर टटोलने लगे। अदंर कुछ नहीं था। एक दूसरे के हाथ ही पकड में आए। दोंनो चिल्लाए 'हैं! यहां तो कुछ नहीं हैं।' और वे माथा पीटकर रह गए।
**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 16-12-2017, 03:56 PM   #218
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

सावन के अंधे
(इन्टरनेट से)

पिछले दिनों जब फेसबुक पर अकल की मारी एक कमसिन सी दिखने वाली फेसबुकिया मित्री ने चैट करते हुए मुझे वेलेनटाइन डे की बधाई दी तो मेरी बत्तीसी मेरे मुंह से बाहर आते-आते रह गई। मेरे लिये यह अजब-अनूठा अनुभव था। जीवन में कभी भी वेलेनटाइन डे जैसे खास अवसरों पर इस तरह के आफरनुमा बधाई से मैं सदा ही अछूता रहा हूं। कहना न होगा कि जब तक इन अवसरों व बधाईयों का कुछ अर्थ समझ में आता तब तक सिर के बाल उजड़ने व बत्तीसी मुंह से बाहर आने को आतुर हो चुकी थी। पर कहते हैं कि बंदर लाख बूढ़ा हो जाये, गुलाटी लगाना नहीं छोड़ सकता। वही हाल हम मर्दों का है।

अंतिम अवसर का लाभ भला कौन उठाना नहीं चाहता। वह भी ऐसा व्यक्ति जिसने ऐसे अवसरों को अपनी नादानी व अनभिज्ञता के चलते सदा खोया ही खोया हो। जीवन भर भले ही हमने कोई घास न खोदी हो पर बुढ़ापे की ओर लेफ्ट राइट करते हुए अंदर का मर्द उस दिन अंततः जाग ही उठा। मैंने बधाई देने वाली फेसबुकिया मित्री के कुछ और करीब आने की चाहत में कांपते हाथों से व डरते-डरते उसे बधाई तो दी ही चैट बाक्स में उसे ‘आई लव यू’ लिखने की जुर्रत भी कर डाली।

उस कुआंरी कन्या (उसकी फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार) से लगभग आधे घंटे तक पूरी बराबरी से वैलेनटाइन डे सेलीबरेट करने के बाद अचानक बीच-बीच में उस कन्या द्वारा स्त्रीलिंग से बिछड़कर पुर्लिंग में बात करने पर दिमाग को कुछ खटका लगा। और मुझे यह बात समझते देर न लगी कि कोई अक्ल का बादशाह मेरी पहले से ही बुझ चुकी भावनाओं से खेलना चाहता है। मैं अपने अनेक करीबियों से फेसबुक पर फेक प्रोफाइल के ऐसे अनेक किस्से पहले भी सुन चुका था, फिर भी ‘दिल है कि मानता नहीं’ के कारण मैं काफी समय तक बेवकूफ बनता रहा।
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 16-12-2017, 04:15 PM   #219
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

सावन के अंधे
आखिर मुझे सोचना चाहिये था कि जिस व्यक्ति के जीवन में अधेड़ावस्था तक कभी बसंत बहार न आई हो और स्टूडेंट लाइफ से लेकर अभी तक अनेक कलाबाजियां दिखाने के बावजूद जिसे किसी गधी ने भी घास न डाली हो उसे आज के हालातों में कोई वचुर्वल दुनिया की कमसिना क्यों कर चारा डालने लगी। मेरे एक निजी मित्र के अनुसार आजकल 13-14 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लड़के-लड़कियां अपना कोई न कोई जोड़ा बना ही लेते हैं। ऐसे में कोई मुझ जैसा अक्ल का मारा व्यक्ति यह सोचे कि इस उम्र तक कोई कुंवारी कली उसके लिये पलक पांवडे़ बिछाये बैठी होगी और उसे लिफ्ट देगी तो यह बेवकूफी और अक्लबंदी की पराकाष्ठा ही होगी।

मैं अपने मित्र की बात पर विश्वास करता पर कैसे? हमारी तो शादी ही 13-14 की उम्र में हो गई थी पर यहां तो सठियाने की उम्र में पहुंचने के बावजूद आज तक अपनी धार्मिक पत्नी तक के साथ जोड़ी बना पाने में कामयाबी मुयस्सर नहीं हो सकी। और वेलेंनटाइन डे को तो छोड ही दीजियेे करवा चौथ जैसे त्यौहारों पर भी पत्नी बख्शने के मूड में नहीं दिखाई देती है।

कहते हैं कि सावन के अंधे को हर समय हरा ही हरा नज़र आता है और यदि कोई काली अंधेरी रात में अंधा हुआ हो तो उसे भला क्या नज़र आयेगा, अंधेरा ही अंधेरा ना! मुझमे और मेरे निजी दोस्त में बस यही फर्क है। वह सावन का अंधा है तो मैं अंधरी रात का अंधा। जहां तक मुझे याद आता है कि मेरे साथ यह सिलसिला बचपन में ही शुरू हो गया था। कहते हैं 12 वर्ष में तो घूरे के दिन भी फिर जाते हैं परन्तु वह दिन है और आज का दिन है पचासों सावन बीते, अनेक बसंत आये और गये पर इस वीराने में बहार नहीं आने वाली थी तो नहीं ही आई। अब इसे आप समय का दोष समझें या मेरे मुकद्दर का पर जो समय बीत गया वह अब अपने नये संस्करण या शोले फिल्म की तरह थ्री डी में तो आने से रहा। है ना सही बात?
....
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 19-12-2017, 01:16 PM   #220
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मुहावरों की कहानी

दूध का दूध पानी का पानी
(मुहावरे पर कहानी)

पंजाब के उत्साह से भरे शहर में एक सीधा-सादा परिवार रहता था। उसमें थे- माता-पिता और उनकी दो बेटियाँ। एक का नाम रेखा और दूसरी का नाम राखी था। वे जुड़वाँ बहने थीं जो बिल्कुल समान दिखतीं थीं। राखी शैतान थी। रेखा सब की मदद करती थी जैसे कि एक अंधे आदमी को सड़क पार कराती तो कभी-कभी किसी बीमार पशु की देखभाल करती जबकि राखी सब को उल्लू बनाती और सब के साथ शरारत करती थी।

रेखा और राखी हाल ही में एक नए स्कूल में आठवीं कक्षा पढ़ने आईं थीं क्योंकि वे एक दूसरे के समान ही दिखती थीं । उनके अध्यापक तक चकरा जाते थे। सबसे बड़ी बात तो उनका नाम भी मिलता-जुलता था।

राखी हमेशा अध्यापकों का मज़ाक उड़ाया करती थी और अंत में सारा इल्ज़ाम अपनी जुड़वाँ बहन रेखा पर डाल देती थी जैसे कि अध्यापक की कुर्सी पर गोंद लगा देना तो कभी श्यामपट पर चित्र बना देना तो कभी कुछ और ऐसे मज़ाक उड़ाती थी । जब उनके माता-पिता को स्कूल बुलाया जाता था तब सभी रेखा को ही भला-बुरा कहते। माँ-बाप राखी जैसे रेखा को बनने को कहते और उसे डाँटते-फटकारते । ऐसे ही बहुत समय तक चलता रहा। आखिर में एक दिन दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
कहावतें, मुहावरे, मुहावरे कहानी, लोकोक्तियाँ, हिंदी मुहावरे, हिन्दी कहावतें, hindi kahavaten, hindi muhavare, idioms & phrases, muhavare kahavaten, muhavaron ki kahani


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:49 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.