28-01-2013, 04:35 PM | #22491 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
कोलकाता। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बेटी अनीता बोस फाफ का कहना है कि 1945 में उनके पिता के लापता होने के बाद उनकी जानकारी जुटाने के लिए गठित जांच आयोग सरकार की ओर से पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने के कारण असहाय रहे। हालांकि वह मानती हैं कि उनके पिता अब जीवित नहीं हैं। अनीता ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि जांच आयोग को कितनी मदद मिली लेकिन मुझे लगता है कि कुछ मायनों में सरकार मददगार रही और कुछ मायनों में आयोग को कठिनाइयां भी आईं।’’ उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले आयोग को तथाकथित विमान दुर्घटना की जांच के लिए ताइवान नहीं जाने दिया गया क्योंकि यह राजनीतिक रूप से सही अवसर नहीं था। अनीता ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अंतिम आयोग :मुखर्जी आयोग: को दस्तावेजों के लिहाज से सही तौर पर समर्थन नहीं मिला।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक तरह की ढिलाई लगी लेकिन मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकती कि उन्होंने क्या लिखा और उनका निजी अनुभव क्या रहा।’’ सुभाष चंद्र बोस 18 अगस्त, 1945 को कथित विमान हादसे के बाद रहस्यमयी तरीके से लापता हो गये थे जिसके बाद से केंद्र सरकार ने उनका पता लगाने के लिए तीन आयोग बनाये। पहले दो आयोगों ने जहां विमान दुर्घटना और नेताजी के निधन की बात को माना वहीं 1999 में गठित तीसरे आयोग ने इस बात को नहीं स्वीकारा और कहा कि उस दिन ताइवान में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। मुखर्जी आयोग की अंतिम रिपोर्ट को 2006 में संसद में पेश किया गया था जिसे कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने खारिज कर दिया। जब अनीता से पूछा गया कि क्या वह विमान दुर्घटना की बात से इत्तेफाक रखती हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस बात की संभावना काफी हद तक हो सकती है। मैंने खुद कई चश्मदीदों से और खासकर जापानी प्रत्यक्षदर्शियों से बात की थी और कुल मिलाकर यही सबसे संभावित बात लगती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानती हूं कि अब वह जीवित नहीं हैं।’’ नेताजी 48 वर्ष की उम्र में लापता हो गये थे। पहले आयोग का गठन 1956 में किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा गठित तीन सदस्यीय शाहनवाज समिति ने कहा था कि नेताजी का निधन ताईवान में दुर्घटना में हो गया था। रिपोर्ट काफी विवादास्पद रही क्योंकि बोस परिवार के कुछ लोगों समेत अनेक लोगों ने इससे असहमति जताई। 1970 में इंदिरा गांधी द्वारा गठित जीडी खोसला आयोग ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि विमान दुर्घटना में बोस का निधन हो गया। कुछ नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दोनों आयोगों की कड़ी निंदा की थी। वर्ष 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एम के मुखर्जी आयोग बनाया जिसने जापान, रूस, ताईवान जैसे देशों में उस समय के हालात का अध्ययन किया और 1945 की विमान दुर्घटना में कथित रूप से नेताजी के निधन से जुड़ी अनेक फाइलों का अध्ययन किया। अन्य आयोगों की रिपोर्ट के विपरीत मुखर्जी आयोग ने कहा कि विमान दुर्घटना दरअसल नेताजी को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में बचाने के लिए चीजों को गुप्त रखने की योजना का हिस्सा थी। मुखर्जी ने 2005 में अपनी जांच के समापन पर कहा था कि ताईवान सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि 14 अगस्त से 20 सितंबर, 1945 के बीच ताईहोकू में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट के संदर्भ में अनीता ने कहा, ‘‘मेरे विचार से मुखर्जी आयोग ने यह पता लगाया है कि वह 18 अगस्त को ताईहोकू में मौजूद थे। हालांकि उनका कहना है कि उनके पास कोई लिखित सबूत नहीं है। लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं है कि लिखित सबूत ही मान्य है।’’ उन्होंने हाल ही में मांग की थी कि सरकार द्वारा 1945 के बाद के बोस से जुड़े सभी दस्तावेजों का खुलासा किया जाए।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:36 PM | #22492 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
धूल फांक रही है दीक्षित आयोग की रिपोर्ट
देहरादून। उत्तराखंड राज्य के गठन के बारह साल बाद सरकार ने भले ही पर्वतीय गैरसैंण इलाके में विधानसभा भवन का शिलान्यास कर दिया है, लेकिन राज्य की स्थायी राजधानी का मसला तय करने के लिये गठित वीरेंद्र दीक्षित आयोग की रिपोर्ट अब भी धूल फांक रही है । वैसे एक सदस्यीय आयोग ने गैरसैंण को राजधानी के तौर पर अनुपयुक्त करार दिया है और उसके अनुसार देहरादून ही सबसे सही स्थान है। इसी माह मकर संक्रांति के दिन राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपनी पूर्वघोषणा के मुताबिक, चमोली जिले की गैरसैंण तहसील के भराड़ीसैंण इलाके में नये विधानसभा भवन का शिलान्यास किया । लगभग 7000 फुट की उंचाई पर स्थित भराड़ीसैंण में 498 एकड़ जमीन पर विधानसभा भवन के अलावा विधायकों और अधिकारियों के लिये आवास, एक मिनी सचिवालय तथा अन्य जरूरी अवस्थापना सुविधायें भी विकसित की जायेंगी । बारह वर्ष पहले राज्य के गठन के समय से ही गैरसैंण यहां की जनता खासतौर पर पृथक राज्य के आंदोलन की अगुवाई करने वाले उत्तराखंड क्रांति दल :उक्रांद: के लिये एक भावनात्मक विषय रहा है जो पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ही बनाये जाने के समर्थक है । गैरसैंण में शिलान्यास को समावेशी विकास की दिशा में एक नयी शुरूआत बताते हुए मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि इससे क्षेत्र में विकास के नये आयाम खुलेंगे । एक सदस्यीय वीरेंद्र दीक्षित आयोग ने वर्ष 2008 में विधानसभा में पेश की गयी 80 पृष्ठों की रिपोर्ट में विषम भौगोलिक दशाओं, भूकंपीय आंकड़ों तथा अन्य कारकों पर विचार करते हुए कहा था कि गैरसैंण स्थायी राजधानी के लिये सही स्थान नहीं है। आयोग ने रामनगर तथा ऋषिकेश जैसे स्थानों को भी राजधानी के लिये अनुपयुक्त बताया था । नौ नवंबर, 2000 को गठित हुए उत्तराखंड की अंतरिम राजधानी बनाये गये देहरादून को ही आयोग ने राज्य की स्थायी राजधानी बनाये जाने के लिये सबसे अच्छा और उपयुक्त स्थान बताया है । रिपोर्ट में दूसरा सबसे उपयुक्त स्थान उधमसिंहनगर जिले के काशीपुर शहर को माना गया है । रिपोर्ट के अनुसार देहरादून को स्थायी राजधानी बनाये जाने पर उस पर करीब 1315 करोड़ रूपये का खर्च आने का अनुमान लगाया गया है जो काशीपुर में राजधानी बनाये जाने पर आने वाली अनुमानित लागत से कहीं कम है । वैसे काशीपुर में बाढ आने की आशंका और वहां उचित निकासी प्रणाली न होने की बात भी कही गयी है । एक रोचक तथ्य यह भी है कि भले ही दीक्षित आयोग का गठन 2001 में भाजपा की सरकार ने किया था लेकिन उसका कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद उसे पुनर्जीवित कांग्रेस सरकार ने ही किया । इस बाबत पूछे जाने पर उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि गैरसैंण में विधानसभा भवन सहित अन्य अवस्थापना सुविधायें इसलिये विकसित की जा रही हैं ताकि वहां वर्ष में कम से कम एक विधानसभा सत्र आयोजित किया जा सके । उन्होंने कहा, ‘गैरसैंण में सुविधायें जनाकांक्षाओं के अनुरूप विकसित की जा रही हैं। उसका राजधानी के मसले से कोई मतलब नहीं है ।’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:36 PM | #22493 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
नक्सली प्रशिक्षण के लिए हालीवुड फिल्मों का सहारा
रायपुर। छत्तीसगढ के नक्सलियों के युध्द के तरीके और हथियारों के प्रयोग सीखने के लिए हालीवुड की फिल्मों का सहारा लेने की जानकारी मिली है। राज्य में पुलिस ने नक्सलियों के प्रशिक्षण शिविरों में छापे के दौरान हालीवुड फिल्मों की सीडी बरामद की है जिसमें दुश्मनों को मार गिराने के तरीके दिखाए गए हैं। छत्तीसगढ के बीजापुर जिले के पीड़िया क्षेत्र में इस महीने की 24 तारीख को पुलिस ने जब नक्सली शिविर पर धावा बोला तब वहां से हथियार बनाने की मशीन, नक्सली साहित्य और विस्फोटकों के अलावा हालीवुड फिल्मों की सीडी भी बरामद की गई। बीजापुर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल के मुताबिक पुलिस को जिले के पीड़िया क्षेत्र में नक्सलियों के प्रशिक्षण शिविर और प्रिंटिग प्रेस संचालित किये जाने की सूचना मिली थी। सूचना के बाद क्षेत्र के लिए पुलिस दल रवाना किया गया था। अग्रवाल ने बताया कि पुलिस ने शिविर पर धावा बोलकर यहां से हथियार बनाने की मशीन, प्रिंटिग में उपयोग होने वाली सामग्री, अत्यधिक मात्रा में नक्सली साहित्य, नक्सली वर्दियां, माइक्रो आडियो कैसेट, आडियो प्लेयर, फिल्मों की सीडी और दवायें आदि बरामद की थीं। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान जब्त अधिकांश सीडी हालीवुड फिल्मों की हैं जिसमें युद्ध के तरीकों, हथियारों के प्रयोग आदि को प्रदर्शित किया गया है। राज्य के नक्सल मामलों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज के मुताबिक पीड़िया क्षेत्र के नक्सली शिविर मेंं पुलिस को हालीवुड फिल्म ‘बिहाइंड द एनिमी लाइंस’, ‘डेल्टा फोर्स’, ‘डाई हार्ड’, ‘गाड मस्ट बी के्रजी’ और ‘मेट्रिक्स रिलोडेड’ आदि फिल्मों की सीडी मिली है। विज बताते हैं कि इन फिल्मों में सैनिकों के युद्धकौशल और नए स्वचलित हथियारों के दृश्य हैं। वहीं कुछ फिल्मों में शहरी और आदिवासी समाज के बीच लड़ाई का चित्रण है। उन्होंने बताया कि नक्सली इन फिल्मों का उपयोग ज्यादातर प्रशिक्षण के दौरान और आदिवासियों को गुमराह करने के लिए करते हैं। फिल्मों के माध्यम से वे नई तकनीक की जानकारी लेने की कोशिश करते हैं और भोले भाले आदिवासियों के मन में घृणा भी पैदा करते हैं। वे आदिवासियों को लगातार युध्द और हत्या जैसे दृश्य दिखाकर उन्हें भी ऐसा करने के लिए उकसाते हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ फिल्मों में मानव शरीर मेंं बम लगाने के भी दृश्य हैं। यह भी हो सकता है कि झारखंड के लातेहार क्षेत्र में पिछले दिनों नक्सली हमले मेंं मारे गए सुरक्षा बल के जवान के शव में बम लगाने की प्रेरणा उन्हें फिल्मों से ही मिली हो। बहरहाल, इस मामले में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। वैसे इससे पहले भी नक्सली छत्तीसगढ में जवानों के शवों के नीचे प्रेशर बम लगाने की कोशिश कर चुके हैं। राज्य के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के पुलिस अधीक्षक राहुल भगत कहते हैं कि यह पहली बार नहीं है कि क्षेत्र के नक्सली प्रशिक्षिण शिविर में हालीवुड फिल्मों की सीडी मिली है। इससे पहले कांकेर जिले में ऐसी सीडी बरामद की गई थी, तब इस मामले की काफी तहकीकात की गई थी। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने इस मामले की खोजबीन की तब पता चला कि नक्सली इन सीडी का उपयोग प्रशिक्षण के लिए तो करते ही हैं, साथ ही इसका उपयोग गावों के आदिवासियों को डराने और गुमराह करने के लिए भी करते हैं। भगत ने बताया कि नक्सली शिविरों में ज्यादातर हालीवुड फिल्मों की ही सीडी पाई गई है। इसमें अमेरिकी सैनिकों की लड़ाई और युद्ध के दृश्य होते हैं। नक्सली इन फिल्मों को सीडी प्लेयर के माध्यम से गांवों में दिखाते हैं और बताते हैं कि जब इस क्षेत्र में सेना आएगी तब वह गांव को इसी तरह भारी हथियार और टैंक के माध्यम से बरबाद कर देगी। इसलिए ग्रामीणों को क्षेत्र में सेना का विरोध करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह भोले भाले ग्रामीणों को भड़काने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है। पुलिस ग्रामीणों को नक्सलियों की बातों में नहीं आने की सलाह देती हैं और बताती है कि यह फिल्मों के अलावा कुछ भी नहीं है। राज्य के पुलिस महानिदेशक रामनिवास के अनुसार नक्सली लोकतंत्र के विरोधी हैं और वे ग्रामीणों के मन में नफरत भरने के लिए इस तरह के कार्याें का सहारा लेते हैं। लेकिन पुलिस की पूरी कोशिश है कि भोले भाले आदिवासी उनकी बातों में नहीं आए और लोकतंत्र का साथ दें।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:37 PM | #22494 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है आफ्सपा : हबीबुल्ला
नई दिल्ली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) को ‘लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ’ करार देते हुए कहा है कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह का कानून नहीं होना चाहिए। हबीबुल्ला ने न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की ओर से आफ्सपा को लेकर की गई सिफारिश की संदर्भ में यह टिप्पणी की है। समिति ने सरकार को दी गई रिपोर्ट में कहा है कि महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध करने वाले सुरक्षा बलों के लिए आफ्सपा लागू नहीं होना चाहिए। आफ्सपा को लेकर कई बार तल्ख टिप्पणियां कर चुके हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘समिति ने बिल्कुल ठीक सिफारिश की है। मेरा मानना है कि आफ्सपा लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है। हम एक लोकतंत्र में रहते हैं और इस व्यवस्था में ऐसा कानून है। इस तरह का कानून नहीं होना चाहिए।’’ कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर से इस कानून को हटाए जाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘इस कानून को हटाए जाने के बारे कोई भी फैसला सेना के लोगों के साथ बातचीत के जरिए हो सकता है। अगर इसे हटाया नहीं जा सकता तो इसमें मौजूद कमजोरियों को दूर किया जाना चाहिए। यह भी सेना के लोगों से विचार-विमर्श के जरिए हो।’’ आफ्सपा 1958 में संसद की ओर से पारित कानून है। यह देश के ‘अशांत क्षेत्रों’ में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है। पहले इसके दायरे में पूर्वोत्तर था, लेकिन 1990 में आतंकवाद के कारण इसे जम्मू-कश्मीर में भी लागू कर दिया गया। मानवाधिकार संगठन इस कानून की आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि इस कानून की आड़ में मानवाधिकार का उल्लंघन होता है। हबीबुल्ला ने न्यायमूर्ति वर्मा समिति की ओर से बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा देने की सिफारिश नहीं करने पर भी सहमति जताई। उन्होंने बीते पांच जनवरी को समिति को दिए अपने सुझाव में भी मौत की सजा का विरोध किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मौत की सजा के खिलाफ हूं। कई लोकतांत्रिक देशों और सभ्य समाज में इसका विरोध होता है। समिति के समक्ष जब मैंने मौत की सजा नहीं होने के बारे में सुझाव दिया तो कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की।’’ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के तौर पर दो साल पूरे करने जा रहे हबीबुल्ला ने कहा कि शेष एक साल के कार्यकाल के दौरान वह अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में काम करेंगे। देश में पिछले कुछ महीनों के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों पर चिंता जाहिर करते हुए हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘दंगों को रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ विधेयक का मसौदा तैयार है जिसका हमने समर्थन किया और उसमें अपने सुझाव दिए। सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सख्त कानून बनना चाहिए।’’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:38 PM | #22495 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
‘स्थानीय निकाय चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन, निर्वाचन पैनल करे कार्रवाई’
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग और शहर की पुलिस से, पिछले साल दिल्ली नगर निगम के चुनावों के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में मिली शिकायतों पर समुचित कार्रवाई करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश डी मुरूगेसन और न्यायमूर्ति वी के जैन की पीठ ने कहा कि अगर आयोग और पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इसे अदालत की अवमानना समझा जाएगा। उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था लोकसत्ता पार्टी द्वारा दाखिल अनुरोध पर दी । लोकसत्ता पार्टी का आरोप है कि राष्ट्रीय दलों और उनके उम्मीदवारों ने चुनावों के दौरान कई बार आचार संहिता का उल्लंघन किया लेकिन प्रशासन ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अनुराग केजरीवाल ने अनुरोध किया है कि इस मामले में अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि तीन हिस्सों में विभाजित हो चुकी दिल्ली नगर निगम के लिए भविष्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सकें। लोकसत्ता की ओर से अधिवक्ता धनंजय शाही ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय दलों ने कई बार वैधानिक कानूनों की धज्जियां उड़ाईं और निर्वाचन आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन किया। शाही ने कहा कि हाल ही में संपन्न एमसीडी चुनावों में लोकसत्ता पार्टी के प्रत्याशियों ने कई जगह आचार संहिता के उल्लंघन के मामले पाए और संबद्ध निर्वाचन अधिकारी तथा पुलिस को सूचित किया। लेकिन निर्वाचन अधिकारी तथा पुलिस ने न तो ध्यान दिया और न ही सुधारात्मक कार्रवाई की। दूसरी ओर आचार संहिता का उल्लंघन जारी रहा। शाही ने कहा कि पूर्व में पार्टी ने आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा था लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। अदालत में दाखिल आग्रह में कहा गया है ‘‘यह अत्यंत हैरत की बात है कि राज्य निर्वाचन आयोग, प्रीत विहार के उप संभागीय मजिस्ट्रेट और पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।’’ इसमें आगे कहा गया है ‘‘प्राधिकारियों ने छोटे राजनीतिक दलों या स्वतंत्र उम्मीदवारों से मिली शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जिससे न केवल पक्षपात हुआ बल्कि माहौल भी दूषित हुआ और कई लोग बड़े राजनीतिक दलों के झांसे में आ गए।’ याचिकाकर्ता के अनुसार, मतदान करने वाले ज्यादातर लोग कम पढे लिखे और समाज के कमजोर वर्ग के थे जिन्हें शराब, उपहार, रात्रिभोज आदि मुफ्त दे कर लुभाया गया और वोट लिए गए जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:38 PM | #22496 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
बलात्कारियों को फांसी पर लटका दिया जाना चाहिये: रुखसाना
इंदौर। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में करीब साढे तीन साल पहले अदम्य साहस का परिचय देते हुए आतंकियों से लोहा लेने वाली रुखसाना कौसर दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले से आक्रोशित हैं। दो बेटियों की बहादुर मां इस विचार के पक्ष में है कि बलात्कार के मामलों में मुजरिमों को सजा..ए..मौत मिलनी चाहिये। गणतंत्र दिवस पर एक ध्वजारोहण समारोह में हिस्सा लेने यहां आयीं रुखसाना ने कहा, ‘बलात्कार के मामलों में पकड़े गये लोगों की (गिरफ्तारी के बाद) रिहाई नहीं होनी चाहिये। इन मामलों के मुजरिमों को फांसी पर लटका दिया जाना चाहिये।’ उन्होंने दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार होने वाली युवती की मौत पर गम और गुस्से का इजहार किया और कहा, ‘‘वह लड़की लौटकर नहीं आ सकती। लेकिन अब देश में अपराधियों पर कानून का इतना कड़ा दबाव होना चाहिये कि कोई बदमाश किसी स्त्री की इज्जत से खेलने की जुर्रत न कर सके।’’ 23 वर्षीय रुखसाना इन दिनों जम्मू..कश्मीर पुलिस की आरक्षक के रूप में अपने गृह जिले राजौरी मेंं तैनात हैं। वह तब सुर्खियों में आयी थीं, जब उन्होंने इस जिले में 27 सितंबर 2009 को उनके घर में घुस आये लश्कर..ए..तैयबा के तीन विदेशी आतंकवादियों से डटकर मुकाबला किया था। इस दौरान उन्होंने अपने छोटे भाई एजाज की मदद से कुख्यात आतंकी समूह के स्वयंभू कमांडर अबू ओसामा को मार गिराया था। वीरता के लिये ‘कीर्ति चक्र’ समेत अलग-अलग पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी रुखसाना की शादी हो चुकी है और अब वह दो बेटियों की मां हैं। वह कहती हैं, ‘‘मैं अपनी दोनों बच्चियों को ऐसी जगह रखना चाहती हूं, जहां उन पर किसी किस्म का डर या दबाव हावी न हो सके।’’ भावुक मां ने कहा, ‘‘मैंने अपनी जिंदगी में बहुत परेशानियां झेली हैं। लेकिन मैं अपनी दोनों बेटियों को आतंकी खतरे से महफूज रखना चाहती हूं।’’ हालांकि, रुखसाना ने कहा कि जम्मू..कश्मीर पुलिस ने उनकी काफी मदद की है। लेकिन वह चाहती हैं कि सरकार उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा बढाये।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:39 PM | #22497 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
नक्सलियों को आतंकवादी कहने में कोई गुरेज नहीं :रमेश
रांची। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज यहां कहा कि नक्सलियों को आतंकवादी और उग्रवादी कहने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है क्योंकि उनमें इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। रांची से करीब 200 किमी दूर सारंडा के जंगलों में स्थित नक्सलियों के गढ दीघा गांव में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद रमेश ने कहा कि वह लातेहार जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले नक्सलियों को आतंकवादी मानते हैं क्योंकि ऐसे नक्सलियों और आतंकवादियों में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि लातेहार में छह जनवरी को नक्सली हमले में दस सुरक्षाकर्मियों समेत 14 लोगों के मारे जाने की घटना में नक्सलियों की बर्बरता देख कर लगता है कि उनमें इंसानियत नहीं बची है। उन्होंने कहा, ‘‘लातेहार में जिस तरह नक्सलियों ने घायल और मृत जवानों के शरीर में जिंदा बम और आइईडी लगाए उससे पता चलता है कि वह कितने क्रूर हैं।’’ इससे पूर्व रमेश ने कल अपने निजी जीवन की तुलना में देश और आदिवासियों को तरजीह दी और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही पड़ने वाली अपनी शादी की 33वीं सालगिरह सारंडा के जंगलों में मनायी। 18 साल बाद सारंडा के जंगलों में तिरंगा फहराया गया। रमेश ने कहा कि उनके लिए देश और आदिवासी समाज उनके निजी जीवन से उपर है और इसी कारण उन्होंने अपनी शादी की 33वीं सालगिरह आदिवासियों के बीच ही मनाने का फैसला किया। रमेश ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह यहां तक भी कहेंगे कि उनका अंतिम संस्कार भी सारंडा के जंगलों में ही किया जाये। रमेश ने कहा कि नक्सली यदि बातचीत के लिए आगे आते हैं तो केन्द्र सरकार उनका स्वागत करेगी और इसके लिए पूर्व में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम द्वारा तय की गयी रूपरेखा के आधार पर बात हो सकती है। उन्होंने माना कि सारंडा नक्सलियों से पूरी तरह मुक्त नहीं है लेकिन उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में सारंडा की स्थिति में जबर्दस्त बदलाव होगा। रमेश ने कहा, ‘‘कल जिस तरह सारंडा में लोगों ने मेरे सामने बिजली और विद्यालयों में अध्यापकों की कमी दूर करने की मांग की और नारेबाजी तक की उससे मेरा हौसला बढ गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सारंडा में हमने काफी हद तक जीत हासिल कर ली है और आदिवासियों को खुली हवा में सांस लेने का अवसर प्रदान किया है जिसके परिणाम शीघ्र देखने को मिलेंगे।’’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:40 PM | #22498 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
शादी की सालगिरह पर जयराम रमेश ने सारंडा के जंगलों में 18 वर्ष बाद तिरंगा लहराया
रांची। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने व्यक्तिगत जीवन पर देश और आदिवासियों को तरजीह देते हुए गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपनी शादी की 33वीं सालगिरह सारंडा के जंगलों में नक्सलियों के गढ में मनायी और देश के तिरंगे को 18 वर्ष बाद वहां लहरा कर नक्सलियों को आतंकवाद छोड़ देने की चेतावनी दी। रमेश ने आज यहां से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर सारंडा के जंगलों में नक्सलियों के गढ में दीघा गांव में गणतंत्र दिवस के अवसर पर 18 वर्षों बाद देश का तिरंगा लहराने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में यहां दो टूक कहा कि वह लातेहार जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले नक्सलियों को आतंकवादी मानते हैं क्योंकि ऐसे नक्सलियों और दुनिया के आतंकवादियों में कोई फर्क नहीं है। एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि उनके लिए अपने व्यक्तिगत जीवन से उपर देश और आदिवासी समाज है और इसी कारण उन्होंने अपनी शादी की 33वीं सालगिरह को इस वर्ष सारंडा के जंगलों में आदिवासियों के बीच ही मनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि वह नक्सलियों को आतंकवादी और उग्रवादी कहने में कोई गुरेज नहीं करते क्योंकि उनमें इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। जयराम रमेश ने कहा कि लातेहार में छह जनवरी को माओवादी नक्सलियों के हमले में दस सुरक्षाकर्मियों समेत 14 लोगों के मारे जाने की घटना में नक्सलियों की बर्बरता देख कर इंसानियत पर से उनका विश्वास उठ गया। एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा, ‘‘लातेहार में जिस तरह नक्सलियों ने घायल और मृत जवानों के शरीर में जिंदा बम और आइईडी फिट किये उससे पता चलता है कि वह वास्तव में कितने क्रूर हैं।’’ एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नक्सली यदि बातचीत की मेज पर आते हैं तो केन्द्र सरकार उनका स्वागत करेगी और इसके लिए पूर्व में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम द्वारा तय की गयी रूपरेखा के आधार पर बात हो सकती है। रमेश ने स्वीकार किया कि अभी भी सारंडा नक्सलियों से पूरी तरह मुक्त नहीं है लेकिन उन्हें विश्वास है कि आने वाले समय में लगभग एक वर्ष बाद सारंडा की स्थितियों में जबर्दस्त बदलाव होगा और वहां वास्तविक जम्हूरियत आ सकेगी। उन्होंने कहा, ‘‘आज जिस तरह सारंडा में लोगों ने मेरे सामने बिजली और विद्यालयों में अध्यापकों की कमी दूर करने के लिए मांग की और नारेबाजी तक की उससे मेरा हौसला बढ गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सारंडा में हमने काफी हद तक जीत हासिल कर ली है और आदिवासियों को खुली हवा में सांस लेने का अवसर प्रदान किया है जिसके परिणाम शीघ्र देखने को मिलेंगे।’’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:40 PM | #22499 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
मुंडा ने बताईं गठबंधन सरकार की मजबूरियां
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने माना है कि गठबंधन की राजनीति में सरकार के लिए तय मिशन पर काम करना मुश्किल हो जाता है। प्रेस ट्रस्ट को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा ‘विकास के लिए एक मिशन होना चाहिए। यह विचारों को परिणाम में बदलने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। गठबंधन सरकार में (गठजोड़ की राजनीति की) कुछ बाध्यताओं के चलते इस लक्ष्य को पूरा करना बहुत मुश्किल होता है।’ उन्होंने कहा ‘लेकिन मैंने राज्य की जरूरतों के मुद्दों पर गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की पूरी कोशिश की ... और यह भी कि राज्य के विकास को ध्यान में रखते हुए हमें कैसे एक साथ आगे बढना चाहिए। प्रशासन के दो साल के दौरान काम ठीक से नहीं हुआ ... मुझे उम्मीद है कि राष्ट्रपति शासन में अच्छा काम होगा।’ मुंडा ने कहा कि वह अब भी यह सोच कर परेशान हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आठ जनवरी को उनकी सरकार से समर्थन वापस क्यों लिया। उन्होंने कहा कि जनता ने वर्ष 2005 और 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश दिया और उन्होंने जनता के फैसले का सम्मान किया। उन्होंने संकेत दिया कि गठबंधन सरकार में राजनीतिक दल एक दूसरे पर दोष मढ कर जवाबदेही से बच जाते हैं। उन्होंने कहा ‘हमने जनादेश का सम्मान किया और सरकार चलाने की कोशिश की। लेकिन लोगों को यह भी सोचना चाहिए कि राज्य को समुचित जनादेश मिले जिसमें जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।’ मुंडा ने कहा ‘समय किसी का इंतजार नहीं करता और अगर विकास सही तरीके से नहीं हुआ तो लोगों को समस्याएं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।’ उन्होंने संदर्भ दिया कि झारखंड का गठन 12 साल पहले हुआ और आज भी राज्य में राजनीतिक अस्थिरता है जिसके चलते राज्य में अब तक आठ सरकारें बनीं और तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। एजेएसयू पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा था कि सरकार बनाने के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम की असफलता और समन्वय समिति की बैठक न हो पाने की वजह से सरकार गिरी। इसे खारिज करते हुए मुंडा ने कहा ‘समन्वय समिति की बैठक बुलाना अध्यक्ष (झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन) की जिम्मेदारी थी। लेकिन मुझे नहीं लगता कि सरकार गिरने का इन सबसे कोई लेना देना था क्योंकि दूसरे और कई कारण थे।’ तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके मुंडा से पूछा गया कि क्या उन्हें अगले चुनावों में भी खंडित जनादेश मिलने की आशंका है, इस पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बहुत ही सशक्त माध्यम है और सभी राजनीतिक दलों को यह साफ संदेश भेजना चाहिए कि सिर्फ और सिर्फ मतदाता ही उन्हें पूर्ण जनादेश दे सकता है। मुंडा ने कहा ‘वर्तमान हालात को देखते हुए मैं सोचता हूं कि लोगों को :मतदान के बारे में: थोड़ा अनुभव जरूर हुआ है।’
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
28-01-2013, 04:42 PM | #22500 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: Latest N e w s (एकदम ताज़ा ख़बरें)
आर्मस्ट्रांग ने ओपरा से झूठ बोला: एएसएडीए प्रमुख
लॉस एंजिलिस। अमेरिकी डोपिंग रोधी एजेंसी (यूएसएडीए) के प्रमुख ट्रेविस टाइगार्ट ने कहा है कि लांस आर्मस्ट्रांग ने ओपरा विन्फ्रे को दिए इंटरव्यू में झूठ बोला और अगर यह साइकिलिस्ट अपने आजीवन प्रतिबंध को कम करना चाहता है तो ‘पूरी तरह सहयोग’ करने के लिए उसके पास छह फरवरी तक का समय है। टाइगार्ट ने सीबीएस नेटवर्क को साक्षात्कार दिया है जिसे ‘60 मिनट्स’ कार्यक्रम में कल दिखाया जाएगा। इसमें टाइगार्ट ने कहा कि आर्मस्ट्रांग ने कई अहम मुद्दों पर झूठ बोला जिसमें यह दावा भी शामिल है कि उन्होंने 2009 और 2010 में अपनी वापसी के दौरान बिना डोपिंग के रेस की। टाइगार्ट ने कहा कि उन्होंने इस दागी साइकिलिस्ट को पत्र लिखा है और खेल से आजीवन प्रतिबंध को संभवत: कम करने के एवज में ‘पूरी तरह सहयोग करने और सच बोलने’ के लिए छह फरवरी की समय सीमा की पेशकश की है। यूएसएडीए प्रमुख ने साथ ही कहा कि आर्मस्ट्रांग का यह दावा ‘साक्ष्यों के विपरीत’ है कि उन्होंने संन्यास के बाद वापसी करते हुए टूर डि फ्रांस में 2009 और 2010 के दौरान शक्तिवर्धक दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया। टाइगार्ट ने पिछले साल यूएसएडीए की रिपोर्ट के सभी दावों को दोहराया जिसके आधार पर एजेंसी ने आर्मस्ट्रांग पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था और आगस्त 1998 के बाद साइकिलिंग के उनके सभी नतीजों को हटा दिया था। टाइगार्ट के मुताबिक इन वर्षों में आर्मस्ट्रांग के खून के नमूनों में आई विविधता पर विशेषज्ञ रिपोर्ट के मुताबिक इसकी संभावना 10 लाख में सिर्फ एक है कि यह डोपिंग के अलावा किसी अन्य चीज के कारण हो। अपने कैरियर के दौरान डोपिंग से इनकार करने वाले आर्मस्ट्रांग ने ओपरा को दिए साक्षात्कार में पहली बार सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया था कि कि 1999 से 2005 के बीच सात टूर डि फ्रांस खिताब जीतने के दौरान उन्होंने प्रतिबंधित पदार्थों का इस्तेमाल किया।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
Bookmarks |
Tags |
current affairs, current news, hindi news, indian news, latest news, local news, online news, taza khabar |
|
|