30-05-2011, 06:47 PM | #23841 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
@nishant bhai: koi baat nahi jane do, ham jara balcony jhank ke aaye. |
30-05-2011, 06:51 PM | #23842 | |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
Quote:
जो चला गया उसे जाने दो, जाओ बालकोनी पर खिड़की खोलो और थोड़ी हवा आने दो
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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30-05-2011, 06:54 PM | #23843 | |
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दोस्तों की "चौपाल".
Quote:
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| Last edited by Bond007; 30-05-2011 at 06:56 PM. Reason: smile modification |
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30-05-2011, 07:00 PM | #23844 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
सारी रामायण ख़तम और ये राम की पत्नी का नाम पूछ रहे हैं
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-05-2011, 07:06 PM | #23845 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
नमस्कार दोस्तो साथियोँ
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
30-05-2011, 07:08 PM | #23846 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-05-2011, 07:10 PM | #23847 |
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दोस्तों की "चौपाल".
नमस्कार बेदर्दी जी! कहां हो? दोपहर को भी नमस्ते करके चले गए|
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
30-05-2011, 07:12 PM | #23848 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
ये तो वही मिसाल हुई की जब मन चाहा एक पत्थर फेंका और शांत पानी में हलचल मचा दिया
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-05-2011, 07:13 PM | #23849 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
चलता हूँ बोंड भाई
आज की कथा यहीं पर समाप्त करता हूँ शुभ रात्रि
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-05-2011, 07:16 PM | #23850 |
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Re: दोस्तों की "चौपाल".
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
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