06-09-2013, 12:22 PM | #2401 |
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Re: साक्षात्कार
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06-09-2013, 01:01 PM | #2402 |
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Re: साक्षात्कार
रजनीशजी के लिए सवाल:
(यदि इनमें से किसी सवाल का जवाब आप सार्वजनिक मंच पर नहीं देना चाहते, तो कोई बात नहीं, उसे छोड़ दीजिए) 1) क्या आप पृथवीराज कपूर के प्रशंसक है? आजके जमाने के कोई पसन्दीदा हीरो और हिरोएन, खिलाडी, कलाकार, और राजनैतिक/नेता का नाम बताने की कृपा करें। कोई ऐतिहासिक हस्ती का नाम भी बताएं जो आपके के लिए हीरो हैं। 2) अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के अलावा आप कौनसी भाषा जानते है? 3) आप देश के किन किन राज्यों में रहे है? आपको सबसे अच्छी जगह कौनसी लगी थी? 4) यदि आपको इनाम में कोई एक लाख रुपया देने के लिए तैयार हो जाता है और कहता है कि आप इस रकम के बराबर नकद को छोडकर सोना, या चान्दी, या कोई consumer durable, या डॉल्लर या हवाई जहाज/रेल का टिकट चुन सकते हैं तो आप क्या चुनेंगे और क्यों? 5) इस फ़ोरम में क्या है, जिसके कारण आप इतने महीनों से डटे हुए है? 6) एक दिन में (औसत तौर पर) आप इस फ़ोरम पर कितना समय बिताते है? 7) वे कौन सदस्य हैं जिनके postings आप पसन्द करते थे पर आजकल दिखाई नहीं दे रहे है और जिन्हें आप फ़िर से सक्रिय देखना पसन्द करेंगे? फ़िल्हाल इतने ही, आगे और भी |
06-09-2013, 01:04 PM | #2403 | |
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Re: साक्षात्कार
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जहा तक संभव हैँ अपने बारे मेँ बताऐँ
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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06-09-2013, 06:25 PM | #2404 | |
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Re: साक्षात्कार
साक्षात्कार
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06-09-2013, 06:40 PM | #2405 |
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Re: साक्षात्कार
रजनीशजी,
विस्तार से उत्तर देने के लिए धन्यवाद। आपके बारे में इतना कुछ जान सका। आशा है आने वाले दिनों में हम आपसे और ज्यादा परिचित होंगे और एक दिन आपसे मिलने का सौभाग्य हमें प्राप्त होगा। शुभकामनाएं |
06-09-2013, 07:10 PM | #2406 | |
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Re: साक्षात्कार
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रजनीश जी, अगर हो सके तो कुछ अपने करियर के बारे में बताये, कब कैसे शुरुआत हुई, एक सबसे यादगार दिन जो आपका ऑफिस में बिता उसके बारे में कुछ बताये?
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
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06-09-2013, 07:42 PM | #2407 |
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Re: साक्षात्कार
साक्षात्कार के लिए प्रस्तुत होने के लिए आभार बन्धु,
एक नन्हा सा प्रश्न : आपके दृष्टिकोण से आज के परिवेश में भ्रष्टाचार की परिभाषा क्या हो सकती है ?
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
06-09-2013, 09:28 PM | #2408 | |
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Re: साक्षात्कार
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मेरी पृष्ठभूमि मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखता हूँ. मेरे माता-पिता विभाजन के समयसंयुक्त पंजाब के जिला झेलम से विस्थापित हो कर आये थे.मेरे पिता इंजीनियर थे. भारत आ कर वे कई स्थानों पर काम के सिलसिले में रहे. मेरा जन्म 10 सितम्बर 1951 को मेरठ (उ.प्र) मेंहुआ. प्रारम्भिक शिक्षा शिवपुरी (म.प्र.), दिल्ली व नजीबाबाद (उ.प्र.) में हुई. कॉलेज स्तर की शिक्षा देहरादून (तत्कालीन उ.प्र. तथा आज के उत्तरा खंड की राजधानी). प्रिय विषय मनोविज्ञान तथा इंग्लिश लिटरेचर. सन 1974 से बैंक में नौकरी शुरू. 2011 में सेवा निवृत्त. यह मेरा सौभाग्य है कि नौकरी के दौरान कई राज्यों तथा शहरों में काम करने का अवसर मिला. मुझे भिन्न भिन्न स्थान घूमने की तथा वहां के लोगों से मिल कर उनकी संस्कृति को जानने की सदिच्छा रहती है. मेरे शौक बचपन से ही मुझे पुस्तकें पढ़ने में रूचि रही. स्कूल के पुस्तकालय के अतिरिक्त मैं जहां भी रहा यथासम्भव वहां के सार्वजनिक पुस्तकालय का सदस्य अवश्य रहा. यहां मुझे देश विदेश के साहित्य तथा अन्य विषयों की पुस्तकें पढ़ने का सुअवसर मिलता रहा. हिंदी और इंग्लिश की पत्रिकाओं की पुरानी फाइलें भी पढने का मौका मिला. पढ़ने के साथ मुझे कवितायें, कहानियाँ, संस्मरण, डायरी आदि लिखने का रुझान भी बचपन से ही रहा. परिवार मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरी धर्मपत्नी और मेरा एक बेटा है. मेरा सपना मेरी ख्वाहिश है कि हमारा देश अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करता हुआ दुनिया के तमाम देशों के समूह में अपनी मानवीय तथा बौद्धिक सम्पदा के बल पर अपनी सही जगह प्राप्त करे. यहां विभिन्न धर्मावलम्बी, भाषा-भाषी, संस्कृतियों में पले बढ़े तथा आर्थिक रूप से सक्षम व कमज़ोर लोग मिल जुल कर रहें, परस्पर मुहब्बत से रहें और एक दूसरे का आदर करें. Last edited by rajnish manga; 11-09-2013 at 05:03 PM. |
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06-09-2013, 11:42 PM | #2409 | |
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Re: साक्षात्कार
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साहिल से जी घबरा ही गया मौजों की तमन्ना करते हैं अब आराम से बैठे रहना भी, तकलीफ़ हमें दे जाता है 1973 में एक छोटे से अखबार में ‘उप-सम्पादक’ के रूप में मेरी पहली नौकरी लगी जो अल्पकालिक साबित हुई (एक माह). इसके लिए मुझे 150 रूपए प्राप्त हुये. आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मुझे कॉलेज के दिनों में घर से मासिक 150 रूपए की राशि भेजी जाती थी. इसके बाद दूसरी नौकरी दिल्ली बोटलिंग कं. में लगी जो उन दिनों ‘लिम्का’ और ‘गोल्ड स्पॉट’ नाम के सॉफ्ट ड्रिंक तैयार करते थे. यहां मेरा डेज़िग्नेशन था – टेम्पोरेरी इन्वेस्टिगेटर. यह काम भी अल्पकालिक था जो दो खंडों में लगभग छः माह चला. सौभाग्य से इस बीच एक बैंक का टैस्ट दिया, पास होने के बाद इंटरव्यू दिया और क्लेरिकल काडर में मेरा सिलेक्शन हो गया. पहली पोस्टिंग राजस्थान के चूरू नामक नगर (जिला मुख्यालय भी यही था) में हुई. रात को पुरानी दिल्ली स्टेशन से ट्रेन से चल कर सुबह 5.00 बजे चूरू पहुँच गया. खैर वहां चायपान के बाद मुलाक़ात हुई अखबार वितरक शर्मा जी से. उन्होंने मुझे तांगे पर बैठाया और स्वयं साइकिल पर चले. शहर पहुँच कर उन्होंने अपने एक परिचित दुकानदार के पास यह कह कर छोड़ा कि बैंक खुलने पर मुझे वहां छोड़ दें. खैर दस बजे दफ्तर खुलने के समय वहां पहुंचा. प्रबंधक महोदय से मुलाक़ात हुई. उन्होंने स्टाफ से परिचित कराया और मुझसे मेरे घर परिवार के विषय में पूछा. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं किसी बात की चिंता न करूँ. जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. कुछ ही देर में दफ्तर के नज़दीक 30 रूपए मासिक किराये पर कमरा भी मिल गया. खाने के लिए भी एक भोजनालय में व्यवस्था कर ली. पहले दिन एक सहकर्मी के साथ रूटीन काउंटर पर बैठाया गया. अगले दिन कैश में बैठाया गया. दूसरे कर्मी मेरी सहायता कर रहे थे. मैं डर भी रहा था क्योंकि इतना कैश मैंने पहले कभी नहीं देखा था, हाथ लगाना तो दूर की बात. पहले दिन से ही दफ्तर के अन्दर और दफ्तर के बाहर जो सहयोग की भावना देखने को मिली उसने नये शहर और नये लोगों के बारे में मेरे मन का सारा संशय मिटा दिया. |
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07-09-2013, 12:07 AM | #2410 |
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Re: साक्षात्कार
आपका 'मेरा सपना' बहुत आकर्षक है, लेकिन मुझे कहीं न कहीं लगता है कि जहां तथाकथित धर्म-निरपेक्ष छद्म हों, राष्ट्रवादी छद्म हों, हिंदूवादी छद्म हों, वामपंथी छद्म हों ... और तो और मानवाधिकार के पैरोकार की क़बा धारण करने वाले (एनजीओ) भी छद्म हों, वहां आप इस सपने के साकार होने की आकांक्षा को किस शक्ति के बल पर पाल लेते हैं?
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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