06-09-2013, 11:17 PM | #2411 |
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Re: साक्षात्कार
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
06-09-2013, 11:50 PM | #2412 |
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Re: साक्षात्कार
आपकी प्रिय शख्सियात की सूची पर नज़र करने पर कई विरोधाभासी शुभ नाम नज़र आए। आप सोनिया गांधी को पसंद करते हैं, नरेन्द्र मोदी भी आपको पसंद हैं और उनके धुर विरोधी खेमे के अखिलेश यादव भी। पसंद का आपका पैमाना क्या है? इन शख्सियात की किन ख़ुसूसियात को आप पसंद करने योग्य पाते हैं और वे कौन से कारण हैं, जो इन तीन विपरीत ध्रुवों को एक साथ पसंद करने को आपको विवश करते हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 08-09-2013 at 11:03 PM. |
06-09-2013, 11:53 PM | #2413 |
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Re: साक्षात्कार
जय भाई जी और अलैक जी के प्रश्नों का उत्तर तत्काल नहीं दे पाऊंगा. कल का दिन कहीं व्यस्त हूँ. अतः उसके बाद उत्तर के साथ उपस्थित होने की इजाज़त चाहता हूँ.
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07-09-2013, 01:49 PM | #2414 |
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Re: साक्षात्कार
जब फुरसत हो, उत्तर दीजिए।
हम इन्तज़ार करेंगे। बडी रुची के साथ यह सब पढ रहा हूँ एक बार फ़िरसे आपका धन्यवाद |
07-09-2013, 05:40 PM | #2415 |
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Re: साक्षात्कार
हमें प्रतीक्षा रहगी बन्धु .
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
08-09-2013, 04:46 AM | #2416 |
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Re: साक्षात्कार
रजनीश जी, आप जिस तरह विस्तार से हर प्रश्न के उत्तर दे रहे हैं, उससे यह साक्षात्कार बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक हो गया है. आप चूँकि बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े रहे हैं, इसपर एक सवाल है.
आज के ग्लोबल दौर में प्राइवेट बैंक में काम करने में ज्यादा फायदा है या सरकारी बैंक में, दोनों के क्या क्या फायदे नुक्सान हैं?
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09-09-2013, 12:23 AM | #2417 |
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Re: साक्षात्कार
उत्तर: व्यक्तिगत (अथवा किसी समूह या समुदाय के) लाभ के लिये जब कोई व्यक्ति अपनी हैसियत का नाजायज़ फायदा उठाते हुये और नियमों की अनदेखी करते हुये सार्वजनिक संसाधनों का गबन करता है या दुरुपयोग करता है या किसी को अनुचित लाभ प्रदान करता है ऐसी दशा में हम उसके व्यवहार को “भ्रष्टाचार” की श्रेणी में रखेंगे. आजकल जितने या जिस प्रकार के घोटाले प्रकाश में आ रहे हैं, उनमें आरोपग्रस्त लोगों पर अधिकतर (भ्रष्टाचार का ही) इलज़ाम है कि उन्होंने अपने सरकारी पदों और स्थिति का नाजायज़ फायदा उठाते हुये सरकारी खजाने को लुटाया है और उसकी सुरक्षा करने में वे नाकाम रहे हैं.
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09-09-2013, 12:26 AM | #2418 | |
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Re: साक्षात्कार
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09-09-2013, 12:48 AM | #2419 | |
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Re: साक्षात्कार
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11-09-2013, 12:09 AM | #2420 | |
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Re: साक्षात्कार
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दूसरे, नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्य मंत्री के रूप में अपनी एक अखिल भारतीय पहचान बनायी है. राज्यों में विभिन्न पार्टियों के मुख्यमंत्री शासन में हैं लेकिन कुछ विरोधाभासों के बावजूद नरेन्द्र मोदी एक विकास पुरुष की छवि को बनाने में सफल हुये हैं और अपनी लोकप्रियता में इज़ाफा करने में कामयाब हुये हैं. देश और विदेश में उनके समर्थक दिखाई देते हैं. बी.जे.पी. में अंदरूनी कशमकश के बाद भी अपने कद को बढ़ाते नज़र आ रहे हैं. उनकी आवाज़ लोग गौर से सुनते हैं और उस पर समर्थन में (या विरोध में) टिप्पणी करना पसंद करते हैं. यह स्पष्ट है कि उनकी उपस्थिति को नकारना संभव नहीं. अपनी पार्टी में वयोवृद्ध नेता एल.के. आडवाणी और कतिपय अन्य नेताओं द्वारा खड़ी की जाने वाली अड़चनों में कोई दम नज़र नहीं आता. एन.डी.ए. के प्रमुख घटक दल जे.डी.(यू) के अलग हो जाने के बाद वैसे भी पलड़ा मोदी की ओर झुका है. एन.डी.ए. में पी.एम. कैंडिडेट के तौर पर मोहर लगाये जाने में अधिक देरी नहीं है. हाँ, लोगों की अपेक्षा यह रही है कि मोदी गोधरा काण्ड की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुये, राष्ट्र और विशेष रूप से मुलिम समुदाय से माफ़ी मांगें. मेरा यह मानना है कि मोदी अभी अपनी जगह सुरक्षित करने में लगे हैं. देर सबेर उनका माफ़ीनामा भी सामने आ जायेगा चाहे उसमें सच्चाई कम और दिखावा अधिक हो (जैसे जेम्ज़ केमरून ने जलियाँ वाला बाग़ हत्या काण्ड के लिये अपने देश की ओर से माफ़ी मांगी या प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए माफ़ी मांगी थी). बीजेपी के अन्दर और बाहर अपने पक्ष में पार्टियों के ध्रुवीकरण ने नरेन्द्र मोदी को राजनीति के कुशल खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभायी है. यही वजह है कि वह मेरी लिस्ट में हैं. तीसरे, अखिलेश यादव नौजवान मुख्य मंत्री हैं, जिनमें कुछ करने का जज़्बा है. अभी तक वह बहुत प्रभावशाली साबित नहीं हुये लेकिन यह नौजवानों को सत्ता हस्तांतरण की दिशा में एक अच्छा कदम है. मेरे विचार से उनके कामकाज में यदि उनके पिता का गैरजरूरी हस्तक्षेप और पिता के समय के सिपहसालार दखल न दें तो वह अपने विवेक और कुशलता से बढ़िया काम कर के दिखा सकते हैं. हमें युवा शक्ति पर विश्वास रख कर उन्हें अभी मौका देना चाहिए. हाल ही में अयोध्या की ओर प्रस्तावित मार्च को उन्होंने रोकने में कामयाबी पायी. वर्तमान में मुजफ्फरपुर में दंगों की स्थिति सेना की तैनाती के बावजूद अभी तक पूरी तरह काबू में नहीं आ पायी है. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को स्वयं मुजफ्फरपुर में रह कर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हए दोनों सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों से बात करने के बाद और उनकी सहायता से सांप्रदायिक सहार्द्र कायम करवाना चाहिये. क़ानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाने की जरूरत है. अपराधी तत्वों और माफिया सरगनाओं के दबाव से बाहर आना होगा. एक बात और उनके विरुद्ध जाती है कि उन्होंने संसाधन की कमीं होने पर भी विद्यार्थियों को मुफ्त कंप्यूटर आबंटित किये. यहाँ, उनको दोष देना इस लिए ठीक नहीं क्योंकि इस प्रकार की घोषणा पार्टी की परंपरागत नीतियों से अलग जा कर शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देने से जुड़ी थी जो चुनावी घोषणापत्र में अंकित की गयी थी. एक क्लीन स्लेट ले कर आये युवा मुख्यमंत्री का मेरिट रिपोर्ट कार्ड बनाने से पहले उन्हें और समय दिया जाना चाहिये. |
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