21-11-2013, 10:56 PM | #2461 |
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Re: साक्षात्कार
वैसे, बोलने और लिखने में, मैं कोई भी प्रतिबन्ध के पक्ष में नहीं हूँ। कई वर्तमान प्रतिबन्धों को भी हटाना चाहूँगा। समाज को एक pressure release valve की जारूरत है। हर नागरिक चिल्ला चिल्लाकर, जो भी कहना चाहे, वह कहे। हर लेखक जो भी लिखना चाहे, लिखे। पर लक्षमण रेखा भी हो। इस रेखा को हम उदार बनकर कफी दूर खींचेंगे। मानहानी, झूठे इल्जाम, निराधार आरोपों के लिए दंड भी बढा दिया जाए। यदि नागरिक के कुछ बोलने या लिखने के कारण समाज में दंगा फ़साद होता है, या लोगों में फूट पैदा होता है या देश को नुकसान होता है तो उसे दंड दिया जाए, बशर्ते उसने गलत बोला या लिखा। यदि कडवा सच कहा तो कोई काररवाई न की जाए। यह निर्णय अदालोतों पर छोड दिया जाए। यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगा, कि देश के खिलाफ़ बोलने या लिखने में और सत्ता के खिलाफ़ बोलने या लिखने में फर्क है। सरकार को यह फर्क समझना चाहिए। मैं "political correctness" के पक्ष में नहीं हूँ। Moral correctness के पक्ष में हूँ। ============= समाप्त रजनीशजी के सवालों से मुझे अपने मन की बात आपके सामने रखने का अवसर मिला। इसके लिए मैं रजनीशजी को धन्यवाद देना चाहता हूँ। इससे पहले, मार्च २०१२ में, दिल्ली में स्थित एक ब्लॉग्गर मित्र श्री अमित चतुर्वेदी ने मेरा साक्षात्कार लिया था। उनके सवाल भी रोचक थे। यदि किसी को पढने में रुचि है तो कडी है : http://personalconcerns.wordpress.co...-my-friends-4/ |
21-11-2013, 11:44 PM | #2462 |
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Re: साक्षात्कार
विश्वनाथ जी, आपसे मेरा सवाल है, क्या फेसबुक और बाकी सोशल मीडिया के कारण फोरम, ब्लॉग याहू ग्रुप और छोटे वेबसाइट को नुक्सान हो रहा है, क्योंकि ऐसा देखने में आया है जिस तरह से लोग फोरम और ब्लॉग पर ४-५ साल पहले समय बिताते थे वो अब वैसा नहीं है? आजकल ब्लॉग और फोरम को चलायें रखना काफी मुश्किल होता जा रहा है.
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22-11-2013, 08:26 AM | #2463 |
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Re: साक्षात्कार
हाँ, अभिषेक, यह बात सच है।
अचरज की कोई बात नहीं. जब भी कोई नई चीज़ उपलब्ध होती है, तो थोडी देर के लिए पुरानी चीज़ों से हमारा ध्यान हट जाता है। मैं पिछले १३ साल से कई यहू ग्रूपों में सदस्य रहा हूँ, और बहुत ही सक्रिय सदस्य था। पर आजकल, उन ग्रूपों में १ या २ प्रतिशत के सदस्यों को छोडकर, बाकी सब lurkers बन गए हैं। पता नहीं वे पोस्टों को पढ भी रहे हैं या नहीं। फोरम और ब्लॉगों में भी यही हाल है। आजकल ब्लॉग लिखने वाले ज्यादा और उनको पढने वाले कम हो गए हैं। मैंने भी ब्लॉग्गर बनने की कोशिश की पर देखा कि दूसरों के ब्लॉगों पर मेरी टिप्पणियाँ ज्यादा पढी जाती हैं! ब्लॉग्गरों के गुट बन गए हैं और वे एक दूसरे के ब्लॉग पढने मे लगे हैं (by an unpsoken mutual agreement) और एक लाईन की टिप्पणी लिखकर अपना attendance mark कर देते हैं। जब कोई नया ब्लॉग्गर प्रवेश करता है, तो उसे पाठकों की कमी महसूस होती है और आज कल कई ब्लॉग्गर अनेक और अजीब तरीके अपना रहे हैं पाठकों को आकर्षित करने के लिए। एक और कारण है, कि २००० से लेकर २००५ तक, इंटरनेट हम सबके लिए एक novelty थी, पर आजकल इंटर्नेट आम बन गया है। लोग जलदी बोर हो जाते हैं और नए नए अनुभवों को तलाशते रहते हैं। स्प्ष्टटत: फोरम, याहू/गूगल ग्रूप और ब्लॉग्गरी, Facebook/Twitter से पीछे रह गए हैं लेकिन मेरा अनुमान है कि लोग Facebook से भी ऊबने लगे हैं। कई लोगों ने अपना Facebook account बन्द भी कर दिए। कहते हैं बहुत समय बर्बाद होता है। Friends और likes की गिनती में अपने मन की शान्ति भी खो बैठते हैं। मैंने तो Facebook पे अपना account खोला था पर एक सप्ताह में ही समझ गया कि यह मंच मेरे लिए नहीं है। It is too distracting and intrusive. मैं forum और याहू ग्रूपों में अब भी विश्वास रखता हूँ, अच्छे ब्लॉग पढता हूँ, लेखों पर टिप्पणी करता हूँ और youtube/google/wikipedia और अनेक अच्छे news sites/portals पर अपना समय बिताता हूँ। और हाँ, कभी कभी, कुछ दिनों के लिए, इंटर्नेट से दूर रहता हूँ और मेरे पुराने शौक को याद करता हूँ और किताब/पत्रिकाएं पढने लगता हूँ, या गाने सुनता हूँ, लोगों से मिलता हूँ, सिनेमा देखता हूँ या बस कहीं दूर टहलने जाता हूँ। There was life before the internet, and there is life even now beyond the internet. |
22-11-2013, 02:02 PM | #2464 |
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Re: साक्षात्कार
पूछे गये प्रश्नों के परिप्रेक्ष्य में आपने बड़े सारगर्भित उत्तर दिये हैं. इनको पढ़ना खुद में एक अनूठा अनुभव है. श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा लिया गया साक्षात्कार भी मैंने बहुत रुचिपूर्वक पढ़ा और विभिन्न विषयों पर आपकी गहरी पकड़ और स्पष्टवादिता से प्रभावित हए बिना न रह सका. समाज को आप जैसे संवेदनशील मनुष्यों और विचारकों की बहुत आवश्यकता है जो चुपचाप सामाजिक परिवर्तन के काम में लगे हए हैं.
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22-11-2013, 07:50 PM | #2465 |
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Re: साक्षात्कार
श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ उर्फ़ internetpremi जी से साक्षात्कार जारी है. सभी विचारशील सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि वे भी अपने प्रश्न जल्द से जल्द यहां प्रेषित करें ताकि साक्षात्कार को और व्यापक तथा रोचक बनाया जा सके.
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22-11-2013, 09:20 PM | #2466 |
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Re: साक्षात्कार
अभी हाल फिलहाल में जो मीडिया पर सचिन के रिटायर होने का कवरेज हुआ और बाद में उनको भारत रत्न मिला उसके बारे में आपका क्या ख्याल है? क्या ९ देश में खेले जाने वाले खेल में उनकी उपलब्धि इतनी बड़ी थी कि उन्हें देश का सबसे बड़ा सम्मान दिया जाए?
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22-11-2013, 10:14 PM | #2467 |
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Re: साक्षात्कार
कुछ और प्रश्न रखने की अनुमति चाहता हूँ, मित्र:
1. अन्यत्र आपने बताया है कि रामायण और महाभारत आपकी पसंदीदा पुस्तकों में शामिल हैं. क्या आप बताने का कष्ट करेंगे कि आपको महाभारत क्यों पसंद है? महाभारत के किस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है और क्यों? 2. अभी हाल ही में गिरीश कर्नाड ने एक भाषण के दौरान कहा कि भारतीय सिनेमा अपने नाच गानों के बल पर ही हॉलीवुड की चुनौती का सामना कर सका है और अब तक टिका हुआ है वरना हॉलीवुड इसे भी अन्य देशों के सिनेमा की तरह निगल जाता. क्या नाच गाने ही हमारे सिनेमा का सबसे शक्तिशाली पक्ष है? आप इस बारे में क्या सोचते हैं? |
22-11-2013, 10:44 PM | #2468 |
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Re: साक्षात्कार
रजनीशजी और अभिशेकजी को धन्यवाद।
प्रश्नों पर विचार कर रहा हूँ और उत्तर अवश्य दूँगा। थोडा सा समय (एक या दो दिन) चाहूँगा। gv |
23-11-2013, 01:13 AM | #2469 |
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Re: साक्षात्कार
हम भारतीय अपनी महान परम्पराओं का उदाहरण देते नहीं थकते, लेकिन मैं पाता हूं कि दोगलापन हमारा राष्ट्रीय चरित्र बन गया है। कुछ दिन पूर्व मैंने एक समाचार पढ़ा था कि ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति मोंसेफ मारजोकी ने एक महिला से इसलिए राष्ट्र की ओर से सार्वजनिक क्षमायाचना की कि वहां के दो पुलिसकर्मियों ने उसका बलात्कार किया था। दूसरी तरफ 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता' कहने वाले इस देश में पुलिसवाले ही नहीं, नेता और अब तो पत्रकार तक इस काम में बेशर्मी से लिप्त पाए जा रहे हैं और कोई उफ़ तक नहीं करता। किसी की सीडी ज़ारी होती है, वह कुछ दिन टीवी से लुप्त रहता है और जब उसे लगता है कि अब तक जनता की स्मृति कुछ धुंधला गई होगी, वह उसी बेशर्मी से फिर गाल बजाता नज़र आने लगता है। अमेरिका को लें, जहां सेक्स भारत की तरह वर्ज्य नहीं हैं बिल क्लिंटन को इसलिए शर्मसार और लानत-मलामत का शिकार होना पड़ा कि उन्होँने मामले में राष्ट्र के सामने झूठ बोला। और 'झूठ बोलना पाप है' के देश में नेता रोज होंठों से झूठ का गुबार निकाल कर भी शर्मिन्दा नहीं होते। ऐसे अनेकानेक उदाहरण संसार के हर हिस्से में भरे पड़े हैं। क्या वाकई हमारी परम्परा महान है अथवा हम उसका सिर्फ ढिंढोरा पीटते हैं? आपका क्या ख़याल है इस विषय में?
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
23-11-2013, 01:42 AM | #2470 |
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Re: साक्षात्कार
अभी हाल फिलहाल में जो मीडिया पर सचिन के रिटायर होने का कवरेज हुआ और बाद में उनको भारत रत्न मिला उसके बारे में आपका क्या ख्याल है?
मेरी राय में दोनों अच्छी बात हैं। सचिन की रिटायरमेन्ट का समय आ गया था और उसने सही निर्णय लिया। भारत रत्न अवार्ड भी सही निर्णय है। मैं मानता हूँ कि यह एक विवादास्पद मामला है। लोग यह पूछ रहे हैं केवल सचिन को क्यों? क्यों नहीं विश्वनाथन आनन्द को? क्यों ध्यान चन्द को नहीं? ये सवाल भी ठीक ही पूछे जा रहे हैं। पर गौरतलब है, के लोग केवल यह पूछ रहे हैं कि केवल सचिन को क्यों? किसी ने यह नहीं पूछा सचिन को क्यों? इसमे दो राय नहीं कि सचिन एक deserving candidate है। क्या एक सर्वसम्मति से माना हुआ candidate को इस award से वंचित किया जाए, केवल इसलिए कि अन्यों को नहीं दिया जा रहा है? यदि यह तर्क हम और भी आगे ले जाएंगे, तो यह सवाल हर candidate के बारे में पूछा जा सकता है। सब को convince करना असंभव है। आखिर किसी को तो देना ही चाहिए, चाहे हम सबको नहीं दे सकते। और यह निर्णय कि किसको दिया जाए हमें expert committee पर छोड देना चाहिए। क्या ९ देश में खेले जाने वाले खेल में उनकी उपलब्धि इतनी बड़ी थी कि उन्हें देश का सबसे बड़ा सम्मान दिया जाए? हमें यह नहीं पूछना चाहिए कि केवल ९ देशों में प्रचलित खेल के लिए भारत रत्न क्यों? केवल एक देश में प्रचलित भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए M S Subbalakhsmi, Pandit Bhimsen Joshi और लता मंगेश्कर को भी यह award दिया गया था। जब संगीत में ख्याति पाने वालों को भारत रत्न दिया जा सकता है तो क्रीडाजगत को कैसे बाहर रख सकते है? sports में यह पहली बार दिया जा रहा है और मैं आशा करता हूँ कि आगे और भी होंगे। आखिर कब शुरू करेंगे? मुझे खुशी है, कि हमने सचिन से शुरुआत तो की। खेल जगत को प्रोत्साहित करने के लिए, यह एक अच्छी शुरुआत है। ============== Last edited by internetpremi; 23-11-2013 at 01:45 AM. |
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