06-12-2014, 06:44 PM | #241 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
21-12-2014, 09:29 PM | #242 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
मुज़फ्फर वारसी / Muzaffar Warsi
वास्तविक नाम: मुहम्मद मुज़फ्फर-उद-दीन सिद्दीक़ी जन्म: 20 दिसम्बर 1933 (मेरठ, उत्तर प्रदेश) मृत्यु: 28 जनवरी 2011 (लाहौर, पाकिस्तान) ^
GREAT URDU POET MUZAFFAR WARSI
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21-12-2014, 09:41 PM | #243 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
मुज़फ्फर वारसी / Muzaffar Warsi
मुज़फ्फर वारसी भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान चले गये थे. वहां स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान में मुलाज़मत करते रहे. इस बीच उन्होंने शायरी में भी अच्छा नाम कमाया. उन्होंने बहुत सी पाकिस्तानी फिल्मों के गीत भी लिखे जो बहुत मकबूल हुए. बाद में उनका रुझान आध्यात्मिक क्षेत्र की ओर हो गया और उन्होंने ‘हम्द’ और ‘नात’ (इस्लाम में ईश्वरीय शायरी) लिखने को अपनी ज़िन्दगी का मकसद बना लिया. वे अंत समय तक पाकिस्तानी अखबार ‘नवा-ए-वक़्त’ में हालात-ए-हाज़रा पर छोटी छोटी कवितायें भी लिखते रहे. उनकी प्रकाशित कृतियों में प्रमुख हैं- बर्फ की नाव, बाब-ए-हरम, लहज़ा, नूर-ए-अज़ल, अलहम्द, हिसार, लहू की हरियाली, सितारों की आबजू, खुले दरीचे बंद हवा, दिल से यार-ए-नबी तक आदि आदि.
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21-12-2014, 09:44 PM | #244 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
मुज़फ्फर वारसी / Muzaffar Warsi
ग़ज़ल शोला हूँ धधकने की गुज़ारिश नहीं करता सच मुंह से निकल जाता है कोशिश नहीं करता गिरती हुइ दीवार का हमदर्द हूँ लेकिन चड़ते हुए सूरज की परस्तिश नहीं करता माथे के पसीने की महक आये तो देखें वो ख़ून मेरे जिस्म में गर्दिश नहीं करता हमदर्दी-ए-अहबाब से डरता हूँ 'मुज़फ़्फ़र' मैं ज़ख़्म तो रखता हूँ नुमाइश नहीं करता
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21-12-2014, 09:50 PM | #245 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
मुज़फ्फर वारसी / Muzaffar Warsi
ग़ज़ल मेरी ज़िन्दगी किसी और की, मेरे नाम का कोई और है मेरा अक्स है सरे-आइना, पस-ए-आइना कोई और है मेरी धड़कनों में है चाप सी, ये जुदाई भी है मिलाप सी मुझे क्या पता, मेरे दिल बता, मेरे साथ क्या कोई और है न गए दिनों को ख़बर मेरी, न शरीक-ए-हाल नज़र तेरी तेरे देस में, मेरे भेस में, कोई और था कोई और है वो मेरी तरफ़ निगराँ रहे, मेरा ध्यान जाने कहाँ रहे मेरी आँख में कई सूरतें, मुझे चाहता कोई और है
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21-12-2014, 09:53 PM | #246 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
'मुज़फ्फर' वारसी / Muzaffar Warsi
ग़ज़ल ज़ख्मे-तन्हाई में खुशबू-ए-हिना किसकी थी साया दीवार पे मेरा था सदा किसकी थी उसकी रफ़्तार से लिपटी रही मेरी आँखें उस ने मुड़ कर भी न देखा कि वफ़ा किसकी थी वक़्त की तरह दबे पाँव ये कौन आया है मैंने अँधेरा जिसे समझा वो क़बा किसकी थी आँसुओं से ही सही भर गया दामन मेरा हाथ तो मैं ने उठाये थे दुआ किसकी थी मेरी आहों की ज़बां कोई समझता कैसे ज़िन्दगी इतनी दुखी मेरे सिवा किसकी थी आग से दोस्ती उस की थी जला घर मेरा दी गई किस को सज़ा और ख़ता किसकी थी मैं ने बीनाइयाँ बो कर भी अंधेरे काटे किसके बस में थी ज़मीं अब्र-ओ-हवा किस की थी छोड़ दी किस लिये तू ने "मुज़फ़्फ़र" दुनिया जुस्तजू सी तुझे हर वक़्त बता किसकी थी
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02-02-2015, 06:13 PM | #247 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
Amjad Islaam Amjad
अमजद इस्लाम अमजद अमजद इस्लाम अमजद, पाकिस्तान के मशहूर शायर, ड्रामा निगार और गीतकार हैं. उनका जन्म 4 अगस्त 1944 को लाहौर में हुआ था. उनकी साहित्यिक सेवाओं के मद्देनज़र उन्हें कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है. इनमे से कुछ पुरस्कार इस प्रकार ‘प्राइड ऑफ़ परफॉरमेंस’ और सितारा-ए-इम्तियाज़ आदि. उनकी शायरी से एक चुनाव यहाँ प्रस्तुत है.
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02-02-2015, 06:20 PM | #248 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
Amjad Islaam Amjad
अमजद इस्लाम अमजद ग़ज़ल
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02-02-2015, 06:22 PM | #249 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
Amjad Islaam Amjad
अमजद इस्लाम अमजद ग़ज़ल कहाँ आके रुकने थे रास्ते , कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
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02-02-2015, 06:30 PM | #250 |
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Re: सुखनवर (महान शायर व उनकी शायरी)
Amjad Islaam Amjad
अमजद इस्लाम अमजद ग़ज़ल खुद अपने लिए बैठ के सोचेंगे किसी दिन
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