01-03-2013, 07:22 PM | #25011 |
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दुबई। महेश भूपति और माइकल लोड्रा ने एटीपी दुबई टेनिस चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया । उन्होंने सर्बिया के यांको टिपसारेविच और विक्टर ट्रोइकी को सीधे सेटों में हराया । भारत और फ्रांस की गैर वरीय टीम ने सर्बियाई प्रतिद्वंद्वियों को 6.3, 6.3 से मात दी । अब उनका सामना पोलैंड के चौथी वरीयता प्राप्त मारियुज फ्राइस्टेनबर्ग और मार्सिन मैटकोवस्की से होगा । रोहन बोपन्ना और अमेरिका के राजीव राम ने दूसरी वरीयता प्राप्त जीन जूलियन रोजर और ऐसाम उल हक कुरैशी को पहले दौर में हरा दिया । सोमदेव देववर्मन एकल वर्ग में दुनिया के सातवें नंबर के खिलाड़ी अर्जेंटीना के जुआन मार्टिन देल पोत्रो से हारकर बाहर हो गए । बोपन्ना और राम का सामना अब रोमानिया के विक्टर हनेस्कू और चेक गणराज्य के लुकास रसोल से होगा । भूपति और बोपन्ना अगर अगला मैच जीत जाते हैं तो सेमीफाइनल में उनकी टक्कर होगी यानी फाइनल में एक भारतीय का रहना तय है ।
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01-03-2013, 07:22 PM | #25012 |
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बिना वजह के पेंशन से कटौती करने के लिए सीबीआई को चुकाने पड़ेंगे 20 हजार रूपये
नई दिल्ली। उपभोक्ता मंच ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को सेवानिवृत्त आयकर आयुक्त को 20,000 रूपये चुकाने का निर्देश दिया है । बैंक ने बिना किसी वजह के ग्राहक के पेंशन का एक हिस्सा काट लिया था । पूर्वी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच ने कहा कि एसबीआई द्वारा की गई कटौती केंद्रीय पेंशन प्रसंस्करण केंद्र (सीपीपीसी) के निर्देशों के मुताबिक नहीं थी जैसा कि बैंक ने अपने लिखित वक्तव्य में दावा किया था । उपभोक्ता अदालत ने कहा, ‘दलील के दौरान बैंक के वकील यह बताने में नाकाम रहे कि कैसे रिकवरी की गई और क्यों इसे शिकायतकर्ता के खाते में वापस भेजा गया । एन ए जैदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम पाते हैं कि बैंक द्वारा की गई कटौती सीपीपीसी के निर्देशों के मुताबिक नहीं थी।’ उपभोक्ता मंच ने एसबीआर्ई को दिल्ली निवासी संतोष नारायण नौटियाल को मुआवजे के तौर पर 20,000 रूपये चुकाने का और उपभोक्ता के पेंशन से काटे गए 668 रूपये की राशि को वापस करने का निर्देश दिया। उपभोक्ता अदालत ने कहा कि बैंक से उम्मीद की जाती है कि वह वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों का विशेष ख्याल रखे और यह ‘वांछनीय’ है कि उनकी शिकायतों को निपटाने के लिए कर्मी की तैनाती करे।
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01-03-2013, 07:23 PM | #25013 |
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पहले टेस्ट मैच में गेंदबाजी नहीं करना बहुत अखरा वाटसन को
हैदराबाद। पहले टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने जिस तरह से आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का कचूमर बनाया उससे शेन वाटसन को अहसास हो गया है कि वह अपने करियर में गेंदबाजी को पूरी तरह से कभी नहीं छोड़ सकते हैं और इसलिए यह आलराउंडर फिर से गेंदबाजी करने पर विचार कर रहा है। चोट से वापसी करने वाले वाटसन चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में केवल बल्लेबाज के रूप में खेल रहा है, लेकिन आस्ट्रेलियाई गेंदबाज भारतीयों को रोकने में नाकाम रहे और इसलिए वह फिर से गेंदबाजी शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। ईएसपीएन क्रिकइन्फो ने वाटसन के हवाले से कहा, ‘वह समय था जबकि मुझे लगा कि मैं गेंदबाजी करना चाहता हूं। पिछले महीने वापसी के बाद पहली बार मुझे लगा कि मैं गेंदबाजी नहीं कर पाने की कमी महसूस कर रहा हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने इस श्रृंखला में गेंदबाजी नहीं करने का फैसला किया था। मैंने यह फैसला इसलिए किया था ताकि जब मैं फिर से गेंदबाजी करना शुरू करूं तो मेरा शरीर इसे झेलने के लिये तैयार रहे। मैं गेंदबाजी करने से पहले उसके अनुकूल ढलना चाहता हूं।’ वाटसन ने कहा, ‘मैं अपने फैसले से सहमत हूं लेकिन निश्चित तौर पर मुझे विश्वास हो गया कि मैं कभी गेंदबाजी नहीं छोड़ सकता।’ वाटसन ने हालांकि साफ किया कि वह आईपीएल के दूसरे हाफ में गेंदबाजी शुरू करने के अपने फैसले पर अडिग है ताकि वह जुलाई अगस्त में आस्ट्रेलिया के इंग्लैंड दौरे में गेंदबाज के रूप में भी अपनी भूमिका निभा सकें। उन्होंने कहा, ‘भारतीय दौरे के दूसरे चरण में गेंदबाजी करने का विचार कुछ अवसरों पर मेरे दिमाग में आया लेकिन लगता है कि मुझे अभी इंतजार करना चाहिए। मैंने यह फैसला क्यों किया इसके भी कुछ कारण है। मैं गेंदबाजी शुरू करने से पहले अपने शरीर को इसके लिये पूरी तरह तैयार करना चाहता हूं।’ वाटसन ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि शरीर को तैयार करने के लिये मुझे दो या तीन महीने का वक्त चाहिए और उम्मीद है कि जब मैं फिर से गेंदबाजी शुरू करूं तो मेरा शरीर पूरा साथ देगा।’ इस आलराउंडर ने कहा कि क्रिकेट आस्ट्रेलिया के मेडिकल स्टाफ में शामिल फिजियो विक्टर पोपोव और कप्तान माइकल क्लार्क से सलाह मशविरा करने के बाद उन्होंने गेंदबाजी नहीं करने का फैसला किया था।
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01-03-2013, 07:23 PM | #25014 |
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पुलिस विधेयक पर विवेकपूर्ण चर्चा की जरूरत: भाजपा
जम्मू। भाजपा की राज्य इकाई ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस विधेयक 2013 के मसौदे पर विवेकपूर्ण और वस्तुनिष्ठ चर्चा की जरूरत है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जितेंद्र सिंह ने यहां कहा कि ‘जम्मू कश्मीर पुलिस विधेयक 2013 के मसौदे’ को पूरी तरह से खारिज करने के बजाय इसमें शामिल विभिन्न प्रस्तावों पर विवेकपूर्ण और वस्तुनिष्ठ चर्चा होनी चाहिए। सिंह ने कहा कि भाजपा ने हमेशा पुलिसकर्मियों की पूरी जवाबदेही का समर्थन किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में वर्तमान पुलिस अधिनियम 1927 में बना था और इसमें सुधार लाने को लेकर किसी तरह का भेदभाव या पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली एक सदी में न केवल अपराध की प्रकृति बदली है बल्कि समाज की पुलिस से अपेक्षा भी एक नये स्तर तक पहुंची है। खास बात यह है कि उच्चतम न्यायालय ने छह साल पहले पुलिस सुधारों के लिए सुझाव दिये थे। सिंह ने कहा कि मसौदा पुलिस विधेयक में शामिल गांव रक्षा समितियों के सशक्तिकरण के प्रस्ताव की भाजपा की लंबे समय से मांग है।
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01-03-2013, 07:24 PM | #25015 |
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असम उपचुनाव में कांग्रेस की जीत
हेलाकांडी (असम)। असम की अलगापुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस उम्मीदवार महिंद्रा रॉय ने एआईयूडीएफ के महबूबुल हसन को 991 मतों के अंतर से पराजित किया। महिंद्रा राज्य के लोकस्वास्थ एवं अभियंता मंत्री गौतम रॉय की पत्नी हैं। उन्हें 52,791 मत हासिल हुए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी हसन को 51,880 मत हासिल हुए। इस जीत के साथ 126 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 79 सदस्य हो गए हैं। असम गण परिषद (अगप) के कमरूल इस्लाम चौधरी को 933 मत मिले। भाजपा उम्मीदवार सक्षधर पाल ने 2,742 मत हासिल किए। इस उपचुनाव में कुल 12 उम्मीदवार खड़े थे। कांग्रेस, एआईयूडीएफ, भाजपा, अगप के उम्मीदवारों के साथ ही आठ निर्दलीय चुनावी मैदान में थे। अगप विधायक शहीदुल आलम चौधरी का बीते साल 20 नवंबर को निधन हो गया था। इसी कारण यहां उपचुनाव हुआ।
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01-03-2013, 07:32 PM | #25016 |
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कुश्ती बचाओ मुहिम में अंतर्राष्ट्रीय लाबिंग मे जुटा भारत
नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने आज दावा किया कि कुश्ती को 2020 ओलंपिक से बाहर नहीं होंने दिया जाएगा और इस उद्देश्य के लिए अन्य देशो के साथ लाबिंग कर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) पर दबाव बनाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। बृज भूषण ने सीनियर एशियाई कुश्ती चैपियनशिप की घोषणा के लिए गुरूवार को संवाददाता सम्मेलन मे कहा, हमें शत प्रतिशत विश्वास है कि कुश्ती ओलंपिक मे बनी रहेगी। इस प्राचीन खेल के ओलंपिक से बाहर होने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। हम अन्य देशो के दूतावासो और कुश्ती महासंघो से संपर्क कर एक अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है ताकि आईओसी को समझ आ सके कि यह खेल दुनिया मे कितना लोंंकप्रिय है। उन्होने साथ ही कहा, हमने इस मामले पर हाल ही मे खेल मंत्री जितेद्र सिंह से मुलाकात की थी। खेल मंत्री ने फिंर भारतीय ओलंपिक संघ को भी पत्र लिखा है कि वह इस मुद्दे को आईओसी के कार्यकारी बोर्ड मे पुरजोर ढंग से उठाए। हमने कुश्ती की विश्व संस्था फंीला के साथ साथ आईओसी को भी पत्र लिखे है। फंीला ने हमे आश्वस्त किया है कि कुश्ती को ओलंपिक से बाहर निकालना बहुत ही मुश्किल काम है। बृजभूषण के साथ महासंघ के महासचिव राज सिंह और एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता के कार्यकारी अध्यक्ष जी एस मंडेर ने कहा, सरकार पूरी तरह हमारे साथ है। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो इसका विरोध कर रहा हो। हमे पूरा यकीन है कि सरकार के समर्थन से हम अन्य देशो के साथ इस खेल को बचाने की लाबिंग को सफंलतापूर्वक अंजाम दे सकेगे। बृज भूषण ने कहा, भारत सरकार तमाम देशो के दूतावासो से संपर्क साध रही है और यदि जरूरत पड़ी तो हम इस मामले को संसद मे भी उठाएंगे। कुश्ती महासंघ के महासचिव राज सिंह ने माना कि फीला ही नहीं बल्कि किसी भी देश को यह भनक ही नहीं लगी कि आईओसी का कार्यकारी बोर्ड कुश्ती को लेकर ऐसा कोई फैसला करने जा रहा है। राज सिंह ने कहा कि लुसाने मे आईओसी और फंीला के कार्यालय चंद मीटर के फासले पर है। इसके बावजूद फंीला को यह पता हीं नहीं चल पाया कि ऐसा कोई फंैसला होने जा रहा है। उन्होने साथ ही कहा, आईओसी मे भारतीय सदस्य रणधीर सिंह से भी हमारी लंबी चौड़ी बातचीत हुई है। हम उन्हे पूरा समर्थन दे रहे है कि वह कुश्ती के मुद्दे को जोरशोर से आईओसी से उठाएं। कुश्ती महासंघ के महासचिव ने कहा, रूस, अमेरिका, जापान और तुर्की सहित दुनिया के तमाम देशो मे कुश्ती को बचाने के लिए मुहिम चल रही है। मई मे रूस के सेट पीटर्सबर्ग मे होने वाली आईओसी के कार्यकारी बोर्ड की बैठक मे कुश्ती के लिए प्रभावी प्रस्तुति की जाएगी ताकि आईओसी को बताया जा सके कि यह खेल पूरी दुनिया मे लोकप्रिय है।... बृजभूषण ने कहा, मुझे पूरी उम्मीद है कि रूस और अमेरिका सहित दुनिया के प्रमुख देशो के दबाव के चलते आईओसी की आम सभा सितंबर मे अर्जेंटीना में होंने वाली अपनी बैठक मे कार्यकारी बोर्ड के फैसले को निरस्त कर देगी और कुश्ती को 2020 ओलंपिक मे बरकरार रखा जाएगा।
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01-03-2013, 07:37 PM | #25017 |
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ओलम्पिक में कुश्ती को बरकरार रखने का हरसंभव प्रयास करेंगे : बृजभूषण
नई दिल्ली। ओलम्पिक खेलों से कुश्ती खेल को किसी भी कीमत पर बरकरार रखे जाने का दावा करते हुए भारतीय कुश्ती संघ ने यहां कहा कि इस खेल को बचाने के लिये हरसंभव प्रयास किये जा रहे है जिसमें अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति में भारत के एकमात्र सदस्य रणधीर सिंह की कोशिशें भी शामिल है । भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने आज यहां संवाददाताओं को बताया आईओसी के 2020 खेलों से हटाये जाने के प्रयास को विफल करने के लिये चौतरफा प्रयास किये जा रहे है । उन्होंने कहा कि इसके लिये सरकारी स्तर के अलावा विभिन्न देशों के राजदूतों और खेल संघों से बातचीत की जा रही है । उन्होंने कहा कि मई में रूस के सेंट पीट्सबर्ग में ओलम्पिक समिति की कार्यकारी की बैठक में कम से कम कुश्ती को वैकल्पिक खेल के रूप में शामिल कराने के लिये एक मजबूत और प्रभावी प्रस्ताव रखा जाएगा । उन्होंने बताया कि 18 से 22 अप्रैल तक के डी जाधव कुश्ती स्टेडियम में सीनियर एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप के तीनों वर्गो में 20 से अधिक पहलवानों के भाग लेने की उम्मीद है । दूरदर्शन पर इस प्रतियोगिता का सीधा प्रसारण किया जाएगा ।
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01-03-2013, 07:37 PM | #25018 |
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सरबजीत की सजा न्याय का निष्फल होना है : वकील
लाहौर। बम धमाकों में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद, मौत की सजा पाए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के वकील ने उसकी सजा और कैद को ‘न्याय की असाधारण निष्फलता’ कहा है। 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में सरबजीत को मौत की सजा मिली हुई है। इन धमाकों में 14 लोग मारे गए थे। सरबजीत के वकील अवैस शेख ने अपनी किताब ‘सरबजीत सिंह : ए केस आफ मिस्टेकेन आईडेंटिटी’ में उनके कारणों का खुलाया किया है जिनकी वजह से उन्हें लगता है कि सिंह की सजा और कैद ‘न्याय की असाधारण निष्फलता’ है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में आज छपी एक खबर के अनुसार 199 पृष्ठों वाली इस किताब में शेख ने लिखा है कि सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में घुस आया था और इसके बाद उसपर बम धमाकों के आरोप लगा दिए गए। किताब में सरबजीत के मामले में जांच, मुकदमे और अपील में कई गड़बड़ियों के बारे में बताया गया है। इस किताब में सरबजीत द्वारा अपने परिवार, भारतीय और पाकिस्तानी सरकारों को लिखे पत्र भी शामिल किए गए हैं। शेख ने लिखा है कि सरबजीत को उचित न्यायिक सुनवाई नहीं मिली, मूल कानूनी मुद्दे नहीं सुलझाए गए और जांच एजेंसी ने नकली गवाहों को पेश किया। उन्होंने लिखा है, ‘सरबजीत निश्चत तौर पर गलत सजा का शिकार हुआ है जिसकी वजह से उसे अपना पूरा वयस्क जीवन जेल में गुजारना पड़ा।’ लाहौर के तत्कालीन आयुक्त शाहिद रफी की शिकायत के आधार पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी जिसमें मदनजीत सिंह (पिता मेहंगा सिंह) को आरोपी बनाया गया था। शेख का कहना है कि उनके मुवक्किल का नाम सरबजीत सिंह है जिनके पिता सलाखन सिंह हैं। आठ सितंबर, 1990 को एक सैन्य खुफिया अधिकारी ने सरबजीत को एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया था। मजिस्ट्रेट ने मदनजीत सिंह के नाम से मुकदमे की प्रक्रिया शुरू की और ‘सरबजीत की बात नहीं मानी। सबरजीत बार-बार कहता रहा कि वह मदनजीत सिंह नहीं है। उन्होंने अदालत में पेश आरोपी के नाम की जांच करने और पुष्टि करने की कोई जरूरत नहीं समझी।’ पहचान के सवाल को सुलझाने में असफल रहने पर शेख ने लिखा है, ‘इसके बाद हुई मामले की कार्यवाही अवैध और तथ्यों के खिलाफ हैं।’’ सुनवाई के दौरान सरबजीत को वकील नहीं मिला और वह ना तो भारत में अपने परिवार से संपर्क कर सका, ना ही उन्हें अपनी गिरफ्तारी के बारे में बता सका। पाकिस्तान सरकार सबरजीत के परिवार को उसकी गिरफ्तारी की खबर देने में असफल रही, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। शेख ने लिखा है कि सरबजीत के अपने आरोप स्वीकार करने से संबंधित दस्तावेज पर उसके हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान नहीं हैं जिसे उसकी सजा का आधार माना गया है। सरबजीत ने न्यायाधीश को दिए अपने बयान मेें इन आरापों से इनकार किया है और कहा कि मदनजीत को गिरफ्तार किया गया और फिर छोड़ दिया गया और ‘उसकी जगह’ उसे पेश किया गया। मामले के एकमात्र गवाह शौकत अली ने कहा कि उसे सरबजीत के खिलाफ गवाही के लिए मजबूर किया गया। अपने पत्रों में सरबजीत ने कहा, ‘पाकिस्तान में न्यायाधीश केवल यह देखते हैं कि किसी व्यक्ति को पुलिस और सरकार ने आरोपी ठहराया है, इस वजह से वह जरूर दोषी होगा। वह गवाहों के बयानों को नहीं देखते और ना ही पुलिस के शोषण पर ध्यान देते हैं।’
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युद्ध अपराध मामले में वरिष्ठ जमात नेता को मृत्युदंड
ढाका। बांग्लादेश के कट्टरपंथी पार्टी जमात ए इस्लामी के एक शीर्ष नेता को वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के मामलों में मौत की सजा सुनाई गई। जमात द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी बंद के बीच एक विशेष बांग्लादेशी पंचाट ने पार्टी उपाध्यक्ष दिलवर हुसैन सैयदी को सजा ए मौत दी। तीन न्यायाधीशों वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति फैजल कबीर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें (दिलवर हुसैन सैयदी) उनकी मौत तक गले से फांसी पर लटकाया जाए। युद्ध अपराधों के संदिग्धों के खिलाफ तीन साल पहले सुनवाई शुरू होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट द्वारा दोषी ठहराये गये यह तीसरे जमात नेता हैं। ये संदिग्ध ज्यादातर इस्लामी संगठन के सदस्य हैं। 120 पन्नों के फैसले में कहा गया कि पंचाट ने इस्लामी नेता के खिलाफ 20 में से आठ आरोपों को सही पाया जिसमें नरसंहार, आगजनी, लूटपाट और गैरमुस्लिमों को जबरन मुस्लिम बनाने के आरोप शामिल हैं। इस फैसले के दौरान राजधानी ढाका और अन्य बड़े शहरों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। जमात ए इस्लामी ने आज राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है। उधर हजारों युवाओं ने युद्ध अपराधियों को मृत्युदंड की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। जमात के नायब ए अमीर सैयदी को 29 जून 2010 को गिरफ्तार किया था और उन्हें तीन अक्तूबर को लूटपाट, हत्या, आगजनी, बलात्कार और गैरमुस्लिमों को जबरन मुस्लिम बनाने सहित 20 आरोपों में अभ्यारोपित किया गया था। सुनवाई के दौरान कुल 27 गवाहों ने उनके खिलाफ गवाही दी जबकि सैयदी के बचाव में 17 लोगों ने बयान दिया। अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और अपराध रोधी रैपिड एक्शन बटालियन की मदद के लिए अर्द्धसैनिक सीमा सुरक्षा बांग्लादेश को बुलाया। चश्मदीदों ने कहा कि जमात कार्यकर्ता ने सड़क पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और राजधानी के विभिन्न भागों में प्रदर्शन किया और देसी बम फोड़े। पुलिस ने उनका पीछ करते हुए रबड़ की गोलियां चलाईं, आंसू गैस के गोले छोड़े और कई को मौके से हिरासत में लिया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने पीछा करने के बाद मौके से 10 लोगों को गिरफ्तार किया। जमात के संदिग्ध कार्यकर्ताओं ने कल रात नौ वाहनों में तोड़फोड़ की और एक वाहन में आग लगा दी थी।
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निष्क्रिय पड़े गुट ने पंजाब के मुख्यमंत्री की जीत में भूमिका का दावा किया
इस्लामाबाद। प्रतिबंधित सिपह ए सहबा पाकिस्तान के अग्रणी समूह समझे जाने वाले अहल ए सुन्नत वल जमात ने पंजाब में वर्ष 2008 में हुए उप चुनाव में मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ की जीत में अपनी भूमिका होने का दावा किया है। एएसडब्ल्यूजे के केंद्रीय महासचिव खादिम हुसैन ढिल्लों ने यह दावा ऐसे समय पर किया है जब शरीफ की पीएमएल-एन पार्टी ने एएसडब्ल्यूजे के साथ अपने संबंधों से इंकार किया है। द न्यूज की आज की खबर में कहा गया है कि पीएमएल-एन के बदले हुए रूख से नाराज एएसडब्ल्यूजे ने शहबाज शरीफ को याद दिलाया है कि उनके मुख्यमंत्री बनने में गुट की भूमिका है। जून 2008 में शहबाज शरीफ की जीत सुनिश्चित करने के लिए पंजाब विधानसभा की भाकर सीट से एएसडब्ल्यूजे ने अपना प्रत्याशी वापस ले लिया था। खबर के अनुसार, 17 प्रत्याशियों के चुनाव मैदान से हटने के बाद शरीफ निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। पंजाब सरकार ने हाल ही में एएसडब्ल्यूजे, एसएसपी और लश्कर ए झांगवी के खिलाफ आतंकी हमलों के सिलसिले में अभियान चलाया था। पश्चिमोत्तर शहर क्वेटा में हुए इन हमलों में करीब 200 लोगों की जान गई थी जिनमें ज्यादातर शिया थे। पीएमएल...एन के प्रवक्ता परवेज रशीद ने कहा कि उन्हें एएसडब्ल्यूजे नामक किसी पार्टी के होने के बारे में याद नहीं है तो ढिल्लों ने उन्हें शहबाज शरीफ से बात करने को कहा जिनके आग्रह पर एएसडब्ल्यूजे के प्रमुख मौलाना मोहम्मद लुधियानवी ने पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव मैदान से हटा लिया था और शरीफ के निर्विरोध निर्वाचन की राह बनी थी। 18 फरवरी 2008 को हुए चुनाव में भाकर निर्वाचन क्षेत्र से एक निर्दलीय प्रत्याशी जीता था। इस प्रत्याशी ने एक अन्य सीट से भी चुनाव जीता था इसलिए उसने भाकर सीट से बाद में इस्तीफा दे दिया। फरवरी 2008 को हुए चुनाव में शरीफ इसलिए भाग नहीं ले सके थे क्योंकि लाहौर उच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य घोषित किया था। बाद में वह चुनाव लड़ने के योग्य घोषित किए गए और जून 2008 में हुए उपचुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। वर्ष 2008 में एएसडब्ल्यूजे और पीएमएल...एन के बीच हुई सहमति के बारे में ढिल्लों ने कहा ‘भाकर से हमारे प्रत्याशी थे मौलाना अब्दुल हमीद खालिद जो एएसडब्ल्यूजे के भाकर चैप्टर के अध्यक्ष हैं। चुनाव मैदान में 18 प्रत्याशी थे जिनमें से स्थानीय प्रशासन ने 16 के नाम वापस करा दिए।’ एएसडब्ल्यूजे के केंद्रीय महासचिव ने कहा ‘शहबाज शरीफ और मौलाना अब्दुल हमीद खालिद चुनाव मैदान में रह गए। खालिद ने नाम वापस लेने से मना कर दिया था। तब शहबाज शरीफ ने मौलाना मोहम्मद अहमद लुधियानवी से संपर्क कर उनसे अपने पक्ष में प्रत्याशी को हटाने का अनुरोध किया।’ ढिल्लों ने कहा ‘आगे की बातचीत के लिए पीएमएल....एन के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मौलाना अब्दुल हमीद खालिद से उपचुनाव के एक दिन पहले भाकर जिले के पंजगारन इलाके में उनके मदरसे में मुलाकात की।’ उन्होंने कहा ‘प्रतिनिधिमंडल ने मौलाना लुधियानवी और मौलाना खालिद से शहबाज शरीफ की ओर से औपचारिक अनुरोध किया कि वह उनकी जीत की राह बनाएं ताकि पीएमएल-एन और एएसडब्ल्यूजे के बीच दोस्ती के नए अध्याय की शुरूआत हो सके। हमारे नेतृत्व ने मियां साहिब का आग्रह स्वीकार करने का फैसला किया और सद्भावना के तौर पर अपना प्रत्याशी चुनाव से हटा लिया।’ शहबाज के पक्ष में चुनाव मैदान से हटने वाले प्रत्याशी खालिद ने कहा कि अपनी उम्मीदवारी को ताक पर रखे जाने और ऐसे व्यक्ति की जीत सुनिश्चित करने से उन्हें बहुत दुख हुआ था जिसके मन में एएसडब्ल्यूजे के उपकार के प्रति कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने बताया कि पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख शौकत जावेद ने लुधियानवी से संपर्क कर उपचुनाव से ठीक पहले लाहौर में उनकी शहबाज शरीफ के साथ बैठक की व्यवस्था की थी। खालिद ने कहा ‘बैठक के दौरान मौलाना लुधियानवी ने मुझे फोन किया और अपना फोन शहबाज शरीफ को पकड़ा दिया। तब मियां साहिब ने निजी तौर पर मुझसे आग्रह किया कि उनके पक्ष में मैं अपना नाम वापस ले लूं।’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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