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![]() नई दिल्ली। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने वोडाफोन कर मामले में जल्द ही कोई रास्ता निकालने का विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि वोडाफोन द्वारा कर विवाद मामले में प्रस्तावित समझौता पेशकश पर अंतिम फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल करेगा। एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में वित्तमंत्री ने कहा कि वह पहले ही कई बार कह चुके हैं कि वह चाहते हैं कि यह मामला सुलझे। वोडाफोन के अधिकारी भी जब कभी उनसे मिले, उन्होंने उन्हें भी यही बताया कि वह इसे सुलझाना चाहते हैं। और यदि वह लोग भी इसे सुलझाना चाहते हैं तो कोई रास्ता निकालें। ज्ञात हो कि वोडाफोन का केंद्र सरकार के साथ 11,217 करोड़ रुपए के कर को लेकर विवाद है। बिना विश्लेषण के लगा था स्पेक्ट्रम बिक्री अनुमान: वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि 2012-13 के बजट में स्पेक्ट्रम बिक्री से 40 हजार करोड़ रुपए की आय का अनुमान बिना किसी विश्लेषण के रखा गया था। चिदंबरम ने साक्षात्कार में कहा कि पिछली बार, बिना किसी विश्लेषण के स्पेक्ट्रम बिक्री से 40 हजार करोड़ रुपए की आय का अनुमान लगाया गया। सरकार ने 2012-13 के बजट में ‘अन्य संचार सेवाओं’ से आय 68,217 करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया था। इसमें नीलामी के जरिए स्पेक्ट्रम की बिक्री से 40 हजार करोड़ रुपए की आय प्राप्त होने का अनुमान भी शामिल था।
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सहकारी समितियों के पात्रता नियम हुए उदार
नई दिल्ली। कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने कहा है कि सहकारी समितियों के लिए पात्रता नियमों में ढील दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बड़ी संख्या में इस तरह के निकाय संकटग्रस्त हथकरघा क्षेत्र के पुनर्गठन पैकेज का लाभ उठा सकें। यह कदम मौजूदा दिशा-निर्देशों में बदलाव लाने के उद्देश्य से उठाया जाएगा ताकि अधिक संख्या में सहकारी समितियां लाभ उठाने के लिए पात्र बन सकें। कपड़ा मंत्री ने कहा कि पैकेज को लागू करने की दिक्कतों को देखते हुए हम अब संशोधित पैकेज ला रहे हैं, जिससे सहकारी समितियों के लिए व्यवहार्यता जैसे नियम आसान किए जा सकें। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही ऐसा होगा। हम महज टिप्पणियां मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि सरकार में मंत्रालयों के बीच परामर्श होता है। कैबिनेट नोट इस समय वितरण में है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने दो पैकेजों, 3,884 करोड़ रुपए का व्यापक हथकरघा पैकेज और 2,350 करोड़ रुपए का वित्तीय पैकेज घोषित किया है। वर्तमान में इन योजनाओं के लिए पात्र होने के लिए एक व्यवहारिक सहकारी समिति के लिए जरूरी है कि पांच साल में किसी एक साल उसका सकारात्मक नेटवर्थ हो।
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भारत में एसयूवी जीप उतारेगी फिएट
कारों के 9 मॉडल भी जल्द होंगे पेश बेंगूलरू। इतालवी कार निर्माता कंपनी फिएट अमेरिकी कंपनी क्रिसलर के साथ मिलकर अमेरिकी एसयूवी जीप ग्रांड कैरोकी को भारतीय बाजार में पेश करेगी। कंपनी की भारतीय इकाई के प्रबंध निदेशक एनरोको एतानासियो ने यहां बताया कि कंपनी अक्टूबर में एसयूवी जीप भारतीय बाजार में उतारने की योजना बना रही है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कंपनी बनी बनाई जीपों को यहां लाएगी और बाद में पुणे के पास स्थित फिएट के संयन्त्र में स्थानीय स्तर पर उनका निर्माण किया जाएगा। एतानासियो ने बताया कि कंपनी ने अब तक एसयूवी की कीमत तय नहीं की है। इस जीप में 237 बीएचपी डीजल इंजन लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि कंपनी अपनी कारोबार विस्तार योजना के तहत जल्द ही कारों के नौ नए मॉडल भारतीय बाजार में उतारेगी। इसके अलावा पुंटो और लिनिया को भी कुछ बदलावों के साथ दोबारा बाजार में पेश करने की योजना है।
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दवाइयों की कीमत प्रति व्यक्ति आय के अनुसार तय करने की सिफारिश
नई दिल्ली। दवा मूल्य नीति पर गठित सरकार के एक समूह ने दवाइयों की कीमत प्रति व्यक्ति आय के अनुसार तय करने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि इससे दवाओं की कीमत आम आदमी की पहुंच में हो जाएगी। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर, एचआईवी, एड्स और हैपेटाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियों के इलाज में आने वाली दवाइयों की कीमत राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तय की जानी चाहिए। समूह ने इसके लिए एक समिति गठित करने की सिफारिश की है जो इन दवाइयों की कीमतें तय करने के लिए निर्माता कंपनियों के साथ बातचीत करेगी। हालांकि समूह ने कहा है कि इस सम्बंध मे फैसला करते समय सभी संबद्ध पक्षों सरकारी विभागों, कंपनियों और उद्योगों से सलाह मशविरा किया जाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि विभिन्न देशों में दवाओं की कीमत संबद्ध देशों की प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तय होती है। भारतीयों को विदेशी दवाएं संबद्ध देशों की प्रति व्यक्ति आय के अनुसार खरीदनी पड़ती है। अगर दवाइयों की कीमत भारत में राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तय की जाएगी तो निश्चित रूप से दवाओं की कीमत आम आदमी की पहुंच में रहेगी। इसलिए देश में दवाओ की कीमतों का नियमन करना जरूरी है।
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बाजार से 5.79 लाख करोड़ रुपए लेगी सरकार
नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि वित्त वर्ष 2013-14 में सकल उधार 5.79 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। आधिकारिक बयान के अनुसार सरकार का अनुमान है कि उसे 2013-14 में निर्धारित परिपक्वता तिथि वाली प्रतिभूतियों को जारी कर 5,79,000 करोड़ रुपए का सकल बाजार ऋण लेना पड़ सकता है। अगले वित्त वर्ष के लिए शुद्ध उधार 4,84,000 करोड़ रुपए रहेगा। यह चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के मुकाबले करीब 17,000 करोड़ रुपए अधिक है। इस साल उसने बाजार से 4,67,384.06 करोड़ रुपए का कर्ज उठाया। सरकार ज्यादा कर्ज लेती है तो बैंकों के पास निजी क्षेत्र को उधार देने के लिए पैसा कम बचता है और दूसरे कर्ज महंगे हो जाते हैं। बहरहाल, बाजार उधारी बढ़ने के बावजूद अगले वित्त वर्ष के लिये राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है, जबकि 2012-13 में यह 5.2 प्रतिशत था।
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इस साल वाहन क्षेत्र में नौकरियां कम, छंटनियां ज्यादा होंगी
नई दिल्ली। बिक्री में आई भारी गिरावट से वाहन विनिर्माण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जॉब पोर्टल नौकरी.कॉम के अनुसार, 2013 में सिर्फ 51 फीसद वाहन कंपनियां ही नई नियुक्तियां करेंगी। भारतीय वाहन क्षेत्र के ताजा सर्वेक्षण में नौकरी.कॉम ने कहा कि कई कंपनियां परिचालन लागत घटाने के लिए कर्मचारियों को बर्खास्त करने की भी योजना बना रही हैं। वेबसाइट ने एक रपट में कहा, ‘भारतीय वाहन बाजार मुश्किल दौर से गुजर रहा है जबकि कारों की बिक्री वृद्धि की दर 10 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। वाहन क्षेत्र में नियोक्ताओं के सर्वेक्षण के मुताबिक 2013 में सिर्फ 51 फीसद कंपनियों ने कर्मचारियों को रोजगार देने का फैसला किया है।’ रपट में कहा गया कि यह पिछले साल जुलाई के सर्वेक्षण के मुकाबले अलग है जबकि 65 फीसद कंपनियों ने रोजगार के नए अवसर प्रदान करने का संकेत दिया था। नौकरी.कॉम ने हालांकि कहा कि आशा की किरण बरकरार है क्योंकि करीब 60 फीसद नियोक्ताओं ने कहा कि यदि रोजगार के नए मौके पैदा नहीं होते तब भी कंपनी छोड़कर गए कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने का काम किया जाएगा। लागत कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी के बारे में रपट में कहा गया, ‘नियोक्ताओं ने कहा कि कर्मचारियों की छंटनी आठ से 15 साल के अनुभव वाले स्तर पर होगी जबकि नए रोजगार चार से आठ साल के अनुभव की अर्हता वाली श्रेणी में पैदा होंगे।’
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‘बोर्डरूम’ में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत 28वें स्थान पर
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत में कुल कार्यबल में महिलाओं की संख्या करीब 40 फीसद है, लेकिन जब बात निदेशक मंडल की आती है, तो महिलाएं काफी पीछे दिखती हैं। कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र 7 फीसद की है। एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है। माईहाइरिंगक्लब डाट काम द्वारा ‘बोर्ड में महिलाएं-2013’ शीर्षक से कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार निदेशक मंडल में महिलाओं की मौजूदगी के मामले में भारत दुनिया में 28वें स्थान पर है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में स्थिति कुछ सुधरी है, जबकि इस मामले में भारत का स्थान 30वां था। इस सूची में भारत की स्थिति जापान जैसे कुछ देशों के मुकाबले बेहतर है। यह सर्वेक्षण देश की 1,400 से ज्यादा कंपनियों पर किया गया। इसके अनुसार 2013 में बोर्ड सदस्य के रूप में महिलाओं की संख्या मात्र 6.81 फीसद थी। हालांकि, पिछले साल की तुलना में स्थिति कुछ सुधरी है। उस समय बोर्डरूम में महिलाओं की संख्या सिर्फ 6.69 प्रतिशत थी। निदेशक मंडल में महिलाओं की भागीदारी के मामले में नॉर्वे सबसे आगे है। नॉर्वे में बोर्डरूम में महिलाओं की संख्या 37.23 प्रतिशत है। इसके बाद स्वीडन (27 फीसद), फिनलैंड (24 प्रतिशत), दक्षिण अफ्रीका (17.31 प्रतिशत) और अमेरिका (16.67 प्रतिशत) का नंबर आता है। रिपोर्ट के अनुसार, जिन देशों में निदेशक मंडल में महिलाओं की संख्या काफी कम है उनमें इटली और जापान आते हैं। इटली में निदेशक मंडल में महिलाओं की संख्या 4.23 प्रतिशत और जापान में 1.26 फीसद है। जिन कंपनियों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया उनमें अलग-अलग देशों की कंपनियां हैं। माईहायरिंगक्लब.काम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश कुमार ने कहा, ‘भारत में अभी भी वरिष्ठ प्रबंधन स्तर के पद पर महिलाओं को आगे बढाने की जरूरत है। बोर्ड में महिलाओं की संख्या काफी कम है। यह विकासशील देशों के औसत से भी नीचे है।’ कुमार ने कहा कि देश में कुल कर्मचारियों में 38 फीसद महिलाएं हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 16 प्रतिशत ही वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर पहुंच पाती हैं। सर्वेक्षण के अनुसार कुछ विकसित देशों में भी स्थिति अच्छी नहीं है। कनाडा में महिला निदेशकों की संख्या सिर्फ 11.41 प्रतिशत है। वहीं आयरलैंड में यह 11.16 प्रतिशत, स्पेन में 10.79 प्रतिशत, न्यूजीलैंड में 9.89 प्रतिशत और स्विट्जरलैंड में 8.56 प्रतिशत है। जिन देशों में महिला निदेशकों का आंकड़ा बेहद नीचे है उनमें सऊदी अरब (0.45 प्रतिशत), कतर (0.89 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (1.08 प्रतिशत) हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में तीन प्रतिशत निदेशक मंडलों में तीन महिला निदेशक हैं, वहीं 44 प्रतिशत में सिर्फ एक महिला निदेशक है।
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संसदीय समिति ने केंद्र से एआरडब्लयूएसपी योजनाओं पर मांगी जानकारी
नई दिल्ली। पंद्रह राज्यों में जल परियोजनाओं के पूरा होने की सुस्त चाल से चिंतित संसद की एक समिति ने केंद्र सरकार से ‘त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम’ के तहत योजनाओं के क्रियान्वयन पर हुई प्रगति के बारे में सूचित करने को कहा है। भाजपा के वरिष्ठ सदस्य मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने पेयजल एवं साफ सफाई मंत्रालय द्वारा इस सम्बंध में दिए गए ‘जवाब’ को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है। समिति ने पिछले दिनों लोकसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह यह जानकर चिंतित है कि योजनाओं को समय से पूरा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है तथा 15 राज्यों में ऐसी हजारों योजनाएं लंबित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति ऐसी 56, 162 परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति से अवगत होना चाहिए, जो मार्च 2012 तक पूरी की जानी थी।’ इससे पूर्व, मंत्रालय ने समिति को सूचित किया था कि 56, 162 योजनाओं को मार्च 2012 तक पूरा किया जाना था। 9885 योजनाएं इस वर्ष मार्च तक और 3298 योजनाएं इस माह के बाद पूरी की जानी थीं।
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लोकसभा चुनाव को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में लेकर कांग्रेस को उखाड़ फेंकें : मोदी
नई दिल्ली। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में पेश किए जा रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पार्टी सदस्यों से कहा कि वे आगामी लोकसभा चुनाव को ‘स्वतंत्रता संग्राम’ के रूप में लें और देशभक्ति के कार्य के तौर पर देश को कांग्रेस शासन से आजादी दिलाएं। भाजपा की यहां आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यरिणी की बैठक के समापन सत्र में मोदी ने नेहरू-गांधी परिवार को निशाना बनाते हुए कहा, ‘हमें दिल्ली के तख्त पर ऐसी सरकार मंजूर नहीं जिसने देश को डुबो दिया है। आजादी के बाद तीन दशक तक कांग्रेस रही। उस समय सारे संसाधन मौजूद थे, संभावनाएं थीं लेकिन भारत कुछ नहीं कर पाया और कई छोटे देश बढते चले गए क्योंकि कांग्रेस के इरादे पहले से ही देश के हितों और पार्टी के हितों को एक ही परिवार के लिए बलि चढाने के रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुभव कहता है कि देश ने कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का निर्णय कर लिया है। भाजपा ही कांग्रेस के कुशासन का एकमात्र विकल्प है।’ मनमोहन सिंह के रूप में कांगे्रस आलाकमान पर पर्दे के पीछे से शासन करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस की इस तरह के नाइट वाचमैन बनाने की परंपरा रही है । अगर कांग्रेस मनमोहन सिंह की बजाय प्रणव मुखर्जी को ही प्रधानमंत्री बना देती तो इतनी बर्बादी नहीं होती। लेकिन उन्हें पता था कि प्रणव सफल हो गए तो कहीं परिवार का प्रभुत्व खत्म न हो जाए।’ मोदी ने कहा, एक बार सीताराम केसरी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया तो इसलिए बनाया गया ताकि एक ही परिवार की मनमानी चलती रहे । और अब जब प्रधानमंत्री बनाने की बारी आयी तो ऐेसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया गया कि एक ही परिवार की मनमानी जारी रहे। प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर अपने नाम की अटकलों के बीच मोदी ने कहा कि अब विकल्प के रूप में भाजपा का समय आ गया है। कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जनता के साथ मिलकर काम करना है क्योंकि देश तो फैसला कर चुका है। और (प्रधानमंत्री पद के लिए) व्यक्ति कौन है और कौन नहीं, पार्टी में इसके कोई मायने नहीं है।’ बैठक में अपनी जयकार और करतल ध्वनि के बीच उन्होंने कहा कि भारत के सार्वजनिक जीवन के लिए कांग्रेस दीमक की तरह है और इस दीमक को पूरी तरह समाप्त करने के लिए भाजपा के कार्यकर्ताओं का पसीना ही सबसे उत्तम दवाई है। गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी से देश को मुुक्ति दिलाना देशभक्ति का बड़ा काम है । ‘यह वैसा ही होगा जैसे अंग्रेजों से मुक्ति मिली तो स्वराज आया। ऐसे ही कांग्रेस से मुक्ति मिलेगी तो सुराज आएगा।’ उन्होंने गुजरात के साथ साथ भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विकास कार्यो की सराहना की और बिहार का नाम भी विकास दर के मामले में अव्वल रहने के संदर्भ में लिया जहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी के कड़े विरोधी माने जाते हैं। भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा एक मिशन के लिए है तो कांग्रेस कमीशन के लिए है। देश कमीशन से मुक्ति चाहता है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा मोदी को भाषण के लिए आमंत्रित करने पर कई मिनट तक तालियां बजती रहीं और लोग मोदी के सम्मान में नारेबाजी करने लगे। मोदी ने जब भाषण समाप्त किया तब भी पर काफी देर तक तालियां बजती रहीं और मंच पर बैठे लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह ने हाथ मिलाकर उनका अभिनंदन किया।
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बलात्कार के गलत मामले से आरोपी को भी समान पीड़ा : उच्च न्यायालय
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि बलात्कार का गलत आरोप लगाने से आरोपी को वही अपमान एवं परेशानी झेलनी होती है जिसका सामना किसी बलात्कार पीड़िता को करना होता है। इसके साथ ही अदालत ने ऐसे मामलों में आरोपी की रक्षा की जरूरत को रेखांकित किया। न्यायमूर्ति एस. पी. गर्ग ने बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को रिहा करते हुए कहा कि यह सच है कि बलात्कार पीड़िता को काफी परेशानी एवं अपमान का सामना करना पड़ता है, उसी प्रकार बलात्कार का गलत आरोप लगने पर आरोपी को भी वैसी ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि गलत तरीके से फंसाने की संभावना से आरोपी की रक्षा होनी चाहिए। अदालत ने सुरेंद्र कुमार नामक एक व्यक्ति की याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। कुमार पर आरोप था कि उसने अपनी एक संबंधी के साथ बलात्कार किया और सुनवाई अदालत ने इस मामले में सात साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि महिला ने कुमार के खिलाफ 42 दिनों बाद प्राथमिकी दर्ज कराई और अपनी मेडिकल जांच नहीं कराई। न्यायाधीश ने निचली अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें महिला के पति गंगाशरण को डराने-धमकाने का दोषी ठहराया गया था। अभियोजन के अनुसार महिला की 1993 में गंगाशरण के साथ शादी हुई थी, लेकिन बाद में पति एवं अन्य संबंधियों के साथ मतभेद हो गए। महिला ने आरोप लगाया था कि पांच जनवरी 2000 को जब वह घर में अकेली थी, कुमार ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद उसके पति और कुमार ने उसे धमकी दी। निचली अदालत ने 26 मई 2001 को उसके पति को बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन उसे आपराधिक रूप से धमकी देने का दोषी ठहराया। अदालत ने कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत सात साल की सजा सुनाई थी।
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