My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 02-09-2011, 10:32 AM   #251
YUVRAJ
Special Member
 
YUVRAJ's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: ♕★ ★ ★ ★ ★♕
Posts: 2,316
Rep Power: 27
YUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud ofYUVRAJ has much to be proud of
Thumbs up Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

बहुत सुन्दर ...
इसे पढ़ कर मुनव्वर राना जी की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी भाई ...

चमन में सुबह का मंज़र बड़ा दिलचस्प होता है...
कली जब सो के उठती है तो तितली मुस्कुराती है...
हमें ऐ ज़िंदगी तुझपर हमेशा रश्क़ आता है...
मसायल में घिरी रहती है फिर भी मुस्कुराती है...
बड़ा गहरा तआल्लुक़ है सियासत का तबाही से...
कोई भी शहर जलता है तो दिल्ली मुस्कुराती है...
Quote:
Originally Posted by Ranveer View Post
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है

सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चाँदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों
चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है
(गोपालदास "नीरज")
YUVRAJ is offline   Reply With Quote
Old 07-09-2011, 12:19 AM   #252
Sikandar_Khan
VIP Member
 
Sikandar_Khan's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: kanpur-(up)
Posts: 14,034
Rep Power: 69
Sikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to Sikandar_Khan
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

मैं नीर भरी दुख की बदली!

स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा
क्रन्दन में आहत विश्व हँसा
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झारिणी मचली!

मेरा पग-पग संगीत भरा
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा
नभ के नव रंग बुनते दुकूल
छाया में मलय-बयार पली।

मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल
चिन्ता का भार बनी अविरल
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन-अंकुर बन निकली!

पथ को न मलिन करता आना
पथ-चिह्न न दे जाता जाना;
सुधि मेरे आगन की जग में
सुख की सिहरन हो अन्त खिली!

विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना, इतिहास यही-
उमड़ी कल थी, मिट आज चली!


महादेवी वर्मा
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

click me
Sikandar_Khan is offline   Reply With Quote
Old 08-09-2011, 10:08 PM   #253
Kalyan Das
Senior Member
 
Kalyan Das's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Posts: 257
Rep Power: 20
Kalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of light
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

मन प्रसन्न हो गया !! एक दम practical कविता !!

Quote:
Originally Posted by Sikandar View Post
ज़िन्दगी कैसी कैसी किस किस को मिली है
ये पंक्ति एक दम सही है !!
Quote:
Originally Posted by Sikandar View Post
पर ज़िन्दगी सही ही सबको मिली है
पर कैसे ???

ये पंक्ति मेरे समझ से बाहर है !!
__________________
"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
Kalyan Das is offline   Reply With Quote
Old 08-09-2011, 10:30 PM   #254
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

Quote:
Originally Posted by Sikandar View Post
अजनबी

अजनबी रास्तों पर
पैदल चलें
कुछ न कहें

अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए
सवालों के दायरों से निकलकर
रिवाज़ों की सरहदों के परे
हम यूँ ही साथ चलते रहें

कुछ न कहें
चलो दूर तक

तुम अपने माजी का
कोई ज़िक्र न छेड़ो
मैं भूली हुई
कोई नज़्म न दोहराऊँ
तुम कौन हो
मैं क्या हूँ
इन सब बातों को
बस, रहने दें

चलो दूर तक
अजनबी रास्तों पर पैदल चलें।


दीप्ति नवल (Actress)
इस सूत्र की सभी कवितायेँ बहुत ही अच्छी हैं
किन्तु मुझे इस कविता की ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी /
सूत्रधार को मेरा selut
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 16-09-2011, 12:52 AM   #255
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

रात की हथेली पर
रखे थे कुछ सफेद फूल
सीने में
धड़कती थी एक याद
आंखों में
लहराती थीं
गंगा, जमुना, नर्मदा
टेम्स, वोल्गा और
भी न जाने कितनी नदियां
हर याद के नाम पर
वो नदियों में बहाती थी
कुछ फूल.
लेकिन रात की हथेली
खाली होती ही न थी
नदियां जरूर
सफेद फूलों से
टिमटिमाने लगीं
जितने फूल आसमान में थे
उतने ही नदियों में
न याद खत्म होती
न रात की हथेली खाली होती
ये याद की रात के संग
आंख-मिचौली का खेल है.
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 17-09-2011, 10:09 AM   #256
abhisays
Administrator
 
abhisays's Avatar
 
Join Date: Dec 2009
Location: Bangalore
Posts: 16,772
Rep Power: 137
abhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond reputeabhisays has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to abhisays
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

bahut hi acchi kavita hai..
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum
abhisays is offline   Reply With Quote
Old 17-09-2011, 11:40 AM   #257
Sikandar_Khan
VIP Member
 
Sikandar_Khan's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: kanpur-(up)
Posts: 14,034
Rep Power: 69
Sikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to Sikandar_Khan
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

Quote:
Originally Posted by bhavna singh View Post
इस सूत्र की सभी कवितायेँ बहुत ही अच्छी हैं
किन्तु मुझे इस कविता की ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी /
सूत्रधार को मेरा selut
Quote:
Originally Posted by bhavna singh View Post
रात की हथेली पर
रखे थे कुछ सफेद फूल
सीने में
धड़कती थी एक याद
आंखों में
लहराती थीं
गंगा, जमुना, नर्मदा
टेम्स, वोल्गा और
भी न जाने कितनी नदियां
हर याद के नाम पर
वो नदियों में बहाती थी
कुछ फूल.
लेकिन रात की हथेली
खाली होती ही न थी
नदियां जरूर
सफेद फूलों से
टिमटिमाने लगीं
जितने फूल आसमान में थे
उतने ही नदियों में
न याद खत्म होती
न रात की हथेली खाली होती
ये याद की रात के संग
आंख-मिचौली का खेल है.
भावना जी सूत्र पर योगदान के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया |
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

click me
Sikandar_Khan is offline   Reply With Quote
Old 17-09-2011, 11:52 AM   #258
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक
कविता लिखना चाहता हूँ।
चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में
मेरे परों की रंगीनी है?'
मैंने कहा, 'नहीं'।
'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है?'
'नहीं।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैने की उड़ान है?'
'नहीं।'
'जान है?'
'नहीं।'
'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे?'
मैनें कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार है'
चिड़िया बोली, 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है?'
एक अनुभव हुआ नया।
मैं मौन हो गया!


हरिवंशराय बच्चन
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 17-09-2011, 11:55 AM   #259
Sikandar_Khan
VIP Member
 
Sikandar_Khan's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: kanpur-(up)
Posts: 14,034
Rep Power: 69
Sikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to Sikandar_Khan
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन?
जब विषण्ण, निर्जीव पड़ा हो जग का जीवन!
संग-सौध में हो श्रृंगार मरण का शोभन,
नग्न, क्षुधातुर, वास-विहीन रहें जीवित जन?

मानव! ऐसी भी विरक्ति क्या जीवन के प्रति?
आत्मा का अपमान, प्रेत औ’ छाया से रति!!
प्रेम-अर्चना यही, करें हम मरण को वरण?
स्थापित कर कंकाल, भरें जीवन का प्रांगण?

शव को दें हम रूप, रंग, आदर मानन का
मानव को हम कुत्सित चित्र बना दें शव का?
गत-युग के बहु धर्म-रूढ़ि के ताज मनोहर
मानव के मोहांध हृदय में किए हुए घर!

भूल गये हम जीवन का संदेश अनश्वर,
मृतकों के हैं मृतक, जीवतों का है ईश्वर!
सुमित्रानंदन पंत
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

click me
Sikandar_Khan is offline   Reply With Quote
Old 17-09-2011, 11:56 AM   #260
Sikandar_Khan
VIP Member
 
Sikandar_Khan's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: kanpur-(up)
Posts: 14,034
Rep Power: 69
Sikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond reputeSikandar_Khan has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to Sikandar_Khan
Default Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!

कल सहसा यह सन्देश मिला
सूने-से युग के बाद मुझे
कुछ रोकर, कुछ क्रोधित हो कर
तुम कर लेती हो याद मुझे ।

गिरने की गति में मिलकर
गतिमय होकर गतिहीन हुआ
एकाकीपन से आया था
अब सूनेपन में लीन हुआ ।

यह ममता का वरदान सुमुखि
है अब केवल अपवाद मुझे
मैं तो अपने को भूल रहा,
तुम कर लेती हो याद मुझे ।

पुलकित सपनों का क्रय करने
मैं आया अपने प्राणों से
लेकर अपनी कोमलताओं को
मैं टकराया पाषाणों से ।

मिट-मिटकर मैंने देखा है
मिट जानेवाला प्यार यहाँ
सुकुमार भावना को अपनी
बन जाते देखा भार यहाँ ।

उत्तप्त मरूस्थल बना चुका
विस्मृति का विषम विषाद मुझे
किस आशा से छवि की प्रतिमा !
तुम कर लेती हो याद मुझे ?

हँस-हँसकर कब से मसल रहा
हूँ मैं अपने विश्वासों को
पागल बनकर मैं फेंक रहा
हूँ कब से उलटे पाँसों को ।

पशुता से तिल-तिल हार रहा
हूँ मानवता का दाँव अरे
निर्दय व्यंगों में बदल रहे
मेरे ये पल अनुराग-भरे ।

बन गया एक अस्तित्व अमिट
मिट जाने का अवसाद मुझे
फिर किस अभिलाषा से रूपसि !
तुम कर लेती हो याद मुझे ?

यह अपना-अपना भाग्य, मिला
अभिशाप मुझे, वरदान तुम्हें
जग की लघुता का ज्ञान मुझे,
अपनी गुरुता का ज्ञान तुम्हें ।

जिस विधि ने था संयोग रचा,
उसने ही रचा वियोग प्रिये
मुझको रोने का रोग मिला,
तुमको हँसने का भोग प्रिये ।

सुख की तन्मयता तुम्हें मिली,
पीड़ा का मिला प्रमाद मुझे
फिर एक कसक बनकर अब क्यों
तुम कर लेती हो याद मुझे ?

भगवतीचरण वर्मा
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

click me
Sikandar_Khan is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
favorite poems, hindi, hindi forum, hindi forums, hindi poems, literature, my favorite poems, nice poem, poems, poetry


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:27 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.