14-04-2013, 07:10 AM | #27391 |
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लंदन। ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 2000 से अधिक लोगों को आमंत्रित किया गया है। इनमें ब्रिटेन के सभी जीवित पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति शामिल हैं। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के कार्यालय के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के परिवार के प्रतिनिधि और करीब 200 देशों के प्रतिनिधियों को थैचर के अंतिम संस्कार के लिए आमंत्रित किया गया है। डाउनिंग स्ट्रीट ने आज अंतिम संस्कार के लिए बुलाए जाने वालों की शुरुआती सूची जारी की। अंतिम संस्कार आगामी आगामी बुधवार को सेंट पॉल्स कैथड्रल में किया जाएगा। यहां 2,300 लोगों के एकत्रित होने की क्षमता है। ‘लौह महिला’ के नाम से विख्यात रहीं थैचर का आठ अप्रैल को निधन हो गया था। वह 87 साल की थीं।
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14-04-2013, 07:10 AM | #27392 |
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सेना की रेजीमेन्ट के नामकरण के पीछे ऐतिहासिक कारण हैं
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय को आज सूचित किया गया कि सेना की रेजीमेन्ट का जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर नामकरण करने के पीछे किसी तरह का पक्षपात करना नहीं बल्कि इसकी ऐतिहासिक वजह है। न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष सालिसीटर जनरल मोहन परासरन ने कहा कि यदि सेना में जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर रेजीमेन्ट हैं तो इनमें रोजगार में समान अवसर के सांविधानिक अधिकार के उल्लंघन का कोई सवाल ही नहीं है। मोहन परासरन इस मामले में न्यायालय के मित्र की भूमिका निभा रहे हैं। सालिसीटर जनरल ने कहा कि आजादी के बाद से सैन्य बलों में नियुक्तियों के मामले में किसी प्रकार का पक्षपात या भेदभाव नहीं होता है। इस बीच, न्यायालय ने सेना में जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर भर्ती की प्रक्रिया खत्म करने के लिये हरियाणा निवासी डा आई एस यादव की जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका मे कहा गया है कि इससे रोजगार के समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन होता है। डा यादव का कहना है कि सेना में जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर भर्ती ‘भेदभावपूर्ण वर्गीकरण’ है जबकि वायुसेना और नौसेना में ऐसी परंपरा नहीं है। याचिका में सेना में भर्ती के लिये एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने का अनुरोध किया गया है। याचिका के अनुसार ब्रिटिश परंपरा के वर्गीकरण के आधार पर ही सेना में मराठा रेजीमेन्ट, राजस्थान राइफल्स, डोगरा रेजीमेन्ट, जाट रेजीमेन्ट आदि हैं जबकि इसे संसद के किसी भी कानून से मंजूरी नहीं मिली है। दूसरी ओर वायुसेना और नौसेना में जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर स्क्वैड्रन या फ्लीट नहीं हैं।
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14-04-2013, 07:21 AM | #27393 |
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बादल ने टाइटलर के खिलाफ सिख दंगा मामला फिर से खोलने का स्वागत किया
कौली। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले फिर से खोलने के दिल्ली की अदालत के फैसले का स्वागत किया। बादल ने कहा कि अंत में सिखों और खासकर पीड़ितों के परिवारों के लिए इंसाफ के लिए आशा की किरण फिर नजर आयी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला ने मजिस्ट्रेट के उस आदेश को को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने सीबीआई की ओर से टाइटलर को पाक साफ बताते हुए पेश की गयी क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली थी। यहां पूर्व अकाली विधायक जत्थेदार जसदेव सिंह संधू की पुण्यतिथि कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद भी इंसाफ इन दंगापीडितों के लिए मृगमरीचिका बना हुआ है। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर इस अमानवीय एवं बर्बर कृत्य के लिए जिम्मेदार दोषियों को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऐसे लोगों को प्रतिष्ठित पद देकर दंगा पीडितों के जख्म पर नमक छिड़का। राज्य में बिजली दर में वृद्धि के विषय पर बादल ने कहा कि पंजाब राज्य बिजली नियामक आयोग ने यह निर्णय लिया है जो संसद के एक कानून के अनुसार गठित स्वायत्त निकाय है और इस वृद्धि में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां पंजाब में यह वृद्धि 9.06 फीसदी है वहीं हरियाणा में यह 12 फीसदी है। अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ सीटों की साझेदारी के मुद्दे पर बादल ने कहा, ‘यदि जरूरत महसूस हुई तो हम अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ किसी बदलाव पर चर्चा करेंगे लेकिन कोई सख्त नियम नहीं है।’ उन्होंने कहा कि अगले संसदीय चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के बीच (सीटों का अनुपात) 3:1 रहेगा । यदि जरूरत महसूस हुई तो किसी सीट के हेरफेर पर हम सहयोगी दल भाजपा से चर्चा करेंगे।
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14-04-2013, 07:21 AM | #27394 |
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जर्मनी चाहता है कि भारत बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढाए
बर्लिन। जर्मनी चाहता है कि बहुप्रतीक्षित भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते से पहले भारत बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढाए और वाहनों के आयात पर शुल्क में कमी करे। इस बीच, दोनों देशों के बीच छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए जिसमें एक समझौते के तहत जर्मनी भारत में ‘हरित ऊर्जा गलियारा’ स्थापित करने के लिए एक अरब यूरो (7,000 करोड़ रुपये) का रियायती ऋण उपलब्ध कराएगा। हरित गलियारा परियोजना के तहत अक्षय एवं गैरपरंपरागत स्रोतों से प्राप्त बिजली के ट्रांसमिशन की व्यवस्था की जाएगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वार्ता के बाद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि भारत-ईयू एफटीए के बारे में दोनों पक्षों के बीच ‘सभी परेशानियां’ अभी दूर नहीं हो सकी हैं। जर्मनी यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत चाहता है कि वह 27 देशों के यूरोपीय संघ के साथ व्यापक आधार वाले द्विपक्षीय निवेश एवं व्यापार समझौते (बीटा) के लिए जर्मनी ‘मजबूत राजनीतिक समर्थन’ प्रदान करे। मर्केल और सिंह ने दोनों देशों के बीच अंतर..सरकारी वार्ताओं के दूसरे दौर की बैठक की सह अध्यक्षता की। हालांकि, उन्होंने बेझिझक कहा कहा कि इस बात से ‘इनकार नहीं किया जा सकता’ कि भारत में बीमा कारोबार में विदेशी कंपनियों के लिए हिस्सेदारी की सीमा बढाने का मुद्दा, एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। मर्केल ने कहा कि इसके अलावा, भारत में जर्मनी की कारों के आयात पर टैरिफ रेट कोटा, सेवा व्यापार तथा बौद्धिक संपदा के अधिकारों के संरक्षण का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है। जर्मनी की चांसलर ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम ईयू-भारत मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत में प्रगति चाहते हैं। हम ऐसी स्थिति में हैं जहां से लगता है कि समझौता संभव है पर हम सारी बाधाओं को दूर नहीं कर सके हैं।’ मर्केल ने साथ में भारत की इस बात के लिए सराहना भी की कि मुक्त व्यापार संधि का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उसका रुख ‘लचीला’ है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह और मर्केल भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक ‘संतुलित’ मुक्त व्यापार संधि को जल्द सिरे चढाने के ‘महत्व’ पर सहमत हैं। सिंह ने भारत में बीमा बाजार में विदेशी निवेश की व्यवस्था को उदार बनाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का आश्वासन देते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल इस आशय का एक प्रस्ताव पहले ही मंजूर कर चुका है अब इसे संसद की मंजूरी मिलने की देरी है। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल ने बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।
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14-04-2013, 07:22 AM | #27395 |
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गैंगरेप के दो आरोपियों ने 16 दिसंबर की रात बस में होने से किया इंकार
नई दिल्ली। दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले में दो आरोपियों ने विशेष अदालत के समक्ष दावा किया कि 16 दिसंबर की रात वे उस बस में नहीं थे जिसमें 23 वर्षीय लड़की के साथ छह लोगों ने बलात्कार किया था और उस पर बर्बर हमला किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना के समक्ष दिए गए आवेदन में आरोपी विनय शर्मा ने दावा किया कि वह और सह आरोपी पवन गुप्ता उस बस में नहीं थे जिसमें कथित घटना हुई थी। विनय ने कहा कि उसे इस मामले में फंसाया गया है। उसने अपने वकील ए पी सिंह के जरिए आवेदन दायर किया। वकील ने न्यायाधीश से कहा कि आवेदन तब दिया गया जब विनय ने उन्हें सूचित किया कि उसके मोबाइल में एक वीडियो क्लिप है जो कथित तौर पर दर्शाता है कि दोनों दक्षिण दिल्ली में एक संगीत के कार्यक्रम को देखने गए थे। उन्होंने वीडियो की सीडी बनाने की अनुमति मांगते हुए न्यायाधीश से कहा, ‘आरोपी विनय की मोबाइल में एक वीडियो रिकार्डिंग और तस्वीरें हैं जो स्थापित कर सकती हैं कि वह और पवन घटना की रात बस में नहीं थे।’ अदालत ने हालांकि कहा कि वे वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी बना सकते हैं क्योंकि मामला बचाव पक्ष के वकील और आरोपी के बीच है लेकिन फिलहाल इसका मामले से कोई लेना-देना नहीं है। वकील ने अदालत के समक्ष कहा, ‘यह आरोपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बचाव है क्योंकि मोबाइल में कुछ खास सूचना है जो मेरे मुवक्किल को निर्दोष साबित कर सकती है।’ सिंह ने यह भी कहा कि अब पुलिस यह नहीं कह सकती कि वीडियो को प्लांट किया जा रहा है क्योंकि कथित मोबाइल फोन आरोपी की गिरफ्तारी के बाद से पुलिस के कब्जे में है। सिंह ने अदालत से कहा, ‘उसने (विनय ने) अपराध करने में कोई भूमिका नहीं निभाई है क्योंकि वह बस में नहीं था और न ही वह कथित घटना का हिस्सा था। पुलिस ने मामले में विनय को फंसाया है।’ वकील ने यह भी कहा कि विनय और पवन अपने दोस्तों के साथ दक्षिण दिल्ली में आर के खन्ना टेनिस स्टेडियम के निकट जिला पार्क में एक संगीत कार्यक्रम देखने गए थे। उन्होंने कहा कि इस मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए दोनों आरोपियों के दोस्त अहम गवाह हो सकते हैं। इस बीच, अदालत ने आज आरोपी मुकेश के वकील एम एल शर्मा को निर्देश दिया कि वह अदालत के समक्ष उपस्थित रहें ताकि वह अभियोजन पक्ष के गवाहों के साथ जिरह कर सकें। विशेष लोक अभियोजक दायन कृष्णन ने शर्मा के अदालत से अनुपस्थित रहने पर आपत्ति जताई जबकि उन्हें खासतौर पर आने को कहा गया था। कृष्णन ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील (शर्मा) कार्यवाही को पूरी तरह पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं और मुकदमे में जानबूझकर देरी करने का प्रयास कर रहे हैं। न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं भी इस बारे में चिंतित हूं। कल देखते हैं।’ अब तक अदालत में अभियोजन पक्ष के 65 गवाहों ने गवाही दी है। शुरूआत में पांच आरोपी लड़की से सामूहिक बलात्कार करने और उसपर हमला करने के आरोप में मुकदमा का सामना कर रहे थे। लड़की की 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। मुख्य आरोपी राम सिंह की 11 मार्च को मौत के बाद उसके खिलाफ मुकदमा समाप्त कर दिया गया है। शेष चार वयस्क आरोपी मुकेश, विनय, अक्षय सिंह और पवन लड़की से बलात्कार और हत्या के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। छठा आरोपी किशोर था। उसके खिलाफ यहां किशोर न्याय बोर्ड में मुकदमा चल रहा है।
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14-04-2013, 07:22 AM | #27396 |
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पंजाब में उग्रवाद पर आधारित फिल्म पर प्रतिबंध पर न्यायालय ने मांगा जवाब
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने क्षेत्रीय फिल्म ‘साड्डा हक’ के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली और पंजाब सरकार के साथ ही केन्द्र शासित चंडीगढ से जवाब मांगा है। आरोप है कि इस फिल्म में उग्रवाद और उसको बढावा देने वालों का महिमामंडन किया गया है। प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तीन राज्यों को नोटिस जारी करते हुये कहा, ‘दूसरे राज्यों में फिल्म के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सिर्फ दिल्ली, पंजाब और चंडीगढ में ही प्रतिबंध क्यों लगाया गया? इस मामले में अब 16 अप्रैल को आगे सुनवाई होगी।’ दिल्ली सरकार के वकील वसीम अहमद कादरी ने कहा कि इन तीन राज्यों में प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि इस फिल्म के प्रदर्शन से एक समुदाय विशेष की आबादी पर असर पड़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप अमन चैन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने से पहले वास्तविक पहलुओं के साथ ही कहानी की रूपरेखा को भी ध्यान में रखा है जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगे, पंजाब का उग्रवाद और कथित ज्यादतियों की घटनाओं को शामिल किया गया है। इस फिल्म के प्रदर्शन पर चार अप्रैल को रोक लगायी गयी थी। फिल्म के निर्माता वाइटल मीडिया ने प्रतिबंध को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि फिल्म के प्रदर्शन को केन्द्रीय सेन्सर बोर्ड ने अनुमति दी थी। फिल्म निर्माता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कालिन गोन्साल्विज ने कहा कि इससे पहले शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश में प्रकाश झा की फिल्म ‘आरक्षण’ का प्रदर्शन निलंबित करने का राज्य सरकार का आदेश निरस्त कर चुकी है। कादरी ने इस याचिका पर कोई अंतरिम आदेश नहीं देने का अनुरोध न्यायालय से किया।
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14-04-2013, 07:23 AM | #27397 |
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'मुक्ति संग्राम' पर फिल्म बनाने के लिए साझेदारी पर विचार करेंगे भारत-बांग्लादेश
नई दिल्ली। बांग्लादेश के ‘मुक्ति संग्राम’ पर संयुक्त रूप से एक मेगा फिल्म बनाने की दिशा में विचार करने के लिए भारत और बांग्लादेश ने सहमति जताई जिसमें इस ऐतिहासिक घटना में भारतीय जवानों के बलिदान को भी दर्शाया जा सकता है। सरकार ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बांग्लादेश के सूचना और प्रसारण मंत्री हसनुल हक से विस्तार से चर्चा की जिसमें दोनों ‘मुक्ति संग्राम’ का चित्रण करने वाली एक मेगा फिल्म बनाने के लिहाज से साझेदारी पर विचार करने के लिए तैयार हुए। विज्ञप्ति के अनुसार, ‘इस संदर्भ में जल्दी ही प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की रूपरेखा की दिशा में काम करने पर सहमति हुई। इस संदर्भ में बांग्लादेश के सूचना प्रसारण मंत्री ने यह अनुरोध भी किया कि भारत सरकार उन भारतीय जवानों के नाम देने के बारे में विचार कर सकती है जो मुक्ति संग्राम के दौरान शहीद हो गये।’ बांग्लादेशी मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस ऐतिहासिक घटना के दौरान भारतीय सैनिकों के योगदान को चित्रित करना चाहेगी। मंत्रियों ने सूचना और प्रसारण के अहम क्षेत्रों पर एक संयुक्त कार्यसमूह बनाने की संभावना खोजने पर भी रजामंदी जताई। बांग्लादेश के मंत्री ने तिवारी से अनुरोध किया कि बांग्लादेशी टीवी चैनलों को निजी नेटवर्क के माध्यम से डाउनलिंकिंग की सुविधा प्रदान की जाए। इसके अलावा प्रसार भारती और बांग्लादेश स्टेट टेलीविजन के बीच साझेदारी को बढाने पर भी सहमति बनी। दोनों संस्थाओं ने 2011 में सहमति पत्र पर दस्तखत किये थे।
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14-04-2013, 07:24 AM | #27398 |
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प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ को लेकर शुरू राजनीतिक विवाद
कोलकाता। प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ को लेकर सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस और माकपा ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाये जबकि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम के नारायणन ने कहा कि इस घटना के पीछे लोगों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। प्रेसीडेंसी कालेज में हुई तोड़फोड़ में अपनी संलिप्ता से इंकार करने वाली तृणमूल कांग्रेस उस समय असहज स्थिति में आ गयी जब टेलीविजन चैनलों ने इस प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों का नेतृत्व करते हुए तृणमूल के पार्षद एवं दो अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं को दिखाने वाले वीडियो फुटेज का प्रसारण किया। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नारायाणनन ने कहा, ‘तोड़फोड़ करने वालों के साथ अपराधियों की तरह बर्ताव किया जाना चाहिए।’ विवादों के घेरे में आये तृणमूल के पार्षद पार्थ बसु ने तोड़फोड़ में अपना हाथ होने से इंकार किया है। उन्होंने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री पर हुए हमले का विरोध कर रहे थे। हम विश्वविद्यालय के द्वार के समीप थे। हमारे वरिष्ठ नेताओं में से एक पथराव से घायल हो गया। हम मेडिकल कालेज गये जहां उन्हें चार टांके लगाये गये।’ बसु ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि क्या हुआ क्योंकि हम विश्वविद्यालय के अंदर नहीं गये। यदि यह पाया गया कि हम विश्वविद्यालय के अंदर गये थे तो मैं पार्षद के पद से इस्तीफा दे दूंगा।’ प्रेसीडेंसी कालेज की कुलपति मालविका सरकार ने कहा, ‘जो हुआ, वह स्तब्ध करने वाला था। मैं लिखूंगी (राज्यपाल को) कि हमलावर तृणमूल कांग्रेस के झंडे लिये हुए थे और उन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में घुसकर तोड़फोड़ की।’ छात्रों, संकाय एवं पूर्व छात्रों के साथ विरोध मार्च में भाग लेने वाली मालविका ने मुख्यमंत्री से अपील की कि हमलावरों की पहचान करवाने के लिए जांच करायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों ने छात्रों को पीटा और छात्राओं के विरूद्ध अभद्र टिप्पणियां की। उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले को जाने नहीं देंगे। यह घटना दिखाती है कि प्रेसीडेंसी को एक आसान निशाना माना गया। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।’ तृणमूल पर आरोप लगाते हुए माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि कुलपति से लेकर छात्र तक, सभी यही कह रहे हैं कि तोड़फोड़ के पीछे तृणमूल थी। उन्होंने कहा कि पुलिस मौनदर्शक बनी रही क्योंकि वे जानते थे कि तृणमूल के नेता मौजूद हैं। ‘तृणमूल ने भी भर्त्सना करते हुए अभी तक एक भी शब्द नहीं कहा है।’ राज्यपाल के पास गये छात्र शिष्टमंडल का नेतृत्व करने वाले विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रवीर दासगुप्ता ने कहा, ‘हमने प्रेसीडेंसी परिसर में पर्याप्त सुरक्षा की मांग की। हमने उचित जांच की भी मांग की ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके।’ मामले पर गंभीर रूख अपनाते हुए पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोाग ने शहर पुलिस आयुक्त से कहा कि वह जांच कर दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपे। राज्य मानवाधिकार आयोग के संयुक्त सचिव सुजय हालदार ने कहा, ‘आयोग ने घटना पर गंभीर चिंता जतायी है। उसने पुलिस आयुक्त से कहा है कि किसी ऐसे अधिकारी से जांच करायी जाये जो विशेष आयुक्त या अतिरिक्त आयुक्त से कम रैंक का न हो। रिपोर्ट को दो हफ्ते के भीतर सौंप दिया जाये जिस पर उनकी टिप्पणी भी हो।’ उन्होंने कहा कि आयोग ने पे्रसीडेंसी के पूर्व प्रधानाध्यापक अमल मुखोपाध्याय के साथ विशेष दल बनाया है जो मामले की जांच करेगा और दो हफ्ते में रिपोर्ट देगा। पुलिस के संयुक्त आयुक्त शमीम ने कहा कि मामले को देखा जा रहा है और अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गयी है। तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री पर हुए हमले के विरोध में यहां मार्च निकाला। प्रख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी ने इस घटना की दिल्ली में निंदा करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे राज्य की छवि खराब हुई है।
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इतालवी मरीन पर आरोपों को लेकर भ्रम : सीबीआई को जा सकता है मामला
नई दिल्ली। केरल के दो मछुआरों की हत्या के आरोप इतालवी नौसैनिकों (मरीन) के खिलाफ किन कानूनों के तहत मुकदमा चले, इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है । इस बीच संकेत हैं कि यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जा सकता है । सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत द्वारा इटली को दिये गये आश्वासन के मुताबिक दोनों इतालवी मरीन को मौत की सजा नहीं दी जाएगी । इस क्रम में उन पर लगाया गया ‘सप्रेशन आफ अनलाफुल एक्ट्स अगेन्स्ट सेफ्टी आफ मैरीटाइम नेवीगेशन एंड फिक्स्ड प्लेटफार्म्स आन कांटिनेंटल शेल्फ एक्ट 2002’ छोडा जा सकता है । यह एक कडा कानून है जिसके तहत हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा का प्रावधान है । यदि मरीन पर इस कानून के तहत मुकदमा नहीं चलता तो मामले की जांच का जिम्मा संभाल रही एनआईए इसकी जांच नहीं कर सकती क्योंकि एनआईए केवल निर्धारित मामलों की ही जांच करती है । सूत्रों ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि कडे कानून को छोडा गया तो एनआईए को यह मामला त्यागना पडेगा और फिर मामले को एक अन्य संघीय जांच एजेंसी संभवत: सीबीआई को सौंपना पडेगा ताकि दोनों मरीन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत मुदकमा चले । सूत्रों ने कहा कि अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है क्योंकि गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे और गृह सचिव आर के सिंह दोनों ही इस समय रूस यात्रा पर हैं । इस बारे में फैसला 16 अप्रैल के बाद हो सकता है, जब केन्द्र सरकार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष इस मामले में अपना पक्ष रखना है । इटली से दोनों मरीन के 22 मार्च को लौटने के बाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संसद में कहा था कि भारत ने इटली को आश्वासन दिया है कि दोनों मरीन को मौत की सजा नहीं मिलेगी और उच्चतम न्यायालय द्वारा तय समयसीमा के भीतर लौटने पर उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जाएगा । इटली द्वारा इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद भारत ने उक्त आश्वासन दिया था । खुर्शीद ने यह भी कहा था कि यह मामला ऐसी श्रेणी में नहीं आता, जिसमें मौत की सजा दी जाती हो यानी मौत की सजा दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में दी जाती है इसलिए इस संबंध में कोई आशंका पालने की जरूरत नहीं है । एनआईए ने विशेष अदालत के समक्ष प्राथमिकी पेश की थी, जिसमें दोनों मरीन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 427, और 34 लगायी गयी है । मामले में गतिरोध उस समय आया था जब इतालवी राजदूत की गारंटी पर उच्चतम न्यायालय द्वारा मतदान के लिए स्वदेश भेजे गये दोनों मरीन को इटली ने भारत भेजने से इंकार कर दिया था लेकिन भारत द्वारा कडा रूख अपनाये जाने के बाद वह दोनों को वापस भारत भेजने पर राजी हो गया ।
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नौसेना अधिकारी की पत्नी के आरोप पर विभागीय जांच शुरू
कोच्चि। प्रशासन ने एक नौसेना अधिकारी की पत्नी की इस शिकायत की विभागीय जांच शुरू कर दी है कि उसके पति, ससुराल वाले और दक्षिणी नौसैनिक कमान के कुछ अधिकारी उसे प्रताड़ित कर रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि महिला ने हाल ही में नौसेना प्रमुख से यह शिकायत की है । उन्होंने बताया कि मामले की जांच कई दिन पहले ही शुरू हो गई है । महिला ने स्थानीय हार्बर पुलिस में मामला दर्ज कराया जिसके बाद कल यह मामला प्रकाश में आया। पुलिस ने चार अप्रैल को दायर शिकायत के आधार पर महिला के पति सहित 10 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तहत मामला दर्ज कर लिया है । आरोपी की ओर से जमानत याचिका दायर किए जाने पर केरल उच्च न्यायालय ने तथ्यों का ब्योरा मांगा है । नौसेना ने महिला के आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि शिकायत ‘वैवाहिक विवाद’ का नतीजा है और ‘वरिष्ठ अधिकारियों’ के खिलाफ महिला के आरोप ‘अनुचित’ हैं । नौसेना ने कहा कि नौसैनिक अधिकारियों और उनकी पत्नियों ने सिर्फ अपने दंपति के मुद्दे निपटाने की नाकाम कोशिश की थी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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