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Old 17-04-2013, 04:04 PM   #27841
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संजय दत्त को समर्पण के लिए चार हफ्ते का और समय

नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को आज उच्चतम न्यायालय ने आंशिक राहत प्रदान करते हुए शेष सजा काटने के लिए समर्पण करने हेतु ‘मानवीय’ आधार पर चार हफ्ते का वक्त और दे दिया । उन्हें यह राहत जेल अधिकारियों के समक्ष अपने समर्पण की समयसीमा खत्म होने से एक दिन पहले मिली है। संजय दत्त को 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में शस्त्र अधिनियम के तहत 42 महीने की शेष सजा काटनी है । इस 53 वर्षीय अभिनेता ने अपनी सात फिल्मों की शूटिंग पूरी करने के नाम पर समर्पण के लिए छह महीने का वक्त और मांगा था । निर्माताओं ने इन फिल्मों में 278 करोड़ रुपये लगा रखे हैं । शीर्ष अदालत ने उनके द्वारा किए गए आग्रह को मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया, लेकिन स्पष्ट किया कि इसके बाद आगे और कोई समय नहीं दिया जाएगा । संजय दत्त के समर्पण की समयसीमा 18 अप्रैल को खत्म होने वाली थी, लेकिन आज उन्हें चार हफ्ते की राहत और मिल गई । न्यायमूर्ति पी. सतशिवम और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने कहा, ‘मामले के विशेष तथ्यों और परिस्थितियों तथा याचिका में उल्लेखित कारणों पर विचार करते हुए हम छह महीने का वक्त देने को तैयार नहीं हैं । हालांकि, हम कल से चार हफ्ते का समय और देते हैं । यह स्पष्ट किया जाता है कि आगे और समय नहीं दिया जाएगा ।’ पीठ ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि संजय दत्त की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे इस बात पर सहमत हो गए हैं कि आगे और कोई समय नहीं मांगा जाएगा ।
शुरू में साल्वे ने कहा कि संजय दत्त सिर्फ दया आधार पर मांग कर रहे हैं, न कि किसी संवैधानिक आधार पर । साल्वे ने अपनी बात शुरू भी नहीं की थी कि पीठ ने कहा, ‘आप यह नहीं कह सकते कि आपके मुवक्किल को 2007 में विशेष अदालत द्वारा सुनाये गये फैसले का पता नहीं था ।’ न्यायालय कहा कि समय बढाने के लिए याचिका में मुख्य कारण संजय दत्त अभिनीत सात फिल्मों में निर्माताओं द्वारा 278 करोड़ रुपये लगाया जाना बताया गया है । हालांकि, इसने साल्वे से कहा, ‘क्या उन्हें जानकारी नहीं थी कि 2007 में एक फैसला आया था ।’ साल्वे ने कहा कि संजय को समर्पण के लिए थोड़ा और समय दिए जाने से उन्हें अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी । साल्वे ने समूचे घटनाक्रम को लेकर कहा, ‘जीवन में ऐसा हो जाता है ।’ न्यायालय ने जब उनसे जानना चाहा कि उनके अनुसार समर्पण के लिए कितना समय और दिया जाना उचित रहेगा, साल्वे ने कहा, ‘आठ हफ्ते से थोड़ा अधिक समय दिए जाने पर मानवीय आधार और अनुग्रह पर विचार किया जा सकता है ।’ हालांकि, सीबीआई के वकील और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल ने कहा कि दत्त के आग्रह का ‘विरोध करने के लिए उनके पास लिखित निर्देश हैं ।’’ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘मौजूदा आवेदन आपके फैसले की समीक्षा की मांग करता है । यह सही दृष्टिकोण नहीं है ।’ हालांकि, पीठ ने कहा, ‘हम उसके समर्पण के लिए समय बढा सकते हैं ।’
इस पर रावल ने न्यायालय को प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा कल तीन दोषियों की याचिकाएं खारिज किए जाने के आदेश के बारे में बताया जिन्होंने कहा गया था कि उनकी ओर से राष्ट्रपति के समक्ष दायर दया याचिकाओं पर निपटारे तक उन्हें समर्पण के लिए समय दिया जाना चाहिए । साल्वे ने कहा कि उन याचिकाओं में जीवन के मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता से संबंधित संविधान की धारा 21 से जुड़े कानूनी आधारों को उठाया गया था । रावल ने कहा कि उन याचिकाओं में आयु, खराब स्वास्थ्य तथा अन्य कारण उठाए गए थे जिन्हें न्यायालय ने खारिज कर दिया । रावल ने कहा, ‘यहां (दत्त का आग्रह) यह व्यावसायिक आधार है ।’ हालांकि, पीठ ने कहा कि यह सभी मामलों में एक ही नियम लागू नहीं कर सकती और यह मामले दर मामले के आधार पर निर्भर करता है । पीठ ने कहा, ‘यहां वे (दत्त और उसके वकील) केवल दया आधार पर जोर दे रहे हैं ।’ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि दत्त का आग्रह स्वीकार किए जाने से इस तरह के आवेदनों की बाढ आ जाएगी और यह 21 मार्च के फैसले में संशोधन की तरह होगा । पीठ हालांकि, इस तर्क से सहमत नहीं हुई और कहा, ‘यह कोई संशोधन नहीं है और हम केवल समय बढा रहे हैं ।’ न्यायाधीशों ने जब सवाल किया कि ‘क्या वर्तमान आवेदन से निर्देशों में संशोधन हो जाएगा’,तो रावल ने कहा कि हां । पीठ ने रावल से कहा कि सीबीआई को संजय दत्त के बारे में कोई आशंका नहीं रखनी चाहिए क्योंकि यह उनके समर्पण के लिए चार हफ्ते से अधिक और मोहलत नहीं देने जा रही है।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमें चार सप्ताह की ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघनी नहीं चाहिए।’ न्यायालय ने जांच एजेन्सी का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित किया कि उसने आतंकवाद निरोधक कानून :टाडा: के तहत वाले मामले में संजय दत्त को बरी करने के फैसले को चुनौती नहीं दी थी जबकि उसने कई अन्य अभियुक्तों के मामले में अपील दायर की थी। न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम हल्के फुलके अंदाज में कह रहे हैं कि आपने टाडा के तहत संजय दत्त को बरी करने के फैसले को चुनौती नही दी जबकि आपने कई अन्य मामलों में अनेक अपील दायर कीं। जांच एजेन्सी की कई अपील में तो हमने सजा भी बढायी है।’ इस बीच, संजय दत्त को आंशिक राहत देने के शीर्ष अदालत के आदेश का इसी मामले के तीन अन्य दोषियों के वकील ने स्वागत नहीं किया जिन्होंने समर्पण करने के लिये मोहलत मांगी थी। जैबुन्निसा अनवर काजी (70), इस्साक मोहम्मद हजवाने (76) और शरीफ अब्दुल गफूर पारकर उर्फ दादाभाई (88) की वकील फरहाना शाह ने कहा, ‘यह अच्छा है कि संजय दत्त को राहत मिल गयी है। लेकिन निश्चित ही यह दुखद और हताश करने वाला है कि उनके मुवक्किलों को मेडिकल आधार पर भी समर्पण के लिये और मोहलत देने पर विचार नहीं हुआ और पक्षपात तो हर जगह होता है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत परेशान हूं। गरीब लोग जो वास्तव में मेडिकल आधार पर कुछ राहत के हकदार थे उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया गया। उनकी हालत इतनी खराब है कि वे अपने आप आ भी नहीं सकते और वे उम्रदराज हैं।’ जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वह भी आज के आदेश से खुश नहीं है। उन्होंने कहा, ‘न्यायाधीशों ने इस व्यक्ति के प्रति असामान्य महत्व दर्शाया। उसने खुद को एक कमजोर व्यक्ति के रूप में पेश किया है जो अपनी जुबान नहीं रख सकता है।’
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विश्व के कई हिस्सों में फिर भूकंप के झटके
हिमाचल प्रदेश में महसूस किया गया भूकंप का हल्का झटका

नई दिल्ली/सिडनी/बीजिंग। ईरान और पाकिस्तान में तबाही मचाने के एक दिन बाद ही बुधवार को फिर विश्व के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में आज सुबह भूकंप का हल्का झटका महसूस किया गया। मौसम विभाग ने बताया कि सुबह 8.32 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.9 मापी गई है और इसका केंद्र चंबा में था। उन्होंने बताया कि फिलहाल इस भूकंप से किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
पापुआ न्यू गिनी में 6.8 तीव्रता का भूकंप
पापुआ न्यू गिनी में आज 6.8 तीव्रता का भूकंप आया। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने यह जानकारी दी और साथ ही यह चेतावनी भी दी कि इससे नुकसान हो सकता है। यूएसजीएस ने कहा कि पैसिफिक देश के उत्तरी तट पर स्थित छोटे से शहर ऐटेप से 19 किमी पूर्व में सुबह करीब आठ बजकर 55 मिनट पर यह भूकंप 19 किलोमीटर की गहराई पर आया। ऐटेप की आबादी 8,000 के करीब है। पैसिफिक सुनामी चेतावनी केंद्र ने सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की लेकिन सतर्क किया कि इतनी तीव्रता के भूकंप से इसके केंद्र के आसपास 100 किमी के दायरे में कभी कभी स्थानीय सुनामी उठ सकती हैं। इस केंद्र ने कहा ‘क्षेत्रीय प्रशासन को इस आशंका के लिए तैयार रहना चाहिए।’ जियोसाइंस आस्ट्रेलिया के अनुसार भूकंप ऐटेप से 30 किमी दूर करीब 20 किमी की गहराई पर आया। वर्ष 1998 में आई सुनामी की वजह से ऐटेप के समीप 2,000 से अधिक लोगों की जान गई थी। रविवार को देश के बौगेनविले द्वीप पर 6.6 तीव्रता का भूकंप आया लेकिन इससे किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
चीन में आया 5.0 तीव्रता का भूकंप, नौ घायल
दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में आज आए 5.0 तीव्रता के भूकंप में नौ लोग घायल हो गए। देश के डाली बाई प्रांत में सुबह 9.45 बजे आए इस भूकंप का केंद्र एरयुआन और यांगबी काउंटी के बीच की सीमा पर जमीन से 11 किलोमीटर की गहराई पर था। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, युन्नान प्रांत के नागरिक मामलों के ब्यूरो ने नौ लोगों के घायल होने की पुष्टि की है। नागरिक सुरक्षा और अग्निशमन विभाग की ओर से 60 सदस्यों का एक दल भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना किया जा चुका है। राहत एवं बचाव कार्य की निगरानी के लिए डाली के वरिष्ठ अधिकारी भी प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना हो चुके हैं। इससे पहले यहां इसी वर्ष मार्च में आए 5.5 तीव्रता के भूकंप में 30 लोग घायल हो गए थे।
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पाक के साथ रचनात्मक सम्बंध जरूरी : कमांडर

वाशिंगटन। पाकिस्तान में अमेरिकी हितों को देखते हुए एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने इस्लामाबाद के साथ ‘रचनात्मक’ और ‘प्रभावी’ सम्बंध बनाए रखने पर जोर दिया है। अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो बलों के कमांडर जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान चरमपंथी संगठनों से गंभीर अंदरूनी खतरे का सामना कर रहा है। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को आगाह किया कि चरमपंथ और परमाणु हथियारों का तालमेल अत्यंत घातक हो सकता है। जनरल डनफोर्ड को अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि हमें पाकिस्तान के साथ रचनात्मक और प्रभावी सम्बंध बनाए रखने की जरूरत है। हमें उस वास्तविक खतरे को समझना होगा, जो पाकिस्तान की सीमाओं के अंदर ही है। जनरल डनफोर्ड ने अफगानिस्तान पर कांग्रेस की एक बहस में सांसदों से कहा कि मेरे विचार से हमें दुनिया के उस भाग में अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करना होगा। यह बहस सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति ने आयोजित की थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अमेरिका के राष्ट्रीय हित हैं और चरमपंथ तथा परमाणु हथियारों का ‘तालमेल’ अत्यंत घातक हो सकता है। डनफोर्ड ने कहा कि मैं मानता हूं कि पाकिस्तान की रणनीतिक भागीदारी हमारे हित में है और हमें इस बात को ध्यान में रखने हुए रिश्ते बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तानी सेना का विकास और उसे अमेरिकी समर्थन यह सुनिश्चित करने के लिए वाशिंगटन के हित में है कि वह अपनी ही सीमाओं के अंदर अपनी सुरक्षा को पुख्ता कर सकें। डनफोर्ड ने कहा कि मेरे विचार से पाकिस्तान को अभी बड़ा खतरा उसकी ही सीमाओं के अंदर से है और बाहरी सहयोग के बिना वह उस खतरे से नहीं निपट सकता। अमेरिकी जनरल ने सांसदों से कहा कि कबायली इलाकों में पाकिस्तान का नियंत्रण नहीं है। इन इलाकों में पिछले एक दशक में चलाए गए अभियानों के दौरान 15,000 से अधिक लोगों की या तो जान जा चुकी है अथवा वे घायल हुए हैं। वहां के खैबर एजेंसी के भागों में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का या पाकिस्तान तालिबान का नियंत्रण है, जिसे खत्म करने के प्रयास में पिछले कुछ ही सप्ताह में सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह इस बात का साफ संकेत है कि सीमाई इलाकों में उनका कोई नियंत्रण नहीं है और वह तालिबान पर भी नियंत्रण नहीं कर सकते, जो सीमाई इलाके के अंदर खुल कर सक्रिय है।
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आस्ट्रेलिया फिर बना भारतीय छात्रों का पसंदीदा देश

मेलबर्न। विदेशों में अध्ययन के लिए भारतीय छात्रों ने वर्ष 2009 और 2010 में हुए कई नस्ली हमलों के बावजूद आस्ट्रेलिया को अमेरिका के बाद दूसरे सर्वाधिक पसंदीदा देश के तौर पर चुना है। भारतीय छात्रों की यह पसंद एक ताजा रायशुमारी के आज जारी नतीजों के आधार पर सामने आई है। यह रायशुमारी लोवी इन्स्टीट्यूट और आस्ट्रेलिया इंडिया इन्स्टीट्यूट ने कराई है। रायशुमारी में पाया गया कि 75 फीसदी प्रतिभागी मानते हैं कि पढ़ाई के लिए आस्ट्रेलिया एक बेहतर देश है। रायशुमारी में पहला स्थान अमेरिका को और दूसरा स्थान आस्ट्रेलिया को मिला है। अध्ययन के सह लेखक और लोवी इन्स्टीट्यूट के निर्देशक प्रो. रोरी मेडकाफ ने कहा कि इससे जाहिर होता है कि आम भारतीय यहां हुई घटनाओं के बावजूद आस्ट्रेलिया को पसंद करते हैं। घटनाओं से तात्पर्य आस्ट्रेलिया में अध्ययनरत भारतीय छात्रों पर वर्ष 2009 और 2010 में हुए हमलों से है। हालांकि इन हमलों का भी आस्ट्रेलिया के बारे में भारतीयों की राय पर असर पड़ा है। रायशुमारी में पाया गया कि 62 फीसदी भारतीयों को आस्ट्रेलिया अब भी छात्रों के लिए खतरनाक स्थान लगता है। साथ ही 61 फीसदी लोगों की राय थी कि हमले नस्ल आधारित थे। रायशुमारी में भाग लेने वाले 1233 वयस्कों में से 60 फीसदी ने कहा कि वह चाहेंगे कि भारत सरकार और भारतीय समाज आस्ट्रेलिया की तरह हो। कुल मिला कर भारतीयों ने आस्ट्रेलिया को शीर्ष चार देशों में जगह दी। इन चार देशों में आस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर भी हैं। रायशुमारी के अनुसार, भारतीय-आस्ट्रेलियाई सम्बंधों के लिए शिक्षा, लोकतंत्र और क्रिकेट महत्वपूर्ण आधार हैं। मेडकाफ ने कहा कि सम्बंधों में कहीं कहीं कुछ कमजोरी अब भी है और अगर कोई संकट आता है तो नस्लवाद और खतरे जैसे मुद्दों के हावी होने में समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया-भारत के रिश्तों में पांच साल पहले की तुलना में अब सबसे बड़ा अंतर यह है कि ‘सम्बंधों की विशेषताएं’ उभर चुकी हैं। रायशुमारी में यह भी पाया गया कि अगर आस्ट्रेलिया में क्रिकेट के लिए भारत की तरह ही दीवानगी नहीं होती, तो शायद भारतीयों की भी दिलचस्पी इस देश में नहीं होती। मेडकाफ ने कहा कि इससे पता चलता है कि आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम एक मायने में अब भी अच्छी है और इससे भारत में आस्ट्रेलिया की एक सकारात्मक छवि उभरती है।
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अमेरिका भूकंपपीड़ितों की मदद के लिए तैयार : कैरी

वाशिंगटन। ईरान और पाकिस्तान के भूकंपपीड़ितों के प्रति सहानुभूति जाहिर करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने कहा कि इस मुश्किल भरे समय में अमेरिका उनकी मदद करने के लिए तैयार है। कैरी ने एक बयान में कहा कि दक्षिण पूर्वी ईरान और पश्चिमी पाकिस्तान में आज आए भूकंप में मारे गए लोगों के प्रति अमेरिका गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि मारे गए लोगों के परिजनों और घायलों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। हमारी संवेदनाएं उनके साथ भी हैं, जिन्हें इस भूकंप में मकान और संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ा। कैरी ने कहा कि इस मुश्किल समय में हम मदद देने के लिए तैयार खड़े हैं। इससे पहले दिन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पैट्रिक वेन्ट्रेल ने कहा था कि अमेरिका ने पूर्व में ईरान को प्रत्यक्ष मानवीय मदद दी थी, जो एक अपवाद कार्य था। यह मदद अमेरिका ने एक ऐसे मुल्क को उपलब्ध करवाई थी, जिस पर उसने कथित परमाणु हथियार कार्यक्रम के चलते कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में आपूर्ति और अन्य तकनीकी मदद के जरिए प्रत्यक्ष आपात सहायता उपलब्ध करवाई थी। कुछ समय पहले वहां भीषण भूकंप आया था, जिससे बहुत तबाही मची थी। मुझे वह वर्ष तो याद नहीं है, लेकिन हमने तब प्रत्यक्ष मदद उपलब्ध करवाई थी।
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एच-1 बी वीजा में परिवर्तन से प्रभावित होंगी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां

वाशिंगटन। अमेरिकी कामकाजी परिमट के बाद सर्वाधिक मांग वाले एच-1 बी वीजा में प्रस्तावित संशोधनों से इन पर निर्भर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी। व्यापक आव्रजन सुधार (सीआईआर) के तहत परिवर्तनों से उन कंपनियों के लिए एच-1 बी वीजा के इस्तेमाल पर रोक लगेगी जिनके पास इस श्रेणी के तहत श्रम शक्ति का उच्च अनुपात है। ज्यादातर भारतीय कंपनियां इस वर्गीकरण के अंतर्गत आएंगी । यदि संशोधन मसौदे को कांग्रेस से मंजूरी मिल जाती है और अमेरिकी राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर यह कानून का रूप ले लेता है तो कंपनियों को एच-1 बी वीजा हासिल करने के लिए अधिक शुल्क भी देना पड़ेगा । ‘बॉर्डर सिक्योरिटी, इकोनामिक अपरच्यूनिटी एंड इमिग्रेशन मॉडर्नाइजेशन एक्ट-2013’ की 17 पृष्ठ वाली रूपरेखा के अनुसार एच-1 बी प्रणाली का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अमेरिका कार्रवाई करेगा । विधेयक के मसौदे के अनुसार यदि नियोक्ता के पास 50 या इससे अधिक कर्मचारी हों, और उसके पास 30 प्रतिशत से अधिक लेकिन 50 प्रतिशत से कम एच-1 बी या एल-1 कर्मचारी हों (जिनकी ग्रीन कार्ड याचिका लंबित नहीं हो), तो नियोक्ता को इन दोनों स्थितियों में से एक में 5,000 डॉलर प्रति अतिरिक्त कर्मचारी शुल्क अदा करना पड़ेगा । यदि नियोक्ता के पास 50 या अधिक कर्मचारी हों और इन कर्मियों में 50 प्रतिशत से एच-1 बी या एल-1 कर्मचारी हों, जिनकी ग्रीन कार्ड याचिका लंबित नहीं हो तो कंपनियों को इन दोनों स्थितियों में से एक में प्रति अतिरिक्त कर्मचारी 10,000 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा। इस तरह टीसीएस, विप्रो और इन्फोसिस जैसी बड़ी भारतीय कंपनियों को प्रत्येक अतिरिक्त एच-1 बी कर्मी के लिए 10,000 डॉलर का भुगतान करना पड़ेगा । अमेरिका स्थित आईबीएम, इंटेल या माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों पर इसका असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके कर्मचारियों में ज्यादातर अमेरिकी नागरिक हैं । टीसीएस, विप्रो और इन्फोसिस जैसी कंपनियां इस तरह के प्रावधान से प्रभावित होंगी, जिनके मुख्यालय भारत में हैं और जिनके बड़ी संख्या में आॅफसाइट कार्यालय हैं और जो अमेरिका में कम श्रम शक्ति पर निर्भर हैं । विधेयक में प्रस्ताव है कि वित्त वर्ष 2014 में कंपनियों के पास 75 प्रतिशत से अधिक एच-1 बी या एल-1 कर्मी होने की स्थिति में उनके द्वारा अतिरिक्त कर्मचारी लाए जाने पर रोक लगा दी जाएगी । विधेयक अमेरिकी कर्मियों की तुलना में एच-1 बी या ओपीटी धारक कर्मियों को वरीयता दिए जाने पर भी रोक लगाता है। विधेयक के तहत श्रम मंत्री को निगरानी के लिये एक वेबसाइट बनानी होगी जिसमें एच-1 बी की स्थिति का पता लग सकेगा । इस साइट को नये विधेयक के पारित होने के 90 दिन के भीतर आनलाइन होना जरूरी होगा।
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महिलाओं के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी के मामले में मंत्री विजय शाह का इस्तीफा

भोपाल। मध्य प्रदेश के आदिमजाति कल्याण मंत्री विजय शाह ने तीन दिन पहले झाबुआ में महिलाओं, विशेषकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के खिलाफ की गई अपनी कथित द्विअर्थी अभद्र टिप्पणी को लेकर इस्तीफा दे दिया जिसे राज्यपाल ने स्वीकर कर लिया है। चौहान के करीब सूत्रों ने आज यहां बताया कि शाह ने आज तड़के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे उन्होंने राज्यपाल राम नरेश यादव को भेज दिया । राज्यपाल ने इसे स्वीकार कर लिया । प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिला मुख्यालय में तीन दिन पहले स्कूली ग्रीष्मकालीन शिविर में छात्राओं को संबोधित करते हुए मंत्री विजय शाह ने महिलाओं विशेषकर मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह को लेकर कथित अभद्र द्विअर्थी टिप्पणी की थी। मुख्यमंत्री निवास के सूत्रों ने बताया कि मंत्री शाह ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद नरेंद्र सिंह तोमर एवं संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन के साथ मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया । पार्टी सूत्रों के अनुसार मंत्री शाह बीती रात लगभग बारह बजे अध्यक्ष तोमर के निवास पर पहुंचे और वहां उन्होंने तोमर एवं संगठन महामंत्री मेनन को अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने बताया कि तीनों के बीच लगभग दो घंटे चली मंत्रणा के बाद तोमर एवं मेनन के साथ मंत्री शाह रात दो बजे के आसपास मुख्यमंत्री निवास पहुंचे और चौहान के सामने भी अपने बयान को लेकर सफाई पेश की, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनके बयान के लिए उनसे तत्काल इस्तीफा मांग लिया। मंत्री शाह ने भी आनन-फानन में मुख्यमंत्री निवास में ही अपना इस्तीफा लिखकर मुख्यमंत्री चौहान को सौंप दिया । शाह के विवादित बयान को लेकर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में दो दिन से काफी उबाल आया हुआ था । प्रदेश महिला कांग्रेस ने इसे लेकर कल कई स्थानों पर शाह का पुतला दहन कर उनका इस्तीफा मांगा था । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सांसद कांतिलाल भूरिया एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने कल मण्डला में आयोजित एक रैली में शाह के बयान को महिलाओं का अपमान बताते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की थी। वहीं, भोपाल में प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष मानक अग्रवाल के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने साधना सिंह के सम्मान में कल प्रदर्शन कर भाजपा नेतृत्व के लिए असहज स्थिति पैदा करने का प्रयास किया था। दूसरी ओर, मंत्री शाह के बयान से भाजपा नेतृत्व भी खुश नहीं था और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तोमर ने कहा था कि पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है और उन्हें सफाई देने के लिए बुलाया है। शाह की सास की तबियत खराब होने और उनके वेंटिलेटर पर होने की वजह से वह कल देर रात भोपाल पहुंच सके।
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Old 17-04-2013, 04:52 PM   #27848
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माया कोडनानी के लिए फांसी की मांग करेगी गुजरात सरकार

अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने वर्ष 2002 में हुए नरोदा पाटिया दंगों में संलिप्त पायी गई नरेंद्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री रही माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और आठ अन्य लोगों के लिए फांसी की सजा की मांग करने का फैसला किया है। राज्य सरकार इस मामले में विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ जल्द ही उच्च न्यायालय में एक अपील दायर करेगी। सहायक लोक अभियोजक गौरांग व्यास ने पीटीआई को बताया कि नरोदा पाटिया के दंगों के मामले में निचली अदालत द्वारा उम्र कैद की सजा पाने वाली कोडनानी और बजरंगी सहित सभी दस दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय में अपील करेगी और राज्य के विधि विभाग ने इसकी याचिका तैयार करने के लिए तीन अधिवक्ताओं का एक पैनल बनाया है। सरकार इस मामले में सात माह के अंतराल के बाद अपील दायर करेगी, जबकि निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए निर्धारित अवधि तीन महीनों की ही है। इस मामले में हुई समय की इस चूक की वजह से राज्य सरकार को अपील दायर करने के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति लेनी होगी। गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में व्यास को अधिवक्ता अल्पेश कोगजे के साथ सहायक लोक अभियोजक नियुक्त किया गया है, जबकि वरिष्ठ वकील प्रशांत देसाई विशेष लोक अभियोजक के तौर पर इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे। व्यास ने कहा कि इन दस दोषियों के लिए मौत की सजा की अपील के अलावा निचली अदालत द्वारा उम्र कैद की सजा पाए 22 दोषियों की सजा 24 वर्ष से बढाकर 30 वर्ष करने की अपील भी अगले सप्ताह तक दायर की सकती है। इसके साथ ही मामले के 22 आरोपियों को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को भी अभियोजन पक्ष चुनौती देगा। पिछले साल अगस्त में मामले की सुनवाई कर रही न्यायाधीश ज्योत्सना यागनिक ने माया कोडनानी को 28 वर्ष की जेल, जबकि बजरंगी को जीवन भर के लिए कैद की सजा सुनायी थी। मामले के आठ अन्य दोषियों को 31 वर्ष, वहीं 22 दोषियों को 24 वर्ष कैद की सजा दी थी। गुजरात मेें गोधरा स्टेशन के पास ट्रेन में लगी आग के एक दिन बाद राज्य भर में भड़के सांप्रदायिक दंगों के दौरान 28 फरवरी, 2002 को एक उग्र भीड़ द्वारा शहर के नरोदा पाटिया इलाके में कम से कम 97 लोग मारे गए थे।
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Old 17-04-2013, 04:53 PM   #27849
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जलवायु परिवर्तन पर प्रगति धीमी, हर देश को कदम उठाना चाहिए : मनमोहन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जलवायु परिवर्तन पर चल रही वार्ताओं में प्रगति को ‘पीड़ादायक रूप से धीमी ’ बताते हुए चिंता जाहिर की और कहा कि कार्बन उत्सर्जन के बारे में नया समझौता ‘दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा ।’ सिंह ने सभी देशों से अपील की कि वे उर्जा के बेहतर इस्तेमाल के लिये अपने अपने स्तर पर कदम उठायें । सिंह यहां स्वच्छ उर्जा पर चौथे अंतरराष्ट्रीय मंत्रीस्तरीय सम्मेलन :फोर्थ क्लीन एनर्जी मिनिस्टीरियल :का उद्घाटन कर रहे थे । उन्होंने स्पष्ट किया कि अत्यधिक मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार संपन्न देशों को जलवायु परिवर्तन की समस्या के समुचित समाधान के लिए काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि औद्योगिक देशों की प्रति व्यक्ति आय अत्यधिक है जिससे वे इस मामले में अधिक जिम्मेदारी निभाने की क्षमता रखते हैं । अमीर औद्यौगिक देशों के पास उन्नत तकनीक भी है । ऐसे में उन्हें उन्हें न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेहतर समाधान प्रस्तुत करने चाहिए।
सिंह ने कहा कि इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के उपायों के लिए वित्तपोषण के मुद्दे भी ‘यूएन फ्रेमवर्क कन्वेन्शन आॅन क्लाइमेट चेंज’ के तहत गहन बातचीत के केंद्र रहे हैं। उन्होंने कहा ‘दुर्भाग्यवश इन वार्ताओं की प्रगति धीमी है जो पीड़ादायी है। स्वीकार्य स्तर पर स्थिर वैश्विक तापमान का लक्ष्य दूर दूर तक नजर नहीं आता।’ वैश्विक स्वच्छ उर्जा आधारित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बदलाव पर चर्चा के लिए 20 अग्रेणी देशों के उर्जा मंत्री इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यूएनएफसीसीसी की प्रक्रिया किसी स्वीकार्य नतीजे पर पहुंचे और साथ ही हर देश को उर्जा दक्षता बढाने तथा स्वच्छ उर्जा को बढावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सौर उर्जा और पवन उर्जा जैसे गैर परंपरागत स्वच्छ उर्जा स्रोतों के दोहन के लिए कदम उठा रहा है और उसने देश में अक्षय उर्जा क्षमता को वर्तमान के 25,000 मेगावाट से बढा कर वर्ष 2017 तक दोगुने से अधिक यानी 55,000 मेगावाट करने का प्रस्ताव भी रखा है। सिंह ने कहा कि नए उर्जा स्रोतों पर भरोसा करने में यह तथ्य रूकावट है कि ये स्रोत परंपरागत उर्जा की तुलना में अधिक महंगे हैं। उन्होंने कहा कि सौर उर्जा की लागत पिछले दो साल में घट कर लगभग आधी हो गई है लेकिन यह लागत अब भी जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की लागत की तुलना में अधिक है। प्रधानमंत्री ने कहा ‘अगर कार्बन उत्सर्जन के कारण आने वाली लागत को देखें तो सौर उर्जा अधिक किफायती है लेकिन अब भी यह खर्चीली है।’
सिंह ने कहा कि भारत ने वर्ष 2022 तक 22,000 मेगावाट की सौर क्षमता विकसित करने के लिए ‘जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन’ शुरू किया है। उन्होंने कहा कि देश में 1500 मेगावाट की सौर क्षमता पहले ही स्थापित की जा चुकी है और 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 10,000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता भी कार्यान्वित कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर क्षमता के लिए भारत बेहतरीन प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करने तथा आवश्यक उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढावा देने के लिए उत्सुक है। यह जिक्र करते हुए कि भारत के पास ऐसे उपकरणों के उत्पादन के लिए विशाल बाजार बनने की क्षमता है, उन्होंने वैश्विक निर्माताओं से देश में ऐसी उत्पादन इकाइयां स्थापित करने का आग्रह किया। सिंह ने कहा कि भारत तटीय और गैरतटीय दोनों क्षेत्रों में अपनी पवन क्षमता का पुन:आकलन कर रहा है ताकि उर्जा के इस स्रोत के दोहन के लिए भी दीर्घकालिक योजना बनाई जा सके। उन्होंने कहा ‘ऐसा प्रतीत होता है कि पवन उर्जा के उत्पादन की हमारी क्षमता उससे कहीं ज्यादा है जैसा पूर्व में सोचा गया था। बहरहाल, यह क्षमता देश के कुछ भागों में ही केंद्रित है।’ वित्तपोषण को, स्वच्छ उर्जा के विस्तार को आगे बढाने के लिए अहम मुद्दों में से एक के तौर पर बताते हुए सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में निवेश प्रौद्योगिकी, व्यवसायिक और नियमन आधारित जोखिम पर निर्भर है। प्रधानमंत्री ने कहा ‘सब्सिडी या नियमन संबंधी प्रोत्साहन के बिना हरित उर्जा अपने दम पर व्यवहार्य नहीं है। निश्चित रूप से निवेशकों को यह प्रोत्साहन जारी रहने संबंधी आश्वासन की जरूरत है। सिर्फ बाजार से जुड़ी ताकतें इस माहौल में तब तक पर्याप्त वित्तपोषण नहीं कर सकतीं जब तक नीति में बदलाव के खतरों का समुचित समाधान न किया जाए।’ सिंह ने कहा कि भारत ने परिष्कृत उर्जा दक्षता के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है ताकि उपकरणों, इमारतों, परिवहन और उद्योगों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में उर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। उन्होंने कहा ‘हम अपने परिवहन सेक्टर में ईंधन दक्षता मानकों का उन्नयन करने की प्रक्रिया में हैं। हमने मोटर स्पिरिट में पांच फीसदी एथेनॉल मिलाना अनिवार्य करने का फैसला पहले ही कर लिया है।’ सिंह ने कहा कि भारत ‘नेशनल मिशन आन इलेक्ट्रिक मोबिलिटी’ भी शुरू करेगा और ‘क्लीन एनर्जी मिनिस्टीरियल’ की ‘बिजली चालित वाहन पहल’ से भी जुड़ेगा।
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आदमखोर तेंदुआ पिंजरे में कैद

देहरादून। उत्तराखंड में एक आदमखोर तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया गया और खेत में पड़े मिले तेंदुए के एक बीमार शावक को सुरक्षित चिड़ियाघर में भेज दिया गया । आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि पौड़ी जिले के पातल गांव में आतंक का पर्याय बन गये एक तेंदुए को वन विभाग ने कल पिंजरे में कैद कर दिया । इस गांव में 15 मार्च को तेंदुए ने 75 वर्षीय एक वृद्धा को मार डाला था । चार अप्रैल को 11 वर्षीय एक बच्ची को भी संभवत: इसी तेंदुए ने बिजौली गांव में शिकार बना लिया था । पिंजरे में कैद किये गये नर तेंदुए की उम्र करीब 10 वर्ष है और उसका एक दांत घिसा हुआ है । इससे संकेत मिलता है कि उसी ने वृद्धा और बालिका का शिकार किया होगा । उधर, एक अन्य घटना में, दस दिन के बीमार पड़े मिले तेंदुए के एक शावक को नैनीताल चिड़ियाघर भेज दिया गया । सूत्रों ने बताया कि शावक को डायरिया होने का अंदेशा लग रहा है जिससे उसकी जान को खतरा हो सकता है । पशु चिकित्सकों की एक टीम उसकी देखभाल कर रही है।
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