29-04-2013, 07:17 AM | #28821 |
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न्यूयार्क। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने अमेरिका के एक हवाई अड्डे पर खुद को थोड़े समय के लिए रोके रखने के मामले में आरोप लगाया है कि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उन्हें भारत के बाहर ‘बदनाम करने’ की साजिश रची। खान ने यह भी दावा किया कि भारत लौटने पर उनके और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पक्ष सुनने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव केंद्र की संप्रग सरकार को समर्थन जारी रखने को लेकर विचार करेंगे। उन्होंने भारत रवाना होने से पहले कहा, ‘हमारे नेता जानते हैं कि क्या हुआ और इसके पीछे कौन है। वह संप्रग सरकार को समर्थन जारी रखने पर जल्द विचार करेंगे।’ चेन्नई में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के साथ अखिलेश की मुलाकात के संदर्भ में खान ने कहा कि अन्नाद्रमुक और पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के साथ तीसरा मोर्चा गठित करने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ऐसा मोर्चा बनने पर मुलायम सिंह इसका नेतृत्व करेंगे और वह देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। आजम खान ने इस बात पर जोर दिया कि हवाई अड्डे पर रोके जाने के मामले में उनकी स्थिति की तुलना कलाम, शाहरूख, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत हरदीप सिंह पुरी और वाशिंगटन में पूर्व राजदूत मीरा शंकर की स्थितियों से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, ‘यह एक साजिश का नतीजा था, क्योंकि मैं भारत का एक गैर कांग्रेसी ताकतवर मुस्लिम नेता हूं और उन्होंने (खुर्शीद) भारतीय कैबिनेट मंत्री के अपने रूतबे का इस्तेमाल करके बड़ी चालाकी से आंतरिक सुरक्षा विभाग की मदद से योजना बनाई।’ आजम खान ने कहा, ‘बोस्टन लोगान अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मुझे रोके जाने की तुलना पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अभिनेता शाहरूख खान के मामलों से नहीं की जा सकती, क्योंकि मुझे खुर्शीद और उनकी मंडली ने निशाना बनाया है, जिनके पास मुझे भारतीय सरजमीं पर चुनौती देने की हिम्मत नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘जब हवाई अड्डे के अंदर मुझे रोका गया , तो भारतीय महावाणिज्य दूत के प्रोटोकॉल अधिकारी वहां बिल्कुल मूकदर्शक बने हुए थे। वे हमें वहां लेने आए थे। मुझे लगता है कि उन्हें उनके वरिष्ठ लोगों ने दूर बने रहने की हिदायत दे रखी थी।’ खान ने कहा, ‘45 मिनटों तक मुझे राके रखने के दौरान प्रोटोकॉल अधिकारी न्यूयार्क स्थित महावाणिज्य दूत और राजदूत निरूपमा राव से संपर्क कर सकते थे। परंतु किसी ने मुझे परेशानी से बाहर निकालने के लिए एक शब्द भी नहीं बोला। मुझे खुद ही इस समस्या से लड़ना पड़ा।’ उन्होंने कहा, ‘सलमान खुर्शीद के विदेश मंत्री रहते आप कैसे यह उम्मीद कर सकते हैं कि भारत सरकार इस मामले पर विरोध दर्ज कराएगी? अगर आप नहीं जानते हैं कि खुर्शीद क्या हैं, तो मुझे माफ करिए ... उन्होंने मुझे अपने राज्य में बदनाम करने का प्रयास किया और बुरी तरह नाकाम रहे। वह भारत के विदेश मंत्री होने के लायक नहीं हैं।’ आजम खान ने कहा, ‘मुझे 45 मिनटों तक एक बेंच पर बैठाए रखा गया। मैंने सवाल किया कि 12 लोगों के प्रतिनिधिमंडल में से सिर्फ मेरे साथ ऐसा क्यों किया गया, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला। मैंने उनसे पूछा कि मैं मुसलमान हूं, इसलिए आप मुझ पर संदेह कर रहे हैं। मुझे एक कमरे में ले जाया गया, जबकि दूसरे लोगों को जाने दिया गया, जिससे मैंने बहुत अपमानित महसूस किया। मुझसे इस मामले पर माफी भी नहीं मांगी गई।’ खान ने कहा कि उनके पास मौजूद राजनयिक पासपोर्ट भी काम नहीं आया और आव्रजन अधिकारियों ने इसका सम्मान नहीं किया। उन्होंने कहा कि उनके बाहर आने तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हवाई अड्डे पर उनका इंतजार किया। आजम खान ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से बयान जारी करने के सिवाय केंद्र सरकार के किसी जिम्मेदार पद पर बैठे किसी व्यक्ति ने इस घटना की निंदा की? क्या यह अजीब नहीं है? मैं पहले भारतीय नागरिक हूं और नेता बाद में। अगर किसी दूसरे देश का नागरिक अथवा कोई बड़ा पद संभालने वाला व्यक्ति इस तरह से अपमानित किया जाता तो वह देश ऐसे चुप रहता।’ उन्होंने पूरी घटना का ब्यौरा देते हुए कहा कि जब एक वह एक आव्रजन काउंटर पर पहुंचे तो एक अधिकारी ने उनका राजनयिक पासपोर्ट ले लिया और उन्हें एक कक्ष में भेज दिया गया। खान ने कहा, ‘मेरे अमेरिका रवाना होने से सिर्फ 24 घंटे पहले अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने बहुद्देशीय वीजा 10 साल के लिए जारी किया था। क्या उन्होंने पृष्ठिभूमि को लेकर कोई जांच नहीं की थी? उन्होंने मेरी पत्नी और बच्चों को भी 10 साल के लिए बहुद्देशीय वीजा जारी किया।’ उन्होंने कहा, ‘45 मिनट के बाद अधिकारी मेरे पाए आए और कहा कि यह आपका पासपोर्ट है और अब आप जा सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं तब तक हवाई अड्डे से नहीं जाऊंगा जब तक आप मुझे यह नहीं बताएंगे कि मुझे क्यों रोका गया था। उन्होंने मेरे साथ खराब बर्ताव किया और अपमानित किया। मैंने उनसे यह भी कहा कि मैं अमेरिका में कदम रखने से इंकार करता हूं और अपने देश लौटना चाहता हूं।’ खान ने कहा कि एक महिला अधिकारी उनके पास आई और कहा कि जो कुछ हुआ, उसे भूल जाइए और अपना बैग पैक करके यहां से जाइए, लेकिन उसने कोई माफी नहीं मांगी अथवा अफसोस भी जाहिर नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘वहां रोके जाने के दौरान मुझसे कोई सवाल नहीं किया गया और मेरा मानना है कि वे साजिश रच रहे थे और लेकिन वे इसे अंजाम नहीं दे सके। अगर वे मेरी जेब में व्हाइट हाउस का नक्शा डाल देते और फिर इसे बाहर निकाल लेते तो मेरे पास अपना बचाव करने के लिए कुछ नहीं होता। वे मुझसे सवाल करते कि मेरे पास व्हाइट हाउस का नक्शा कैसे आया तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होता। मुझे पूरी जिंदगी के लिए जेल भेज दिया जाता।’ उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री पूरी तरह से मेरे साथ हैं और मेरे साथ हुए इस तरह के व्यवहार से परेशान हैं। हारवर्ड विश्वविद्यालय के कार्यक्रम और वाणिज्य दूतावास के स्वागत समारोह का बहिष्कार करने का फैसला सही था।’
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29-04-2013, 07:19 AM | #28822 |
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‘फॉलोवरों’ की बाट जोह रहे ज्यादातर सरकारी विभाग
नई दिल्ली। इसे रणनीति की विफलता कहें या जनता की बेरूखी, आम आदमी से सीधे जुड़ने की मुहिम के तहत माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट ट्विटर पर कदम रख रहे ज्यादातर सरकारी विभागों को ‘फॉलोवरों’ के लिये जद्दोजहद करनी पड़ रही है । ज्यादातर सरकारी मंत्रालय बड़े जोर शोर के साथ ट्विटर पर उतरे लेकिन उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या कुछ हजार तक सिमटी हुई है जो भारत में इस माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट के इस्तेमाल करने वाले करीब डेढ करोड़ से अधिक लोगों के मुकाबले बेहद कम है । उल्लेखनीय है कि किसी ट्विटर अकाउंट की लोकप्रियता उसके फॉलोवरों पर निर्भर करती है । अपनी देरी से चल रही परियोजनाओं के लिये आलोचनाओं के घेरे में आये सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर खाते को ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने कुछ खास महत्व नहीं दिया है । मंत्रालय के अकाउंट को मात्र 4468 लोग ‘फॉलो’ करते हैं और मंत्रालय ने अब तक 193 ट्वीट किया है । ‘अतुल्य भारत’ के नारे के साथ ट्विटर की रंगीन दुनिया से जुडे पर्यटन मंत्रालय के अकांउट की भी हालत दयनीय है और यह लोगों से खुद को फॉलो करने का अनुरोध करता नजर आता है । पर्यटन मंत्रालय के ट्विटर खाते को 1116 लोग फालो करते हैं जबकि इसने अब तक 255 ट्वीट किया है । सूचना प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट को भी अभी तक कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है । मंत्रालय के ट्विटर अकाउंट ‘एमआईबी इंडिया’ को 12,137 लोग फॉलो करते है । हालांकि मंत्रालय ट्वीट करने में काफी आगे है और उसने अब तक 1,093 ट्वीट किया है । अपने ‘आलीशान शौचालयों’ के लिये विवादों में आये योजना आयोग की स्थिति थोड़ी बेहतर है और उसके 20,484 फॉलोवर हैं । योजना आयोग खुद 40 लोगों को फॉलो करता है जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शामिल हैं । ‘फॉलोवरों’ के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय, पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और विदेश मंत्रालय के ‘जन कूटनीति खंड’ के ट्विटर अकाउंट ‘इंडियन डिप्लोमेसी’ की स्थिति अच्छी है । गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान ट्विटर से जुडे पीएमओ के ट्विटर अकाउंट के ‘फॉलोवरों’ की संख्या 5,31,650 को पार कर गयी है । इसी तरह से ‘इंडियन डिप्लोमेसी’ के 78,864 प्रशंसक हैं जबकि पीआईबी के फॉलोवरों की संख्या 55 हजार को पार कर गई है । शोध संस्था आईएमआरबी इंटरेनशनल और भारतीय इंटरनेट तथा मोबाइल संघ के ताजा अनुमानों के मुताबिक देश में प्रतिदिन इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले तीन लोगों में से दो लोग सोशल नेटवर्किग वेबसाइट फेसबुक और ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं । भारत में करीब एक करोड़ 60 लाख लोग ट्विटर के सदस्य हैं । उसने कहा कि सोशल मीडिया वेबसाइटों पर ‘साइन इन’ करने वाले 60 फीसद लोग छोटे कस्बों से हैं । सरकारी विभागों के ट्वीट पर अगर नजर डाले तो इसमें जनता से एक तरफा संवाद ज्यादा नजर आता है और आम आदमी के सवालों का जवाब न के बराबर दिया जाता है । इसकी एक बड़ी वजह संभवत: केंद्र द्वारा सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए सोशल मीडिया के संदर्भ में जारी कड़े दिशा निर्देश हैं ।
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29-04-2013, 07:46 AM | #28823 |
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मितव्ययिता के चलते एनआईए के अधिकारी टैक्सी से कर रहे यात्रा
नई दिल्ली। सरकार के मितव्ययिता उपायों के चलते राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) वाहन खरीदने में अक्षम है जिसके चलते इसके अधिकारी कहीं आने जाने के लिए टैक्सी पर निर्भर रहने को मजबूर हैं। एनआईए प्रमुख ने एक संसदीय समिति को बताया कि 2012 में भोपाल, पटना और कोलकाता में तीन शाखाएं खोली गई लेकिन सरकार के मितव्ययिता उपायों के चलते उन्हें कोई वाहन मुहैया नहीं कराया गया। गृह मामलों पर संसदीय समिति को बताया गया कि इस नीति से उनके अधिकारी कहीं आने जाने के लिए टैक्सी का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं और इससे उन्हें कहीं आने जाने में बड़ी समस्या हो रही है। समिति ने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि देश की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले अपराधों की जांच करने और मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसी जरूरी मानव संसाधन और वाहन जैसे आवश्यक सुविधाओं के बगैर काम कर रही है तथा एजेंसी के अधिकारी निजी टैक्सी लेकर अपनी ड्यूटी करने को मजबूर हैं। समिति ने इस बात की पुरजोर सिफारिश की है कि एनआईए में सभी रिक्तियां जल्द से जल्द भरी जाए और एजेंसी को सभी जरूरी बुनियादी ढांचे और वाहन जैसे साजो सामान मुहैया किया जाना चाहिए। समिति ने सिफारिश की है कि वित्त मंत्रालय को सकारात्मक रूख के साथ आगे आना चाहिए और एनआईए के तीन प्रस्तावित क्षेत्रीय कार्यालयों को आवश्यक कोष मुहैया करना चाहिए। समिति ने ‘नैटग्रिड’ के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने में सरकार के ढुलमुल रवैय पर भी नाखुशी जताई। नैटग्रिड अपनी तरह की पहली परियोजना है जो खुफिया एजेंसियों और टेलीफोन कंपनियों जैसे सेवा प्रदाताओं के बीच विभिन्न डाटाबेस को जोड़ेगी ताकि आतंकवाद निरोधक क्षमताओं को बढाया जा सके। समिति ने कहा कि नैटग्रिड स्थापना का प्रस्ताव दो साल बीत जाने के बाद भी अभी तक अपने शुरूआती स्तर पर है और इसका मतलब है कि नैटग्रिड के डाटा सेंटर भवन के निर्माण में देर से संगठन के लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा आएगी। इसने कहा, ‘देर अस्वीकार्य है और परियोजना को गति पकड़नी चाहिए।’ समिति ने माना कि सरकार की ओर से कोई गंभीरता नहीं बरती गई और इसलिए यह सुझाव है कि गृह मंत्री या कैबिनेट सचिव को सभी संबद्ध मंत्रियों के साथ एक बैठक करनी चाहिए ताकि प्रक्रियागत अवरोधों को दूर किया जा सके।
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29-04-2013, 07:49 AM | #28824 |
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देश में शिक्षकों के 6.96 लाख रिक्त पदों में आधे से अधिक बिहार और यूपी में
नई दिल्ली। देश में अब भी शिक्षकों के 6.96 लाख रिक्त पदों में आधे से अधिक बिहार एवं उत्तर प्रदेश में है । देश में शिक्षकों के कुल रिक्त पदों में बिहार और उत्तरप्रदेश का हिस्सा 52.29 प्रतिशत है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर शिक्षकों के तीन लाख पद रिक्त हैं। बिहार में शिक्षकों के 2.05 लाख पद रिक्त हैं । छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की पहल के तहत बिहार में शिक्षकों के 1,90,337 पद मंजूर किये गए । राज्य में अभी भी 49.14 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के 1.59 लाख पद रिक्त है । शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की पहल के तहत 3,94,960 पद मंजूर किये गए। राज्य में 81.07 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में शिक्षकों के 61,623 पद रिक्त हैं, जबकि झारखंड में 38,422, मध्यप्रदेश में 79,110, महाराष्ट्र में 26,704 और गुजरात में 27,258 शिक्षक पद रिक्त हैं। शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की पहल के तहत पश्चिम बंगाल में शिक्षकों के 2,64,155 पद, झारखंड में 69,066 पद, मध्यप्रदेश में 1,86,210 पद और गुजरात में 1,75,196 पद मंजूर किये गए हैं। सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के मार्ग में शिक्षकों की कमी के आड़े आने पर संसद की स्थायी समिति ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूली आधारभूत संरचना में शौचालयों का विकास महत्वपूर्ण मापदंड बताये गए हैं। पश्चिम बंगाल में 52.20 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं जहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय हैं। असम में 52.13 प्रतिशत, दिल्ली में 98.67 प्रतिशत, हरियाणा में 87.43 प्रतिशत, कर्नाटक में 97.87 प्रतिशत स्कूल, ओडिशा में 38.54 प्रतिशत, राजस्थान में 75.38 प्रतिशत और तमिलनाडु में 64 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश के 35 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है । हालांकि, 94.26 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल सुविधा है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत यह व्यवस्था बनायी गई है कि केवल उन लोगों की शिक्षकों के रूप में नियुक्ति की जायेगी जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होते हैं। मंत्रालय के प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गोवा, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों में अभी तक शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं ली गई है। सीबीएसई ने तीन बार सीटीईटी परीक्षा ली और 25 राज्यों ने भी टीईटी आयोजित की है। शिक्षक पात्रता परीक्षा जून 2011 मेंं बैठने वालों में केवल 7.59 प्रतिशत पास हुए जबकि जनवरी 2012 में 6.43 प्रतिशत और नवंबर 2012 में 0.45 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए। गौरतलब है कि देशभर में सरकार, स्थानीय निकाय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के 45 लाख पद हैं। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 2012-13 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 19.82 लाख पद मंजूर किये गए हैं और 31 दिसंबर 2012 तक 12.86 लाख पद भरे गए।
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29-04-2013, 03:46 PM | #28825 |
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सरबजीत को उपचार के लिए बाहर भेजने पर फैसला करेगी पाकिस्तानी समिति
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में चार चिकित्सा विशेषज्ञों की समिति लाहौर के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को उपचार के लिए बाहर भेजने पर फैसला करेगी। समाचार चैनल जियो न्यूज के अनुसार महमूद शौकत की अगुवाई वाली इस समिति को सरकार ने आदेश दिया है कि वह इस बात का फैसला करे कि 49 वर्षीय सरबजीत को उपचार के लिए विदेश भेजा जाए या फिर विदेशी न्यूरोसर्जन को यहां बुलाया जाए। जिन्ना अस्पताल के प्रशासन को इस संदर्भ में सरकार की तरफ से औपचारिक आदेश मिल गया है। बीते शुक्रवार को हुए हमले के बाद से सरबजीत का इसी अस्पताल में उपचार चल रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों की समिति ने आज फिर से सरबजीत की जांच की और उसकी चिकित्सा जांच के नतीजों का भी अध्ययन किया। इसको लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सरबजीत का दो बार सिटी स्कैन हो चुका है। सरबजीत पर शुक्रवार को लाहौर के कोटलखपत जेल में हमला हुआ था जिसके बाद से वह जिन्ना अस्पताल में भर्ती है। वह गहरे कोमा में है और चिकित्सकों का कहना है कि उसके बचने की संभावना कम है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1990 में हुए बम हमलों में संलिप्तता के लिये सरबजीत को दोषी ठहराया गया था जिसमें 14 व्यक्ति मारे गये थे । सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह गलत पहचान का शिकार बना है।
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29-04-2013, 03:59 PM | #28826 |
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माओवादियों की दक्षिण में पैठ बनाने की कोशिश से गृह मंत्रालय चिन्तित
नई दिल्ली। माओवादियों द्वारा दक्षिण भारत में पैठ बढाने के प्रयासों से केन्द्रीय गृह मंत्रालय गंभीर रूप से चिन्तित है। भाकपा-माओवादी के कैडर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के ‘ट्राई जंक्शन’ में अपना बेस तैयार कर रहे हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भाकपा-माओवादी केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में अपने दक्षिण पश्चिम क्षेत्रीय ब्यूरो की कमान के तहत पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। उनकी योजना इन राज्यों के माध्यम से देश के पश्चिमी घाटों को पूर्वी घाटों से जोड़ने की है। अधिकारी ने कहा कि केन्द्रीय एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी के मुताबिक माओवादी अपनी गतिविधियों के क्षेत्र में विस्तार कर रहे हैं। कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के त्रिकोण यानी ‘ट्राई जंक्शन’ में अपना बेस तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में चूंकि सशस्त्र नक्सल कैडरों की संख्या काफी कम है, इसलिए अब तक उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली है, लेकिन ‘भारत में नया कार्यक्षेत्र खोलने के भाकपा-माओवादी का प्रयास गंभीर चिन्ता का कारण है।’ अधिकारी ने कहा कि इस बारे में सम्बंधित राज्यों को उपयुक्त तरीके से संवेदनशील बनाया गया है। उनके मुताबिक असम और अरुणाचल प्रदेश सीमा क्षेत्र भी माओवादी गतिविधियों के एक अन्य केन्द्र के रूप में उभरा है। अपनी आतंकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए माओवादी पूर्वोत्तर के कई अन्य विद्रोही गुटों के साथ सम्बंध स्थापित कर अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश में अनेक विद्रोही समूह सक्रिय हैं। संवेदनशील पूर्वोत्तर राज्यों में माओवादियों की उपस्थिति के गंभीर रणनीतिक निहितार्थ हैं, क्योंकि इसमें सीमा पार संभावनाओं, संपर्क, गतिविधियों या वार्तालाप की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भाकपा-माओवादी के कई मुख्य संगठन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हिस्सों में सक्रिय हैं। ये मुख्य संगठन माओवादियों की गतिविधियों के समर्थन में सक्रिय रहते हैं तथा मीडिया में उनकी ओर से प्रचार अभियान भी संचालित करते हैं।
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29-04-2013, 04:10 PM | #28827 |
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पीपली बलात्कार मामला
ओडिशा सरकार चुनौती देगी एसएटी के फैसले को कटक। ओडिशा सरकार राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एसएटी) के 23 जनवरी को दिए गए फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर रही है। इस फैसले में एसएटी ने एक पुलिस इन्स्पेक्टर को बर्खास्त करने के सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। पीपली पुलिस थाना प्रभारी अमूल्य कुमार चम्पातिरे ने नवंबर 2011 में एक दलित लड़की से बलात्कार और हत्या के प्रयास के मामले की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने से मना कर दिया था। बलात्कार पीड़ित 19 वर्षीय लड़की की छह माह तक कोमा में रहने के बाद पिछले साल जून में मौत हो गई थी। एसएटी के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला कल चर्चा में आया जब सरकार ने न्यायमूर्ति पी के मोहन्ती जांच आयोग को एक हलफनामे के जरिये इसकी सूचना दी। आयोग मामले की जांच कर रहा है। इस मामले ने बीजद सरकार को सकते में डाल दिया था और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को एक मंत्री को हटाना पड़ा था, एक आईपीएस अधिकारी का तबादला करना पड़ा था और एक पुलिस इंस्पेक्टर को बर्खास्त करना पड़ा था। एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार पुलिस इन्स्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गंभीर नहीं है। याचिका के जवाब में आयोग ने सरकार से जवाब मांगा था। इसी इन्स्पेक्टर की बर्खास्तगी का आदेश एसएटी ने रद्द किया है। दो माह का समय मांगने के बाद सरकार ने आयोग को सूचित किया कि कानून विभाग ने मामले पर विचार करने के बाद महाधिवक्ता से सभी दस्तावेज तैयार करने का अनुरोध किया है ताकि न्यायाधिकरण के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सके। अपराध शाखा ने चम्पातिरे के खिलाफ प्रथम दृष्टया आपराधिक जवाबदेही साबित होने के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज करने में जानबूझकर लापरवाही बरतने के लिए आरोपपत्र दायर किया था। लेकिन चम्पातिरे के खिलाफ सुनवाई अनुसूचित जाति जनजाति (ज्यादती निरोधक) कानून की धारा चार के तहत ही की जा सकती है और उसके खिलाफ आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है।
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‘तीसरी कसम’ पर बिहार सरकार को जल्द विवाद का हल निकलने की उम्मीद
नई दिल्ली। बिहार सरकार ने ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए राज कपूर और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म ‘तीसरी कसम’ का उपयोग करने से जुड़े विवाद का जल्द हल निकालने की उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा कि इस विषय पर फिल्म निर्माता शैलेन्द्र के पुत्र से जल्द ही बात की जायेगी। बिहार के सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री बृषण पटेल ने बताया कि राज्य में ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं के प्रचार के लिए फणीश्वर नाथ रेणु लिखित पुस्तक ‘मारे गए गुलफाम’ पर आधारित फिल्म ‘तीसरी कसम’ का उपयोग किया जा रहा है। हमारा मकसद लोगों में जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म के उपयोग पर शैलेन्द्रजी के पुत्र दिनेश शैलेन्द्र ने एक पत्र भेजा है और इसी पत्र से जानकारी मिली कि फिल्म के निर्माता शैलेंद्र बिहार के मूल निवासी थे। ‘‘ यह अच्छी बात है कि जो बात अंधेरे में थी, वह सामने आ गई। दिनेश ने कुछ आपत्ति जतायी है, हम उसका स्वागत करते हैं और हम इस विषय को जल्द ही सुलझा लेंगे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने दिनेश शैलेन्द्र से सम्पर्क किया है, मंत्री ने कहा, ‘‘ अभी बातचीत नहीं हुई है लेकिन जल्द ही उनसे बातचीत कर इस मामले का समधान निकाल लिया जायेगा।’’ मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने फिल्म के 16 एमएम प्रिंट को खरीदा था और उसे इसे दिखाने का अधिकार है। प्रिंट पुराने पड़ने और खराब होने के मद्देनजर इसे डिजिटल प्रारूप में पेश किया गया। बिहार सरकार ने ग्रामीण विकास की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने और इसका प्रचार करने के लिए पांच मार्च से एक अभियान शुरू किया गया जिसके तहत 38 जिलों के 2000 पंचायतों में ‘तीसरी कसम’ फिल्म दिखायी जा रही है। शैलेन्द्र के पुत्र दिनेश शैलेन्द्र ने बिना इजाजत लिये फिल्म प्रदर्शित करने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए राज्य के मुख्य सचिव के अलावा केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी को पत्र लिखा है। दिनेश शैलेन्द्र ने पत्र में लिखा, ‘‘ मेरे पिता भोजपुर जिले के मूल निवासी रहे हैं और बिना इजाजत लिये इस तरह से फिल्म का प्रदर्शन अन्यायपूर्ण है। इसके लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।’’ यह पहली घटना नहीं है जब ‘‘तीसरी कसम’’ कसम विवादों में आई है। दिनेश ने कहा कि कुछ वर्ष पहले सैन फ्रांसिस्को में रहने वाले उनके भाई मनोज ने बताया कि वहां तीसरी कसम फिल्म की डीवीडी में अभिनेता राजकपूर और वहीदा रहमान का नाम तो दर्ज है लेकिन फिल्म निर्माता के रूप में उनके पिता का नाम नहीं बल्कि किसी अज्ञात व्यक्ति का नाम है। फिल्म के निर्देशक के रूप में भी बासु भट्टाचार्य का नाम नहीं है। दिनेश ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है, तीसरी कसम उनके पिता के दिल के काफी करीब थी । वह इस फिल्म के जिये और अंत समय में भी इसका नाम उनकी जुबान पर रहा। दिनेश शैलेन्द्र की आपत्तियों के बाद इस फिल्म का प्रदर्शन कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री नितिश मिश्रा ने कहा कि यह योजना वास्तव में राज्य के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने शुरू किया है जिसमें इस फिल्म के माध्यम से ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। उनके मंत्रालय का इस योजना से कोई सीधा वास्ता नहीं है। फिल्म ‘तीसरी कसम’ का प्रदर्शन आडियो वीडियो सचल वैन के माध्यम से किया जा रहा है और अब तक 650 पंचायतों में इसका प्रदर्शन किया जा चुका है।
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29-04-2013, 04:13 PM | #28829 |
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बिहार में कांग्रेस की शक्ति बढ़ाने की कवायद शुरू
पटना। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी के तहत प्रदेश कांग्रेस ने बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने बताया कि समर्पित कार्यकर्ताओं को लेकर प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में बूथ स्तर पर दस सदस्यीय एक समिति का गठन किया जाएगा। इससे कांग्रेस उम्मीदवारों को समर्पित और जुझारू कार्यकर्ताओं का सहयोग प्राप्त होगा। नवनियुक्त कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी की पसंद हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए चौधरी ने जिलाध्यक्षों और विधानसभा चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों के साथ विचार मंथन का दौर शुरू किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पूरी प्रक्रिया राहुल की कड़ी देखरेख में चल रही है। पार्टी नेतृत्व ने दिखावे के सहारे चलने वाले नेताओं को दरकिनार करते हुए समर्पित कार्यकर्ताओं बढ़ावा देने का निर्णय किया है। बिहार में दो लोकसभा सीटों और चार विधानसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस पर संगठन को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी है। नए प्रदेश अध्यक्ष को संगठन में नए सिरे से जान फूंकना है। 2010 में राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस ने बिहार में लालूप्रसाद की राजद से दामन छुड़ाते हुए 243 सदस्यीय विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय किया था।
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29-04-2013, 04:14 PM | #28830 |
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यौनकर्मियों के लिए पूरे देश में कल्याणकारी बोर्ड स्थापित करने की योजना
नई दिल्ली। मानव तस्करी और यौनकर्मियों के खिलाफ हिंसा जैसी सामाजिक समस्याओं का निवारण करने के मकसद से आल इंडिया नेटवर्क आफ सेक्स वर्कर्स (एआईएनएसडब्ल्यू) ने पूरे देश में कल्याणकारी बोर्ड स्थापित करने की योजना बनाई है। यौनकर्मियों के लिए काम करने वाले कई गैरसरकारी संगठनों के समूह एआईएनएसडब्ल्यू ने इन बोर्डों की स्थापान करने का फैसला किया है जिनमें यौनकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, चिकित्सक, कानूनी विशेषज्ञ और नेता बतौर सदस्य शामिल होंगे। इस समूह में शामिल एनजीओ दरबार महिला सामान्य कमेटी की प्रतिनिधि भारती डे ने बताया कि सभी राज्यों में मानव तस्करी और यौनकर्मी विरोधी हिंसा के मुद्दे पर निगरानी करने के संदर्भ में एक समान व्यवस्था बनाने के लिए इस तरह के कल्याणकारी बोर्ड जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा और तस्करी के ज्यादातर मामले में पुलिस अथवा स्थानीय प्रशासन की जानकारी में नहीं होते और ऐसे में सामुदायिक स्तर पर लोगों को ही इस समस्या का निवारण करने की जरूरत है।
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