06-05-2013, 01:29 AM | #29161 |
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स्टाकहोम। स्वीडन के प्रख्यात डिस्को ग्रुप एबीबीए को समर्पित दुनिया का पहला संग्रहालय मंगलवार को स्टाकहोम में खुलेगा। इस संग्रहालय में दर्शकों को 1970 के दशक के चार लोगों के एक समूह की आधुनिक प्रौद्योगिकी की मामूली मदद से की गई उस कोशिश की झलक देखने को मिलेगी, जिसका जादू आज तक कम नहीं हुआ है। स्टाकहोम में इस संग्रहालय का प्रचार कई दिनों से चल रहा है। अखबारों और टेलीविजन पर विज्ञापन आ रहे हैं और इसके लोगो वाहनों पर देखे जा रहे हैं। स्टाकहोम के अर्लान्डा हवाईअड्डे पर बैंड के कॉस्ट्यूम भी प्रदर्शित किए गए हैं ताकि राजधानी के इस नए सांस्कृतिक प्रतिष्ठान का प्रचार प्रसार किया जा सके। समझा जाता है कि 1970 के दशक में धूम मचाने वाले एबीबीए बैंड के चार सदस्य एग्नेथा फेल्ट्सकोग, एनी फ्रीड लिंगस्टैड, बेनी एंडरसन और जोएर्न अल्वायस इस संग्रहालय में आने वालों के साथ कभी कभार सीधी बातचीत भी करेंगे। इस बैंड के 37.8 करोड़ अल्बम दुनियाभर में बिके थे। केवल एल्विस प्रेस्ले और बीटल्स ही इस रिकॉर्ड को तोड़ पाए। बैंड की लोकप्रियता आज भी जारी है।
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06-05-2013, 01:29 AM | #29162 |
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माली में आत्मघाती हमला, पांच की मौत
बमाको (माली)। माली के उत्तरी शहर गाओ के बाहर एक मोटरसाइकिल सवार आत्मघाती हमलावर के हमले में दो सैनिकों और तीन जेहादियों की मौत हो गई। सेना वहां गश्त कर रही थी। लेफ्टिनेंट कर्नल सौलेमाने मैगा ने बताया कि गाओ से उत्तर में 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमाकोउलादजी में कल दोपहर एक बज कर करीब तीस मिनट पर तलाशी के दौरान यह घटना हुई। गाओ पर लगभग एक साल तक अलकायदा से जुड़े ‘मूवमेंट फॉर वननेस एंड जिहाद इन वेस्ट अफ्रीका’ नामक गुट का कब्जा रहा है। मैगा ने कहा कि सैनिकों ने एक स्कूटर पर एक संदिग्ध जिहादी को देखा और उसे रोका। जब वह उसकी तलाशी ले रहे थे, तब एक कार उनकी तरफ आई और कार में बैठे लोगों ने सैनिकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसी बीच मोटरसाइकिल पर सवार जिहादी ने अपनी विस्फोटक से भरी जैकेट को उड़ा दिया।
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06-05-2013, 01:30 AM | #29163 |
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कंधार में सात अमेरिकी सैनिक मारे गए
काबुल। अफगानिस्तान में सात अमेरिकी सैनिकों और नाटो नीत गठबंधन बल के एक सदस्य की कल हुई हिंसा में मौत हो गई। अफगानिस्तान में तालिबान के हमले लगातार जारी हैं। अमेरिका नीत गठबंधन ने खबर दी है कि दक्षिणी अफगानिस्तान में सड़क के किनारे हुए एक बम विस्फोट में पांच अंतरराष्ट्रीय सैनिक मारे गए। गठबंधन के प्रवक्ता कैप्टन ल्यूका कार्नियल ने पुष्टि की है कि पांचों सैनिक अमेरिकी थे। हालांकि यह नहीं बताया गया है कि विस्फोट कहां हुआ, लेकिन कंधार प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता जाविद फैजल ने बताया कि प्रांत के मैवान्द जिले में गठबंधन के गश्ती दल को निशाना बनाया गया। बाद में गठबंधन ने खबर दी कि देश के पश्चिमी हिस्से में अफगान नेशनल आर्मी के एक सैनिक ने गठबंधन सैनिकों पर गोलीबारी की, जिससे दो सैनिकों की मौत हो गई। नाम जाहिर न करने की शर्त पर दो अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि मारे गए दोनों सैनिक अमेरिकी थे। गौरतलब है कि कल ही अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक संवाददाता सममेलन में कहा कि एक दशक से भी अधिक समय से उनकी सरकार को सीआईए से जो राशि नियमित रूप से मिल रही है वह आगे भी जारी रहेगी। करजई ने यह भी कहा कि अमेरिका-अफगान द्विपक्षीय सुरक्षा करार में इसलिए देर हो रही है क्योंकि अफगानों ने करार में कुछ शर्त रखी हैं। यह करार भविष्य में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की उपस्थिति के बारे में है।
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06-05-2013, 02:31 AM | #29164 |
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इथोपिया के शांति रक्षक की अबयेई हमले में मौत : संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र। सूडान और दक्षिण सूडान के बीच स्थित विवादित अबयेई क्षेत्र में इथोपिया के एक शांति रक्षक और एक शीर्ष कबायली नेता की कल उनके काफिले पर हुए हमले में मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। संयुक्त राष्ट्र ने कल यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने कहा कि वह इस घटना की ‘कड़ी निंदा’ करते हैं। उन्होंने साथ ही दोनों देशों के बीच संघर्ष को बढ़ने से रोकने सम्बंधी प्रयास किए जाने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने बताया कि कल अबयेई में अरब मिसेरिया कबीले के लोगों ने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक काफिले को रोका और उस पर हमला कर दिया। काफिले में विरोधी नगोक दिन्का कबीले के नेता कुआल देंग मजोक भी थे, जिन्हें मार डाला गया। बान ने एक बयान में कहा कि अबयेई में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल (यूएनआईएसएफए) के दो शांति रक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए। यूएनआईएसएफए ईथोपियाई शांति रक्षकों से बना है और इसका गठन सूडान तथा दक्षिण सूडान के बीच तनाव को खत्म करने के लिए किया गया था। दोनों देशों के बीच जुलाई 2011 में हुए अपने बंटवारे के बाद से अबयेई को लेकर विवाद चल रहा है। मिसेरिया कबीले को सूडान का करीबी समझा जाता है, जबकि नगोक दिन्का दक्षिण सूडान का सहयोगी है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि महासचिव यूएनआईएसएफए काफिले पर मिसेरिया हमलावरों के हमले में नयोक दिन्का के प्रमुख और यूएनआईएसएफए शांति रक्षक की मौत की घटना की कड़ी निंदा करते हैं।
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06-05-2013, 02:32 AM | #29165 |
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लाहौर जेल में 20 भारतीय कैदी मानसिक रूप से बीमार : न्यायिक समिति
नई दिल्ली। लाहौर की कुख्यात कोट लखपत जेल में बंद 36 भारतीय कैदियों में से 20 मानसिक रूप से बीमार हैं। इस तथ्य का पता कैदियों पर बनी भारत-पाक न्यायिक समिति ने लगाया। लाहौर की कोट लखपत जेल में ही भारतीय कैदी सरबजीत सिंह पर बर्बर हमला किया गया था, जिन्होंने करीब एक हफ्ते तक कोमा में रहने के बाद दम तोड़ दिया। भारत-पाक न्यायिक समिति ने पिछले हफ्ते कराची, लाहौर, रावलपिंडी और लाहौर की जेलों का दौरा किया। समिति ने पाया कि कोट लखपत जेल में 20, रावलपिंडी की अदियाला जेल में दो और कराची की मालीर जेल में एक कैदी मानसिक रूप से बीमार है। समिति ने सिफारिश की है कि गंभीर और काफी गंभीर रूप से बीमार, मानसिक रूप से विक्षिप्त और गूंगे-बहरे कैदियों को, इस बात पर ध्यान दिए बिना उचित अस्पतालों या विशेष संस्थानों में रखा जाए, कि वे किस राष्ट्र के हैं या उन्होंने क्या अपराध किया है। समिति के समक्ष करीब 535 भारतीय कैदी प्रस्तुत किए गए। इनमें से 483 मछुआरे (जिनमें से 11 नाबालिग हैं) और आठ असैनिक कैदी कराची की मालीर जिला जेल में बंद हैं। इसके अतिरिक्त आठ कैदी अदियाला जेल में और 36 भारतीय कैदी कोट लखपत जेल में बंद हैं। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत जनवरी 2007 में गठित समिति में भारतीय पक्ष से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) ए. एस. गिल, एम. ए. खान और पाकिस्तानी पक्ष से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) अब्दुल कादिर चौधरी, नासिर असलम जाहिद और मियां मोहम्मद अजमल हैं। समिति ने सुझाव दिया कि महिलाओं, नाबालिगों, मानसिक रूप से विक्षिप्त, वृद्धों और गंभीर बीमारियों या स्थाई शारीरिक विकलांगता से पीड़ित कैदयों के मामलों पर अनुकंपा और मानवीय आधार पर विचार करने के लिए एक तंत्र की स्थापना की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त कराची जेल में बंद पाकिस्तानी कैदियों की तरह भारतीय कैदियों को भी महीने में कम से कम एक बार भारत में उनके रिश्तेदरों को फोन करने करने की इजाजत दी जानी चाहिए। समिति ने उल्लेख किया कि पाकिस्तान द्वारा साल में दो बार साझा की जाने वाली सूची से कई कैदियों के नाम गायब हैं। समझा जाता है कि ये भारतीय कैदी हैं। इसने सुझाव दिया है कि पाकिस्तान और भारत एक-दूसरे को इस बात का औपचारिक प्रमाण दें कि कहीं कैदियों की पूर्व सूची में कोई नाम छूट तो नहीं गया है, ताकि प्रत्येक पक्ष हर मामले पर विचार कर सके और दोनों पक्षों द्वारा तैयार सूचियों में खामी को कम किया जा सके। समिति ने कहा कि दोनों सरकारों के बीच हुए ‘राजनयिक पहुंच समझौते’ को अक्षरश: कार्यान्वित किया जाना चाहिए तथा गिरफ्तारी के तीन महीने के भीतर राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराई जानी चाहिए, न कि जेल की सजा पूरी होने के बाद। इसने कहा कि हर मामले में कैदियों पर लगाए गए आरोपों का पूरा विवरण और अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के फैसले की प्रति साझा की जानी चाहिए। समिति ने कहा कि पाकिस्तान की जेलों में बंद सभी भारतीयों तथा भारत की जेलों में बंद सभी पाकिस्तानी कैदियों को साल में कम से कम चार बार (फरवरी, मई, अगस्त और नवम्बर के पहले सप्ताहों में) राजनयिक पहुंच मुहैया कराई जानी चाहिए ।
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06-05-2013, 02:32 AM | #29166 |
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अब छाया कठपुतली पेश करेगी शेक्सपियर की रचनाएं
तिरूअनंतपुरम। सदियों तक रामायण की कहानियों को जन जन तक पहुंचाने के लिए मंदिर कला के रूप में विख्यात रही छाया कठपुतली कला (शेडो पपेट्री) को अब आधुनिकता का स्वरूप प्रदान करते हुए एक कठपुतली कलाकार इसके जरिए शेक्सपियर की रचनाओं का मंचन करने की योजना बना रहे हैं। यह न केवल छाया कठपुतली कला के साथ प्रयोगधर्मी होने की पहल है, बल्कि इसके जरिए इस कला को आधुनिक समाज की चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम बनाने की भी मंशा है। युवा दर्शकों को इस कला के प्रति आकर्षित करने के मकसद से शेक्सपियर के नाटकों के साथ प्रयोग का बीड़ा उठाने वाले छाया कठपुतली कला के माहिर के. के. रामंचद्र पुलावर का कहना है कि नए प्रयोगों के लिए इस कला की पारंपरिकता या कला की शुद्धता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस कला में छाया कठपुतली कलाकार महाकाव्यों की जादुई कहानियों की विषय वस्तु को छाया कठपुतलियों के हावभाव के साथ कपड़े के स्क्रीन पर उसकी परछाइयों से पैदा करते हैं। इसमें दर्शकों को कपड़े के स्क्रीन पर कभी युद्ध का दृश्य दिखता है तो कभी राजा महाराजाओं के शानदार महल, लेकिन केरल में ‘थोलपावकुथु’ के नाम से महशूर इस कला पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं और दर्शकों की घटती संख्या, मनोरंजन के नए साधनों से मिल रही चुनौतियां तथा प्रतिभाशाली छाया कठपुतली कलाकारों के अभाव ने इसके अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। किसी जमाने में प्रदेश में मंदिरों में उत्सवों के दौरान छाया कठपुतली कला की धूम मची रहती थी, लेकिन सिनेमा, डांस, कामेडी शो और हास्य कलाकारों की बढ़ती मांग से इस कला पर नाटकीय रूप से खतरे के बादल मंडराने लगे। पुलावर कहते हैं कि नई पीढ़ी में इतिहास तथा इस कला की शानदार विरासत के बारे में जानकारी के अभाव के कारण आज हालात एकदम बदल गए हैं। केरल में ‘पुलावर’ छाया कठपुतली कलाकारों को दी जाने वाली एक उपाधि है। वह बताते हैं कि छाया कठपुतली कला दुनिया में कला का सबसे प्राचीन रूप है। यह कला मानव जाति के इतिहास जितनी ही पुरानी है। इंसानों ने उसी दिन से इस कला का अभ्यास करना शुरू कर दिया था, जिस दिन उन्हें अपने शरीर के लचीलेपन का अहसास हुआ और उसने इशारों में बात करना सीखा। वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गयी रामायण की तर्ज पर ही 12वीं सदी में कम्बन द्वारा लिखी गई ‘कम्बनरामायण’ पर आधारित इस कला का प्रदर्शन पारंपरिक रूप से प्रदेश में भद्रकाली मंदिरों में किया जाता था। पुलावर पिछले 45 सालों से केरल और प्रदेश के बाहर भी छाया कठपुतली का प्रदर्शन कर रहे हैं। वह रूस, स्वीडन, आयरलैंड, जर्मनी , यूनान, सिंगापुर, जापान तथा कई अन्य देशों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। वह कहते हैं कि युवाओं का ध्यान इस कला की ओर आकर्षित करना वास्तव में एक बड़ी चुनौती है। हम बार-बार कैसे रामायण की पुरानी कहानियों को लेकर उनके सामने जा सकते हैं, इसलिए मैंने महात्मा गांधी, जीसस और महाबली के जीवन की कहानियों को आधार बनाकर छाया कठपुतली कला को नया आयाम देने की कोशिश की है। पुलावर कहते हैं कि छाया कठपुतली कला की जड़ें वास्तव में मंदिर कला के रूप में नहीं रही हैं, बल्कि यह घुमंतू कलाकारों की कला थी, जो प्राचीन समय में इस कला के जरिए राजाओं की शान में कसीदे काढ़ते थे।
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06-05-2013, 02:33 AM | #29167 |
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बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण मतदान कराना चुनौती
क्वेटा। पाकिस्तानी प्राधिकारी हिंसाग्रस्त बलूचिस्तान प्रांत में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं। इस प्रांत में राजनीतिक दलों के कम से कम दो नेता ऐसे हैं जिनके भाई उन उग्रवादी गुटों से जुड़े हैं जो इन ऐतिहासिक चुनावों का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान में 11 मई को चुनाव होगा। देश के इतिहास में यह सत्ता का पहला लोकतांत्रिक बदलाव होगा। बलूचिस्तान में कुल 3,794 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 2,800 को ‘अत्यंत संवेदनशील’ घोषित किया गया है। इन मतदान केंद्रों में, 11 मई को होने वाले मतदान के लिए 98,600 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। बलूचिस्तान के गृह सचिव अकबर दुर्रानी ने विदेशी संवाददाताओं से कहा कि प्रशासन चुनावों के लिए सुरक्षा सहित कई मुद्दों को लेकर मुस्तैद है। साथ ही वह उग्रवादी एवं आतंकवादी गुटों की धमकियां तथा सघन कबायली प्रतिद्वन्द्विता की किसी संभावित घटना से निपटने के लिए भी तैयारियां कर रहा है। सरदार अताउल्ला मेंगल के पुत्र जावेद मेंगल की अगुवाई वाले लश्कर ए बलूचिस्तान सहित कई उग्रवादी गुट चुनावों का विरोध कर रहे हैं। जावेद के भाई और प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री अख्तर मेंगल चुनावों में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के अपने गुट का नेतृत्व करने के लिए, बरसों के आत्मनिर्वासन के बाद हाल ही में पाकिस्तान लौटे हैं। चुनाव लड़ने वालों में पीएमएल (एन) के वरिष्ठ नेता चंगेज मारी भी शामिल हैं। दूसरी ओर उनके भाई हिरबायर मारी एक उग्रवादी गुट ‘बलूच लिबरेशन आर्मी’ का नेतृत्व कर रहे हैं। इस गुट को अधिकारियों ने चुनाव प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा करार दिया है। अधिकारियों ने कहा कि कबायली प्रतिद्वन्द्विता और मतभेद बलूचिस्तान के जटिल राजनीतिक परिदृश्य को दिखाते हैं। पाकिस्तान के कुल भूभाग का आधा हिस्सा इस प्रांत में आता है, लेकिन आठ करोड़ से अधिक मतदाताओं में से इस प्रांत में केवल 33 लाख मतदाता ही रहते हैं। क्वेटा के पुलिस प्रमुख मीर जुबैर महमूद ने कहा कि प्रांत में एक अप्रैल से हिंसा की 18 घटनाएं हुई हैं। इनमें आईईडी विस्फोट और ग्रेनेड हमले शामिल हैं। सर्वाधिक भीषण हमला वह था जिसमें पीएमएल (एन) के नेता सनाउल्ला जेहरी, उनके पुत्र, भाई और भतीजे को निशाना बनाया गया। महमूद के अनुसार, एक अन्य हमला झाल मगसी में किया गया, जिसमें प्रत्याशी की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि लेकिन हम लक्षित अभियान चला रहे हैं। हमारी कोशिश है कि चुनाव में समस्या उत्पन्न करने वाले किसी को भी न बख्शा जाए। बलूचिस्तान के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नवाब गौस बख्श बारोजई का दावा है कि उनकी बड़ी सफलता वर्ष 2008 के चुनावों का बहिष्कार करने वाले बड़े राष्ट्रीय दलों को इस बार चुनाव में भाग लेने के लिए राजी करना थी। बारोजई ने कहा कि लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हमें हमारी कबायली व्यवस्था से आगे बढ कर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में बदलना होगा। बलूचिस्तान में आम तौर पर मतदान का प्रतिशत कम ही रहा है। वर्ष 2008 में यह प्रतिशत केवल 30.9 ही था। स्थानीय पर्यवेक्षक मानते हैं कि अगले सप्ताह होने जा रहे आम चुनावों में यह प्रतिशत और कम हो सकता है। एक वरिष्ठ पत्रकार शहजादा जुल्फिकार ने कहा कि सरकार चुनाव कराने और वह भी शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए तैयार है। यहां सेना सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अलगाववादियों का इरादा चुनाव का बहिष्कार करने का है, ताकि दुनियाभर में यह संदेश जाए कि स्थिति सामान्य है। उन्होंने कहा कि इस बार मतदान का प्रतिशत 10 से 12 के आसपास रह सकता है। अन्य की भी राय है कि हिंसा की धमकी के कारण बड़ी संख्या में मतदाता 11 मई को होने वाले चुनाव से खुद को अलग रख सकते हैं।
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06-05-2013, 02:33 AM | #29168 |
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सोमाली राजधानी में बम विस्फोट से कई मरे : पुलिस
मोगादीशु। सोमालिया की राजधानी में एक व्यस्ततम इलाके में विस्फोटक से लदी एक कार को एक आत्मघाती हमलावर ने सरकारी कर्मचारियों के काफिले में घुसा दिया जिससे विस्फोट होने पर कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। पुलिस अधिकारी मोहम्मद अदेन ने बताया कि विस्फोट बड़ा था जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। हम ब्यौरा जुटा रहे हैं, लेकिन मारे गए लोगों की संख्या करीब 11 है। एक गवाह ने बताया कि उन्होंने कम से कम आठ शव देखे हैं, लेकिन समझा जाता है कि हमलावर ने जिस सरकारी कार को निशाना बनाया। उसके अंदर बैठे लोग बच गए हैं।
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मलेशिया में अपने नेता के सिर मुंडाने से सिख नाराज
सिंगापुर। आम चुनावों में धन के प्रयोग के विरोध में मलेशिया के उत्तरी शहर जॉर्ज टाउन स्थित एक चीनी मंदिर में सिर मुंडाने वाले एक स्थानीय सिख नेता से वहां का सिख समुदाय नाराज हो गया है। आम चुनावों में धन के उपयोग के विरोध में दातुक केरामत राज्य सीट से उम्मीदवार जगदीप सिंह देव ने आम चुनावों में प्रचार कर रहे दूसरे चीनी उम्मीदवारों के साथ मिलकर जॉर्ज टाउन के केक लोक सी मंदिर में अपना सिर मुंडा लिया, लेकिन देश का सिख समुदाय जगदीप के इस कदम से नाराज हो गया है। जगदीप मलेशिया के प्रतिष्ठित वकील और विपक्षी नेता करपाल सिंह के बेटे हैं। मलेशिया में आम चुनाव हो रहे हैं। गुरूद्वारा साहिब कंगर के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह ने जगदीप के इस कदम को सिख पंथ का अपमान करार दिया, जिसमें केश काटने या सिर मुंडाने को सही नहीं माना जाता। प्रीतपाल ने कहा कि जगदीप धन की राजनीति के खिलाफ अपने आंदोलन को आगे ले जाने के लिए अपने ही धर्म के मूल सिद्धांतों को भूल गए। द न्यू स्ट्रेट टाइम्स की खबर के अनुसार प्रीतपाल ने कहा कि बिना किसी चिकित्सकीय कारण के, अपने केश कटवाना या सिर मुंडाना अस्वीकार्य है। यह तब और गलत है जब उनके जैसा जन नेता ऐसा करे। प्रीतपाल ने कहा कि अपनी नाराजगी जाहिर करने के कई और तरीके हैं। एक सिख होने के नाते यह उनका सामुदायिक कर्तव्य है कि वह सिखों और अपने धर्म को लेकर संवेदनशील हों।
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06-05-2013, 02:34 AM | #29170 |
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मलेशिया में आम चुनाव में कांटे की टक्कर, लोगों ने डाले मत
कुआलालंपुर। ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से अब तक के सर्वाधिक कड़े चुनावी मुकाबले में मलेशिया के लोगों ने आज अपने मत डाले। लगातार 56 सालों तक सत्ता में रहने के बाद इस आम चुनाव में सत्तारूढ़ बारीसन नेशनल गठबंधन को विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही है। पूर्व उप प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के नेतृत्व में विपक्षी पकातन राकयत (जनता का गठबंधन) गठबंधन ने सत्ता में आने पर 100 दिनों के अंदर सभी उच्च शिक्षा रिणों पर छूट देने और राजमार्गों से टोल टैक्स हटाने जैसी नीतियों को अपने एजेंडे में शामिल किया है। इब्राहिम को 15 साल पहले सत्ताधारी बीएन गठबंधन ने बाहर निकाल दिया था। मुस्लिम बहुसंख्यक देश में कुल 1.32 करोड़ लोगों के पास मताधिकार हैं। प्रधानमंत्री नजीब रजक के नेतृत्व वाले सत्तारूढ गठबंधन में यूनाइटेड मलयेज नेशनल आर्गेनाइजेशन (यूएमएनओ) का प्रभुत्व है और इसमें मलेशियन चाइनीज एसोसियेशन (एमसीए) एवं मलेशियन इंडियन कांग्रेस (एमआईसी) जैसे दल शामिल हैं। करीब 2.9 करोड़ लोगों की आबादी वाले इस देश में 60 प्रतिशत मलय हैं, जो सभी मुस्लिम हैं। उनके अलावा 25 प्रतिशत चीनी मूल के लोग हैं, जो अधिकतर ईसाई एवं बौद्ध हैं और आठ प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं, जो अधिकतर हिन्दू हैं। पिछले चुनावों में मूलनिवासी भारतीयों ने बड़ी संख्या में विपक्षी गठबंधन का समर्थन किया था। एक स्वतंत्र सर्वेक्षण में सत्तारूढ़ गबंधन और विपक्षी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने की बात कही गई है। इस समय 222 सदस्यीय संसद में सत्तारूढ़ गठबंधन के सीटों की संख्या 135, जबकि विपक्षी गठबंधन की सीटों की संख्या 75 है। प्रचार के दौरान हिंसा, आगजनी की कई खबरें आती रहीं। दो मामूली विस्फोट भी हुए। सरकार ने एशिया से 18 अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को आमंत्रित किया है। देश के इतिहास में पहली बार मतदाताओं के लिए अमिट नीली स्याही का उपयोग किया जा रहा है। चुनावों में अगर विपक्ष जीतता है, तो यह अनवर के लिए उल्लेखनीय वापसी होगी। वर्ष 1998 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था और भ्रष्टाचार तथा अन्य आरोपों के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था। उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों को झूठा बताया था। वह 2004 में जेल से रिहा हुए और तब से ही विपक्ष के अघोषित नेता हैं। वर्ष 2008 के आम चुनावों में उनकी पार्टी ने संसद में एक तिहाई से अधिक सीटें जीती थीं और कई राज्यों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था।
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