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Old 27-08-2014, 11:38 PM   #21
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

उसके साथ बातचीत तो चल रही थी पर मेरी नजर बार बार उठ जाती और उसकी नजर हमेशा मैं जमीन में गड़ा हुआ पाता। बातचीत का यह सिलसिला घंटों चला, विषय तक बात पहूंचते पहूंचते मैंने अपनी पसंद का विषय उसे जीवविज्ञान बता दिया। साथ ही कुछ सवाल भी दागे जैसे अमीबा का प्रजनन कैसे होता है? परागन क्या है? आदि।

कैरियर को लेकर भी बात हुई जिसमें डाक्टर बनने की बात हुई। बात चलती रही, इस बीच उसने एक बार भी अपने पल्लू को संभालने का प्रयास नहीं किया और अंत में जब उसके चेहरे पर नजर गई तो मैं दंग रह गया, वह पसीने से बोथ थी। चेहरे से पसीना पानी बन कर टपक रहा था, ब्लाउज भींग गए थे और एक खास बात थी कि उसकी सांसे जोर जोर से चल रही थी। मैं वहां अजीब सा महसूस करने लगा। इतने देर तक इस विषम परस्थिति में बात करने का पहला अनुभव था। लगा की रगों में खून का बहाव तेज हो गया है और वह फट पड़ेगा। मैं वहां से जाना चाहता था, सो भौजी को आवाज दी,

‘‘जाहीओ’’

‘‘काहे बउआ, बैठो ने, कहते हुए वह आ गई और अन्त में इंटर की पढ़ाई जीवविज्ञान के साथ करने का फैसला हुआ।

इस बीच शाम में हम लोग तालाब के किनारे बरगद के पेंड़ के नीचे बैठना शुरू कर दिया था। इस बैठकी में गांव से लेकर सिनेमा सभी तरह की बातें होती, और यह भी योजना बनती की आज किसका आम तोड़ना है पर आज उस बैठकी में दूसरी बात ही उठ गई। बात सामदेव ने छेड़ी, वह दूसरे के घरों की खबर लाने वाला खबरीलाल था और कौन लड़की का किसके साथ चक्कर चल रहा है इस विषय का वह विशेषज्ञ था। उसकी उम्र भी हम सबसे अधिक थी।
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Old 28-08-2014, 11:43 PM   #22
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

‘‘सुनलही ने हो, मल्हूआ के बाबूजी अपन पुतौहुये से फंसल हखीन, सब दलान पर बड़का आदमी इहे चर्चा अभी कर रहलै हें’’

‘‘धत्त साल, इहे सब खबर रखें हें, इहो ने पगला गेलई हे, लंद फंद खिस्सा करते रहतै’’

मैने टोकते हुए कहा पर सामदेवा का समर्थन करते हुए कमलेश ने भी हांमी भर दी।

‘‘ सचे बात है तउ, सब तो कह रहलै हें, तोरा काहे जबूर लगो है’’ बाद में इस बात की छान बीन हुई और अपने अपने स्तर से सभी ने इस बात का पता लगाया और अन्त में उस बरगदी बैठक खाने में इस बात पर फैसला हो गया कि यह बात सही। खास कर सामदेव ने जरूरी जानकारी दी।

‘‘ जानो ही हो कल बाप बेटा में खूब लड़ाई होलइ, मल्हुआ कह रहलै हल कि हम हरियाणा कमाई ले गेलिओ और तों हमर मौगी के फुसला लेला।, अब मल्हुआ हरियाणा पंजाब नै जइतै, इम साल यहीं खेती करतै।’’

मल्हुआ के बाबूजी मास्टर साहब, सरकारी स्कूल में मास्टर थे और इसी नाम से जाने जाते थे। मास्टर के बारे में गांव के लोग अक्सर कहा करते कि जिस मास्टर ने स्कूल में बच्चों को नहीं पढ़ाया उसका बेटा भी अनपढ़ रहता है और इस बात का प्रमाण मास्टर साहब के रूप में मौजूद था। मास्टर साहब कभी समय पर स्कूल नहीं गए और गए भी तो पढ़ाया नहीं और उनका बेटा मल्हूआ गंबार है। तीन साल पहले ही शादी हुुई थी। खूब तिलक दिया गया था। कई बरतुहार आया और अन्त में नवादा जिले के नरहट में उसकी शादी हुई। बारात में खूब स्वागत किया गया और दुल्हन के बारे में गांव भर में चर्चा चली थी कि बुरबकबा मल्हूआ के कन्याय श्रीदेवी मिललै है। शादी के एक साल बाद ही मल्हूआ कमाने के लिए हरियाणा चला गया।
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Old 28-08-2014, 11:46 PM   #23
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

इस सब के बीच मैं शकून महसूस कर रहा था, मेरी चर्चा किसी के द्वारा अभी नहीं हो रही थी। शाम को वहीं बरगद के पेंड़ के नीचे बैठा था कि बाहर जाती रीना वहीं से गुजर रही थी अपनी सहेलियों के साथ, मुझे देखा तो दाग लिया गोला,‘‘खूब साली के साथ मटरगस्ती होबो है यार आज कल, पूरा राय-मशबरा देल जा है’’ मैं समझ गया रीना को राधा से मिलने वाली बात का किसी तरह से पता चल गया। हो गया फेरा, चुंकी वह अपनी सहेलियों को सुनाते हुए यह बात कही थी सो मैं चुप रहा पर एक बात समझ गया कि राधा से मिलने में आगे खतरा है। दूसरे दिन फिर से भौजी का बुलाहट आ गया और मैंने जाने से इंकार नहीं किया.....

प्यार सच्चा हो तो राहें भी निकल आतीं है
बिजलियां अर्श से खुद रास्ता दिखलाती है।

रेडियो के इस दौर में गजल की ये पंक्तियां याद हो गई थी और अपने प्यार में कोई बेइमानी नहीं हो ऐसा हमेशा प्रयास करता रहा सो राधा के बारे में मेरे मन मे कोई बुरा ख्याल कभी नहीं आया
, हां चूंकी रीना की नजर उस तरफ थी सो मुझे एक ऐसा हथियार मिल गया जिसको सान पर चढ़ा कर मैं इसकी धार को चोखा करता रहता। दूसरे दिन जब राधा के घर गया तो आठवां आशचर्य हुआ, राधा आइने के सामने बन-संवर रही थी तभी मेरी नजर उस तरफ गई, वह सिंदूर कर रही थी। बाद के दिनों में बहुत कुछ जानने का मौका मिला राधा के बारे में और वह एक फिल्मी चरित्र की तरह उभर कर सामने आई। राधा पढ़ना चाहती थी इसलिए नहीं की उसे कुछ करना है बल्कि इसलिए कि उसे अपने पति से छुटकारा चाहिए। राधा की शादी मां बाप में बचपन में गांव के बड़े किसान से कर दी थी। एक दिन बात ही बात में भौजी ने बताया भी -

‘‘ बीस पच्चीस बीधा खेत है बबलू बउआ और सोंचों की चाहि, पर इ मुंहझौंसी के दुल्हा पसंदे नै हो, कहो है गोबर ठोकबा घर में नै जइबै।’’
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Old 28-08-2014, 11:47 PM   #24
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

कुछ दिन से आने जाने से जान सका था कि राधा बहुत गंभीर लड़की है पर उसके चेहरे पर हमेशा हंसी की एक पतली रेखा तैरती रहती था पर आज अपने बहन के मुंह से दुल्हे और ससुराल के बारे में बातें सुन कर उसके चेहरे पर उदासी छा गई और लगा जैसे वह रो देगी और बोल पड़ी...

‘‘देख दीदी हमर ससुराल के बारे में कुछ बात मत कह नै तो हम यहां नै रहबै, हम्मरा इ सब नै सोहाबो है’’

काहे नै सोहाबो है
? सैंया के छोड़ देमहीं कि, की खराबी है उनखा में।’’

‘‘हां छोड़ देबै, हम कहिनों उ घर में नै जइबै’’ राधा के प्रतिकार की भाषा एकदम कठोर थी और अमूमन अपनी बड़ी बहन से शालीनता से बात करने वाली राधा आज तन कर जबाब दे रही थी।

उधर रीना को मेरा राधा के घर आना जाना नहीं सुहा रहा था और वह इस बात से चिढ़ तो पहले से ही रही थी इसका विरोध करने लगी। एक दिन आकर घर में धमक पड़ी। फूआ के सामने किताब और पढ़ाई की बातें हुई और उसके जाते ही बरस पड़ी।


‘‘खूब मस्ती हो रहलै है रधिया के साथ, हमरा ई सब नै सोहाबो है, जादे स्माट बने के कोशीश नै करींह।’’ खूब जनोहिए कि उ छौड़ी कतना मर्दमराय है’’

‘‘अउसन कोई बात नै है जे तों समझ रहलीं हें, भौजी बोलालें हकखीन त की करिये।’’
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Old 28-08-2014, 11:48 PM   #25
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

खूब बहस हुआ और अन्त में रीना का कारगर हथियार आंसू के रूप में निकल आये और मैंने आत्मसमपर्ण कर दिया। रीना ने राधा के बारे में कई बातों की जानकारी इक्कठा कर ली है और उसने ही बताया कि-

‘‘रधिया तो अपन सांय के कोहबरे दिन भगा देलकै, और ससुराल जइबे नै करो है।’’

खैर मैने माफी मांगी और राधा के पास नहीं जाने का भरोसा दिलाया पर राधा का लगाव बना रहा और बात बेबात वह मेरे घर आने जाने लगी। इतना ही नहीं जब कॉलेज जाना होता तो वह भी पता नहीं कैसे
, पीछे लग जाती। धीरे धीरे रास्तों में बातें होने लगी। बहुत ही निष्छल सा वर्तालप। रास्ते से लेकर कॉलेज तक चलता। किताबों और विषयों की ज्यादा बात होती। चुंकि राधा शादीशुदा थी सो कॉलेज में उससे बातचीत करने में कोई खास दिक्कत नहीं होती, वरना ग्रामीण माहौल के कॉलेज में लड़कियों से बात करने का मतलब होता गड़बड़ और जंगल में आग की तरह इसकी चर्चा फैल जाती। एक दिन एक दोस्त ने साथ देख पूछ लिया,

‘‘के है हो’’

मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया..


‘‘हमर कन्याय है’’

‘‘हत्त, की कहो हीं, राधा को अपनी पत्नी बताना उसे हजम नहीं हो रहा था तो हमने कहा कि राधा से ही पूछ लो और उसने जब राधा की तरफ नजर धुमाई तो उसका सिर हांमी में हिल गया। मुझे अहसास हुआ कि मैंने गलती कर दी।
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Old 28-08-2014, 11:49 PM   #26
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

उधर मैट्रीक के बाद रीना की पढ़ाई परिवार बालों ने बंद करा दी थी। गांव में उस समय चलन ही था की लड़की कॉलेज जाकर बिगड़ जाती है और फिर दशवां पास हो जाने के बाद बरतुहारी में कोई दिक्कत नहीं होती। खैर यह सिलसिला चल ही रहा था कि राधा से मांगी एक पुस्तक में से मेरे नाम लिखा एक प्रेम पत्र मिला जिसमें राधा ने मुझसे अपने प्रेम की बात बेबाकी से लिख दी। पत्र क्या था जैसे किसी चित्रकार ने उसे सजाया हो, दिल की तस्वीर से लेकर गुलाब और कमल के फुलों के बीच बबलू और राधा लिया था साथ ही साथ कई तरह के शेर।


मैं पत्र को लेकर उहापेह में रहा
, जबाब दें या नहीं, किसी कोने मे सकारात्कमक जबाब देकर लाभ उठाने की बात भी आती पर रीना का प्यार, यह तो धोखा हो जाएगा और प्यार में धोखा हो तो प्यार नहीं मिलता ऐसी समझ बना ली थी सो इस पत्र का जबाब मैंने नहीं दिया और उससे मिलना जुलना बंद कर दिया। एक दिन पत्र को रीना को पढ़ा दिया और वह आग बबुला हो गई। उसी समय उससे लड़ने जाने लगी पर मैंने यह कह कर रोक लिया कि यह मेरे तरफ से यह नहीं है और इससे हंगामा हो जाएगा। गांव में अभी अपने संबंधों को कोई नहीं जानता सो चुप रहो।

एक दिन गर्मी की दोपहर मैं अपने घर चौंकी पर सोया था। दोपहर की उस गहरी नींद से मैं अकबका कर उठ गया। लगा जैसे मेरा दम घुंट जाएगा। मेरी नींद खुली तो देखा कि सोने से पुर्व खिड़की पर रखी किताब को राधा लेने का प्रयास कर रही थी और इस प्रयास में उसके छाती मेरे चेहरे को अपने आगोश में ले रखा था और यह कुछ अधिक समय तक चलता रहा था जिससे मेरी नींद टूट गई पर उसने हटने का प्रयास नहीं किया। अजीब सा लगा। मैं लगभग उसे ढकेलता हुआ हटाया पर वह मुस्कुरा रही थी। अब समझा
, उसके प्रेम पत्र का जबाब नहीं देना खतरनाक हुआ और उसने इसे मेरी हामी समझ ली। मेरे घर में आज कोई नहीं था और वह कमरे में आ गई थी
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Old 28-08-2014, 11:50 PM   #27
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इस प्रेम त्रिकोण का अंत करना ही मुझे श्रेष्यकर लगा और मैं मन ही मन सोंच रहा था कि रधिया को रीना के बारे में सब कुछ बता दूं पर उसके चेहरे के हाव-भाव और उसके प्रेमपूर्ण व्यवहार की वजह से मैं ऐसा करने का हिम्मत नहीं जुटा सका पर मैंने उसे इस तरह की हरकत करने से यह कह कर रोक दिया कि यह सब ठीक नहीं है। पर रधिया पर प्रेम की खुमारी थी सो वह थोड़े गुस्से में बोली-

‘‘ की खराबी है, प्रेम करो हियय बुराई की है।’’

‘‘समाज एकरा ठीक नै मानों है’’ मैं ऐसा कह ही रहा था कि वह वहां से हंसती हुई भाग गई पर जब वह मेरे घर से निकल रही थी तभी रीना आ गई, लगता है किसी तरह से उसने उसे मेरे घर में देख लिया और आते ही घर से निकल रही रधिया को रोक कर उस पर बरस पड़ी।

‘‘आंय गे छौंड़ी, कुछो शरम नै हौ, अपन गांव से दुसरको के गांव आके इहे सब करमहीं।’’

‘‘की इहे सब करमहीं, की कइलिऐ हें’’ रधिया भी भड़कते हुए जबाब दिया। उसे क्या पता कि रीना सब कुछ जानती है और उसने उसका प्रेम पत्र भी पढ़ लिया है सो वह उससे कड़क कर बोलना चाही पर रीना ने जो जबाब दिया तो वह सकपका कर भाग गई। रीना ने उसे कहा कि जा कर दीदी को तुम्हारा प्रेम पत्र दिखातें है और राधा समझ गई की यह सब कुछ जानती है। खैर मेरे लिए राहत की बात यही थी रीना को मैंने बता दिया था और जब रीना मेरे घर आई तो वह नाराज इस बात से हो गई कि मैं रधिया को अपने संबंध के बारे में क्यों नहीं बताता, तब रीना को मैंने समझाया कि अभी तक तो अपने बारे में गांव में कोई नहीं जानता पर जैसे ही उसे बताउंगा सब जान जाएगे, पर रीना में मुझसे ज्यादा साहस था सो उसने तन कर जबाब दिया,
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Old 28-08-2014, 11:52 PM   #28
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‘‘ तब केकरा परवाह है, डरो हिययै की किकरो से, प्यार किया तो डरना क्या।’’

रीना का यह एक साहसिक अंदाज था जिसने मुझे हिम्मत दिया। मैं रीना को कुछ समझा पाता इससे पहले ही रूठ गई कि कहीं तुम्हारे मन में भी तो पाप नहीं। रीना को मैं यह कैसे समझा पाता कि मन में पाप रहता तो अभी कुछ क्षण पूर्व जहां था वहां जीवन के अलौकीक आनंद में गोंता लगा रहा होता पर मेरे मन में पाप होने की बात जैसे ही रीना ने कही वैसे ही मन के किसी कोने में यह आवाज आने लगी कि कहीं यह बात ही तो सच नहीं। मेरे मन में पाप नहीं होता तो उसे बता ही देता पर छुपाने का यह बहाना
, बहाना ही तो है। मैं भी सोंचने लगा शायद ऐसा कुछ है। खैर रीना चली गई थी रूठ कर, पर मैं जानता था कि वह कैसे मानेगी। रीना को मनाने और रिझाने का कई तरीका हमेशा आजमाता रहा और इसी में से एक तरीका आज अहले सुबह चार बजे हाथ आ गया। हुआ यूं कि सुबह सुबह कॉलेज के मैदान में दौड़ने जाता था जिसमें कई दोस्त साथ भी होते थे पर आज सुबह जैसे ही घर से निकला देखा रीना के घर में हंगामा मचा हुआ है। कौतुहलवश चला गया।

‘‘की होलई ?’’

‘‘सांप है’’
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Old 28-08-2014, 11:53 PM   #29
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रीना ने जबाब दिया, देखा वह एक कोने मे दुबकी हुई है और घर के लोग लाठी और गड़ासा लाने के लिए गुहार लगा रहे थे। जीवविज्ञान का छात्र होने की वजह से मैंने सांपों के बारे में खूब अध्ययन किया था और कौन सा सांप विषैला है और कौन सा विषहीन मैं बता सकता था और इस वजह से गांव मंे कभी कभी यदि विषहीन सांप दिख जाता तो उसे पकड़ लेता था और दोस्तों को डराता जिसमें हड़होड़ मामू और डोरबा सांप प्रमुख था। आज रीना के घर में उसे प्रभावित करने का एक मौका मिल गया था। सांप चापाकल के बगल में बैठा था और उसके मुंह में मेंढ़क थी। मेंढ़क की आवाज से ही लोग जान सके थे की सांप है। मैं वहां गया और देखने का प्रयास किया कि सांप कहां है पर वहां हल्का अंधेरा था और सांप बहुत बड़ा, लगभग तीन चार-फीट और मोटा भी। मैंने अनुमान लगाया कि धामिन सांप होगा जो कि विषहीन है। बस क्या था मैं रीना और उसके घर वालों को इम्प्रेस करने के लिए जब तक कोई कुछ समझ भी पाता तब तक सांप को गर्दन और पूंछ की तरफ से पकड़ा और लेकर निकल गया।

रीना के घर में कोहराम मच गया। रीना की मां और रीना रोने लगी पर मैं आब देखा न ताब सांप को पकड़कर घर से बाहर चला गया, पर घर से बाहर आने पर मेरा रोंआ रोंआ सिहर गया। बाहर हल्की रौशनी होने की वजह से मैं सांप को पहचान गया। वह गेहूमन सांप था, नाग। एक दम विषैला। मैं कांप गया। डर के मारे शरीर में सच की सिहरन उस गर्मी के मौसम में होने लगा थी पर मैंने साहस नहीं छोड़ा और सांप को पकड़े रहा बल्की उसकी गर्दन पर मेरी पकड़ और कड़ी हो गई। मैं दौड़ता हुआ भागा जा रहा था और थोड़ी दूर पर स्थित एक खेत में सांप को जोर से फेक दिया और दौड़ता हुआ भाग गया।
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कॉलेज से दौड़ कर आया तो घर में कोहराम मचा हुआ था। फूआ गरम थी और उसके बगल में रीना की मां भी बैठी हुई थी।

‘‘कोढ़ीया, उमता गेलहीं हे। सांपा के पकरो हीं, हीरो बनोहीं’’ फूआ कह रही थीं वहीं रीना की मां भी समझाने लगी,

‘‘हां बबलु बउआ, ई की करो हो, हमर घर में तो देखों कोहराम मच गेलई, कुछ हो जाइते हल तब बोलहो हमहीं ने बदनाम होतिओ हल।’’
मैं चुप रहा।

उधर, रीना का गुस्सा भी सांतवें आसमान पर था इस बात की मुझे गारंटी थी पर कई घंटों तक वह जब नजर नहीं आई तो इसकी पुष्टी हो गई।

रीना को रिझाने के लिए बचपन से ही कई तरह की हरकत करता रहा हूं। इसी कड़ी में कभी घर के सामने स्थित तलाब, जिसे एक बार तैर कर पार करना अच्छे अच्छे तैराक के लिए मुश्किल होता, मैं तीन चार-बार लगातार तैरता रहता और जब फूआ को इस बात का पता लगता तो वह घर से ही चिल्लाती,

‘‘अरे छौंड़ा उमता गेलहीं रें’’ तब बंद करता।

एक दिन ऐसा ही हुआ। शाम की बेला थी और मैं बैल को खेत से लेकर आ रहा था। धान की रोपनी का समय था। फूफा छोटे किसान थे मात्र तीन बीधा खेत थी जिसके उपज के सहारे ही सारा कारोबार जीवन का चलना था। छोटे किसानों के लिए एक जोड़ी बैल रखना मुश्किल था सो एक अन्य छोटे किसान के एक बैल के साथ भांजा करना पड़ता। दोनों की खेती मिलकर चलती। मेरा भांजा ललन राम के बैल के साथ था। हल खोल कर बैल को घर पहूंचने के लिए जा रही रहा था कि रीना के घर के पास बैल भड़क कर भाग गया और वहीं खड़ी रीना हंसते हुए बोल पड़ी,
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