12-10-2011, 04:56 PM | #21 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
"अरे यार!..मैँ खुद कुछ नहीं कमा रहा...कसम से"... "लेकिन मैँने फोकट में काम करना छोड़ दिया है"मेरा दृढ़ स्वर... "सोच लो!...ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते...खुद...मंत्री जी ने खास तुम्हारी डिमांड की है"... "म्म..मंत्री जी ने?"... "और नहीं तो क्या संतरी जी ने?"... "दरअसल!...बात ये है कि लालकिले वाले मुशायरे में तुमने उस विरोधी पार्टी के नेता की बखिया उधेड़ी थी ना"... "तो?"... "बस!...तभी से मुरीद हो गए हैँ तुम्हारे...सीधा कहने लगे कि तनेजा को ज़रूर बुलाना...घणा एण्डी लिखे सै"... "मंत्री जी ने खुद ऐसा कहा?"... "और नहीं तो क्या?" ... "लेकिन मुझे तो दवाई लेने भी जाना था"... "और हाँ!...राखी सावंत का आईटम नम्बर भी रखवाया है"... "राखी सावंत का?"... "हाँ भय्यी!...राखी सावंत का...खास...तुम्हारे लिए"... "ठीक है!...तो फिर मैँ टाईम पे पहुँच जाऊँगा"... "और दवाई?".. "कोई बात नहीं...कुछ तबियत तो उसका नाम सुनते ही ठीक हो गई है" ... "हा हा हा ....और बाकि उसके ठुमके देख के अपने आप हो जाएगी" "जी!...बिलकुल" |
12-10-2011, 05:25 PM | #22 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
मजा आ रहा है, किस्सा दिलचस्प होता जा रहा है तारा बाबु
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10-11-2011, 10:08 PM | #23 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
जब मुस्कराती हैं बेटियां-vikas bansal
बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती हैं बेटियाँ नाज़ुक सा दिल रखती मासूम सी होती हैं बेटियाँ बात बात पे रोती नादान सी होती हैं बेटियाँ घर महक उठता है जब मुस्कराती हैं बेटियाँ एक नहीं दो दो कुल की लाज़ होती हैं बेटियाँ जो नहीं छुपा किसी से वो राज होती हैं बेटियाँ फूलों का गुलदस्ता महकती फुलवारी होती हैं बेटियाँ बनते हैं भाई और बाप जो होती हैं बेटियाँ आते ना हम और आप जो ना होती बेटियाँ माँ से जयादा बाप की प्यारी होती हैं बेटियाँ लड़के होते राजा तो राजदुलारी होती हैं बेटियाँ घर घर में लक्ष्मी जी का वास होती हैं बेटियाँ माँ बहन दादी चाची ताई का अहसास होती हैं बेटियाँ पूजा की थाली में जैसे चन्दन रोली होती हैं बेटियाँ शादी की शहनाई और डोली होती हैं बेटियाँ शर्म लाज़ ममता होती हैं बेटियाँ दुर्गा काली की शक्ति और शमता होती हैं बेटियाँ होता दिल दुखी जब घर से विदा होती हैं बेटियाँ दुआ मेरी सबको मिले इस जंहा में बेटियाँ
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मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
11-11-2011, 11:42 PM | #24 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
बहुत अच्छे तारा बाबु
पर पिछला किस्सा कुछ अधुरा रह गया मालूम होता है
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11-11-2011, 11:52 PM | #25 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
हाँ मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा, लेकिन मुझे मिला ही इतना था ...............
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11-11-2011, 11:55 PM | #26 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
बोली बम कैसे बनायें?
शंशाक जौहरी बम मनुष्य द्वारा बनाया गया एक ऐसा पिंड होता है जो विरोधी के ऊपर निशाना कर के फेंका जाता है और वह धमाके की आवाज के साथ जब फटता है तो विरोधी यातो मर जाता है या अधमरा और किम्कर्तव्य विमूढ़ हो जाता है. ऐसी स्थिति में वह बम फेकने वाले का कुछ बिगड़ तो नहीं पाता लेकिन उसे कोस सकता है और भद्दी गलियां दे सकता है ! बम का इतिहास जानने की आवश्यकता नहीं है लेकिन उसकी शक्ति बारे में जान लेना चाहिए. बम कई प्रकार के होते हैं जैसे हथगोला, सुतली बम, टाइम बम, रासायनिक बम, जैविक बम, परमाणु बम और बोली बम. यद्द्य्पी बोली बम के अलावा सभी बम बनाने के लिए बहुत अधिक तकनीक जानने की आवश्यकता होती है लेकिन बोली बम बहुत ही आसानी से बन जाता है! बोली बम का एक लाभ यह भी है की यह दूसरे बम की तरह किसी मेटल डिटेक्टर आदि से पकड़ा नहीं जा सकता और चलाने वाले के हाथ में नहीं फटता है. सामान्यतह जब कोई बम फेंका जाता है तो जिस पर बम गिरता है वह बच कर भागने की कोशिश करता है लेकिन बोली बम में खासियत यह है की यह जिस पर फेंका जाता है वह इसे पकड़ने की कोशिश करता है. सामान्यतः इसका प्रयोग जनता में अपनी आवाज की गूँज सुनाने के लिए किया जाता है. इस बम का शिकार होने के बाद मनुष्य अपनी सोच समझ खो बैठता है और बम फेकने वाले को गन्दी गन्दी गलियां देता हुआ बम फेकने वाले को ढूँढने का प्रयास करता है लेकिन वह उसे देख कर भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. बोली बम फेकने वाले को बम फेकने के बाद भागने की भी आवश्यकता नहीं होती बल्कि मीडिया उसे सुरक्षा पूर्वक अपने स्टूडियो लेजाकर उसका साक्षात्कार लेता है और उसकी बात जनता तक पहुंचता है. बोली बम बनाने में प्रयोग सामग्री बोली बम बनाने के लिए आपको जो रसायन और सामग्री चाहिए वह इस प्रकार है: १. डाई हैड्रोजन मोनो अक्साइड २. कल्शियम ३. एथिल अल्कोहल ४. फटे पुराने जूते चप्पल ५. उल्लू के ठप्पे बम बनाने की विधि यह बम बनाना बहुत ही आसान है. बम बना कर तुरंत ही चलाना होता है अतः पहले अपना टार्गेट सेट कर ले कि किसे निशाना बनाना है. यदि कभी कभार आप जनता में हीरो बनना चाहते हैं तो यह बम आप खुद बना कर चला सकते हैं लेकिन अगर रोज या आये दिन आप इसे चला कर जनता में अपनी पहचान बना कर रखना चाहते हैं तो आपको कुछ उल्लू के ठप्पे ढूंढने होंगे.... जिस प्रकार एक बड़ी राजनितिक पार्टी ने ढून्ढ कर रक्खा है जो आये दिन टी वी पर दिखाई देता है... डाई हैड्रोजन मोनो अक्साइड को सामान्य भाषा में पानी कहते हैं बम चलने से पहले इसे पीलेना चाहिए ताकि चलाने के बाद थकान न हो . इसके बाद कल्शियम जिसे आम भाषा में चूना कहते हैं इसका सेवन कर लेना चाहिये.. आम तौर पर यह पान मसाला या गुटखा में पाया जाता है. अब किसी ऐसे स्थान पर जाईये जहाँ मीडिया का कैमरा हो या इन्टरनेट के माध्यम से आपकी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके. अब भीड़ भाड़ वाले इलाके में किसी शरीफ आदमी को जिसका कोई अपराधिक रिकोर्ड नहो उसपर अपनी भाषा में गालियों के साथ बोली बम का प्रयोग कर दीजिये.. अगर संभव हो तो फटे पुराने जूते चप्पल के साथ बोली बम का प्रयोग कर सकते हैं.. ध्यान रहे की इस बम को चलते समय यदि मीडिया का कैमरा न हो तो उसका इन्तजार करना चाहिए वरना बम का असर कम होता है. बम चलने के बाद अगर आप पकडे भी जाते हैं तो पुलिस थाने लेजा कर छोड़ देगी और फिर आप अनेकों टी वी चैनेल्स पर इंटरव्यू देते हुए अपनी बात जनता तक पंहुचा सकते हैं.. अभी हाल ही में बोली बम का प्रयोग कुछ लोगों ने प्रशांत भूषन और अरविन्द कजरीवाल के ऊपर किया था जो बहुत ही सफल रहा. आप सोच रहे होंगे की आपने जो एथिल अल्कोहल लिया था उसका प्रयोग तो हुआ ही नहीं.. तो भाई यह एथिल अल्कोहल सामान्य भाषा में शराब कहलाती है जिसे बम का प्रयोग करने के बाद आप सेवन कर सकते हैं.. इससे विरोधी की गालियों का प्रभाव ख़तम हो जाता है. आशा है आपको यह बोली बम का फ़ॉर्मूला पसंद आया होगा.. याद रखिये राखी सावंत और अपने डोग्विजय जी इसी बम के सहारे महान बने हुए हैं..तो मुझे धन्यवाद देकर शुरू हो जाईये..अगर आप बहुत बीजी हैं तो इसका प्रयोग करवाने के लिए एक दो उल्लू के ठप्पे ढूंढ लीजिये.. अगर यह शब्द समझ में नहीं आया तो अपने पडोसी से बोल कर देखिये.. ओये..उल्लू के ठप्पे इधर आ... बस वह बता देगा कि यह क्या होता है.... अब मैं आपके ऊपर बोली बम चला चूका हूँ..क्योंकि इतना समझाना भी बोली बम के बराबर होता है तो आप कोई प्रतिक्रिया दें उससे पहले मैं निकल लेता हूँ. जय लंकेश...
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11-11-2011, 11:55 PM | #27 | |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
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जितना मिला उतने में ही हमें संतुष्ट होना चाहिए
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12-11-2011, 12:11 AM | #28 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
हुकुमत तो सिर्फ कांग्रेस की ही चलेगी- शंशाक जौहरी
माना कि भारत को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए लाखों लोगों ने जान दे दी पर होशियार वह होता है जो मौके का फायदा उठा ले और यह करामत कांग्रेस के अलावा और किसे आती है? आये भी क्यों न, कांग्रेस की स्थापना सन १८८५ में सर ए ओ ह्यूम ने की थी जो ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक डायरेक्टर के पोते थे ! हमारा राष्ट्रीयगान भी कांग्रेस की ही देन है! २६ दिसंबर १९११ को कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन के दूसरे दिन ब्रिटिश शासक जोर्ज पंचम को मुख्य अतिथि बनाया गया था और उनके स्वागत में उनकी यश गाथा में यह गीत गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टगोर जी ने लिख कर सुनाया था जो अगले दिन अख़बारों कि सुर्ख़ियों में रहा..इसमें ५ अंतरे थे लेकिन बाकी में साफ़ था कि यह जोर्ज पंजम की यश गाथा है इसलिए इसके पहले अंतरे को ही राष्ट्रीय गीत बनाया गया जिसे बाद में भगवान क़ी यशगाथा के रूप में परोसा गया! शायद ईस्ट इंडिया कम्पनी क्रांतिकारियों के तेवर देख कर समझ गयी थी कि भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं है इसलिए शांतिवार्ता और मध्यस्थता के लिए कांग्रेस नाम का एक मंच बनाया गया! श्रद्धेय श्री श्री महात्मा गाँधी जो अफ्रीका में अपने अपमान का बदला लेने के लिए भारत यात्रा पर निकले थे उन्हें यह मंच पसंद आया और बाबू सुभाष चन्द्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर खेद व्यक्त कर के नेहरु को अध्यक्ष बनवाया! रिश्तों के लिहाज से जो क्रांतिकारी मदर इंडिया के लिए जान देरहे थे उन्हें फादर इण्डिया और अंकल इण्डिया मिल गए. चलिए भाई अंग्रेज किसी क्रन्तिकारी से नहीं डरे लेकिन बापू के अहिंसावादी सत्याग्रह से डर गए! सत्याग्रह यह कि अगर अंग्रेज पूछें की तुम्हारे क्रन्तिकारी मित्र कहाँ छिपे हैं तो उन्हें सब सत्य बता दिया जाये और जब अंग्रेज क्रांतिकारियों को काला पानी या फांसी की सजा दें तो देश के गुस्से को अहिंसा के नाम पर चुप करा दिया जाये! अब इतना अच्छा आन्दोलन करनेवाला ही भागते हुए अंग्रेजों से उनका ताज लेकर अपने सर पहन सकता था न कि बम गोली चलने वाला क्रन्तिकारी, तो भाई आजादी का सेहरा कांग्रेस के सर पहुँच गया! टर्निंग पॉइंट तब आया जब कैंसर की आखिरी स्टेज पर खड़े जिन्ना ने देश का पहला प्रधानमंत्री बनने की जिद करी और दूसरी तरफ चाचा जी ने भी ... तो फादर इंडिया तो संत आदमी थे और उन्हें अपने होनहार भाई देश के चाचा जी पर पूरा भरोसा था तो देश को अपने पुरखों की जागीर समझ कर दो हिस्से कर डाले.. मुसलमानों का पाकिस्तान और बाकी सब का हिंदुस्तान.! अहिंसा के पुजारी जिसको अंग्रेज टस से मस नहीं कर पाए एक सिरफिरे ने गोली से छलनी करदिया... इस तरह देश पिता विहीन हो गया... अब चाचा जी ने देश सम्हाला और दलितों के मसीहा श्री श्री बाबा साहब आंबेडकर को मुखिया बना कर विदेशियों के संविधान का भारतीय संस्करण बनवाया जिसमे देश को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग आदि में बाँट कर आरक्षण की हड्डियाँ डाल कर आपस में दंगे करवाने और स्वयं जनम जनम तक सत्ता का सुख भोगने का गणित तैयार करवाया गया! सरकारी नौकरी पर रखने से पहले शिक्षा दीक्षा और चाल चलन की जाँच पड़ताल का प्राविधान रक्खा गया लेकिन संसद में बैठ कर देश चलने के लिए क़ानून बनाने वालों को शिक्षा या अपराधिक रिकॉर्ड की जाँच से मुक्त रखा गया. इसका लाभ उठा कर बाहुबलियों और माफियाओं ने सत्ता में पहुँच कर देश की हुकूमत सम्हालने में कांग्रेस का सहयोग किया और जिस तिरंगे को शहीदों के दिवंगत शरीर पर लपेटा जाता है से ही कांग्रेस का झंडा होने के नाम पर इन तथा कथित देशभक्तों का दुपट्टा बना दिया गया जिस से ये अपना मुह या जूते साफ़ करते हुए मिल जाते हैं. cont ..........
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12-11-2011, 12:12 AM | #29 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
हिन्दुओं के किसी देवी-देवता या भगवान की मूर्ती या मंदिर तोड़ने पर किसी विशेष सजा का प्रावधान नहीं रक्खा गया लेकिन फादर इंडिया और अंकल इंडिया के फोटो का अपमान करने वालों के लिए एक विशेष दंड संहिता बनायीं गयी! यहाँ तक तो ठीक था लेकिन पहले तो बापू का फोटो डाक टिकट पर छापा गया जिसमे लोग थूक लगा कर लिफाफे पर रख कर घूँसा मरते थे और साथ ही नोट पर भी बापू का हँसता हुआ फोट छाप दिया गया जिसे थूक लगा लगा कर गिनते हैं ! अहिंसा के पुजारी को पता नहीं होगा कि उसका फोटो पाने के लिए लोग कितनी हिंसा करेंगे और कभी शराबी उसे फाड़े गा तो कभी अय्याश उसे वैश्या पर लुटायेगा, और कभी लूट कर फोटो ऐसी गन्दी-गन्दी जगह छिपाए जायेंगे कि बेचारे बापू को भी अपनी गलती का एहसास हो जायेगा ! इस दुर्गति को देख कर कुछ पूज्य जनों ने बापू के फोटो को भारत के बेवकूफों के चंगुल से छुड़ा कर वातानुकूलित स्वच्छ स्विज बैंक में सुरक्षित करवा दिया जो बापू के धन्यवाद के पात्र हैं! एक और बात समझने योग्य है! जो किसी स्थान का गुंडा या बदमाश होता है अगर उसे ही पुलिस का दारोगा बना दिया जाये तो वह अपराधियों को आसानी से पहचान सकता है और उसे अड्डों का भी पता होता है! इस हिसाब से अगर देखा जाये तो हुकूमत बिलकुल सही जायज लोगों के हाथ में है और कुछ बेवकूफ उनकी सख्ती का अंदाजा किये बिना भर्ष्टाचार के नाम पर उन पूज्य लोगों पर कीचड़ उछाल कर उसे छीनना चाहते हैं! ४ जून को हश्र देख ही लिया बाकी अभी और देखने को मिल जायेगा जब बाबा और अन्ना की पोस्टमार्टम के बाद डाक्टर सचान की तरह आत्म हत्या की रिपोर्ट आजाये गी! यह बेवकूफ भूल गए कि बापू के ३ बन्दर थे १. आँख बंद.. बुरा मत देखो.. चाहे जितने घोटाले या आतंकवादी हमले हों..२. बुरा मत सुनो..चाहे बाबा और अन्ना के साथ लाखों लोग गरीबी, भर्ष्टाचार और लूट के धन के खिलाफ आवाज़ उठायें..३. बुरा मत बोलो ... अपने प्रधान मंत्री और आलाकमान को ही देखलीजिये. लेकिन मेरे भाई बापू का चौथा बन्दर नहीं था जो अपने स्वयं के हाथ पकडे होता और कहता बुरा मत करो......समझ गए न? तो बापू के आदर्शों पर चलने वाली, देश को गोरे अंग्रेजों जे आजादी दिलाने वाली और हर अपराध की खोज खबर अपने ही दल में बैठे दिग्गजों से हर पल रखने वाली ताकतवर पार्टी का साथ दो वर्ना पहले आजादी की लड़ाई में मरने वालों ने कौन सा कद्दू में तीर मार लिया था जो आप मार लोगे ? अगर दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ी भी तो पागल लोग मारे जाएँगे और होशियार लोग फिर सत्ता पर बैठें गे..अरे भाई यह गुलामों का देश है.. विदेशी आक्रमणकारियों को अतिथि देवो भव कह कर नतमस्तक होते हैं और जब कोई अपने भाई को मार दे तो ..भगवान ने जो लिखा था वो तो होगया.. अब दुश्मन को मारने से कोई मरा हुआ वापस थोडेही आजायेगा कह कर चुप करा देते हैं..अगर अब आपके दिमाग की बत्ती जल गयी हो तो बोलो राष्ट्रीय अतिथि अजमल कसाब की जय... महा बली नेताओं की जय..भारत माता..ओह सोरी.. फादर इंडिया की जय..अंकल इंडिया की जय..विदेशी/स्वदेशी महारानी की जय.. युवराज की जय..! मैंने देश कि एक विशेष पार्टी कि यशगाथा का प्रयास किया है ताकि इन्टरनेट से लोग भ्रमित न हों और उन्हें सही ज्ञान मिल सके लेकिन किन बातों को छुपाना चाहिए इस मामले में मैं अभी नासमझ हूँ अतः अगर कुछ गलत लिख दिया हो तो आपके प्रकोप के डर से पहले ही माफ़ी माग रहा हूँ .. संभवतः आप मुझ तुच्छ को माननीय कलमाड़ी और महा महिम ए राजा जैसे पराक्रमी लोगों के साथ तिहाड़ में भेजने का कष्ट नहीं करेंगे.. कांग्रेस जिंदाबाद..
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12-11-2011, 09:11 AM | #30 |
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Re: कुछ यहाँ वहां से............
कटु व्यंग ...............
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