08-05-2012, 05:07 AM | #21 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
ट्रैक एंड फील्ड स्पर्द्धा में किसी भारतीय ने अब तक नहीं जीता मेडल रोम ओलिंपिक 1960 और लॉस एंजिलिस ओलिंपिक 1984 । भारतीय नजरिए से दोनों में खास समानता है। इन दोनो ओलिंपिक की एथलेटिक्स स्पर्द्धा में भारतीय धावक (1960 में मिल्खा सिंह और 1984 में पी.टी. ऊषा) मामूली अंतर से पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। यह ओलिंपिक के इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में भारत की ओर से दिखाया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और इसी के आधार पर मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख और पीटी ऊषा को उड़न परी की प्रचलित उपाधि मिली। पीटी ऊषा ने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि यह देश का दुर्भाग्य है कि चौथे स्थान पर आने वाले धावकों की गिनती देश के महानतम एथलीटों में होती है। दुनिया यह कहने लगी कि भारतीयों में इतना दमखम नहीं है कि वे ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में कोई ओलिंपिक पदक जीत सकें। क्या लंदन कोई बदलाव लेकर आएगा। क्या हम इन कठिन मानी जाने वाली स्पर्द्धाओं में पहली बार कोई पदक जीत पाएंगे। अगर भारतीय खिलाड़ियों के हाल-फिलहाल के प्रदर्शन पर गौर करें तो इस बार भी उम्मीदों की तस्वीर काफी हद तक धुंधली ही है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 08-05-2012 at 05:12 AM. |
08-05-2012, 05:08 AM | #22 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
विकास-कृष्णा सबसे बड़ी उम्मीद
लंदन ओलिंपिक की ट्रैक एंड फील्ड स्पर्द्धाओं में भारत के लिए पदक की सबसे बड़ी उम्मीद डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा माने जा रहे हैं। ताजा वर्ल्ड रैंकिंग में वे नंबर वन बन चुके हैं। उनका हालिया प्रदर्शन भी ओलिंपिक मेडल जीतने लायक है। विकास अमेरिका में पले-बढ़े हैं और डिस्कस थ्रो की ट्रेनिंग भी उन्होंने वहीं हासिल की है। इस बार ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट संस्था ने उनकी तैयारी का भार उठाया था। अगर विकास को ओलिंपिक में पदक जीतना है तो उन्हें अपने कॅरियर के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से भी बेहतर करना होगा। विकास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 64.96 मीटर है जबकि बीजिंग में कांस्य पदक जीतने वाले एथलीट ने 67.79 मीटर चक्का फेंका था। विकास का कहना है कि वे अभ्यास में 68.69 मीटर तक की दूरी मांप रहे हैं। अगर वे ऐसा कारनामा लंदन में भी कर पाए तो कोई उन्हें पदक जीतने से नहीं रोक सकता। वहीं राजस्थान की बहू कृष्णा पूनिया भी पदक जीतने की दावेदार बताई जा रही हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें भी विकास की ही तरह अपने कॅरियर बेस्ट से भी बेहतर प्रदर्शन करने की दरकार होगी।
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08-05-2012, 05:09 AM | #23 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
आठ अन्य दावेदार
विकास और कृष्णा की तरह आठ अन्य एथलीट भी अब तक लंदन ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। हालांकि इन सभी का प्रदर्शन अभी पदक जीतने लायक नहीं कहा जाएगा। हां, इतना जरूर है कि किस्मत के साथ देने पर ये भी कोई कारनामा कर सकते हैं। इन एथलीटो में गुरमीत सिंह, बलजिंदर सिंह (20 किलोमीटर पैदल चाल), सीमा अंतिल (डिस्कस थ्रो), ओम प्रकाश (शॉटपुट) टिंटू लुका (800 मीटर दौड़) रंजीत महेश्वरी (ट्रिपल जंप) मयूखा जॉनी (ट्रिपल जंप) और राम सिंह यादव (मैराथन) शामिल हैं।
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08-05-2012, 05:11 AM | #24 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी अंजू बॉबी जॉर्ज
इससे पहले 2003 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला लांग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज अपनी सफलता को कभी ओलिंपिक में नहीं दोहरा सकीं। उन्होंने एथेंस (2004) और बीजिंग (2008) ओलिंपिक में हिस्सा लिया, लेकिन पदक से काफी दूर रह गईं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अंजू में ओलिंपिक मेडल जीतने की काबिलियत थी, लेकिन इतने बड़े खेल आयोजन के दबाव को वे झेल नहीं सकीं। इस तरह पीटी ऊषा के बाद भारत की सबसे बड़ी ओलिंपिक मेडल की उम्मीद मानी जा रही अंजू से देशवासियों को निराशा ही हाथ लगी। इस बार महिलाओं की 4 गुणा 400 मीटर रिले टीम से काफी उम्मीद थी, लेकिन इसमें शामिल खिलाड़ी डोपिंग के जाल में उलझ गईं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे लंदन ओलिंपिक में हिस्सा ले पाएंगी या नहीं।
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08-05-2012, 05:18 AM | #25 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
एक ब्रिटिश ने जीता था भारत के नाम पर पदक
रिकॉर्ड बुक की बात करें तो भारत को ओलिंपिक के पहले दो पदक वर्ष 1900 में आयोजित पेरिस ओलिंपिक में ही मिल गए थे। तब ब्रिटिश धावक नार्मन प्रिटचार्ड ने भारत की ओर से हिस्सा लेते हुए एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थे। हालांकि कोई भी भारतीय इन्हें भारत का पदक नहीं मानता है।
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08-05-2012, 05:20 AM | #26 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
नम्बर गेम
1896 पहले ओलिंपिक खेलों से लेकर अब तक हर बार एथलेटिक्स इस खेल महाकुंभ का हिस्सा रहा है। 1928 ओलिंपिक में पहली बार महिलाओं को एथलेटिक्स स्पर्द्धाओं में भाग लेने की इजाजत मिली। 738 पदक जीते हैं संयुक्त राज्य अमेरिका ने एथलेटिक्स में अब तक। इसमें 311 स्वर्ण शामिल। 92 देशों के एथलीट अब तक एथलेटिक्स स्पर्द्धा में पदक जीत चुके हैं। भारत का खाता खुलना बाकी।
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10-05-2012, 05:26 AM | #27 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
तीर कमान, रखेंगे भारत का मान
तीरंदाजी की स्पर्द्धाओं में इस बार भारत का दावा मजबूत तीरंदाजी दुनिया को भारत की देन कही जाती है। बात चाहे हमारे इतिहास की हो या वेद-पुराण की, तीरंदाजी का जिक्र सभी जगह है, लेकिन जब खेलों में तीरंदाजी की चर्चा होती है तो हम अपने ही द्वारा ईजाद किए गए इस हुनर में काफी पीछे नजर आते हैं। आधुनिक तीरंदाजी में दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देश महाशक्ति हैं जबकि इन देशों के इतिहास में तीर-कमान के इस्तेमाल की बात विरले ही मौजूद है। ओलिंपिक खेलों में तीरंदाजी को पहली बार 1900 पेरिस ओलिंपिक में शामिल किया गया था। तब से अब तक भारत का कोई भी तीरंदाजी एक भी पदक जीतने में सफल नहीं हो पाया। हालांकि इस बार स्थिति में काफी बदलाव है। अब हमारे पास भी विश्व स्तरीय तीरंदाज मौजूद हैं और पहली बार हम इस खेल में पदक के दावेदार माने जा रहे हैं।
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10-05-2012, 05:29 AM | #28 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
दीपिका सबसे बड़ी दावेदार
तीरंदाजी में भारत की सबसे बड़ी उम्मीद झारखंड की 18 वर्षीय तीरंदाज दीपिका कुमारी हैं। रांची के एक आटो चालक की इस बेटी ने पिछले कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफलता का परचम लहराया है। 2009 में जूनियर विश्व कैडेट तीरंदाजी खिताब जीतने के बाद दीपिका ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमण्डल खेलों में दोहरा स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद वह एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय महिला टीम में भी शामिल रहीं। विश्व सीनियर तीरंदाजी के विभिन्न चरणों में भी दीपिका का प्रदर्शन शानदार रहा। दीपिका की अगुवाई में भारतीय महिला टीम ने हाल ही में विश्व चैम्पियन दक्षिण कोरिया को भी हराया था।
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10-05-2012, 05:30 AM | #29 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
बोम्बायला और सुवरो भी कम नहीं
दीपिका के अलावा महिला टीम की अन्य दो सदस्य एलण बोम्बायला देवी और चेक्रोवोलू सुवरो हैं। इन दोनों तीरंदाजों ने भी विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है। सुवरो ने हाल ही में एक चैंपियनशिप में दीपिका को भी मात दी थी। वहीं बोम्बायला देवी राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य हैं। दीपिका के साथ इन दोनों तीरंदाजों ने भी लंदन ओलिंपिक का टिकट हासिल कर लिया है और इन दिनों जोरदार अभ्यास में जुटी हैं। भारतीय महिला टीम 52 देशों की विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है और लंदन में किस्मत ने थोड़ा भी साथ दिया तो भारतीय महिलाएं व्यक्तिगत और टीम स्पर्द्धा दोनों में पदक जीतने की काबिलियत रखती हैं।
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10-05-2012, 05:30 AM | #30 |
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Re: यादें ओलिम्पिक की
पुरुष वर्ग में जयंत पर दारोमदार
पुरुष वर्ग में अब तक सिर्फ जयंत तालुकदार ने लंदन ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि समय रहते राहुल बनर्जी और तरुणदीप राय भी लंदन का टिकट हासिल कर लेंगे। इसके लिए उन्हें जून में ओग्डेन में आयोजित होने वाले वर्ल्डकप में टॉप 3 में आना होगा। भारतीय पुरुष टीम की वर्ल्ड रैंकिंग पांच है। जयंत तालुकदार काफी अनुभवी तीरंदाज हैं और वे पहले भी ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। राष्ट्रमण्डल और एशियाई खेलों में वे कांस्य पदक जीत चुके हैं। हालांकि ओलिंपिक में जयंत अब तक अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाए। ओलिंपिक पदक जीतने के लिए उन्हें दबाव में बिखर जाने की अपनी कमजोरी से पार पाना होगा।
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