06-05-2014, 07:23 AM | #21 |
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Re: ज़रा इधर भी...
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
06-05-2014, 07:24 AM | #22 |
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Re: ज़रा इधर भी...
न्यूजर्सी। लालच बुरी बला है। इस बात का नमूना यहां एक चोर ने चोरी करने के दौरान पेश किया। हुआ यूं कि 42 वर्षीय यह चोर घर से थोड़ी दूर पर बने बंगले से टीवी चुरा लाया। पूरी सतर्कता से इस घटना को अंजाम देने के बाद टीवी को अपने घर में फिट कर देखने लगा। तभी उसे टीवी के साथ रिमोट न होने की कमी खली, जिसे वह जल्दबाजी में वहीं छोड़ आया था। इस समस्या को सुलझाने के लिए थोड़ी देर तक खुद में सोच-विचार किया और वापस जाकर उसी जगह से रिमोट लाना तय किया। लेकिन इस बार दांव उल्टा पड़ गया। वह जैसे ही उस बंगले में रिमोट लेकर भागने लगा, तभी वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे धर लिया। अब महाशय जेल में टीवी के चैनल बदलने के सपने देख रहे हैं
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06-05-2014, 07:25 AM | #23 |
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Re: ज़रा इधर भी...
हमेशा पानी में ही रहते हैं दो बच्चे
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06-05-2014, 07:26 AM | #24 |
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Re: ज़रा इधर भी...
जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के डोबरोबासा गांव के दो बच्चे हमेशा पानी में ही रहते हैं। इनकी जिंदगानी पानी है। सोते, उठते, जागते, बस पानी-पानी। लगभग मत्स्य जीवन। पानी से निकाला कि सांसें थमने लगती हैं।
दरअसल, माधो सोय के दोनों बेटे पांच वर्षीय रोहित सोय व तीन वर्षीय मंगल सोय एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया बीमारी से पीडि़त हैं। इनके शरीर में पसीने को बाहर निकालने वाली ग्रंथियां नहीं हैं। लिहाजा उनके शरीर का तापमान बहुत ज्यादा रहता है और वे पानी में रहना पसंद करते हैं। पानी से नाता टूटा कि प्राण हलक में आए। फिलहाल दोनों का इलाज रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में चल रहा है। अस्पताल ने बच्चों की बीमारी पर अलग से कक्षाएं चलाने और शोध करने का फैसला किया है। रिम्स में इलाज कर रहे शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एके शर्मा ने बताया कि दोनों को एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया बीमारी है। यह एक आनुवांशिक रोग है व इसका इलाज संभव नहीं है। यही कारण है कि इससे पीडि़त लोग लंबे समय तक जीवित नहीं रहते हैं। पूरे विश्व में इस तरह के मरीजों की संख्या करीब सात हजार है। फिलहाल रिम्स में ही उसका उपचार होगा और उनका स्कीन बायोप्सी के लिए गुरुवार को मुंबई भेजा जाएगा। बच्चों की मां नागुरी सोय ने बताया कि उनका पहला बेटा रोहित जन्म के बाद हमेशा रोता रहता था। लेकिन शरीर पर पानी की बूंदें पड़ते ही चुप हो जाता था। पहले तो काफी दिनों तक समझ में नहीं आया। लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि पानी के बिना रोहित को रहा नहीं जा रहा है। दो साल बाद दूसरे बेटे मंगल का जन्म हुआ। मंगल भी इसी तरह से रोने लगता। इसके बाद दोनों को पानी में रखने का फैसला लिया। इसके बाद से दोनों का स्वास्थ्य दुरुस्त रहने लगा। अब दोनों बच्चे बड़े होने लगे हैं, लेकिन उनके दो-दो दांत ही निकले हैं। दोनों पानी के बिना एक पल भी रह नहीं सकते हैं।
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06-05-2014, 12:13 PM | #25 |
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Re: ज़रा इधर भी...
लालच बुरी बला
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06-05-2014, 03:25 PM | #26 |
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Re: ज़रा इधर भी...
ओह! महिला टीचर ने लड़कियों को क्लासरूम में दिखा दी "पोर्न" -
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06-05-2014, 03:26 PM | #27 |
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Re: ज़रा इधर भी...
जयपुर। इस स्कूल में महिला टीचर प्रोजेक्टर के तहत लड़कि यों को पढ़ाई करवा रही थी कि अचानक ऎसा हुआ जिसें देखते ही सारी लड़कियां शर्म से पानी-पानी हो गई। इतना नहीं बल्कि जब ये लड़कियां रोने भी लगी।
दरअसल जिस समय यह महिला टीचर क्लासरूम में प्रोजेक्टर से छात्राओं को पढ़ा रही थी उसी समय अचानक से प्रोजेक्टर में पोर्न फिल्म चलने और सारी लड़कियां शर्म के मारे पानी- पानी हो गई और कुछ यह वाकया देखकर तो रोने भी लगी। लड़कियों को राते देख टीचर ने यह प्रोजेक्टर से चल रहे इस वीडियो को यह कहते हुए बंद किया कि यह सब गलती से हो गया। लेकिन तब तक छात्राएं सबकुछ देख चुकी थी और सहम गई थी
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06-05-2014, 03:26 PM | #28 |
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Re: ज़रा इधर भी...
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06-05-2014, 03:27 PM | #29 |
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Re: ज़रा इधर भी...
इस अनोखी घटना का खुलासा तब हुआ जब पोर्न देखकर एक बच्ची रोते हुए घर पहुंची। लेकिन घर पहुंचने के बाद जब घरवालों ने रोने कारण पूछा तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। इस लड़की के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से इसकी शिक ायत भी की जिसके बाद क्लासरूम में हुए इस वाकये का पता स्कूल वालों को चला। जब इस मामले की जांच के लिए स्कूल प्रशासन ने उस महिला टीचर से बात करने की कोशिस की तो वो बात करने की बजाए वहां से छुट्टी लेकर स्कूल से चली गई।
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15-05-2014, 08:16 AM | #30 |
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Re: ज़रा इधर भी...
सनक परफेक्ट सेल्फी की
मौजूदा दौर का बडा फोटोग्राफिक ट्रेंड बन चुका है सेल्फी। बॉलीवुड सितारों से लेकर टीनएजर्स तक फेसबुक-ट्विटर में सेल्फी अपलोड करते नजर आते हैं। यह नया शौक कई बार सनक में बदलता नजर आता है। पिछले दिनों सेल्फी की सनक से जुडी एक खबर ने सबका ध्यान खींचा था। परफेक्ट सेल्फी की लत के कारण एक ब्रिटिश टीन ने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लिया। हालांकि उसे बचा लिया गया, मगर उसके इस कदम ने कई सवाल खडे कर दिए। सूत्रों के अनुसार यह लडका दिन भर में 10 घंटे अपने आइफोन पर बिजी रहता था। परफेक्ट सेल्फी के चक्कर में उसने 12 किलो वजन घटाया, पढाई में पिछडने के कारण स्कूल से उसे निकाल दिया गया। इसके बाद माता-पिता के प्रति वह आक्रामक हो गया, क्योंकि वे उसे फोन से दूर रखने की कोशिश करते थे। एक अदद अच्छा फोटो न मिलने से उसे इतनी हताशा हुई कि उसने आत्महत्या जैसा मार्ग चुन लिया। उसे महसूस हुआ कि वह फोटोजेनिक और सुंदर नहीं है। इस लत ने उसे दोस्तों, पढाई, पेरेंट्स से दूर किया, हेल्थ को प्रभावित किया। सेल्फी पर मिले लाइक्स और कमेंट्स ने उसका आत्मविश्वास इतना कम कर दिया कि उसने अपनी जिंदगी को ही खत्म करने का निर्णय ले लिया।
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