My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Travel & Tourism
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 13-02-2011, 12:32 PM   #21
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

लालकिला सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसको अपना नाम लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण मिला है। यही इसकी चारदीवारी बनाती है। यह दीवार 1.5 मील (2.5 किमी) लम्बी है, और इसकी ऊँचाई 60 फीट (16मी) नदी किनारे की ओर से, लेकर 110 फीट (33 मी) ऊँची शहर की ओर , तक है। इसके नाप जोख पर ज्ञात हुआ है, कि इसकी योजना एक 82 मी की वर्गाकार ग्रिड (चौखाने) का प्रयोग कर बनाई गई है।

लालकिले की योजना पूर्ण रूपेण की गई थी, और इसके बाद के बदलावों ने भी इसकी योजना के मूलरूप में कोई बदलाव नहीं होने दिया है। 18वीं सदी में कुछ लुटेरों एवं आक्रमणकारियों द्वारा इसके कई भागों को क्षति पहुँचाई गई थी। 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था। इस सेना ने इसके करीब अस्सी प्रतिशत म्ण्डपों तथा उद्यानों को नष्ट कर दिया। इन नष्ट हुए बागों एवं बचे भागों को पुनर्स्थापित करने की योजना सन 1903 में उमैद दानिश द्वारा चलाई गई।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 13-02-2011, 12:33 PM   #22
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

लाल किले में उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य दृश्य है। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला संश्लेषण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए है। इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। सन 1913में इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित होने से पूर्वैसकी उत्तरकालीनता को संरक्षित एवं परिरक्षित करने हेतु प्रयास हुए थे।

इसकी दीवारें, काफी सुचिक्कनता से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं ― दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट। लाहौर गेट इसका मुख्य प्रवेशद्वार है। इसके अन्दर एक लम्बा बाजार है, चट्टा चौक, जिसकी दीवारें दुकानों से कतारित हैं। इसके बाद एक बडा़ खुला स्थान है, जहाँ यह लम्बी उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती है। यही सड़क पहले किले को सैनिक एवं नागरिक महलों के भागों में बांटती थी। इस सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली गेट पर है।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:33 AM   #23
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

नक्करखाना

लाहौर गेट से चट्टा चौक तक आने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्वी ओर नक्कारखाना बना है। यह संगीतज्ञों हेतु बने महल का मुख्य द्वार है।

दीवान-ए-आम

इस गेट के पार एक और खुला मैदान है, जो कि मुलतः दीवाने-ए-आम का प्रांगण हुआ करता था। दीवान-ए-आम। यह जनसाधारण हेतु बना वृहत प्रांगण था। एक अलंकृत सिंहासन का छज्जा दीवान की पूर्वी दीवार के बीचों बीच बना था। यह बादशाह के लिये बना था, और सुलेमान के राज सिंहासन की नकल ही था।

नहर-ए-बहिश्त

राजगद्दी के पीछे की ओर शाही निजी कक्ष स्थापित हैं। इस क्षेत्र में, पूर्वी छोर पर ऊँचे चबूतरों पर बने गुम्बददार इमारतों की कतार है, जिनसे यमुना नदी का किनारा दिखाई पड़ता है। ये मण्डप एक छोटी नहर से जुडे़ हैं, जिसे नहर-ए-बहिश्त कहते हैं, जो सभी कक्षों के मध्य से जाती है। किले के पूर्वोत्तर छोर पर बने शाह बुर्ज पर यमुना से पानी चढा़या जाता है, जहाँ से इस नहर को जल आपूर्ति होती है। इस किले का परिरूप कुरान में वर्णित स्वर्ग या जन्नत के अनुसार बना है। यहाँ लिखी एक आयत कहती है,

यदि पृथ्वी पर कहीं जन्नत है, तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है।

महल की योजना मूलरूप से इस्लामी रूप में है, परंतुप्रत्येक मण्डप अपने वास्तु घटकों में हिन्दू वास्तुकला को प्रकट करता है। लालकिले का प्रासाद, शाहजहानी शैली का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है।

ज़नाना

महल के दो दक्षिणवर्ती प्रासाद महिलाओं हेतु बने हैं, जिन्हें जनाना कहते हैं: मुमताज महल, जो अब संग्रहालय बना हुआ है, एवं रंग महल, जिसमें सुवर्ण मण्डित नक्काशीकृत छतें एवं संगमर्मर सरोवर बने हैं, जिसमें नहर-ए-बहिश्त से जल आता है।

खास महल

दक्षिण से तीसरा मण्डप है खास महल। इसमें शाही कक्ष बने हैं। इनमें राजसी शयन-कक्ष, प्रार्थना-कक्ष, एक बरामदा और मुसम्मन बुर्ज बने हैं। इस बुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे।


दीवान-ए-खास
दीवान-ए-खास, राजसी निजी सभा कक्ष

अगला मण्डप है दीवान-ए-खास, जो राजा का मुक्तहस्त से सुसज्जित निजी सभा कक्ष था। यह सचिवीय एवं मंत्रीमण्डल तथा सभासदों से बैठकों के काम आता थाइस म्ण्डप में पीट्रा ड्यूरा से पुष्पीय आकृति से मण्डित स्तंभ बने हैं। इनमें सुवर्ण पर्त भी मढी है, तथा बहुमूल्य रत्न जडे़ हैं। इसकी मूल छत को रोगन की गई काष्ठ निर्मित छत से बदल दिया गया है। इसमें अब रजत पर सुवर्ण मण्डन किया गया है।

हमाम

अगला मण्डप है, हमाम, जो को राजसी स्नानागार था, एवं तुर्की शैली में बना है। इसमें संगमर्मर में मुगल अलंकरण एवं रंगीन पाषाण भी जडे़ हैं।

मोती मस्जिद

हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद बनी है। यह सन् 1659 में , बाद में बनाई गई थी, जो औरंगजे़ब की निजी मस्जिद थी। यह एक छोटी तीन गुम्बद वाली, तराशे हुए श्वेत संगमर्मर से निर्मित है। इसका मुख्य फलक तीन मेहराबों से युक्त है, एवं आंगन में उतरता है।

हयात बख़्श बाग

इसके उत्तर में एक वृहत औपचारिक उद्यान है जिसे हयात बख्श बाग कहते हैं। इसका अर्थ है जीवन दायी उद्यान। यह दो कुल्याओं द्वारा द्विभाजित है। एक मण्डप उत्तर दक्षिण कुल्या के दोनों छोरों पर स्थित हैंएवं एक तीसरा बाद में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 1842 बनवाया गया था। यह दोनों कुल्याओं के मिलन स्थल के केन्द्र में बना है।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:36 AM   #24
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

लाल किला दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटन स्थल है, जो लाखॉ पर्यटकों को प्रतिवर्ष आकर्षित करता है। यह किला वह स्थल भी है, जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं। यह दिल्ली का सबसे बडा़ स्मारक भी है।

एक समय था, जब 3000 लोग इस इमारत समूह में रहा करते थे। परंतु 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया। इसी संग्राम के एकदम बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था। यहीं पर नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया।

इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला भी हुआ था। इसमें दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए। इसे मीडिया द्वारा काश्मीर में भारत - पाकिस्तान शांति प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास बताया गया था।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:38 AM   #25
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल



रात के विद्युत प्रकाश में जगमगाता लाल किला

1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। २२ दिसंबर २००३ को भारतीय सेना ने ५६ साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। इस समारोह में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने कहा कि कि सशस्त्र सेनाओं का इतिहास लाल किले से जुड़ा हुआ है, पर अब हमारे इतिहास और विरासत के एक पहलू को दुनिया को दिखाने का समय है।

मुगल शहंशाह शाहजहां ने 1638 में लाल किले के निर्माण के आदेश दिये थे। लगभग इसी समय उसने आगरा में अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में ताजमहल बनवाना शुरू किया था। लाल किले पर 1739 में फारस के बादशाह नादिर शाह ने हमला किया था और वह अपने साथ यहां से स्वर्ण मयूर सिंहासन ले गया था, जो बाद में ईरानी शहंशाहों का प्रतीक बना।

1857 के गदर के बाद ब्रिटिश सेना ने लाल किले पर नियंत्रण कर लिया।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:44 AM   #26
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

पुराना किला

पुराना किला नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन दीना-पनाह नगर का आंतरिक किला है। इस किले का निर्माण शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में १५३८ से १५४५ के बीच करवाया था। किले के तीन बड़े द्वार हैं तथा इसकी विशाल दीवारें हैं। इसके अंदर एक मस्जिद है जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है। हिन्दू साहित्य के अनुसार यह किला इंद्रप्रस्थ के स्थल* पर है जो पांडवों की विशाल राजधानी होती थी। जबकि इसका निर्माण अफ़गानी शासक शेर शाह सूरी ने १५३८ से १५४५ के बीच कराया गया, जिसने मुगल बादशाह हुमायूँ से दिल्ली का सिंहासन छीन लिया था। ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह हुमायूँ की इस किले के एक से नीचे गिरने के कारण दुर्घटनावश मृत्यु हो गई।

कहा जाता है कि दिल्ली को सर्वप्रथम पाण्डव|पांडवों ने अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाया था वह भी ईसापूर्व से १४०० वर्ष पहले, परन्तु इसका कोई पक्का प्रमाण नहीं हैं। आज दिख रहे पुराने किले के दक्षिण पूर्वी भाग में सन १९५५ में परीक्षण के लिए कुछ खंदक खोदे गए थे और जो मिट्टी के पात्रों के टुकड़े आदि पाए गए वे महाभारत की कथा से जुड़े अन्य स्थलों से प्राप्त पुरा वस्तुओं से मेल खाते थे जिससे इस पुराने किले के भूभाग को इन्द्रप्रस्थ रहे होने की मान्यता को कुछ बल मिला है। भले ही महाभारत को एक पुराण के रूप में देखते हैं लेकिन बौद्ध साहित्य “अंगुत्तर निकाय” में वार्णित महाजनपदों यथा अंग, अस्मक, अवन्ती, गंधार, मगध, छेदी आदि में से बहुतों का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है जो इस बात का संकेत है कि यह ग्रन्थ मात्र पौराणिक ही नहीं तथापि कुछ ऐतिहासिकता को भी संजोये हुए है।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:49 AM   #27
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल


पुराने किले, दिल्ली का बड़ा दरवाज़ा
पुराने किले की पूर्वी दीवार के पास दुबारा खुदाई १९६९ से १९७३ के बीच भी की गई थी। वहां से महाभारत कालीन मानव बसासत के कोई प्रमाण तो नहीं मिले लेकिन मौर्य काल (३०० वर्ष ईसापूर्व) से लेकर प्रारंभिक मुग़ल काल तक अनवरत वह भूभाग मानव बसाहट से परिपूर्ण रहा। ऐसे प्रमाण मिलते गए हैं जिनमे काल विशेष के सिक्के, मनके, मिटटी के बर्तन, पकी मिटटी की (टेराकोटा) यक्ष यक्षियों की छोटी छोटी प्रतिमाएँ, लिपि युक्त मुद्राएँ (सील) आदि प्रमुख हैं जो किले के संग्रहालय में प्रर्दशित हैं।

कहते हैं की मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने यमुना नदी के किनारे उसी टीले पर जिसके नीचे इन्द्रप्रस्थ दबी पड़ी है, अपने स्वयं की नगरी “दीनपनाह” स्थापित की थी। तत्पश्चात शेरशाह सूर (सूरी)(१५३८-४५) ने जब हुमायूँ पर विजय प्राप्त की तो सभी भवनों को नष्ट कर वर्तमान दिल्ली, शेरशाही या “शेरगढ़” का निर्माण प्रारम्भ करवाया। इस बीच हुमायूँ ने पुनः संघटित होकर आक्रमण किया और अपनी खोई हुई सल्तनत वापस पा ली। समझा जाता है कि किले का निर्माण कार्य हुमायूँ ने ही १५४५ में पूर्ण कराया था।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:50 AM   #28
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

पुराना किला मूलतः यमुना नदी के तट पर ही बना था परन्तु उत्तर और पश्चिम दिशाओं के ढलान से प्रतीत होता है कि नदी को जोड़ती हुई एक खाई सुरक्षा के दृष्टि से बनी थी। इस किले की चहर दीवारी लगभग २.४ किलोमीटर लम्बी है और इसके तीन मुख्य दरवाज़े उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में हैं। इनमे से पश्चिमी दरवाज़े का प्रयोग आजकल किले में प्रवेश के लिए किया जाता है। उत्तर की ओर का द्वार “तलाकी दरवाजा” कहलाता है। यह स्पष्ट नहीं है कि कब और क्यों इस दरवाज़े के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया। यह किला मुग़ल, हिंदू तथा अफघानी वास्तुकला के समन्वय का एक सुंदर नमूना माना जाता है।

शेरशाह द्वारा बनवाया गया शेर मंडल जो अश्तकोनीय दो मंजिला भवन है। इसी भवन मे हुमायूँ का पुस्तकालय हुआ करता था। यहीं पर एक बार पुस्तकों के बोझ को उठाये हुए जब हुमायूँ सीढियों से उतर रहा था, तभी अजान (इस्लामी प्रार्थना) की पुकार सुनाई पड़ती है, नमाज़ का समय हो चला था। हुमायूँ की आदत थी कि नमाज़ की पुकार सुनते ही, जहाँ कहीं भी होता झुक जाया करता। झुकते समय उसके पैर लंबे चोगे में कहीं फँस गये और वह संतुलन खो कर गिर पड़ा। इस दुर्घटना से हुई शारीरिक क्षति से ही १५५६ के पूर्वार्ध मे वह चल बसा।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 04:51 AM   #29
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

महाभारत में उल्लेखित पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ सम्भवतः इसी स्थान पर थी। पुराने किले में विभिन्न स्थानों पर शिलापटों पर यह वाक्य लिखे हैं। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ कहां थी? इस बात को लेकर लोगों में बहस होती रही है। लेकिन खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों की राजधानी इसी स्थल पर रही होगी।

यद्यपि पुरातत्वविदों के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन खुदाई के दौरान यहां मिले बर्तनों के अवशेषों से किले के आसपास पांडवों की राजधानी होने की बात को बल मिलता है। यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुडे़ अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। इसके अलावा महाभारत से जुडे़ प्रसंग और प्राचीन परंपराएं भी इस ओर संकेत करती हैं, कि यहां पांडवों की राजधानी रही होगी।

भारत में बहुत कम नगर ऐसे हैं, जो दिल्ली की समान पुराने हों। इतिहासकारों के अनुसार पूर्व ऐतिहासिक काल में जिस स्थल पर इंद्रप्रस्थ बसा हुआ था, उसके ऊंचे टीले पर १६ वीं शताब्दी में पुराना किला बनाया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस किले की कई स्तरों पर खुदाई की है। खुदाई में प्राचीन भूरे रंग से चित्रित मिट्टी के विशिष्ट बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत काल के हैं। ऐसे ही बर्तन अन्य महाभारत कालीन स्थलों पर भी पाए गए हैं। इस बारे में एक तथ्य यह भी है कि इंद्रप्रस्थ के अपभ्रंश इंद्रपरत के नाम का एक गांव वर्तमान शताब्दी के प्रारंभ तक पुराना किला में स्थित था। राजधानी नई दिल्ली का निर्माण करने के दौरान अन्य गांवों के साथ उसे भी हटा दिया गया था। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से १३२८ ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख लाल किले के संग्रहालय में उपस्थित है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है।

वहीं महाभारत के अनुसार कुरु देश की राजधानी गंगा के किनारे हस्तिनापुर में स्थित थी। जब पांडवों और उनके चचेरे भाई कौरवों के बीच संबंध बिगड़ गए तो कौरवों के पिता धृतराष्ट्र ने पांडवों को यमुना के किनारे खांडवप्रस्थ का क्षेत्र दे दिया। वहां उन्होंने समुद्र जैसे गड्ढों द्वारा घिरे हुए एक नगर को बनाया और उसकी रक्षात्मक प्राचीरें बनाई। विद्वानों का मत है कि पुराना किला की रूपरेखा भी इसी प्रकार की थी। इससे भी स्पष्ट होता है कि इंद्रप्रस्थ एक नगर का नाम था, जो पुराना किला के स्थान पर बसा था और जिस क्षेत्र में यह स्थित था, उस क्षेत्र का नाम खांडवप्रस्थ था। कहा जाता है कि कौरवों पर अपनी विजय के बाद पांडवों ने राजधानी इंद्रप्रस्थ को भगवान कृष्ण से संबंधित किसी यादव वंशज को सौंप दिया।

एक और प्रसंग है, जिसके अनुसार पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगे थे। ये वे गाँव थे जिनके नामों के अंत में पत आता है। जो संस्कृत के प्रस्थ का हिंदी साम्य है। ये पत वाले गांव हैं इंदरपत, बागपत, तिलपत, सोनीपत और पानीपत हैं। यह परम्परा महाभारत पर आधारित है। जिन स्थानों के नाम दिए गए हैं। उनमें ओखला नहर के पूर्वी किनारे पर दिल्ली के दक्षिण में लगभग २२ किलोमीटर दूरी पर तिलपत गांव स्थित है। इन सभी स्थलों से महाभारत कालीन भूरे रंग के बर्तन मिले हैं।

__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

Bond007 is offline   Reply With Quote
Old 14-02-2011, 05:13 AM   #30
Bond007
Special Member
 
Bond007's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: --------
Posts: 4,174
Rep Power: 42
Bond007 has disabled reputation
Send a message via Yahoo to Bond007
Arrow दिल्ली के दर्शनीय स्थल

जंतर मंतर


जंतर मंतर, में सम्राट यंत्र

यह सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है।


इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी किया था। दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थित को लेकिर बहस छिड़ गई थी। इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया। ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं। सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है। मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन को नाप सकता है। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है।
__________________
Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||


Last edited by Bond007; 14-02-2011 at 05:17 AM.
Bond007 is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
delhi, delhi tourist place, dilli, india, indian tourism, jama masjid, north india, places to visit, red fort, tourism, tourist, visitors


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:14 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.