01-04-2012, 09:08 AM | #21 |
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Re: रामसेतु की महिमा
मम कृत सेतु जो दरसनुकरिही। सो बिनुश्रम भवसागर तरिही॥ जो मेरे बनाए सेतु का दर्शन करेगा, वह कोई परिश्रम किए बिना ही संसाररूपी समुद्र से तर जाएगा। श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के युद्धकाण्ड के 22वें अध्याय में लिखा है कि विश्वकर्मा के पुत्र वानरश्रेष्ठ नल के नेतृत्व में वानरों ने मात्र पांच दिन में सौ योजन लंबा तथा दस योजन चौडा पुल समुद्र के ऊपर बनाकर रामजी की सेना के लंका में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। यह अपने आपमें एक विश्व-कीर्तिमान है। आज के इस आधुनिक युग में नवीनतम तकनीक के द्वारा भी इतने कम समय में यह कारनामा कर दिखाना संभव नहीं लगता। |
01-04-2012, 09:08 AM | #22 |
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Re: रामसेतु की महिमा
महÃ*ष वाल्मीकि रामसेतु की प्रशंसा में कहते हैं- अशोभतमहान् सेतु: सीमन्तइवसागरे।
वह महान सेतु सागर में सीमन्त (मांग) के समान शोभित था। सनलेनकृत: सेतु: सागरेमकरालये। शुशुभेसुभग: श्रीमान् स्वातीपथइवाम्बरे॥ मगरों से भरे समुद्र में नल के द्वारा निÃ*मत वह सुंदर सेतु आकाश में छायापथ के समान सुशोभित था। नासा के द्वारा अंतरिक्ष से खींचे गए चित्र से ये तथ्य अक्षरश: सत्य सिद्ध होते हैं। स्कन्दपुराणके सेतु-माहात्म्य में धनुष्कोटितीर्थ का उल्लेख भी है- दक्षिणाम्बुनिधौपुण्येरामसेतौविमुक्तिदे। धनुष्कोटिरितिख्यातंतीर्थमस्तिविमुक्तिदम्॥ |
01-04-2012, 09:08 AM | #23 |
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Re: रामसेतु की महिमा
दक्षिण-समुद्र के तट पर जहां परम पवित्र रामसेतु है, वहीं धनुष्कोटिनाम से विख्यात एक मुक्तिदायक तीर्थ है। इसके विषय में यह कथा है- भगवान श्रीराम जब लंका पर विजय प्राप्त करने के उपरान्त भगवती सीता के साथ वापस लौटने लगे तब लंकापति विभीषण ने प्रार्थना की- प्रभो! आपके द्वारा बनवाया गया यह सेतु बना रहा तो भविष्य में इस मार्ग से भारत के बलाभिमानी राजा मेरी लंका पर आक्रमण करेंगे। लंका-नरेश विभीषण के अनुरोध पर श्रीरामचन्द्रजीने अपने धनुष की कोटि (नोक) से सेतु को एक स्थान से तोडकर उस भाग को समुद्र में डुबो दिया। इससे उस स्थान का नाम धनुष्कोटि हो गया। इस पतितपावन तीर्थ में जप-तप, स्नान-दान से महापातकों का नाश, मनोकामना की पूर्ति तथा सद्गति मिलती है। धनुष्कोटिका दर्शन करने वाले व्यक्ति के हृदय की अज्ञानमयी ग्रंथि कट जाती है, उसके सब संशय दूर हो जाते हैं और संचित पापों का नाश हो जाता है। यहां पिण्डदान करने से पितरों को कल्पपर्यन्त तृप्ति रहती है। धनुष्कोटितीर्थ में पृथ्वी के दस कोटि सहस्र (एक खरब) तीर्थो का वास है।
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01-04-2012, 09:09 AM | #24 |
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Re: रामसेतु की महिमा
वस्तुत:रामसेतु महातीर्थ है। विद्वानों ने इस सेतु को लगभग 17,50,000 साल पुराना बताया है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में निर्दिष्ट काल-गणना के अनुसार यह समय त्रेतायुगका है, जिसमें भगवान श्रीराम का अवतार हुआ था। सही मायनों में यह सेतु रामकथा की वास्तविकता का ऐतिहासिक प्रमाण है। समुद्र में जलमग्न हो जाने पर भी रामसेतुका आध्यात्मिक प्रभाव नष्ट नहीं हुआ है।
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01-04-2012, 09:09 AM | #25 |
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Re: रामसेतु की महिमा
स्कंदपुराण, कूर्मपुराण आदि पुराणों में भगवान शिव का वचन है कि जब तक रामसेतु की आधारभूमि तथा रामसेतु का अस्तित्व किसी भी रूप में विद्यमान रहेगा, तब तक भगवान शंकर सेतुतीर्थ में सदैव उपस्थित रहेंगे। अत: श्रीरामसेतु आज भी दिव्य ऊर्जा का स्रोत है। पुरातात्विक महत्व की ऐसी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण प्रदान करते हुए हमें उसकी हर कीमत पर रक्षा करनी चाहिए। यह सेतु श्रीराम की लंका- विजय का साक्षी होने के साथ एक महातीर्थभी है।
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14-12-2014, 11:07 AM | #26 |
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Re: रामसेतु की महिमा
Thanking You Very Much
for Giving me Status of Diligent Member मेहनती and * * * * *
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16-12-2014, 09:01 PM | #27 |
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Re: रामसेतु की महिमा
मैं आया हूँ घोड़े पे सवार ...तेज ...तेज ... सोच रहा हूँ १००० पोस्ट पूरे होने पर एक भी बधाई नहीं दी किसी ने अभी तक अच्छा भाई ...लोग काम पर बीजी हैं मैं खुद ही बधाई ...दे लेता हूँ खुद को ....सबकी और से .... १००० पोस्ट वो भी इतनी जल्दी पूरे होने पर देवराज जी को हार्दिक बधाइयां
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