My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 06-10-2011, 11:04 AM   #21
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

यह बात-बात पर झल्लाना

चिट्ठी है किसी दुखी मन की।


यह थकी देह पर कर्मभार

इसको खाँसी, उसको बुखार

जितना वेतन, उतना उधार

नन्हें-मुन्नों को गुस्से में

हर बार, मारकार पछताना

चिट्ठी है किसी दुखी मन की।


इतने धंधे। यह क्षीणकाय-

ढोती ही रहती विवश हाय

ख़ुद ही उलझन, खुद ही उपाय

आने पर किसी अतिथि जन के

दुख में भी सहसा हँस जाना

चिट्ठी है किसी दुखी मन की।
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 08-10-2011, 10:59 AM   #22
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

बर्तन की यह उठका-पटकी

यह बात-बात पर झल्लाना

चिट्ठी है किसी दुखी मन की।


यह थकी देह पर कर्मभार

इसको खाँसी, उसको बुखार

जितना वेतन, उतना उधार

नन्हें-मुन्नों को गुस्से में

हर बार, मारकार पछताना

चिट्ठी है किसी दुखी मन की।


इतने धंधे। यह क्षीणकाय-

ढोती ही रहती विवश हाय

ख़ुद ही उलझन, खुद ही उपाय

आने पर किसी अतिथि जन के

दुख में भी सहसा हँस जाना

चिट्ठी है किसी दुखी मन की।
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 08-10-2011, 11:00 AM   #23
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

अगर तुम एक पल भी

ध्यान देकर सुन सको तो,

तुम्हें मालूम यह होगा

कि चीजें बोलती हैं।


तुम्हारे कक्ष की तस्वीर

तुमसे कह रही है

बहुत दिन हो गए तुमने मुझे देखा नहीं है

तुम्हारे द्वार पर यूँ ही पड़े

मासूम ख़त पर

तुम्हारे चुंबनों की एक भी रेखा नहीं है


अगर तुम बंद पलकों में

सपन कुछ बुन सको तो

तुम्हें मालूम यह होगा

कि वे दृग खोलती हैं।


वो रामायण

कि जिसकी ज़िल्द पर जाले पुरे हैं

तुम्हें ममता-भरे स्वर में अभी भी टेरती है।

वो खूँटी पर टँगे

जर्जर पुराने कोट की छवि

तुम्हें अब भी बड़ी मीठी नज़र से हेरती है।


अगर तुम भाव की कलियाँ

हृदय से चुन सको तो

तुम्हें मालूम यह होगा

कि वे मधु घोलती हैं।
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 13-10-2011, 05:01 PM   #24
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

कैसी विडंबना है

जिस दिन ठिठुर रही थी

कुहरे-भरी नदी, माँ की उदास काया।

लानी थी गर्म चादर; मैं मेज़पोश लाया।


कैसा नशा चढ़ा है

यह आज़ टाइयों पर

आँखे तरेरती हैं

अपनी सुराहियों पर

मन से ना बाँध पाई रिश्तें गुलाब जैसे

ये राखियाँ बँधी हैं केवल कलाइयों पर


कैसी विडंबना है

जिस दिन मुझे पिता ने,

बैसाखियाँ हटाकर; बेटा कहा, बुलाया।

मैं अर्थ ढूँढ़ने को तब शब्दकोश लाया।


तहज़ीब की दवा को

जो रोग लग गया है

इंसान तक अभी तो

दो-चार डग गया है

जाने किसे-किसे यह अब राख में बदल दे

जो बर्फ़ को नदी में चंदन सुलग गया है


कैसी विडंबना है

इस सभ्यता-शिखर पर

मन में जमी बरफ़ ने इतना धुँआ उड़ाया।

लपटें न दी दिखाई; सारा शहर जलाया।
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 13-10-2011, 05:04 PM   #25
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया

जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया

सूखा पुराना ज़ख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया

आतीं न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया

आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नज़रों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया

अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया

ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया

अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर
यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 16-10-2011, 06:56 PM   #26
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

दुख ने तो सीख लिया आगे-आगे बढ़ना ही

और सुख सीख रहे पीछे-पीछे हटना

सपनों ने सीख लिया टूटने का ढंग और

सीख लिया आँसुओं ने आँखों में सिमटना

पलकों ने पल-पल चुभने की बात सीखी

बार-बार सीख लिया नींद ने उचटना

दिन और रात की पटरियों पे कटती है

ज़िन्दगी नहीं है, ये है रेल-दुर्घटना।
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 16-10-2011, 06:58 PM   #27
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

ज़िन्दगी यूँ ही चली यूँ ही चली मीलो तक
चन्दनी चार कदम, धूप चली मीलों तक

प्यार का दाँव अजब दाँव है जिसमे अक्सर
कत्ल होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक

घर से निकला तो चली साथ मे बिटिया भी हँसी
खुशबू इन से ही जी रही नन्ही कली

मन के आँचल मे जो सिमटी तो घुमड़ कर बरसी
मेरी पलको पे जो एक पीर पली मीलों तक
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 17-10-2011, 01:12 AM   #28
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

कुंअर बेचैन ने कुछ अनुपम गज़लें कही हैं, जिन्हें हिन्दी ग़ज़ल का आधार कहा जाता है ! यदि कहा जाए कि शमशेर बहादुर सिंह और दुष्यंत कुमार के बाद एक वे ही समर्थ हिन्दी ग़ज़लगो हैं, तो संभवतः अतिशयोक्ति नहीं होगी ! एक अच्छे सूत्र के निर्माण के लिए मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 24-10-2011, 07:41 PM   #29
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

Quote:
Originally Posted by Dark Saint Alaick View Post
कुंअर बेचैन ने कुछ अनुपम गज़लें कही हैं, जिन्हें हिन्दी ग़ज़ल का आधार कहा जाता है ! यदि कहा जाए कि शमशेर बहादुर सिंह और दुष्यंत कुमार के बाद एक वे ही समर्थ हिन्दी ग़ज़लगो हैं, तो संभवतः अतिशयोक्ति नहीं होगी ! एक अच्छे सूत्र के निर्माण के लिए मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें !


अलैक जी सूत्र भ्रमण के लिए हार्दिक आभार .............!
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Old 24-10-2011, 07:48 PM   #30
bhavna singh
Special Member
 
bhavna singh's Avatar
 
Join Date: Sep 2011
Location: satna (mp)
Posts: 2,139
Rep Power: 28
bhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud ofbhavna singh has much to be proud of
Send a message via Yahoo to bhavna singh
Default Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ

मिलना और बिछुड़ना दोनों
जीवन की मजबूरी है।
उतने ही हम पास रहेंगे,
जितनी हममें दूरी है।

शाखों से फूलों की बिछुड़न
फूलों से पंखुड़ियों की
आँखों से आँसू की बिछुड़न
होंठों से बाँसुरियों की
तट से नव लहरों की बिछुड़न
पनघट से गागरियों की
सागर से बादल की बिछुड़न
बादल से बीजुरियों की
जंगल जंगल भटकेगा ही
जिस मृग पर कस्तूरी है।
उतने ही हम पास रहेंगे,
जितनी हममें दूरी है।

सुबह हुए तो मिले रात-दिन
माना रोज बिछुड़ते हैं
धरती पर आते हैं पंछी
चाहे ऊँचा उड़ते हैं
सीधे सादे रस्ते भी तो
कहीं कहीं पर मुड़ते हैं
अगर हृदय में प्यार रहे तो
टूट टूटकर जुड़ते हैं
हमने देखा है बिछुड़ों को
मिलना बहुत जरूरी है।
उतने ही हम पास रहेंगे,
जितनी हममें दूरी है।
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
bhavna singh is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
hindi, hindi forum, hindi poems, kunwar baichan, my hindi forum


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:19 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.