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Old 18-04-2011, 04:34 PM   #21
MissK
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Default Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार

मेरे विचार में तो परिवार टूटने का एक कारन आजकल कि स्त्रियों में बढ़ी जागरूकता और शिक्षा भी है. पहले स्त्रियों का पालन पोषण इस हिसाब से होता था कि उसे अपने ससुराल जाना है एक दिन और परिवार के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशियों का बलिदान देना सर्वोपरि होता था. आजकल के समाज में जहाँ स्त्रियों में आर्थिक निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ी है वही उनकी खुद को लेकर सोच में भी एक अलग दृष्टिकोण आया है..जिसमें आत्म त्याग ही सबकुछ नहीं और व्यक्तिगत हित उतना ही महत्त्व रखते है. जहाँ तक में देखती हूँ हमारा भारतीय समाज अभी एक ट्रांजिशन फेज में है.
__________________
काम्या

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Old 18-04-2011, 04:35 PM   #22
Bond007
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...
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अगर पति को पत्नी से कोई शिकायत है तो वो उसे प्यार से समझाए....कि उसे उसके व्यवहार से कहाँ दिक्कत हो रही है...
...
...
...
आखिरी में एक बात दोनों को हर चीज पे संतोष होना सीखना पड़ेगा........तभी गाडी आगे बढ़ेगी
"संतोषं परम सुखम"
संयम, संतोष, समझदारी, प्यार से बात करना.............,

अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!!
शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा?


और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या|
__________________
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फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

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Old 18-04-2011, 04:39 PM   #23
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Default Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार

कई बार मित्रो ,पति और पत्नी के बीच सम्बन्ध खराव धन की कमी से भी होते है ..पैसा कमाना १ अच्छी बात है परन्तु उस पैसे की वजह से शान्ति भंग हो ये ठीक नहीं है
__________________
प्यार बाटते चलो , प्यार ही जीवन है ...एन्जॉय करो ..मस्त रहो .........आप का अपना देव भारद्वाज
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Old 18-04-2011, 04:43 PM   #24
bhoomi ji
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Default Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार

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संयम, संतोष, समझदारी, प्यार से बात करना.............,

अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!!
शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा?


और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या|
इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
ऐसे संस्कार जो ये नहीं समझाते कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है?
बड़ों की सलाह पर एक बार जरूरू अमल करो?
आपस में सहयोग की भावना रखो?
अब जब बचपन से माँ बाप अपने लड़के को ये सिखाएंगे कि बेटा घर का काम तो लड़कियों को ही करना है....तू रहने दे ये काम तेरी बहन कर लेगी
तो क्या वो शादी के बाद ख़ाक अपनी पत्नी के साथ सहयोग करेगा?
उसे तो आदत है घर में निठ्ठल्ले बैठने की......
ऐसे में कहाँ कोई परिवार सही ढंग से चल पायेगा?

आज जहाँ लड़कियां ऑफिस या अपनी नौकरी पार जाती हैं और घर आके उसे ही सब कुछ करना पड़े...तो भला किस परिवार में झगडा नहीं होगा?
वो भी चाहेगी कि जब दोनों काम करने वाले हैं तो उसका पति भी घर के कामों में उसका साथ दे...
लेकिन पति तो ऐसा मिला हुआ है कि जिसे बचपन से काम ना करने की ट्रेनिंग मिली हुई है

जाहिर है ऐसी स्थिति में बिखराव के परसेंट बड जायेंगे
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Old 18-04-2011, 04:48 PM   #25
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Default Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार

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Originally Posted by bond007 View Post
संयम, संतोष, समझदारी, प्यार से बात करना.............,

अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!!
शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा?


और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या|


मित्र ..आप से मै सहमत हु ,...जब इंसान ,नमक तेल लकड़ी के जंजाल में फसता है ...तभी तो उस की समझदारी का पता चलता है की वो घर -परिवार और बाहर की दुनिया में कैसे ताल मेल बनाए ...रोमांस अपनी जगह अलग है
वास्तविकता की दुनिया से दो चार हो कर समजदारी से अपने परिवार को सँभालते हुए आगे बढना ही तो जिंदगी है मित्र
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Old 18-04-2011, 04:52 PM   #26
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Originally Posted by missk View Post
मेरे विचार में तो परिवार टूटने का एक कारन आजकल कि स्त्रियों में बढ़ी जागरूकता और शिक्षा भी है. पहले स्त्रियों का पालन पोषण इस हिसाब से होता था कि उसे अपने ससुराल जाना है एक दिन और परिवार के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशियों का बलिदान देना सर्वोपरि होता था. आजकल के समाज में जहाँ स्त्रियों में आर्थिक निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ी है वही उनकी खुद को लेकर सोच में भी एक अलग दृष्टिकोण आया है..जिसमें आत्म त्याग ही सबकुछ नहीं और व्यक्तिगत हित उतना ही महत्त्व रखते है. जहाँ तक में देखती हूँ हमारा भारतीय समाज अभी एक ट्रांजिशन फेज में है.
मित्र ...मेरे विचार से तो व्यक्तिगत हित होने ही नहीं चाहिए बल्कि पति और पत्नी को एक दुसरे की हितो की चिंता करनी चाहिए ....यही तो प्यार है , यही तो भावनाए है , यही जिंदगी है प्रिय मित्र
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Old 18-04-2011, 04:56 PM   #27
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Originally Posted by bhoomi ji View Post
इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
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एक बात कहना चाहूंगा कि हर परिस्थिति में माँ-बाप जिम्मेदार नहीं होते| कौन से ऐसे माँ-बाप होंगे जो अपने बच्चों का बिगड़ जाना पसंद करेंगे? शायद कुछ कमी रह जाती हो लेकिन ज्यादातर माँ-बाप अपने बच्चों को उचित शिक्षा-संसकार देने की पूरी कोशिश करते हैं| हाँ बेटा-बेटी के बीच भेद अभी भी है|
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Old 18-04-2011, 04:59 PM   #28
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Default Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार

मित्र , मै आप की बात से सहमत हु ,,,मेरी जानकारी में एक ऐसा परिवार है ..जिस में पति और पत्नी दोनो ही काम काजी है .,,,,......पति के पास टाइम नहीं है , परन्तु पति चाहता है की काम नौकरानी करे , पत्नी नहीं .....परन्तु पत्नी को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं ...वो सारा काम स्वयं करती है ...अब ऐसी परिथिति में आप क्या कहेंगी ??????????
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इसमें दोष उन लड़कों का नहीं है दोष है उनके माँ बापों का जिन्होंने उन्हें ऐसी संस्कार दिए हैं....
ऐसे संस्कार जो ये नहीं समझाते कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है?
बड़ों की सलाह पर एक बार जरूरू अमल करो?
आपस में सहयोग की भावना रखो?
अब जब बचपन से माँ बाप अपने लड़के को ये सिखाएंगे कि बेटा घर का काम तो लड़कियों को ही करना है....तू रहने दे ये काम तेरी बहन कर लेगी
तो क्या वो शादी के बाद ख़ाक अपनी पत्नी के साथ सहयोग करेगा?
उसे तो आदत है घर में निठ्ठल्ले बैठने की......
ऐसे में कहाँ कोई परिवार सही ढंग से चल पायेगा?

आज जहाँ लड़कियां ऑफिस या अपनी नौकरी पार जाती हैं और घर आके उसे ही सब कुछ करना पड़े...तो भला किस परिवार में झगडा नहीं होगा?
वो भी चाहेगी कि जब दोनों काम करने वाले हैं तो उसका पति भी घर के कामों में उसका साथ दे...
लेकिन पति तो ऐसा मिला हुआ है कि जिसे बचपन से काम ना करने की ट्रेनिंग मिली हुई है
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एक बात कहना चाहूंगा कि हर परिस्थिति में माँ-बाप जिम्मेदार नहीं होते| कौन से ऐसे माँ-बाप होंगे जो अपने बच्चों का बिगड़ जाना पसंद करेंगे? शायद कुछ कमी रह जाती हो लेकिन ज्यादातर माँ-बाप अपने बच्चों को उचित शिक्षा-संसकार देने की पूरी कोशिश करते हैं| हाँ बेटा-बेटी के बीच भेद अभी भी है|
बिलकुल मित्र ,,,और बेटा -बेटी की परवरिश का भेद ख़तम होना चाहिए
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Old 18-04-2011, 05:02 PM   #30
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Default Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार

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मित्र ...मेरे विचार से तो व्यक्तिगत हित होने ही नहीं चाहिए बल्कि पति और पत्नी को एक दुसरे की हितो की चिंता करनी चाहिए ....यही तो प्यार है , यही तो भावनाए है , यही जिंदगी है प्रिय मित्र
ये तो आदर्शों वाली बात हुयी. सवाल यहाँ यह है की इस आदर्श को आप अरेंज मेरिज में कैसे निभाएंगे खास कर जब आजकल दोनों पक्ष पढ़े लिखे, आत्मनिर्भर और ज्यादा जागरूक होते हैं? यह बात तो मैं भी मानती हूँ कि किसी भी रिश्ते में आपसी समझ और एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना महत्वपूर्ण होता है परन्तु उस understanding को विकसित होने में समय लगता है. जिसकी हो गयी उसके लिए अच्छा जिस की नहीं हो पायी उसके लिए तो साथ न ही रहना बेहतर है.
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