10-12-2012, 10:39 PM | #21 |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
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10-12-2012, 11:47 PM | #22 |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
[QUOTE=Dark Saint Alaick;114877]... आज की बहस का विषय है-
गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे का पाकिस्तान पर बयान और उसके प्रभाव ! भृष्टाचार के विरुद्ध दिल्ली-आंदोलन में अन्ना जी का रवैय्या आरम्भ में गांधीवादी लगा था लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि वह एक खुदमुख्तार तानाशाह की भाषा बोल रहे हैं. वे चाहते थे कि सभी सांसद संवैधानिक प्रक्रियाओं के परे जा कर परासंसदीय हो कर उनकी मन पसंद व्यवस्थाओं वाला बिल पास करवाएं. बहुत अच्छी नीयत के बावजूद जनता यह समझती थी कि संसद की गरिमा और मर्यादा को सर्वोपरि रखते हुये ही कोई नया क़ानून बनाया जा सकता है. उस समय भी अन्ना जी से कुछ लोगों का मोह भंग हुआ. उसके बाद भी अन्नाजी के कई विवादास्पद बयान मीडिया में आये जिसके बाद उनकी अपनी छवि भी कमज़ोर हुई. गाँधी बनना तलवार की धार पर चलने के समान है. गांधीवाद बड़ा रूमानी लगता है लेकिन उसे निभाने की प्रक्रिया स्वयं को जीतने से शुरू होती है इसके मूल में है हिंसा का पूरा त्याग – केवल बाहरी हिंसा ही नहीं बल्कि किसी के बारे में बुरा विचार करना भी वहाँ त्याज्य है. हाँ, आप स्वयं में सत्य से उपजा आत्मिक बल पैदा कीजिये, अपने विरोधी से बात कीजिये और उसका ह्रदय परिवर्तन कर उसे अपने पक्ष में कीजिये. तनावग्रस्त विश्व में गांधीजी के सिद्धांत आज कहीं अधिक ज़रूरी हो गए हैं. गाँधी जी कहते थे की यदि हर कोई हिंसा का जवाब हिसा से देगा तो कोई बचेगा ही नहीं. आँख के बदले आँख निकाले जाने का सिद्धांत चलाया जाएगा तो सब अंधे हो जायेंगे. और वे यह कहते थे कि ‘पाप से घृणा करो पापी से नहीं’. अन्नाजी ने अपने असंतुलित बयानों के कारण ही अपनी गुडविल को नुक्सान पहुंचाया है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी विभिन्न देशों के बीच परस्पर बातचीत के बाद स.रा.स. की स्थापना हुई. आज दुनिया शीत युद्ध से निकल आयी है. लेकिन वैश्विक स्तर पर देखें तो कहाँ तनाव अभी बरकरार हैं. छोटे बड़े सभी देशों के बीच कितने मुद्दे ऐसे हैं जिन पर आम सहमति नहीं है. फिर भी बातचीत होती है और कई बार होती है इस आशा में कि सर्वसम्मति से कोई हल निकल जाये. में आपसे पूछता हूँ कि ६ दिसंबर १९९२ को जो अयोध्या में जो हुआ क्या उससे कोई समस्या हल हुई? देशभक्ति का जज़्बा होना बहुत श्रेष्ठ गुण है परन्तु सह-अस्तित्व का विचार भी अंगीकार होना चाहिए. महज लफ्फ़ाजी से माहौल बिगड़ता है संवरता नहीं. Last edited by rajnish manga; 10-12-2012 at 11:50 PM. |
11-12-2012, 12:08 AM | #23 |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
मित्र, क्षमा करें कि आपके विचारों से मैं सहमत नहीं हूं। या तो आपको अधूरी जानकारी दी गई है अथवा कोई गलतफहमी है। मैं यह विश्वासपूर्वक कह सकता हूं कि श्री अन्ना हजारे ने कभी कोई विवादास्पद बयान नहीं दिया। हां, बीच में कुछ ग़लतफ़हमियां पैदा हुईं, लेकिन वे श्री हजारे के कारण नहीं, बल्कि उनके सहयोगियों के कारण थीं। अगर आप उन वक्तव्यों को विवादास्पद मानें कि 'संसद नहीं, देश का नागरिक सर्वोपरि है', तो यह वैचारिक मतभेद है, क्योंकि मैं इस मुद्दे पर पूरी तरह अन्ना का समर्थक हूं। पहले आप विकल्प उपलब्ध कराएं, राजनीतिक दलों को बाहुबलियों और अपराधियों का चयन करने से रोकें, उन्हें अपने खाते सार्वजनिक करने का क़ानून पास कराएं, फिर रीकॉल बटन उपलब्ध कराएं। ऐसे ही बहुत से कदम हैं, जिनका उठाया जाना मुझे, अन्ना के साथ, जरूरी लगता है। अब आप यह भी नहीं करेंगे और फिर कहेंगे कि लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि है, तो चारा खा जाने वाले, कोयला हज़म कर जाने वाले, स्पेक्ट्रम की कमाई से अपना घर भरने वाले और प्रति प्रश्न धन वसूलने वाले ही संसद में नज़र आएंगे। अगर यह आरोप सांसदों पर आयद होते हैं, तो इसमें गलत क्या है?
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11-12-2012, 12:27 PM | #24 | |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
शुरू से ही अन्ना को मुखौटा बना कर पेश किया गया है। अन्ना के आन्दोलन की असली किरदार तो पीछे थे, बस अन्ना को सामने खड़ा कर दिया था। खूब सारा मीडिया हाइप किया गया, सोशल नेटवर्क और इन्टरनेट का भी सहारा लिए गया। मैं नहीं मानता इसमें कुछ भी गलत था। आप लोग बताइये अगर अरविन्द केजरीवाल जैसे लोगो लो राष्ट्रीय स्तर पर अगर राजनीति करनी है तो कैसे करते, अगर ग्रास रूट लेवल से शुरू करते तो सालो लग जाते और कुछ नहीं होता। यह तो अरविन्द केजरीवाल का क्रैश कोर्स वाली स्ट्रेटेजी थी जिसने उन्हें राष्ट्रीय पटल पर 2-3 साल में पंहुचा दिया। नहीं तो आप ही सोचिये जहाँ पैसा बोलता है, बाप अगर राजनीति में है तभी कोई चांस है, ऐसे माहौल में अरविन्द केजरीवाल (जो न केवल iit ग्रेजुएट है बल्कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा भी पास कर चुके है ) देश के राजनीति में ऊपर कैसे आये। आज की डेट में बहुत ही कम नेता होंगे जिनकी योग्यता अरविन्द केजरीवाल के बराबर या अधिक होगी।
ओके टॉपिक पर आते है, हाँ तो अन्ना जी साधारण से सोशल वर्कर है जिन्हें अरविन्द केजीरिवाल या किरण बेदी की तरह गोल गोल करने बात करनी नहीं आती वो सीधे सीधे बोलते हैं। जो मैंने उनसे सुना है। 1. कसब को पब्लिक के सामने फांसी देनी चाहिए थी। 2. जो शराब पीता है उसको पीट पीट कर सही रास्ते पर लाना चाहिए। 3. केर्जिवाल को राजनीतक महत्वाकांक्षा है। 4. केवल एक ही तप्पर मारा (जब शरद पवार को किसी ने तप्पर मारा था।) और पाकिस्तान के सिलसिले में क्या बयां आया है, यह मुझे नहीं पता। इसमें कोई दो राय नहीं है की आज की दुनिया को गांधी के मूल्यों की पहले से कही जायदा जरुरत है। लेकिन पाकिस्तान के सिलसिले में हम लोग तो फूँक फूँक कर ही कदम उठाने चाहिए। पाकिस्तान अपने मिसाइल का नाम गौरी रखता है क्योंकि भारत के मिसाइल का नाम पृथ्वी है।। पाकिस्तान में काफी लोग कहते है जिस तरह से आज 1192 में गौरी ने पृथ्वी राज चौहान को हराया था और दिल्ली पर कब्ज़ा किया था ठीक वैसा ही फिर से होगा, उसको वहां के सिलेबस में है पढ़ाया जाता है। उस टर्म को गजवा ऐ हिन्द कहते हैं। और यह उनके किसी पुराने ग्रन्थ में लिखा हुआ है। Quote:
पाकिस्तान में लोग कहते है की 1971 1191 था अब अगली लड़ाई में गौरी पृथ्वी को हरा देगा ऐसा सुनने में काफी बचकाना लगता है लेकिन पाकिस्तान में लोग इन बातो को काफी सीरियसली लेते हैं।
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11-12-2012, 12:43 PM | #25 | |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
Quote:
2. अगर पीटने वाला अन्ना हो, तो मैं खुशी से पिटने के लिए तैयार हूं। 3. अब तो यह जगजाहिर है। 4. गांधीजी ने खुद कहा था, अगर कोई तुम्हें थप्पड़ मारे, तो अपना दूसरा गाल भी उसके सामने कर दो ... अन्ना का इशारा शायद शरद पवार को यह बताने की ओर था।
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11-12-2012, 12:57 PM | #26 |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
भारत को पाकिस्तान के साथ मित्रता करनी चाहिए, लेकिन अभी नहीं, थोडा इंतज़ार करना होगा इसके लिए
अभी पकिस्तान में बलूचिस्तान में अलगाववादी आन्दोलन चल रहा है, और अन्दर ही अन्दर उसको अमेरिका और भारत का सपोर्ट है, फाटा का पूरा एरिया पाकिस्तान तालिबान के कण्ट्रोल में है, वहां आज भी पाकिस्तानी सेना और तालिबान के बीच में लड़ाई चल रही है, ऐसे में अगर अगले 4-5 साल में अगर बलूचिस्तान एक अलग स्वतंत्र देश बन जाता है को इससे पाकिस्तान का करीब 40 फीसदी एरिया चला जाएगा इससे पाकिस्तान का कॉन्फिडेंस जाता रहेगा और फिर पुरे एरिया में शान्ति की संभावना बढ़ जायेगी। पाकिस्तान खासकर सिंध और पंजाब में एंटी अमेरिकावाद काफी बढ़ गया है। ऐसे में पाकिस्तान और अमेरिकन के रिलेशन अब ज्यादा दिन टिकने वाले नहीं है तो ऐसे में अगर अमेरिका और भारत मिलकर बलूचिस्तान बनवा दे और उसको राष्ट्र का दर्जा दे दें। तो फिर अमेरिकन वहां बलूचिस्तान में अपने बेस बना सकता है, फिर अमेरिका वहां से इरान और अफगानिस्तान दोनों पर निगरानी रख सकते है। इस बीच भारत और अमेरिका और नजदीक आ सकते हैं, इससे, भारत को निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। 1. भारत को सिक्यूरिटी कौंसिल में परमानेंट सीट मिल सकती है। 2. भारत को चीन की खिलाफ अमेरिका का सपोर्ट मिल सकता है। 3. बलूचिस्तान बन जाने की बाद पाकिस्तान फिर सही मायनों में भारत के साथ शांति वार्ता कर सकता है।
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11-12-2012, 01:27 PM | #27 |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
क्या अमेरिका के सहारे आगे बढ़ना भारत की मजबूरी है ?
क्या हमारे पास कोई मजबूत नेतृत्व है और यदि नहीं है तो अना हजारे का रिकॉल का आप्शन सही है ! क्या हम अमेरिका के इशारो पर सिर्फ पाकिस्तान से शांति वार्ता ही करते रहेंगे ? क्या अमेरिका से दोस्ती हमारे लिए फायदेमंद है या अमेरिका सिर्फ पाकिस्तान के लिए हमें इस्तेमाल करना चाहता है ? |
11-12-2012, 01:29 PM | #28 | |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
Quote:
2.मेरे ख्याल से अमेरिका को चीन के खिलाफ भारत के सुपोर्ट की जरूरत है ! |
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11-12-2012, 03:51 PM | #29 | |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
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आपके उत्तर क्रमानुसार 1.मेरेअनुसार हमें किसी सहारे की ज़रूरत नहीं है हम सक्षम है 2.फ़िलहाल यदि हम मोदी जी को दरकिनार करते है कोई मज़बूत ऑप्शन नहीं है और यदि हमें नेताओ से काम करवाना है तो रिकाल बिल पास होना चाहिए 3. भारत ने तो शुरू से ही शांति वार्ता का सहारा लिया है तभी तो मुंबई और संसद हमले का शिकार हुए अन्यथा परिणाम कुछ और होते 4.मेरे अनुसार अमेरिका सिर्फ अपने फायदे के लिए हमसे दोस्ती कर रहा है, वरना ये वही अमेरिका है जिसने वाजपेयी जी द्वारा परमाणु परिक्षण करने पोर भारत पर ना जाने कितने प्रतिबंध लगा दिए थे और फिर बाद में ' मज़बूरी का नाम भारत ' |
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25-12-2012, 12:48 AM | #30 | |
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Re: सभी को निमंत्रण, यहां करें बहस
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