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22-12-2012, 07:52 PM | #1 | |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
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सही है भाई अगर आपके ज्ञान से किसी का अहित होने की आशंका हो, तो वह ज्ञान किसी काम का नहीं
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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19-12-2012, 11:34 AM | #2 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
वाहनों के अर्थ
हंस : कहा जाता है कि हंस नीर (जल) और क्षीर (दूध) को अलग-अलग कर देता है। इसलिए वह विवेक का प्रतीक है। इसी कारण देवी सरस्वती ने उसे अपना वाहन बनाया है। हंस मोती चुगकर सर्वश्रेष्ठ को ग्रहण करने का संदेश देता है। वृषभ : कृषक का प्रिय वृषभ (बैल) श्रमशीलता का प्रतीक है। जन-जन के आराध्य शिव जी का वाहन बैल भी उनके साथ पूजा जाता है। यह हमारी संस्कृति में श्रम की उपासना का अप्रतिम उदाहरण है। गरुड : भगवान विष्णु का वाहन गरुड सांपों का शत्रु है। इस कारण यह कहा जाता है कि गरुड विष को खत्म करने वाला अर्थात आतंक को नष्ट करने वाला पक्षी है। अश्व : अश्व (घोडा) को स्फूर्ति एवं शक्ति का प्रतीक माना जाता है। हमारी सृष्टि के साक्षात देवता माने जाने वाले सूर्य के रथ में सात घोडे होते हैं, जो सात किरणों के प्रतीक हैं। अश्वमेध यज्ञ से संबद्ध होने के कारण भी इसे पूज्य माना गया है। गज : गज अर्थात हाथी वैभव का सूचक है। पुराणों में कहा गया है कि धन-संपन्नता की देवी लक्ष्मी की अर्चना गजराज जल से करते रहते हैं। गज को बुद्धि के देवता गणपति का प्रतीक भी माना गया है। सिंह : देवी दुर्गा का वाहन वनराज सिंह शक्ति का प्रतीक है, तभी तो स्वामी विवेकानंद उद्घोष करते हैं - हे युवाओं, तुम सिंह की तरह निर्भय बनो और आगे बढे चलो। इस प्रतीक को वैदिक, बौद्ध, जैन तीनों धर्र्मो में अपनाया गया है। (साभार : देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार) |
19-12-2012, 11:37 AM | #3 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
देवों के आयुध
देवता व्यक्ति नहीं, शक्ति का स्वरूप हैं। निश्चित रूप से उनके प्रिय अस्त्रों-शस्त्रों में भी गहरे अर्थ छिपे हैं:- अंकुश : बुद्धि के देवता गणपति का यह अस्त्र आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। हाथी को काबू में रखने वाला अंकुश यह संदेश देता है कि विवेक द्वारा ही इंद्रियों एवं महाशक्तिशाली मन पर संयम रखा जा सकता है। चक्र : भगवान विष्णु का अस्त्र चक्र जीवन की गतिशीलता का प्रतीक है। ठहराव में विकृति आती है, इसी कारण सृष्टि का कण-कण गतिशील है। भगवान विष्णु ने हर युग की परिस्थितियों के अनुकूल गुणों को धारण कर ही धरती पर जन्म लिया और अत्याचार का अंत किया। वस्तुत: यह अस्त्र उन सिद्धांतों, आदर्र्शो और उद्देश्यों का परिचायक है, जो युगों से सत्यमेव जयते का शंखनाद करते आ रहे हैं। गदा : अनीति एवं अत्याचार का संहार करने वाले भगवान विष्णु का यह अस्त्र बुद्धि का प्रतीक है। इसे दंडनीति का पर्याय भी कहा गया है। गोल, कुंभाकार, अंडाकार आदि रूपों में सुशोभित गदा का रामायण और महाभारत में व्यापक उल्लेख मिलता है। वृहत्संहिंता में गदा को वासुदेव कृष्ण के पुत्र साम्ब का आयुध माना जाता है। त्रिशूल : वैदिक साहित्य के अनुसार मनुष्य के कल्याण के मार्ग में तीन बंधन हैं-लोभ, मोह और अहंकार। शिव का त्रिशूल इन्हीं का विनाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है। खड्ग : मां काली का शस्त्र खड्ग आकाश-तत्व का प्रतीक है। इसे वैराग्य को सूचित करने वाला प्रतीक भी माना गया है। शुंगकाल, मौर्यकाल एवं गुप्तकाल में मां काली के अतिरिक्त अन्य देवों के साथ भी खड्ग का अंकन किया गया है। [साभार : देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार] |
19-12-2012, 12:36 PM | #4 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
एक लड़के के आपात आपरेशन के लिए एक फोन
के बाद डाक्टर जल्दी जल्दीअस्पताल में प्रवेश करते हैं....उन्होंने -तुरंत अपने कपडे बदल कर सर्जिकल गाउन पहना, ऑपरेशनके लिए खुद को तैयार किया और ऑपरेशन थियेटर की तरफ चल पड़े...हॉल में प्रवेश करते ही उनकी नज़र लड़के की माँ पर जाती है...जो उनका इंतज़ार करती जान पड़ती थी और बहुत व्याकुल भी लग रही थी.... डॉक्टर को देखते ही लड़के की माँ एकदम गुस्से से बोली : आपने आने इतनी देर क्यों कर दी..? आपको पता नहीं है कि मेरे बेटे की हालत बहुत गंभीर है..? आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है की नहीं..?? डॉक्टर मंद मंद मुस्कुराते हुए कहता है : मैं अपनी गलती के लिए आपसे माफ़ी मांगता हूँ...फोन आया तब मैं अस्पताल में नहीं था,जैसे ही खबर मिली मैं तुरंत अस्पताल केलिए निकल पड़ा..रास्ते में ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से थोड़ी देर हो गयी. अब आप निश्चिन्त रहो मैं आ गया हूँ भ गवान की मर्ज़ी से सब ठीक हो जाएगा..अब आप विलाप करना छोड़ दो..'' इस पर लड़के की माँ और ज्यादा गुस्से से : विलाप करना छोड़ दूं मतलब..? आपके कहने का मतलब क्या है..? मेरे बच्चे को कुछ हो गया होता तो.? इसकी जगह आपका बच्चा होता तो आप क्या करते..?? डॉक्टर फिर मंद मंद मुस्कुराते हुए : शांत हो जाओ बहन, जीवन और मरण वो तो भगवान के हाथ में है, मैं तो बस एक मनुष्य हूँ, फिर भी मैं मेरे सेजितना अच्चा प्रयास हो सकेगा वो मैं करूँगा..बाकी आपकी दुआ और भगवान की मर्ज़ी..! क्या अब आप मुझे ऑपरेशन थियेटर में जाने देंगीं.?? डॉक्टर ने फिर नर्स को कुछ सलाह दी और ऑपरेशन रूम में चले गए.. कुछ घंटे बाद डॉक्टर प्रफुल्लित मुस्कान लिए ऑपरेशन रूम से बाहर आकर लड़के की माँ से कहते हैं : भगवान का लाख लाख शुक्र है की आपका लड़का सही सलामत है, अब वो जल्दी से ठीक हो जाएगा और आपको ज्यादा जानकारी मेरा साथी डॉक्टरदे देगा..ऐसा कह कर डॉक्टर तुरंत वहां से चल पड़ते हैं.. लड़के की माँ ने तुरंत नर्स से पुछा : ये डॉक्टर साहब को इतनी जल्दी भी क्या थी.? मेरा लड़का होशमें आ जाता तब तक तो रूक जाते तो क्या बिगड़ जाता उनका..? डॉक्टर तोबहुत घमंडी लगते हैं'' ये सुनकर नर्स की आँखों में आंसू आ गए और कहा :''मैडम ! ये वही डॉक्टर हैं जिनका इकलौता लड़का आपके लड़के की अंधाधुंध ड्राइविंग की चपेट में आकर मारा गया है..उनको पता था की आपके लड़के के कारण ही उनके इकलौते लड़के की जान गयी है फिर भी उन्होंने तुम्हारे लड़के की जान बचाई है...और जल्दी वो इसलिए चले गए क्योंकि वे अपने लड़के की अंतिम क्रिया अधूरी छोड़ कर आ गए थे... (i don't know if it is already hera
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Kitni ajeeb thi teri ishq-e-mohabbat.... ki ek Aankh Samundar bani to dooji Pyas.... |
22-12-2012, 07:47 PM | #5 | |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
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22-12-2012, 02:38 PM | #6 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
मर्यादा
भगवान राम – जीवन का सोन्दर्य है मर्यादा – मर्यादा जीवन का माधुर्य है – सुविधा के समय मर्यादित रहना सरल है किंतु विपत्ति के समय मर्यादा मै रहना और स्वयं को नियंत्रण रखना धर्ममय जीवन का गोरव है ! जब जब जीवन को मर्यादा मै बान्धते है जीवन मै सोन्दर्य आता है ! मर्यादा जब टूटती है तो जीवन का सोन्दर्य का भी टूटता है ! सडक पर मर्यादाहीन होकर चलते है तो दुर्घटना होती है ! भगवान राम के लिये राजसत्ता और धन वैभव का महत्व नही था ! महत्वपूर्ण थी तो मर्यादा और मर्यादित आचरण ! प्रक्रति की प्रत्येक वस्तु जब तक मर्यादा मै है तब तक कल्याणकारी है नदियो की धारा, हवा का वेग, अग्नि की लपटै, विद्युत की तरंगे, और सब कुछ जब तक मर्यादा मै तब तक सुन्दर है सुखदायी भी है ! सीमा लांघते ही अमंगल शुरु हो जाता है ! भगवान श्री राम का जीवन मानवमात्र को यही सीख देता है कि मर्यादित रहे और संतुलित रहे ! सुखी रहे ! मर्यादा महज कहने सुनने का विषय़ नही है यह तो धारण करने की कीमती चीज है ! सच्चे अर्थो मै मर्यादा का पालन करने से मनुश्य का जीवन महक उटता है ! |
22-12-2012, 04:59 PM | #7 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और हृदयस्पर्शी कहानियों का अद्भुद संसार है यह सूत्र। धन्यवाद बंधुओं।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
31-12-2012, 10:48 PM | #8 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
कहने का तरीका
एक रात बादशाह अकबर ने सपना देखा कि खेत में गेहूं की बहुत सारी बालियां लगी हैं। एक गाय सारी बालियों को चर जाती है। बस एक को छोड़ देती है। बादशाह की आंख खुल गई। वह सपने का फल जानने को बेचैन हो गए। उन्होंने रात में ही कुछ पंडितों और मौलवियों को बुलवाया। पंडितों और मौलवियों ने तिथियों की गणना की, ग्रहों की स्थिति का अध्ययन किया, चांद-सितारों को देखा। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह बड़ा अशुभ सपना है। इसका अर्थ है कि देखते-देखते आपके अलावा आपके परिवार के सभी लोगों की मृत्यु हो जाएगी। यह सुन कर बादशाह नाराज हो गए। उन्होंने पंडितों और मौलवियों को बुरी तरह फटकार कर वहां से भगा दिया। इसके बाद बादशाह ने बीरबल को बुलाया और सपने का अर्थ बताने को कहा। बीरबल ने बड़ी विनम्रता के साथ निवेदन किया- बादशाह सलामत, अल्लाह आपको रोज ऐसे सपने दिखाए। बादशाह थोड़ा नाराज हो कर बोले कि हर समय मजाक अच्छा नहीं होता। बीरबल बोले-यह मजाक नहीं, हकीकत है। सपना बहुत अच्छा है। इसका अर्थ है कि आपसे ज्यादा लंबी उमर आपके खानदान में और किसी की नहीं है। यह सुनकर अकबर खुश हुए। उन्होंने बीरबल को एक हाथी इनाम में देने की घोषणा की। बाद में पंडितों और मौलवियों ने जब बीरबल पर बादशाह की चापलूसी करने का आरोप लगाया तो उन्होंने जवाब दिया-मैंने भी उन्हें वही कहा जो आपने कहा था। बस कहने का तरीका अलग है। अगर बुरी बात भी सही तरीके से कही जाए तो वह बुरी नहीं लगती। |
31-12-2012, 10:51 PM | #9 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
शिष्य की पोटली
एक शिष्य ने अपने गुरु से दीक्षा ली और उपासना में लग गया। कुछ दिनों के बाद वह गुरु से बोला, ‘गुरुदेव, दीक्षा तो मैंने ले ली किंतु न जाने क्यों मेरा मन शांत नहीं रह पाता है, न ही आराधना में लग पाता है।’ गुरु ने शिष्य को ध्यान से देखा। उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि उसका मन एकाग्र क्यों नहीं हो पाता है। वह उसे देखकर बोले, ‘सच कहते हो वत्स! यहां तो ध्यान लगेगा भी नहीं। यह जगह ठीक नहीं। चलो कहीं और चलकर साधना करते हैं, शायद वहां ध्यान लग जाए। हम आज ही सूर्यास्त के बाद यहां से कहीं और चलेंगे।’ यह सुनकर शिष्य शाम के समय गुरु के साथ वहां से दूर चल पड़ा। गुरु बिल्कुल खाली हाथ थे लेकिन शिष्य के पास एक पोटली थी जिस पर बराबर उसका ध्यान लगा हुआ था। गुरु शिष्य की नजरों को लगातार परख रहे थे। एक जगह नदी देखकर उन्होंने अपने शिष्य से कहा, ‘बहुत प्यास लगी है जरा पानी तो लेकर आना।’ गुरु का आदेश सुनकर शिष्य पोटली को साथ लेकर पानी लेने के लिए जाने लगा तो गुरु बोले, ‘अरे यह पोटली लेकर क्यों जा रहे हो? अगर पानी में डूब गई तो…। इसे मुझे दे जाओ।’ संकोच के साथ शिष्य ने पोटली गुरु को थमाई और नदी की ओर मुड़ गया। तभी उसे नदी में कुछ फेंके जाने की आवाज आई। उसने देखा कि उसकी पोटली पानी में तैरती जा रही है। यह देखकर वह बदहवास सा गुरु के पास आया और बोला, ‘गुरुदेव, मेरी पोटली! उसमें सोने की हजार अशर्फियां थीं।’ इस पर गुरु मुस्करा कर बोले, ‘वत्स, तुम्हारा मन एकाग्र इसलिए नहीं हो पाता था क्योंकि ध्यान करते समय तुम अशर्फियों के लोभ से घिर जाते थे। अब हम वहीं चलते हैं जहां से आए हैं। अब तुम वहां भी एकाग्र होकर ध्यान कर पाओगे।’ यह सुनकर शिष्य लज्जित हो गया। दोनों वापस लौट आए। |
31-12-2012, 10:53 PM | #10 |
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Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ
सोने जैसा जीवन
जॉर्ज वशिंगटन का नौकर निकोलस बड़ा ही मुंहफट और बदतमीज था। वह दूसरे नौकरों और अन्य कई लोगों को जब चाहे तब अपशब्द कह देता था। बिना मतलब के डांट देता था। लेकिन कोई उसे कुछ नहीं कह पाता था क्योंकि वह बहुत पुराना था और जॉर्ज का खास भी। लेकिन जब उसने हद कर दी तो लोगों ने उसकी शिकायत जॉर्ज से की। जॉर्ज ने बुलाकर उसे समझाया। वह कुछ दिन तक तो ठीक रहा लेकिन फिर उसने वही हरकतें शुरू कर दीं। बात फिर जॉर्ज तक पहुंची। इस बार जॉर्ज ने उसे सोने का एक सिक्का दिखाते हुए कहा- आज अगर दिन भर तुम शांत रहोगे और सबसे ढंग से पेश आओगे तो यह सिक्का शाम को तुम्हारा हो जाएगा। सारे नौकर इसका मजा लेने लगे। वे दिन भर निकोलस को किसी न किसी बहाने उकसाते रहे ताकि वह संयम खो दे। पर निकोलस ने अपने ऊपर नियंत्रण कर लिया था। वह किसी संत की तरह अपने में खोया चुपचाप काम करता रहा। बीच-बीच में वह मुस्करा देता था। सब आश्चर्य से उसे देख रहे थे। वे इस बात पर विचार कर रहे थे कि जॉर्ज का यह तरीका कारगर होगा कि नहीं। शाम हुई तो जॉर्ज ने निकोलस को बुलाया और उसे धन्यवाद दिया। फिर वह सिक्का उसे सौंपते हुए कहा- तुमने सोने के एक सिक्के के लिए आज दिन भर के लिए अपने ऊपर अद्भुत नियंत्रण कर लिया। क्या तुम ईश्वर के लिए अपना पूरा जीवन सोने जैसा नहीं बना सकते। यह बात निकोलस को समझ में आ गई। वह उस दिन से सुधर गया। |
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