05-05-2013, 11:08 PM | #21 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
अनारकली क़ैद में है, सलीम फ़रार है अकबर- अनारकली हम तुझे जीने नहीं देंगे और सलीम तुम्हें मरने नहीं देगा
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05-05-2013, 11:08 PM | #22 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
21. मुगल़े आज़म
अकबर हथियारों से लैस जंग पर जाने वाले हैं जहाँ बाग़ी सलीम ने हमला किया है. हर जंग पर जाने से पहले महारानी जोधाबाई अकबर को टीका लगाती है. अकबर- आज विजय तिलक लगाते समय माँ जोधा के हाथ काँप रहे हैं. महारानी जोधाबाई के हाथ कभी नहीं काँपते थे. ( वे पूजा की थाली फेंक देते हैं)
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05-05-2013, 11:09 PM | #23 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
22. जिस देश में गंगा बहती है (1961)
बच्चा एक परिंदे को घायल कर देता है. राजू परिंदे की सेवा करता है. इसके बाद लड़का आकर परिंदा माँगता है राजू- तुम इसे जान दे नहीं सकते तो तुम्हें जान लेने का हक़ भी नहीं है बच्चा- मैं इसे खाता हूँ, इसलिए इसे मारता हूँ
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05-05-2013, 11:09 PM | #24 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
23. गंगा जमना (1962)
गाँव के गंगा ने मेहनत मज़दूरी करके अपने छोटे भाई को शहर में पढ़ाया है और वो पुलिस अफ़सर बनकर गाँव आया है. जबकि गंगा अन्याय से तंग आकर डाकू बन गया है और शादी कर ली है. गंगा (दिलीप कुमार) की पत्नी वैजयंती माला छोटे भाई से कहती है. वैजयंतीमाला- देवरजी अपनी भौजाई के लिए कंगन तो नहीं लाए पर भैया के लिए हथकड़ी लेकर आए हो.
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05-05-2013, 11:09 PM | #25 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
24. संगम (1964)
राजेंद्र कुमार से प्यार करने वाली राधा (वैजयंतीमाला) की शादी राजकपूर से राजेंद्र कुमार ने ही कराई है. स्विट्ज़रलैंड में वैजयंतीमाला और राजेंद्र कुमार की मुलाकात होती है. वैजयंतीमाला- जो ख़ुद नहीं कर सकते दूसरों की पूजा बिगाड़ने का उन्हें अधिकार नहीं. ( उसी समय झरने पर इंद्रधनुष का शॉट आता है)
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05-05-2013, 11:09 PM | #26 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
25. गाइड
देव आनंद की मृत्यु का क्षण है. वे अपनी छवि से बात कर रहे हैं देव आनंद- तुम अहंकार हो, तुम्हें मरना होगा, मैं आत्मा हूं, मैं अमर हूं.
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05-05-2013, 11:10 PM | #27 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
26. वक्त (1965): निर्माता- बीआर चोपड़ा, निर्देशक- यश चोपड़ा
संदर्भ- जब राजकुमार को उनका बॉस चिनॉय सेठ (मदन पुरी) धमकी देता है तो राजकुमार उससे कहते हैं. राजकुमार:चिनॉय सेठ. जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते.
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05-05-2013, 11:10 PM | #28 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
27. मेरा नाम जोकर (1970): निर्देशक- राज कपूर
राजू (राज कपूर) ने पद्मिनी की कला को मांजा है लेकिन जब पद्मिनी को फिल्मों में काम मिलने लगा है तो वो राजू को अनदेखा करती है. ट्रेन में राजू खिड़की के सामने खड़ा है. पद्मिनी: अंधेरे में क्या देख रहे हो राजू (राज कपूर): स्टेज की चकाचौंध से बाहर आने पर अंधेरे में साफ दिखाई देता है.
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05-05-2013, 11:11 PM | #29 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
28. मेरा नाम जोकर (1970): निर्देशक- राज कपूर
संदर्भ- राजेंद्र कुमार निर्माता हैं और वो राज कपूर से बात कर रहे हैं. राजेंद्र कुमार: क्या तुम मीनू (पद्मिनी) से प्यार करते हो. राज कपूर- सवाल ये नहीं, सवाल ये होना चाहिए कि क्या मैं प्रेम करता हूँ...जवाब है कि मैं नदी, पहाड़, फूल, पत्थरों सबसे प्यार करता हूँ. राजेंद्र कुमार- क्या इन सब में मीना नाम की लड़की भी है. राज कपूर- आप बेफिक्र रहें, मैं रास्ते में नहीं आऊँगा.
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05-05-2013, 11:12 PM | #30 |
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Re: हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग
29. आनंद (1971): निर्देशक- राज कपूर
संदर्भ- आनंद यानी राजेश खन्ना को कैंसर है जबकि बाबूमोशाय यानी अमिताभ बच्चन डॉक्टर हैं राजेश खन्ना: बाबू मोशाय.. ज़िंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथ में है जहाँपनाह. उसे न आप बदल सकते हैं न मैं. हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं जिनकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों में बंधी है. कब कौन कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता है.
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