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#21 |
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#22 |
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परम स्नेही मित्रों, आप सभी का हार्दिक आभार / प्रतिक्रिया व्यक्त करते समय मैं शब्द-शून्य सा हो चला हूँ / (ना जाने क्यों avf का वह परम सखा याद आ गया जिसने कभी यह कहा था कि मैं (जय) स्व-प्रशंसा का चहेता हूँ/ यद्यपि यह बात सत्य नहीं है किन्तु मैंने तटस्थ भाव से उसे स्वीकार कर लिया था / मैं आज भी उस सखा को पसंद करता हूँ और वार्ता करता रहता हूँ/ )
मुझे प्रसन्नता हुई है कि मेरे दुर्गुणों को आप सभी ने स्पष्ट किया है / मैं अभिभूत हूँ कि मेरे स्व. पिता जी के बाद आप सभी ने मेरे दुर्गुणों को कहा तो है / अनिल भाई.... जैसा कि आपने लिखा है कि कवि हृदय होना मजबूत पक्ष के साथ साथ कमजोर पक्ष भी है / संभव है कि यह उचित हो किन्तु मैं कविता को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम मानता हूँ / हाँ यह अवश्य है कि मैं एक भावुक हृदय मानव हूँ इसलिए कभी कभी कोई हठात और सहजता से मुझसे कुछ धन अथवा श्रम ठग ले जाता है किन्तु वह जान ही नहीं पाता कि मैं इसमें भी अपनी खुशियाँ खोज लेता हूँ / जहाँ तक अंगरेजी भाषा के शब्दों के प्रयोग न करने की बात है तो बन्धु मैं दिन भर अंगरेजी में ही लिखता हूँ उसकी भड़ास को मैं रात में फोरम में हिंदी में लिख कर मिटा लेता हूँ / किन्तु ऐसा नहीं है कि मैं सहयोगी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग नहीं करता हूँ / बस कभी कभी अथवा अत्यंत अल्प मात्रा में / यह भी सत्य है कि मैं गलतियों को नजर अंदाज कर जाता हूँ क्योंकि मैं सोचता हूँ कि कदाचित सम्बंधित व्यक्ति से असावधानी से यह गलती हो गयी होगी इसलिए अगली बार के होने तक मैं उसे ध्यान में नहीं लाता हूँ किन्तु यदि गलती अक्षम्य हो तो उसे चेताना भी पड़ता है / मुन्ना भाई.... आपने सही कहा है कि मेरी पत्नी ही मेरा मेरुदंड है / पिछले वर्ष मेरे जयपुर प्रवास के दौरान ताराबाबू और अलैक जी सहित आप उनसे स्वयम मिल चुके हैं इसलिए मैं अधिक नहीं लिख सकता / गुल्लू भाई .... आपने जिस त्रुटि की ध्यान आकर्षित किया है उस विषय मे मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि ऐसा सुविधा के लिए आरम्भ हुआ था जो कि मेरे लेखन की पहचान बन चुका है / avf में मोबाइल से लेखन करते करते ही मैं सितम्बर में नियामक बना था / लैपटाप तो मैंने पिछली दिवाली के बाद लिया था / लैपटाप में पूर्णविराम लगाने के लिए शिफ्ट का प्रयोग करना पड़ता है और दायें हाथ की छोटी उंगली को तनिक श्रम करना पड़ता था इसलिए आरम्भ में मैंने (/) लगाना चालू कर दिया था जो कि आदत बन गयी है / ( एक बार avf में गुरूजी ने मुझसे इस विषयमे जान कारी चाही थी तब मैंने यही उपरोक्त बात स्पष्ट की थी ) / एक एक दिन गंगाजी की तरफ बढ़ना हमें यथार्थ को प्रस्तुत करने को साहस देता है (जब मनुष्य डरता है तो गाना गाने लगता है ... हा हा हा हा )/ रही बात सद्गुणों की तो मैं यह स्पष्ट जानता हूँ कि यह आप सभी भाईयों का मेरे प्रति आदर और स्नेह का प्रबल जोर है जिसके कारण आप (अनिल भाई, गुल्लू भाई, अभिषेक जी, मुन्ना भाई, शाम भाई आदि ) ऐसा लिख सके हैं / ऐसी बातें लिख कर आप सभी मुझे अधिक से अधिक कर्तव्य और दायित्वों को सहन करने के लिए तैयार कर रहे हैं / मैं आप सभी की अपेक्षाओं पर खरा उतरूँ यह मेरी प्रतिबद्धता रहेगी / ईश्वर मुझे आप सभी की उम्मीदों के लिए साहस प्रदान करे / आपकी सीधी सादी किन्तु मार्मिक पंक्तियों ने मेरे हृदय को झंकृत कर दिया है / मैं निःशब्द हूँ इसकी प्रतिक्रिया में अतः क्षमा करें ![]() धन्यवाद एवं आभार मित्रों / ![]() ![]() ![]()
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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#23 | |
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#24 |
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अब से कल रात तक हम सभी सदस्य ( केवल मुन्ना भैया को छोड़कर ), मुन्ना भैया के बारे में अपने विचार व्यक्त करेंगे. और उसके बाद कल देर रात को या १० बजे तक बड़े भैया उस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे. धन्यबाद
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#25 |
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मुन्नेराजा ... (मुन्नाभाई)
प्रबल पक्ष (सद्गुण) १. जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं इसलिए जीवन के प्रति इनका जीवंत दृष्टिकोण बहुत ही ठोस और अनुकरणीय है / २. इनके कई कार्यों का विशद अनुभव इन्हें क्रियाशील और ऊर्जावान बनाए रखता है / ३. ये सरल और छद्मावरण रहित हैं / ४. ये विलक्षण प्रतिभा के धनी और गुप्तज्ञानी हैं / ५. ये मित्र-जीत हैं और मित्रता निभाना खूब आता है / निर्बल पक्ष (दुर्गुण) १. ये तनिक हठी हैं / अपनी बात मनवाने का प्रयास करते हैं / २. इनके मन का होने पर ये कई बार अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं / ३. आजकल ये स्वयं को अकेला मानने लगे हैं /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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#26 |
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दादा के बारे मेँ कुछ लिखना सुरज के सामने दिया दिखाने के समान हैँ
इतने ज्ञानी को मैँने पहली बार देखा हैँ इतने काम को करने वाले विरले हीँ मिलेँगेँ काम के मामलेँ मेँ दादा सचिन का रिकार्ड तोड देँगेँ जिनको अपना समझतेँ हैँ उनको मानतेँ भी हैँ गलत करने वाले को पहलेँ समझाने की कोशिश करतेँ हैँ मजबुत पक्ष हैँ कमजोर तो मेरे नजर मेँ हैँ नहीँ फिर भी लिख देता हुँ नौरंगा हमेशा अपने साथ रखतेँ हैँ हम सभी को डराते रहते हैँ अपने उम्र हमलोँगोँ को बताते नहीँ अभी भी 35 बतातेँ हैँ दादी जी से डरते हैँ 9 बजतेँ हीँ निकल जातेँ हैँ क्षमा |
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#27 | |
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#28 |
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#29 |
Administrator
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मैं भी जलवा भाई के अच्छे स्वाथ्य की कामना करता हूँ.. जल्दी वो स्वस्थ होकर हमारे बीच आ जाये..
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#30 |
Administrator
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हमारे बीच में वे सबसे अनुभवी, सरल और ऊर्जावान है.. उम्र इनके लिए लगभग रुक सी चुकी है.. नियम और कर्तव्यो के प्रति इनकी घोर आस्था हम सभी के लिए अनुकर्णीय है.. leadership qualities इनमे कूट कूट कर भरी है.. कैसे सबको साथ लेकर चलना है कोई इनसे सीखे..
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