05-12-2010, 10:47 AM | #21 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
अमेरिकी गवर्नमेंट के अधिकारी, अमेरिकी फ़ौज के अधिकारी, नागरिक जब इन देशों में जाते हैं तो ब्लैकवाटर कंपनी की सिक्योरिटी लेते हैं | ये कंपनी एक प्राइवेट अमेरिकी कंपनी है जिसे इराक और बग़दाद में सुरक्षा प्रदान करने की अनुमति दी गयी है !!! Wtf कोई सरकार दुसरे देश में अपनी कंपनी को कैसे अनुमति दे सकती है?? और कहते हैं हम लोकतंत्र स्थापित कर रहे हैं | और फिर इतनी फ़ौज के होते हुए किसी सिक्योरिटी कंपनी की क्या जरुरत? क्या खुद की फ़ौज अपने ही नागरिकों और अधिकारीयों को नहीं बचा सकती??? इस कंपनी के सिक्योरिटी वालों को भी वहाँ पर फ़ौज की तरह शूट करने, सर्च करने के अधिकार दिए गए हैं और कई बार ये बातें सामने आई हैं की कैसे इस कंपनी के लोगों ने लोगों को सिर्फ शक के आधार प्र मारा है | असली बात ये की अमेरिकी अधिकारीयों को सुरक्षा देने के एवज में ये अमेरिकी सरकार से २००९ के प्रारंभ तक ही १० बिलियन डॉलर ले चुकी थी और इस कंपनी में तत्कालीन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का शेयर होने की बातें भी आयीं | गेम समझ में आया बंधू !!! |
05-12-2010, 03:12 PM | #22 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
एक और खुफिया दस्तावेज। दस्तावेज में 4 नवंबर 2009 के केबल में बहरीन के शाह हमद और अमेरिकी जेनरल डेविड पेट्राउस के बीच बातचीत का पूरा ब्योरा दर्ज है। इस केबल में ये सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि सऊदी अरब, यूएई और ईजिप्ट की तरह बहरीन ने भी ईरान के एटमी कार्यक्रम को रोकने के लिए उस पर हमला करने की दरख्वास्त अमेरिका से की थी। लेकिन जिस खबर से बहरीन की शाह की गद्दी हिल सकती है वो यह है कि अमेरिका के कहने पर बहरीन ने आंतरिक सुरक्षा के नाम पर अपना पुलिस दस्ता अफगानिस्तान में अमेरिकी अड्डे लेदरनेक पर भेजा है। ये दस्ता पिछले साल के 16 दिसंबर से काम भी कर रहा है। एक और सनसनीखेज खुलासा है। अब तक दुनिया इस बात से अनजान थी कि बहरीन ने ईसा एयरबेस अमेरिका के हवाले कर दिया है ताकि काबुल या बगदाद की ओर उड़ान भरनेवाले अमेरिकी अवाक्स विमान यहां से तेल भर कर आगे की उड़ान पर जा सकें।
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05-12-2010, 03:15 PM | #23 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
अगला दस्तावेज 31 जुलाई 2009 का है। दस्तावेज सभी ढाई लाख दस्तावेजों में सबसे सनसनीखेज खुलासे करनेवाला है। इसे जारी किया है अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने। इस केबल में न्यूयार्क, जेनेवा और वियेना में मौजूद यूएनओ के दफ्तर में सेक्रेटरी जनरल से लेकर अंडर सेक्रेटरी स्तर तक के अधिकारी के बारे में पूरी जानकारी जुटाने का हुक्म दिया गया है। यही नहीं एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप के 33 राजधानियों में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को केबल में हुक्म दिया गया है कि उन देशों के नेताओं के बारे मे तमाम अहम जानकारियां जैसे सेलफोन नंबर, बिजनेस कार्ड, क्रेडिट कार्ड, ईमेल अकाउंट अमेरिका के एनएसए यानी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी को भेजें।
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05-12-2010, 03:18 PM | #24 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
दूतावासों की इस फेहरिस्त में 20वें नंबर पर दिल्ली भी है। साफ है कि दिल्ली में मौजूद अमेरिकी दूतावास को भी भारत सरकार के बारे में जानकारी जुटाने का आदेश दिया गया है। पिछले एक हफ्ते से दुनिया भर के देशों से माफी मांग रहे अमेरिका के लिए परेशानी अभी खत्म नहीं, शुरू ही हुई है। विकिलीक्स के खुलासे के बाद अब सीक्रेट और टॉप सीक्रेट फाइल को रखने का तरीका सारी दुनिया में बदलने वाला है। क्योंकि इस खुलासे से ये साफ हो गया है कि आज भी कागज पर मौजूद खुफिया दस्तावेज कंप्यूटर की फ्लॉपी या डीवीडी में मौजूद फाइल से कहीं ज्यादा महफूज है।
जहां अमेरिकी प्रेसीडेंट बराक ओबामा ने संसद भवन में सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की दावेदारी को कबूल किया, वहीं विकिलीक्स के खुलासे से पता चला है कि अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की नज़र में भारत स्वंयभू दावेदार है। उसे यूएनओ में किसी देश का समर्थन हासिल नहीं है और जब बात यूएनओ की हो रही है तो आपको बता दें कि हिलेरी क्लिंटन ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी को यूएनओ की जासूसी करने को कहा था। 65 साल के बाद क्या यूएनओ के दफ्तर अब अमेरिका से कहीं बाहर बनाए जाएंगे, क्या हिलेरी क्लिंटन को अमेरिकी विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा ? |
05-12-2010, 03:22 PM | #25 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
विकिलीक्स के खुलासे में सबसे सनसनीखेज खुलासा दुनिया की सबसे अहम एजेंसी के बारे में है। इस खुलासे के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने खुफिया एजेंसी सीआईए को यूएनओ के तमाम बड़े अधिकारियों जैसे सेक्रेटरी जनरल से लेकर अंडर सेक्रेटरी रैंक तक के अधिकारियों पर नज़र रखने के आदेश दिए थे। इसके तहत यूएनओ के आला अधिकारियों के सुरक्षित और गुप्त फोन नंबर से लेकर उनकी सुरक्षा के लिए किए गए उपाय, उनके पर्सनल कंप्यूटर का कोड, यहां तक कि उनकी डीएनए सैंपल और फिंगर प्रिंट की जानकारी भी जुटाने को कहा गया था।
इसी तरह के आदेश दुनिया के 270 देशों में मौजूद अमरेकी दूतावास के अधिकारियों को भी दिए गए थे। उन्हें उन देशों के तमाम बड़े नेताओं और अधिकारियों के बारे में सभी अहम जानकारियां जुटाने को कहा गया था। इन जानकारियों में दफ्तर, नाम, पद, बिजनेस कार्ड, टेलीफोन नंबपर, सेलफोन, पेजर, फैक्स नंबर, इंटरनेट, इंट्रानेट के यूआऱएल, क्रेडिट कार्ड नंबर, वर्क शेड्यूल, हवाई उड़ानों के फ्रिक्वेंट फ्लायर अकाउंट नंबर, यहां तक कि आंखों के बायोमेट्रिक स्कैन तक जुटाने को कहा गया था। |
05-12-2010, 03:34 PM | #26 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
विकिलीक्स से जारी केबल के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन आतंकवादियों से बचाने के नाम पर पाकिस्तान के लैब्स में मौजूद संवर्धित यूरेनियम को पाकिस्तान से बाहर ले जाने के लिए वहां की सरकार पर पिछले तीन साल से लगातार दबाव डालते आए हैं। हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली। एक केबल में सउदी अरब के शाह अब्दुल्ला की पाकिस्तान की नाकामी का ठीकरा पाकिस्तानी प्रेसीडेंट आसिफ अली जरदारी पर फोड़ते हुए ये टिप्पणी दी हुई है कि जब दिमाग सड़ जाता है तो सारे जिस्म पर असर पड़ता है। खुलासे के मुताबिक दो साल पहले अब्दुल्ला की अमेरिकी जेनरल डेविड पेट्राउस से हुई मुलाकात में अब्दुल्ला ने अमेरिका को सांप के फन को कुचलने की गुहार लगाई। ये सांप है ईरान।
बहरीन और अबूधाबी के शासक ने भी इस दौरान ईरान की एटमी ताकत को खत्म करने के लिए अमेरिका से इरान पर हमला करने की अपील की। विकिलीक्स के खुलासे के मुताबिक अमेरिका और दक्षिण कोरिया एकीकृत कोरिया की हसरत को पूरा करने के लिए अरसे से चीन को नई व्यापारिक सुविधाएं देने की लालच दे रहे थे। इस खुलासे में यह बात भी सामने आई है कि ग्वांटानामो बे के अड्डे को खत्म करने के लिए बीते सालों में अमेरिका मित्र देशों से यहां मौजूद कैदियों को रखने की गुजारिश करता आया है। इसके तहत स्लोवेनिया के पीएम को बराक ओबामा से मिलने का मौका दिए जाने से लेकर बेल्जियम को यह कहकर मनाना शामिल है कि दहशतगर्दों को अपने यहां रखने से बेल्जियम को यूरोप में प्रतिष्ठा मिलेगी। |
05-12-2010, 03:38 PM | #27 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
विकिलीक्स ने पहले भी कई खुलासे किए हैं लेकिन अमेरिकी दूतावास के खुफिया दस्तावेजों का इस खुलासे को कूटनीति की दुनिया का नाइन इलेवन करार दिया जा रहा है। ब्रिटेन के शाही परिवार से लेकर नेल्सन मंडेला तक, कर्नल गद्दाफी से लेकर राबर्ट मुगाबे तक निकोलस सरकोजी से मेदवदेव तक के बारे में इस खुलासे में ऐसी जानकारियां सामने आई हैं कि अमेरिका के लिए सफाई देना मुश्किल हो रहा है। अमेरिका के लिए सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि इस खुलासे के सामने आने के बाद दुनिया के हर देश में अमेरिकी दूतावास के हर अधिकारी और कर्मचारी को दुनिया शक की निगाह से देखेगी।
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05-12-2010, 03:41 PM | #28 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
दस्तावेजों में दुनिया के नामचीन शख्सियतों के बारे में कई भद्दी टिप्पणियां की गई हैं। आलम यह है कि जहां विकिलीक्स के खुलासे से दुनिया की कई सरकारें हिल गई हैं वहीं विकिलीक्स के बवंडर में बुरी तरह उलझ गया है अमेरिका। अगर 9- 11 न हुआ होता तो शायद विकिलीक्स का यह खुलासा भी न होता। नाइन इलेवन के बाद अमेरिकी सरकार ने खुफिया सूचनाओं को एक जगह इकट्ठा करने की नीयत से नेटवर्क की एक अलग महफूज व्वयस्था तैयार की। सिप्रनेट नाम के दुनिया के इस सबसे महफूज नेटवर्क से दुनिया भर में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को जोड़ा गया। अब होता ये था कि सिपडीस के नाम से मार्क किया गया हर डिस्पैच अपने आप ही हर अमेरिकी दूतावास के खुफिया नेटवर्क में डाउनलोड हो जाता था।
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05-12-2010, 03:47 PM | #29 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
इसी का नतीजा था कि बगदाद में अमेरिकी दूतावास में काम कर रहा 22 साल का ब्रैडली मैनिंग लेडी गागा के सीडी पर बगैर किसी मुश्किल के तमाम दस्तावेज डाउनलोड करता रहा और अमेरिकी सरकार को किसी खतरे की भनक तक नहीं लगी। और अब अमेरिका की परेशानी यह है कि दुनिया भर के दूतावासों से आई खुफिया केबल में कई ऐसी बातें कही गई हैं जिसकी सफाई देने में अमेरिका के पसीने छूट रहे हैं। रोम में मौजूद अमेरिकी राजूदत के मुताबिक इटली के पीएम सिल्वियो बर्लसकोनी बेफिक्र, निकम्मे और यूरोप का नेता होने के पूरी तरह से नाकाबिल हैं।
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06-12-2010, 05:39 PM | #30 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
पेरिस में मौजूद अमरीकी राजदूत के मुताबिक फ्रांसीसी प्रेसीडेंट निकोलस सरकोजी हैं नंगा बादशाह। रूस के प्रेसीडेंट दिमीत्री मेदवेदेव को कमजोर, अनिश्चित और प्रधानमंत्री पुतिन का अरदली करार दिया गया है। पुतिन अल्फा डॉग हैं तो मेदवेदेव हैं बैटमेन के रॉबिन। इसी तरह जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्कल के बारे में कहा गया है कि उनमें जोखिम लेने का माद्दा नहीं और न ही उनमें किसी तरह की रचनात्मकता है। ईरान के प्रेसीडेंट महमूद अहमदीनेजाद को हिटलर कहा गया है तो अफगानिस्तान के हामिद करजई को व्यामोह में जकड़ा इंसान करार दिया गया है। राबर्ट मुगाबे को सनकी बूढ़ा बताया गया है।
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