11-05-2014, 08:35 AM | #21 |
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Re: माँ
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
11-05-2014, 08:35 AM | #22 |
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Re: माँ
जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा देख ले ज़ालिम शिकारी ! माँ की ममता देख ले देख ले चिड़िया तेरे दाने तलक तो आ गई मुझे भी उसकी जदाई सताती रहती है उसे भी ख़्वाब में बेटा दिखाई देता है
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11-05-2014, 08:36 AM | #23 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 08:37 AM | #24 |
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Re: माँ
मुफ़लिसी घर में ठहरने नहीं देती उसको और परदेस में बेटा नहीं रहने देता अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता परिन्दों के न होने पर शजर अच्छा नहीं लगता गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं
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11-05-2014, 08:38 AM | #25 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 08:38 AM | #26 |
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Re: माँ
कभी —कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
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11-05-2014, 08:39 AM | #27 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 08:40 AM | #28 |
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Re: माँ
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है
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11-05-2014, 08:41 AM | #29 |
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Re: माँ
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11-05-2014, 08:41 AM | #30 |
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Re: माँ
रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं वो मैला—सा बोसीदा—सा आँचल नहीं देखा बरसों हुए हमने कोई पीपल नहीं देखा कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है
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