23-09-2011, 01:35 PM | #21 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
मुर्ख को उपदेशक शत्रु लगता हैं ! वोह उपदेशक के ज्ञान को तिरस्कार दृष्टी से देखता हैं ! चारित्र्य हीन औरत को पति शत्रु लगता हैं ! चोर को रात्रि का चन्द्रमा का प्रकाश शत्रु लगता हैं ! किसके मानसिक स्तर के अनुसार शत्रु और मित्र होते हैं; किसको किस से क्या मिले यह उसकी संगत बताती हैं !
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23-09-2011, 01:36 PM | #22 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
अन्न दान कलिकाल में श्रेष्ठ कहा गया हैं ' कलौ कर्ता च लिप्यते ' यह पातक के पारे में कहागया हैं !याने धर्म के हेतु अन्न दान करे तो अगर उसकी पंक्ति में कसाई आये और खाना खाए और नए दम से क़त्ल करे तो उसका पातक अन्न दान कारने वाले को नहीं लगता !!!
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23-09-2011, 01:38 PM | #23 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
सागर के लिए वर्षा हो या न हो कुछ फर्क नहीं पड़ता !
जो ज्ञान से युक्त हैं उसको द्रव्य प्रभावित नहीं करसकता ! जिसका पेट भरा हैं उसको उत्तम भोजन कुछ काम नहीं आता
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25-09-2011, 02:58 PM | #24 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
विष में अगर अमृत भरा हो तो उसे पी लेना चाहिए !
सुवर्ण अपवित्र स्थान में पड़ा हो फिर भी उसले लिया जाए वहां संकोच न हो ! इसी प्रकार शिक्षा लेते वक़्त या गुण लेते वक़्त सामने वाला नीचा हो फिर भी उस से शिक्षा या गुण लेते हैं !
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25-09-2011, 02:58 PM | #25 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
निद्रा मृत्यु का रूप है!
चैतन्य के जो ठीक विपरीत है, वही है निद्रा! इसलिए कम से कम सोने का अभ्यास डालना चाहिए! जो सक्षम है उन्हें चार घंटे सोने से काम चल जाएगा! यह जीवन बहुमूल्य है. निद्रा मे इसे बर्बाद करना अपने प्रति एक अपराध है!
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25-09-2011, 02:59 PM | #26 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
जैसे व्याभिचारिणी स्त्री अपनेपर विश्वास रखनेवाले पतिको धोखा देती है वैसे ही मन
भी अपनेपर विश्वास रखनेवाले योगीको - अपने अन्दर काम और उसके पीछे रहनेवाले क्रोध आदिको अवकाश देकर - धोखा देता है l
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25-09-2011, 02:59 PM | #27 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
'मनोविकार व्यक्ति को उचीत - अनुचित का भेद भुला देते हैं .. "
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25-09-2011, 03:00 PM | #28 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
बहुत भला होकर जीवन गुजारना अच्छा नहीं होता ! सीधे और भले आदमीको हर एक दबाता हैं !उसकी सज्जनता को लोग पागलपन मानते हैं !
जैसे जंगल में लकड़हरा टेढ़े वृक्ष को बाद में और सीधे वृक्ष को पहले काटता हैं !!!!!
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25-09-2011, 03:00 PM | #29 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
किसी चीज का स्वाभिमान होना बहुत जरुरी हैं .... लेकिन यही स्वाभिमान अभिमान में न आये वोह इससे भी ज्यादा जरुरी हैं !!!
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25-09-2011, 03:02 PM | #30 |
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Re: चाणक्य नीति के कुछ सूत्र
क्रोध यमराज के समान है, उसके कारण मनुष्य मृत्यु की गोद में चला जाता है। तृष्णा वैतरणी नदी की तरह है जिसके कारण मनुष्य को सदैव कष्ट उठाने पड़ते हैं। विद्या कामधेनु के समान है । मनुष्य अगर भलीभांति शिक्षा प्राप्त करे को वह कहीं भी और कभी भी फल प्रदान कर सकती है।
संतोष नन्दन वन के समान है। मनुष्य अगर अपने अन्दर उसे स्थापित करे तो उसे वैसे ही सुख मिलेगा जैसे नन्दन वन में मिलता है।
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