15-07-2013, 10:34 PM | #21 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
विंस्टन चर्चिल |
18-07-2013, 08:35 PM | #22 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
पृथ्वी फूलों के रूप में खिलखिलाती है –Ralph Waldo Emerson
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
18-07-2013, 08:35 PM | #23 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
अगर देखा जाए तो विश्व में कैंसर से अधिक हास्यरहित कोई दूसरी बात नहीं है किन्तु एक कामेडियन होने के नाते कैंसर भी मुझे अपने आसपास के वातावरण से हास्य खोजने से नहीं रोक सकता है — Gilda Radner
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18-07-2013, 08:35 PM | #24 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
हँसी की चरम सीमा पर हमें प्रतीत होता है कि ब्रह्माण्ड क्लाइडोस्कोप में समा गया है और हमें नवीन संभावनाएँ दिखने लगती हैं — Jean Houston
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18-07-2013, 08:36 PM | #25 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
जैसे ही आपके मस्तिष्क में हँसी का विचार आये .. आप दिल खोल कर हँसे -- lao tsu लाओत्सु
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18-07-2013, 08:36 PM | #26 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
जिस तरह से साबुन शारीरिक मैल को हटाती है उसी प्रकार हँसी आत्मा की मालिन्यता को नष्ट कर देती है-- एक इजराइली कहावत
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18-07-2013, 11:49 PM | #27 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
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19-07-2013, 08:20 PM | #28 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
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19-07-2013, 08:51 PM | #29 | ||
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
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कृपया सूत्र को जारी रखिए। |
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31-07-2013, 11:07 PM | #30 |
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Re: हँसने से बढ़ कर दवा नहीं
गुजराती में एक कहावत की हसे उसका घर बसे |
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