17-03-2013, 04:17 PM | #21 | |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
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20-03-2013, 03:08 PM | #22 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
केले खाने के शौक़ीन बड़े थे मिस्टर केलकर, Last edited by rajnish manga; 20-03-2013 at 03:11 PM. |
21-03-2013, 12:45 AM | #23 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
आव देखा न ताव, |
21-03-2013, 12:48 AM | #24 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
हमारे मैनेजर थे एक मिस्टर पूची, |
21-03-2013, 11:54 PM | #25 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
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21-03-2013, 11:57 PM | #26 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
बल्ला ले बोरडे, सर किसी का फोड़ दे, डर है न जान का, माल हो जापान का, ताला अलीगढ़ी, मुक्के से तोड़ दे. (रचना: डॉ. पशुपति नाथ) (साभार: रंग / नवम्बर, 1966 ) |
21-03-2013, 11:59 PM | #27 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
आगरे का लाला, फेंकता था भाला, बूढ़ा हुआ एक दिन, गाली देता गिन गिन, रेवड़ी लखनऊ की भेजती थी खाला. (रचना: डॉ. पशुपति नाथ) (साभार: रंग / नवम्बर, 1966 ) |
22-03-2013, 01:38 AM | #28 | |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
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हिंदी मंच में कोई नहीं पंगा एक भी चित्र न पाओगे नंगा लिमरिक को लाये हैं सूत्र में सजाये हैं अपने ये श्रीमान रजनीश मंगा
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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22-03-2013, 01:39 AM | #29 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
थोड़े से निराश थे हम मगर उत्साह था
रुकी रुकी ज़िन्दगी में थोड़ा सा प्रवाह था सभी बेचैन थे परेशान नैन थे सन दो हजार दस का अक्टूबर माह था
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22-03-2013, 01:39 AM | #30 |
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Re: लिमरिक कविता (Limerick Poetry)
अक्स जी का फोन आया एक दिन ट्रिन ट्रिन ..ट्रिन ट्रिन ..ट्रिन ट्रिन .. मैंने झट से उठाया मुझे कुछ यूँ सुनाया "अभिसेज डाट कॉम पर करो लाग इन"
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