My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 22-11-2012, 04:31 PM   #21
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

आपने तो आते ही धमाका कर दिया समीरजी। श्रेष्ठ प्रस्तुतीकरण के लिए आभार स्वीकार करें।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 22-11-2012, 06:05 PM   #22
anjana
Special Member
 
anjana's Avatar
 
Join Date: Sep 2012
Posts: 3,042
Rep Power: 23
anjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to behold
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

काँच की बरनी और दो कप चाय


जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी-जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय" हमें याद आती है ।



दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी (जार) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ... आवाज आई...फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे-छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये , धीरे-धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये , फ़िर से प् ?? ोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ.. कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले-हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ.. अब तो पूरी भर गई है.. सभी ने एक स्वर में कहा..सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच में स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया - इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो.... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं , छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और रेत का मतलब और भी छोटी-छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है...यदि तुम छोटी-छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा... मन के सुख के लिये क्या जरूरी ह ? ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ , घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक- अप करवाओ.. टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है... पहले तय करो कि क्या जरूरी है.... बाकी सब तो रेत है.. छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे... अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि " चाय के दो कप" क्या हैं ? प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले.. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया... इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।
anjana is offline   Reply With Quote
Old 22-11-2012, 06:06 PM   #23
anjana
Special Member
 
anjana's Avatar
 
Join Date: Sep 2012
Posts: 3,042
Rep Power: 23
anjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to behold
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

एकाग्रचित्त बनें

एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला। उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकरउस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया। बोला, 'दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कबका मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।'
कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहींहो पाती।
anjana is offline   Reply With Quote
Old 22-11-2012, 06:08 PM   #24
anjana
Special Member
 
anjana's Avatar
 
Join Date: Sep 2012
Posts: 3,042
Rep Power: 23
anjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to behold
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

पथ का निर्माण:-

जंगल में चराई के बाद किसी बछड़े को गाँव की गौशाला तकलौटना था. नन्हा बछड़ा था तो अबोध ही, वह चट्टानों, मिट्टी के टीलों, और ढलानोंपर से उछलता-कूदता हुआ अपने गंतव्य तक पहुँचने में सफल हो गया.
अगले दिन एक कुत्ते ने भी गाँव तक पहुँचने के लिए उसीरास्ते का इस्तेमाल किया. उसके अगले दिन एक भेड़ उस रास्ते पर चल पड़ी. एक भेड़ के पीछे अनेक भेड़ चल पडीं. भेड़ जो ठहरीं!
उस रास्ते पर चलाफिरी के निशान देखकर लोगों ने भी उसका इस्तेमाल शुरू कर दिया. ऊंची-नीची पथरीली जमीन पर आते-जाते समय वे पथकी दुरूहता को कोसते रहते – पथ था ही ऐसा! लेकिन किसी ने भी सरल-सुगम पथ की खोज के लिए प्रयास नहीं किये.
समय बीतने के साथ वह पगडंडीउस गाँव तक पहुँचने का मुख्य मार्ग बन गयी जिसपर बेचारे पशु बमुश्किल गाड़ीखींचते रहते. उस कठिन पथ के स्थान पर कोई सुगम पथ होता तो लोगों को यात्रा में न केवल समय की बचत होती वरन वे सुरक्षित भी रहते.
कालांतर में वह गाँव एक नगरबन गया और पथ राजमार्ग बन गया. उस पथ की समस्याओं पर चर्चा करते रहने के अतिरिक किसी ने कभी कुछ नहीं किया.
बूढ़ा जंगल यह सब बहुत लंबेसमय से देख रहा था. वह बरबस मुस्कुराता और यह सोचता रहता कि मनुष्य हमेशा ही सामने खुले पड़े विकल्प को मजबूती से जकड़ लेते हैं औरयह विचार नहीं करते कि कहींकुछ उससे बेहतर भी किया जा सकता है.
anjana is offline   Reply With Quote
Old 22-11-2012, 06:10 PM   #25
anjana
Special Member
 
anjana's Avatar
 
Join Date: Sep 2012
Posts: 3,042
Rep Power: 23
anjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to beholdanjana is a splendid one to behold
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

मुल्ला नसरुद्दीन के गुरु की मज़ार :-
मुल्ला नसरुद्दीन इबादत की नई विधियों की तलाश में निकला. अपने गधे पर जीन कसकर वह भारत, चीन, मंगोलिया गया और बहुत से ज्ञानियों और गुरुओं से मिला पर उसे कुछ भी नहीं जंचा.
उसे किसी ने नेपाल में रहने वाले एक संत के बारे में बताया. वह नेपाल की ओर चल पड़ा. पहाड़ी रास्तों पर नसरुद्दीन का गधा थकान से मर गया. नसरुद्दीन ने उसे वहीं दफ़न कर दिया और उसके दुःख में रोने लगा. कोई व्यक्ति उसके पास आया और उससे बोला – “मुझे लगता है कि आप यहाँ किसी संत की खोज में आये थे. शायद यही उनकी कब्र है और आप उनकी मृत्यु का शोक मना रहे हैं.”
“नहीं, यहाँ तो मैंने अपने गधे को दफ़न किया है जो थकान के कारण मर गया” – मुल्ला ने कहा.
“मैं नहीं मानता. मरे हुए गधे के लिए कोई नहीं रोता. इस स्थान में ज़रूर कोई चमत्कार है जिसे तुम अपने तक ही रखना चाहते हो!”
नसरुद्दीन ने उसे बार-बार समझाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. वह आदमी पास ही गाँव तक गया और लोगों को दिवंगत संत की कब्र के बारे में बताया कि वहां लोगों के रोग ठीक हो जाते हैं. देखते-ही-देखते वहां मजमा लग गया.
संत की चमत्कारी कब्र की खबर पूरे नेपाल में फ़ैल गयी और दूर-दूर से लोग वहां आने लगे. एक धनिक को लगा कि वहां आकर उसकी मनोकामना पूर्ण हो गयी है इसलिए उसने वहां एक शानदार मज़ार बनवा दी जहाँ नसरुद्दीन ने अपने ‘गुरु’ को दफ़न किया था.
यह सब होता देखकर नसरुद्दीन ने वहां से चल देने में ही अपनी भलाई समझी. इस सबसे वह एक बात तो बखूबी समझ गया कि जब लोग किसी झूठ पर यकीन करना चाहते हैं तब दुनिया की कोई ताकत उनका भ्रम नहीं तोड़ सकती.
anjana is offline   Reply With Quote
Old 23-11-2012, 03:39 PM   #26
Sameerchand
Member
 
Sameerchand's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: दिल्ली
Posts: 242
Rep Power: 12
Sameerchand will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

सबसे बड़ा सबक


चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में चीन से एक दूत आया. वह चाणक्य के साथ ‘राजनीति के दर्शन’ पर विचार-विमर्श करना चाहता था. चीनी राजदूत राजशाही ठाठबाठ वाला अक्खड़ किस्म का था. उसने चाणक्य से बातचीत के लिए समय मांगा. चाणक्य ने उसे अपने घर रात को आने का निमंत्रण दिया.

उचित समय पर चीनी राजदूत चाणक्य के घर पहुँचा. उसने देखा कि चाणक्य एक छोटे से दीपक के सामने बैठकर कुछ लिख रहे हैं. उसे आश्चर्य हुआ कि चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार का बड़ा ओहदेदार मंत्री इतने छोटे से दिए का प्रयोग कर रहा है.

चीनी राजदूत को आया देख चाणक्य खड़े हुए और आदर सत्कार के साथ उनका स्वागत किया. और इससे पहले कि बातचीत प्रारंभ हो, चाणक्य ने वह छोटा सा दीपक बुझा दिया और एक बड़ा दीपक जलाया. बातचीत समाप्त होने के बाद चाणक्य ने बड़े दीपक को बुझाया और फिर से छोटे दीपक को जला लिया.

चीनी राजदूत को चाणक्य का यह कार्य बिलकुल ही समझ में नहीं आया. चलते-चलते उसने पूछ ही लिया कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया.

चाणक्य ने कहा – जब आप मेरे घर पर आए तो उस वक्त मैं अपना स्वयं का निजी कार्य कर रहा था, तो उस वक्त मैं अपना स्वयं का दीपक प्रयोग में ले रहा था. जब हमने राजकाज की बातें प्रारंभ की तब मैं राजकीय कार्य कर रहा था तो मैंने राज्य का दीपक जलाया. जैसे ही हमारी राजकीय बातचीत समाप्त हुई, मैंने फिर से स्वयं का दीपक जला लिया.

चाणक्य ने आगे कहा - मैं कभी ‘राज्य का मंत्री’ होता हूँ, तो कभी राज्य का ‘आम आदमी’. मुझे दोनों के बीच अंतर मालूम है.
Sameerchand is offline   Reply With Quote
Old 23-11-2012, 03:40 PM   #27
Sameerchand
Member
 
Sameerchand's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: दिल्ली
Posts: 242
Rep Power: 12
Sameerchand will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

अनजान जी, इस सूत्र में आपके योगदान के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
Sameerchand is offline   Reply With Quote
Old 23-11-2012, 03:41 PM   #28
Sameerchand
Member
 
Sameerchand's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: दिल्ली
Posts: 242
Rep Power: 12
Sameerchand will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

बुरे इरादे छुपाए नहीं छुपते


एक बार की बात है. एक गरीब बुढ़िया एक गांव से दूसरे गांव पैदल जा रही थी. उसके सिर पर एक भारी बोझ था. वह बेचारी हर थोड़ी दूर पर थक कर बैठ जाती और सुस्ताती. इतने में एक घुड़सवार पास से गुजरा. बुढ़िया ने उस घुड़सवार से कहा कि क्या वो अपने घोड़े पर उसका बोझा ले जा सकता है. घुड़सवार ने मना कर दिया और कहा – बोझा तो मैं भले ही घोड़े पर रख लूं, मगर तुम तो बड़ी धीमी रफ्तार में चल रही हो. मुझे तो देर हो जाएगी.

थोड़ी दूर आगे जाने के बाद घुड़सवार के मन में आया कि शायद बुढ़िया के बोझे में कुछ मालमत्ता हो. वो बुढ़िया की सहायता करने के नाम पर बोझा घोड़े पर रख लेगा और सरपट वहाँ से भाग लेगा. ऐसा सोचकर वह वापस बुढ़िया के पास आया और बुढ़िया से कहा कि वो उसकी सहायता कर प्रसन्न होगा.

अबकी बुढ़िया ने मना कर दिया. घुड़सवार गुस्से से लाल-पीला हो गया. उसने बुढ़िया से कहा, अभी तो थोड़ी देर पहले तुमने मुझसे बोझा ढोने के लिए अनुनय विनय किया था! और अभी थोड़ी देर में ये क्या हो गया कि तुमने अपना इरादा बदल दिया?

‘उसी बात ने मेरा इरादा बदला जिसने तुम्हारा इरादा बदल दिया.’ बुढ़िया ने एक जानी पहचानी मुस्कुराहट उसकी ओर फेंकी और आगे बढ़ चली.
Sameerchand is offline   Reply With Quote
Old 23-11-2012, 03:41 PM   #29
Sameerchand
Member
 
Sameerchand's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: दिल्ली
Posts: 242
Rep Power: 12
Sameerchand will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

मेरा दिल तो पहले से ही वहाँ पर है


एक बुजुर्ग हिमालय पर्वतों की तीर्थयात्रा पर था. कड़ाके की ठंड थी और बारिश भी शुरू हो गई थी.

धर्मशाला के एक कर्मचारी ने पूछा “बाबा, मौसम खराब है. ऐसे में आप कैसे जाओगे?”

बुजुर्ग ने प्रसन्नता से कहा – “मेरा दिल तो वहाँ पहले से ही है. बाकी के लिए तो कोई समस्या ही नहीं है.”
Sameerchand is offline   Reply With Quote
Old 23-11-2012, 03:42 PM   #30
Sameerchand
Member
 
Sameerchand's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: दिल्ली
Posts: 242
Rep Power: 12
Sameerchand will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

गगरी आधी भरी या खाली


एक बुजुर्ग ग्रामीण के पास एक बहुत ही सुंदर और शक्तिशाली घोड़ा था. वह उससे बहुत प्यार करता था. उस घोड़े को खरीदने के कई आकर्षक प्रस्ताव उसके पास आए, मगर उसने उसे नहीं बेचा.

एक रात उसका घोड़ा अस्तबल से गायब हो गया. गांव वालों में से किसी ने कहा “अच्छा होता कि तुम इसे किसी को बेच देते. कई तो बड़ी कीमत दे रहे थे. बड़ा नुकसान हो गया.”

परंतु उस बुजुर्ग ने यह बात ठहाके में उड़ा दी और कहा – “आप सब बकवास कर रहे हैं. मेरे लिए तो मेरा घोड़ा बस अस्तबल में नहीं है. ईश्वर इच्छा में जो होगा आगे देखा जाएगा.”

कुछ दिन बाद उसका घोड़ा अस्तबल में वापस आ गया. वो अपने साथ कई जंगली घोड़े व घोड़ियाँ ले आया था.

ग्रामीणों ने उसे बधाईयाँ दी और कहा कि उसका तो भाग्य चमक गया है.

परंतु उस बुजुर्ग ने फिर से यह बात ठहाके में उड़ा दी और कहा – “बकवास! मेरे लिए तो बस आज मेरा घोड़ा वापस आया है. कल क्या होगा किसने देखा है.”

अगले दिन उस बुजुर्ग का बेटा एक जंगली घोड़े की सवारी करते गिर पड़ा और उसकी टाँग टूट गई. लोगों ने बुजुर्ग से सहानुभूति दर्शाई और कहा कि इससे तो बेहतर होता कि घोड़ा वापस ही नहीं आता. न वो वापस आता और न ही ये दुर्घटना घटती.

बुजुर्ग ने कहा – “किसी को इसका निष्कर्ष निकालने की जरूरत नहीं है. मेरे पुत्र के साथ एक हादसा हुआ है, ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है, बस”

कुछ दिनों के बाद राजा के सिपाही गांव आए, और गांव के तमाम जवान आदमियों को अपने साथ लेकर चले गए. राजा को पड़ोसी देश में युद्ध करना था, और इसलिए नए सिपाहियों की भरती जरूरी थी. उस बुजुर्ग का बेटा चूंकि घायल था और युद्ध में किसी काम का नहीं था, अतः उसे नहीं ले जाया गया.

गांव के बचे बुजुर्गों ने उस बुजुर्ग से कहा – “हमने तो हमारे पुत्रों को खो दिया. दुश्मन तो ताकतवर है. युद्ध में हार निश्चित है. तुम भाग्यशाली हो, कम से कम तुम्हारा पुत्र तुम्हारे साथ तो है.”

उस बुजुर्ग ने कहा – “अभिशाप या आशीर्वाद के बीच बस आपकी निगाह का फ़र्क होता है. इसीलिए किसी भी चीज को वैसी निगाहों से न देखें. निस्पृह भाव से यदि चीजों को होने देंगे तो दुनिया खूबसूरत लगेगी.”
Sameerchand is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
hindi forum, hindi stories, short hindi stories, short stories


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 10:25 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.