08-12-2010, 09:01 PM | #21 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
आँखों की आसुओ से ॥ मुख को धो रहे है॥ मुझपे क्यो हंस रहे हो? हम ख़ुद पे रो रहे है॥ हमने भी देखा सपना था॥ एक घर बसायेगे॥ आँगन में बैठ कर॥ प्रेम गीत गायेगे॥ करवट लिया समय जो॥ टूटा हमारा सपना॥ वह हो सकी न मेरी ॥ मैबना सका न अपना॥ अब टूटे हुए मोतियों की॥ माला पिरो रहे है॥ मिलते थे जब अकेले॥ करते थे रास लीला॥ मिल के विहार करते॥ होती थी प्रेम क्रीडा॥ बीती हुयी जो बातें ॥ रह रह के तड़पा रही है॥ कैसे मिलन अब होगा॥ नही बता रही है॥ गुम -सुम बेदर्दी मौसम में॥ मर-मर के जी रहे है॥ |
08-12-2010, 09:02 PM | #23 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
दोहा: पैग लगा के झूमिये । ये कलयुग की देन॥
लफडा झगडा करत रहो॥ जात रहे सुख चैन॥ चौपाई: जय जय कलयुग की दारू । तुमका पियय सकल परिवारू॥ पी करके कुछ पंगा करते॥ गाँव गली अव सड़क पे मरते॥ कुछ बीबी का करय पिटाई॥ कुछ बच्चो का दियय मिठाई॥ छोटे बड़े कय काटो चिंता॥ गली गली में होती हिंसा॥ पीने पर तुर्रम खा बनते ॥ दादी अम्मा को चिन्हते॥ गली गली म होत बुराई॥ इनका खाती काली माई॥ मेहर डंडा लय गरियाती॥ जाय चौकी म रपट लिखाती॥ कोई फ़िर भी फरक पङता॥ बच्चा क्यो न भूँखा मरता॥ घर की सब बर्बादी कीन्हा॥ इनकी अक्ल देव हर लीन्हा॥ होत सबेरे टुल्ली रहते॥ रुपया दे दो हरदम कहते ॥ ये दारू कर दी बर्बादी ॥ मरे जल्दी मिलते आज़ादी॥ बीबी बच्चे हरदम कहते॥ आटा होगा ताड़ में रहते॥ दारू इनकी कौन छुडावे ॥ बुरा कर्म है कौन बतावे ॥ जूता चप्पल हरदम खाते ॥ फ़िर भी पीछे न पचताते॥ दोहा: हे कलयुग की दारू माता करव इनका कल्याण॥ कोई घटना घटित कर दो जल्दी निकले प्राण॥ |
08-12-2010, 09:03 PM | #24 |
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ये बेईमानी की राजनीति
बेईमानो को लेके डूबेगी॥ अत्याचार का घडा भरा है॥ पाप की गगरी फूटेगी॥ जनता की दौलत से। मौज उडाते / पोते को महल बनवाते है॥ मज़बूरी के कंधो पे रख कर। देश में दंगा करवाते है॥ अबतो रसरी धुन गई है॥ एक न एक दिन टूटेगी॥ |
08-12-2010, 09:03 PM | #25 |
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हे पुष्प तुम्हारे रस को मई।
सदियों से चूसते आया हूँ॥ तेरे कारण काला हूँ मै। रूप कलूटा पाया हूँ॥ कलि तेरी खिलने से पहले उसपर मै मडराताहूँ॥ चूस सुगन्धित रस को तेरे आत्म्संतुस्ती पाता हूँ॥ काले तन पर नाज़ मुझे है। तुम भी मुझपर मरती हो॥ चटक-मटक से हरदम रहती। धुप छाव भी सहती हो॥ रंग बदलते देर न लगाती तेरा रूप निराला है॥ तेरे अन्दर अर्पण है वह जो तेरा चाहने वाला.. चढ़ते यौवन आँख मिचौली। मुझसे करने लगती हो॥ बन थन कर मेरी राह जोहती। हस हस कर बातें करती हो॥ तेरी महक को हवा में सूंघकर बड़ी दूर से आया हूँ॥ आते ही तेरी बाहों में अपनी बाह सताया हूँ॥ जो सुख तेरी इस कलियाँ में। वह सुख कही न आयेगा॥ रमते जमते कही भी घूमू। |
08-12-2010, 09:04 PM | #26 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
ऊपर का सेस
कोई नही मुझको भाएगा॥ सूर्यास्त बाहों में कस कर। मुझको ले सो जाती हो॥ प्रातः काल संघ मेरे उठती। फ़िर मुझको नहलाती हो॥ कितना कोई मुझे बुलाये कही नही मै जाता हूँ॥ तेरे ही द्वारे में आके तेरी अलख जगाता हूँ॥ हे पुष्प तुम्हारे रस को मई। सदियों से चूसते आया हूँ॥ तेरे कारण काला हूँ मै। रूप कलूटा पाया हूँ॥ |
08-12-2010, 09:05 PM | #27 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
ऐसे न चाल चल पवन हरजाई॥
लागल झुलानिया कय तार टूट जायी॥ सासू बोली बोले ससुरा बोली बोले॥ ननदी के भैया बगीचा में डोले॥ धीरे धीरे झटका दे आवे अंगडाई॥ लागल नजरिया से बाण छूट जायी॥ आस पड़ोस के बोले टिपोसी॥ कहत निकम्मी बा हमरी पड़ोसी॥ हंस हंस के न बात कर होय जग हसाई॥ लागल उमारिया कय ले छूट जायी॥ |
08-12-2010, 09:05 PM | #28 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
कंप्यूटर एज की कुछ हिंगलिश चुटकियाँ .
(हिन्दी + इंग्लीश=हिंगलिश) घर से जब वो निकलीं, पहन के रेशमी गाउन. ना जाने कितने दिलों का , हो गया सर्वर डाउन! ****************** जो मुद्दत से होता आया है, वो रिपीट कर दूँगा..... तू ना मिली तो अपनी ज़िंदगी CTL+ Alt +delete कर दूँगा . ************************ कल जब मिले थे तो कहा तुम से मिलकर दिल में हुई एक साउंड. और आज मिले तो कहते हैं.. यौर फाइल नोट फाउंड. *************************** शायद मेरे प्यार को टेस्ट करना भूल गये. दिल से ऐसा कट किया, कि पेस्ट करना भूल गये. |
08-12-2010, 09:06 PM | #29 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
बहुत दिनों के बाद॥
हमने किया है तुमको याद॥ की आंसू आ गए॥ आंसू आ गए॥ तुमने बतलाई न हमको बात॥ क्या आती नही मेरी याद॥ क्यो कर गई हमसे घाट॥ की आंसू आ गए॥ शायद कब होगी मुलाक़ात॥ मै कहता तुमसे बात ॥ फ़िर हो जाती बरसात॥ तू कह देती बीती बात ॥ की आंसू आ गए॥ मेरा डिगा नही विश्वास॥ लगी है बहुत दिनों से प्यास॥ तू चूम के कहती हाथ॥ फ़िर सज जाती बरात॥ की आंसू आ गए॥ |
08-12-2010, 09:06 PM | #30 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
दिल न लगईयो यार ॥
दिल न लगईयो यार ॥ दिल टूट जाता है॥ बड़ी तकलीफ होती है॥ जब बंधन छूट जाता है॥ नजरो में घूमती है॥ बीती हुयी कहानी॥ मुझपर गुजर रही है॥ बताता हूँ जो जुबानी॥ आँखों से आस्क गिर गिर॥ यूं सूख जाता है... बड़ी तकलीफ होती है॥ जब बंधन छूट जाता है॥ जुल्मी बना ज़माना॥ करता उसे हूँ याद॥ दर-दर भटक रहा हूँ॥ किस्से करू फरियाद॥ मौसम बना बेढंगा॥ जो रूठ जाता है... बड़ी तकलीफ होती है॥ जब बंधन छूट जाता है॥ ख्वाबो में हमको कब तक॥ जगाती रहोगी तुम॥ अपना शिकार हरदम ॥ बनाती रहोगी तुम॥ रोता हूँ छुप छुप कर॥ जब यार दूर जाता है... |
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