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Old 03-05-2013, 03:06 AM   #21
abhisays
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

सरबजीत प्रकरण में जिस तरह से मनमोहन सिंह की सरकार ने काम किया है, उसकी जितनी आलोचना की जाए कम है। पानी अब सर के ऊपर से जाने लगा है। पाकिस्तान, चीन, बंगलादेश, सारे पडोसी मनमानी कर रहे हैं और हमारी सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है। अब वक़्त आ गया है की केंद्र में एक मजबूत राष्ट्रवादी सरकार आये और देश हित में कार्य करे।

मुझे तो उन लोगो को तलाश है जी कुछ दिन पहले पाकिस्तान के साथ अमन की आशा का ढोल पीट रहे थे। अब कहाँ गयी उनकी जबान।
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Old 03-05-2013, 08:40 PM   #22
jai_bhardwaj
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

अभिव्यक्तियों के आभार बन्धुओं ..............

कुछ और चित्र स्व. सरबजीत सिंह से सम्बंधित ............




आखिर तेइस वर्षों के बाद सरबजीत सिंह वापस स्वदेश आया किन्तु दुर्भाग्य से अपने पैरों पर चल कर नहीं बल्कि चार कन्धों पर ................ देश का दुर्भाग्य !!
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Old 03-05-2013, 08:43 PM   #23
jai_bhardwaj
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार




आखिर कब तक निर्दोषों की चिताओं पर लम्पट और धूर्त राजनीतिज्ञ रोटियाँ सेंकते रहेंगे ........... बिना रीढ़ वाले राजनीतिज्ञों पर लानत है !!
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Old 03-05-2013, 08:51 PM   #24
jai_bhardwaj
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

पाकिस्तान की मानवभक्षी जेलों से आज से पहले कई 'सरबजीत' वहाँ की अपमान भरी एवं दर्दनाक ज़िन्दगी को जी कर आखिर किसी न किसी तरह से स्वदेश सकुशल आ चुके हैं .... उन्ही की ज़ुबानी .... दुर्दांत पाक की कहानी ...


कभी वे भी अभागे सरबजीत की तरह पाकिस्तान की जेलों में बंद थे। किस्मत अच्छी थी कि लौट आए। आज उनकी रूह कांप उठती है वे सारे जुल्म-ओ-सितम याद करते हुए, जो उन्होंने वहां पर सहे। पंजाब, बंगाल व उत्तर प्रदेश के रहने वाले ये लोग सरबजीत की मौत से आहत तो हैं ही, भारत सरकार के रवैये से भी कम क्षुब्ध नहीं हैं। सबका एक सुर में कहना है कि सरकार चाहती तो आज सरबजीत जीवित अपने परिवार के बीच होते।

लुधियाना के पुरुषोत्तम सिंह का कहना है कि 1973 में वह जासूस के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे। 1974 में भिखीवंड कालड़ा छीना पोस्ट से वतन लौट रहे थे। रास्ते में पाकिस्तान की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें सबसे पहले उसी कोट लखपत जेल में रखा गया, जहां सरबजीत बंद थे। बाद में दूसरे जेलों में भी भेजा गया। 14 अगस्त, 1986 को उन्हें रिहा कर दिया गया। करीब 12 सालों तक जेल में अनेक यातनाएं सहने वाले पुरुषोत्तम कहते हैं-'मुझे वहां अंधेरी कोठरी में रखा गया था, जहां दिन भर सिर्फ गालियां और दो रोटियां मिलती थीं। कभी कोठरी से बाहर निकलते तो पाकिस्तान के कैदी सेल में मारने को आ जाते।' वह याद करते हैं-'कई कैदी तो सिर्फ हम लोगों से बदला लेने के लिए ही जेल में आते थे। जेल में सरबजीत की पिटाई का मामला नया नहीं है, इससे पहले मुझ पर भी कई हमले हुए थे, लेकिन भगवान की कृपा थी कि मैं बचता रहा।'
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Old 03-05-2013, 08:52 PM   #25
jai_bhardwaj
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

वहीं, पाकिस्तान में लगभग 30 साल की कैद काटकर कुछ महीने पहले भारत लौटे सुरजीत सिंह भी सरबजीत की मौत से काफी आहत हैं। फिरोजपुर के गांव फिड्डा के रहने वाले सुरजीत का कहना है कि सरकार पाकिस्तान पर दबाव नहीं बना पाई, जिससे यह हादसा हुआ। उन पर भी वहां की जेलों में खूब जुल्म ढाए गए। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ पर तीखे हमले करते कहा कि सरबजीत की मौत के पीछे भी इसी का हाथ है। इसी तरह, करीब दो महीने पहले कोट लखपत जेल से करीब 16 साल की सजा के बाद वापस आए गुरदासपुर के गांव अहमदबाद निवासी अशोक कुमार का कहना है कि वहां भारतीय कैदियों को जेलकर्मी बेरहमी से पीटते हैं। गुरदासपुर के ही कस्बा भैणी मियां खां के गोपाल दास का दर्द भी कुछ ऐसा ही है। वह वहां की जेलों में 27 साल कैद काटकर मार्च, 2011 में रिहा होकर भारत लौटे हैं। वह करीब तीन साल तक सरबजीत के साथ जेल में रहे हैं।
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Old 03-05-2013, 08:53 PM   #26
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

करीब पांच साल पहले कोट लखपत जेल से ही छूटकर आए होशियारपुर के गांव नंगल खिडारियां के कश्मीर सिंह सरबजीत सिंह की मौत से दुखी हैं। वह कहते हैं कि फिर किसी को वहां की नरक न नसीब हो। दूसरी तरफ, पाकिस्तान की कई जेलों में करीब बीस सालों तक बंद रहे कोलकाता निवासी भारतीय जासूस महबूब इलाही को भी वहां के खौफनाक मंजर याद हैं। बिजनौर, उत्तर प्रदेश के मनोज रंजन दीक्षित भी रॉ एजेंट के रूप में पाकिस्तान गए थे। पकड़े जाने पर 13 सालों तक वहां की जेलों में बंद रहे। उनका कहना है कि जेल में कैदियों से इतना बुरा बर्ताव किया जाता है कि वे पागल हो जाते हैं।
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Old 03-05-2013, 08:55 PM   #27
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

हाल ही में लाहौर की उसी जेल में चमेल सिंह की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी, जिसमें सरबजीत सिंह कैद हैं। पूर्व में भी कई भारतीय कैदियों ने वहां की जेलों में खुद के साथ हुए अत्याचारों की दास्तां बयां कर चुके हैं:

कैदी:

- विभिन्न रिपोर्टो के अनुसार पाकिस्तान की जेलों में 474 भारतीय कैदी हैं । इनमें से 218 सिविल कैदी हैं। 74 लापता रक्षा सैनिक हैं। इन लापता सैनिकों में से 54 ऐसे भी हैं जो 1971 के युद्ध के बाद से ही लापता हैं। एक-दूसरे देशों में बंद मछुआरे कैदियों को समय-समय पर छोड़ते रहने से इनकी संख्या घटती बढ़ती रहती है।

-पाकिस्तान केवल 63 भारतीय सिविल कैदियों की बात स्वीकारता है, किसी भी रक्षा सैनिक की उपस्थिति को खारिज करता है।

कार्रवाई:

-सरकार पाकिस्तान के साथ सभी स्तरों की बातचीत में अपने कैदियों की रिहाई के मसले को लगातार उठाती रही है।

-2010-11 में विदेश सचिव स्तर की बातचीत में इस मसले को उठाया गया। उस अवधि में विदेश मंत्रियों की बातचीत में भी दोनों देशों में बंद कैदियों पर चर्चा की गई।

कमेटी:

-जून 2010 में जब गृह मंत्री पाकिस्तान गए तो उसके बाद मानवीय आधार पर मछुआरों समेत सजा पूरी कर चुके कैदियों की रिहाई सुनिश्चित कराने के लिए भारत- पाकिस्तान न्यायिक कमेटी का गठन किया गया।

-रिटायर्ड जजों की इस कमेटी ने जनवरी, 2012 में अपनी पांचवीं मीटिंग में सुझाव दिए कि ऐसा तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जिसमें महिलाएं, किशोर, अपंग, वृद्ध कैदियों के लिए मानवीय आधार पर विचार किया जा सके। इसके साथ ही, गंभीर

रूप से बीमार और मानसिक रूप से अस्वस्थ कैदियों को जेल के बजाय अस्पताल में रखना चाहिए।

-पिछले साल सरकारी प्रयासों के चलते 218 भारतीय मछुआरों और 17 सिविल कैदियों को पाकिस्तानी सरकार ने छोड़ा था।
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

इस चित्र को देख कर किस भारतीय की आँखे नहीं नम होंगी ... किस भारतीय का कंठ नहीं अवरुद्ध हो जाएगा ....



भिखीविंड । माटी का लाल आखिर अपनी मिंट्टी में मिल गया। सरबजीत का उसके पैतृक गांव भिखीविंड [तरनतारन] में शुक्रवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 23 वर्षो से सरबजीत की रिहाई के लिए हर चौखट पर गुहार लगाने वाली बड़ी बहन दलबीर कौर ने सरबजीत के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। पंजाब पुलिस की टुकड़ी ने हथियार उलटे कर भारत मां के इस सपूत को सलामी दी।
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इससे पहले श्मशानघाट पर मौजूद सरबजीत की बेटी स्वप्नदीप व पूनम बार-बार अपने पिता के ताबूत को स्पर्श कर अपने भावों को अभिव्यक्त करती रहीं। सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर ने पाकिस्तान के विरुद्ध जोरदार भड़ास निकाली। साथ ही बेटियों को बार-बार गले लगाकर उनके आंसुओं को पोंछा। सरबजीत की निर्मम हत्या से गुस्साए हजारों लोगों ने भी अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाकर आक्रोश प्रकट किया।
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Old 03-05-2013, 09:00 PM   #30
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Default Re: सरबजीत सिंह और हमारी सरकार

लाहौर की कोट लखपत जेल में हुई निर्मम पिटाई से बुधवार देर रात मरे सरबजीत सिंह का शव गुरुवार शाम विशेष विमान से पाकिस्तान से अमृतसर लाया गया था। देर रात पुन: उसका पोस्टमार्टम किया गया और उसके बाद शव को गांव भिखीविंड लाया गया।सरबजीत के शरीर पर असंख्य चोटें तो थी हीं .. हृदय और किडनी गायब थी ....| शुक्रवार को अंतिम दर्शन के लिए सरबजीत का पार्थिव शरीर उनके पैतृक घर के नजदीक के एक सरकारी स्कूल में रखा गया।

अपराह्न डेढ़ बजे पार्थिव शरीर को खुले वाहन में रखा गया। शवयात्रा स्कूल से रवाना होकर एतिहासिक गुरुद्वारे के बाहर कुछ देर के लिए रुकी। वहां से भिखीविंड चौक से होते हुए शवयात्रा श्मशानघाट पहुंची। इस मौके पर सरबजीत को अंतिम विदाई देने जनसागर उमड़ पड़ा। सरबजीत के अंतिम संस्कार में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल, कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्र सरकार की प्रतिनिधि के तौर पर विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर और पंजाब के कई मंत्री शामिल हुए।
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