11-03-2014, 06:07 PM | #21 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
क्या वह गंध चूहों की थी ? अल्फ्रेड का मित्र कैप्टन स्मिथ जब मुझसे मिलने आया, तो मैंने बिल्लियों के असामान्य व्यवहार की बात उसको बताई । मेरी बात सुनकर कैप्टन स्मिथ नौरोजी ने कहा- “बिल्लियों में सूंघने की अद्भुत शक्ति होती है । हो सकता है, उन चूहों की गंध इस एस्कहाम में अब भी मौजूद हो, जो विसानियो के शब्दों में कभी चूहों की उपासना करने वाले रोमन कबीले के लोगों का मंदिर था और जिसके तहखाने में हजारो की तादाद में चूहे पाले जाते थे और उनको इंसानों की बलि दी जाती थी । मेरे खयाल में हमें एक बार इस इमारत के तहखाने को भी खोलकर देख लेना चाहिए ।” मैंने कैप्टन नौरोजी की बात उस वक्त नहीं मानी । मैंने तहखाने का दरवाजा देखा था । उसका खुलना आसान नहीं था । सदियों से बंद पड़ा रहने के कारण उस पर इतना जंग लग चुका था कि खोलने के लिए शायद उसको काटना या तोड़ना पड़ता । इतना ही नहीं, तहखाने में दाखिल होना भी खतरे से खाली नहीं था । सदियों से बंद तहखाने के अंदर जहरीली गैसे जमा होने की पूरी संभावना थी । बगैर गैस-मास्क पहने तहखाने में दाखिल होना घातक और खतरनाक साबित हो सकता था । >>>
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11-03-2014, 06:08 PM | #22 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
बिल्लियां तो कुछ दिन बेचैनी दिखाने के बाद शात हो गई, लेकिन मुझको भयानक किस्म के एहसासों और ख्वाबों ने घेर लिया । मेरे दिन का चैन और रातो की नींद हराम हो गई । रात के समय मुझको ऐसा खयाल आता, जैसे हजारों की तादाद मे चूहे एस्कहाम की दीवारो से निकलकर मुझ पर टूट पड़ रहे हों । मैं उनकी आवाजें सुनता और डरकर मेरी नींद खुल जाती । मैनिर्णय नहीं कर पाया कि मै हकीकत की दुनिया में था, या ख्वाबों की दुनिया में । नौबत यहां तक पहुच गई कि चूहों का अस्तित्व एक खौफ बनकर मेरे दिलो-दिमाग पर छा गया ।
कैप्टन स्मिथ नौरोजी मेरी हालत से परेशान था । उसने कहा- “आपको वहम हो गया है । चूहों वाली बात को सदियां गुजर चुकी है । फिर भी अगर आपको लगता है कि एस्क्हाम में सचमुच कोई गड़बड़ है, तो हमें इसके तहखाने को खुलवाकर देखना चाहिए ।” मन न होते हुए भी मैंने कैप्टन नौरोजी की बात का अनुमोदन कर दिया । न जाने क्यों एस्क्हाम के तहखाने का दरवाजा खोलने के ख्याल से मुझको किसी अनिष्ट की आशंका सताने लगी थी । इसके बाद कैप्टन नौरोजी ने कहीं से चेहरे पर पहनने के लिए दो गैस मास्क का प्रबंध किया और मुझको साथ लेकर तहखाने का जंग लगा दरवाजा तोड़ने लगा । काफी मेहनत के बाद हम तहखाने का दरवाजा तोड़ने में सफल हुए । दरवाजे का टूटना था कि वहां एक प्रलय-सी आ गई । तहखाने से सैलाब की तरह हजारों की संख्या में असाधारण चूहे बहार आने लगे । वे नुकीले और तेज दांतों वाले नरभक्षी चूहे थे । >>>
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11-03-2014, 06:11 PM | #23 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
“अंकल भागिए !” चूहों को देखकर कैप्टन नौरोजी आतंक से चिल्लाया । मैँ बदहवास-सा अपनी जान बचाने के लिए एस्कहाम से बाहर को भागा । अपनी जान बचाने की फिक्र में मुझको अपने सामने कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। इसका नतीजा यह निकला कि मै भागते-भागते उस कुएं में जा गिरा जो एस्कहाम के बगीचे में था । कुएं में पानी तो था, मगर बहुत ज्यादा नहीं था । उसमें गिरने से मुझको गंभीर चोटें आईं ।
कुएं में गिरना मेरे लिए अच्छा ही साबित हुआ । मैं नरभक्षी चूहों की खुराक बनने से बच गया । काफी देर तक मैं कुएं के अंदर ही पड़ा रहा । इसके बाद जब चीख-पुकार की आवाजें समाप्त हो गई, तो साहस करके मैं कुएं की दीवार के साथ लटक रही जंजीर का सहारा लेकर बाहर निकल आया । बाहर अब एक भी चूहा नजर नहीं आ रहा था, पर दृश्य बड़ा ही लोमहर्षक था । कैप्टन नौरोजी और मेरे नौकरों की लाशें नुची हुई अवस्था में इधर-उधर बिखरी पड़ी थीं । चूहे अपना काम करके शायद वापस तहखाने में ही चले गए थे । मैं पागलों की तरह वहां पास के पुलिस स्टेशन पर भागता हुआ पहुंचा और सारी घटना की सूचना दी । पुलिस के कई जवान पेट्रोल से भरे हुए पीपे लेकर एस्कहाम में पहुंच गए । बिखरी पडी इंसानी लाशें देखकर वे सब भी दहल गए । पुलिस के जवानों ने मुझसे हासिल जानकारी के मुताबिक कार्रवाई की । उन्होंने पेट्रोल से भरे हुए पीपे अंधेरे तहखाने में उड़ेले और फिर उसके अंदर एक जलती हुईं मशाल फेंक दी । फिर पुलिस के जवानों ने तहखाने का दरवाजा बंद कर दिया । >>>
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11-03-2014, 06:12 PM | #24 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
इसके बाद तो मानो एक भूचाल ही आ गया । एस्कहाम की दीवारें कांपने-सी लगीं । मैं एक साथ चीं-चीं करके चिल्लाते हुए हजारों चूहों की आवाजें सुन रहा था । उनकी आवाजों में पीड़ा थी और वे जल-जलकर मर रहे थे । वायुमंडल उनके जलकर मरने की दुर्गध से भर रहा था, जिसकी वजह से वहां खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था । उन चूहों की कितनी ही पीढियां तब से उस तहखाने में रहती आई थीं, जब एस्कहाम महल चूहों की उपासना करने वाले रोमन कबीले का मंदिर था ।
सवाल यह था कि तहखाने में रह रहे चूहों ने स्वयं को जिन्दा कैसे रखा ? मेरे विचार से भूख लगने पर वे चूहे एक-दूसरे को खाकर ही अपनी वंश वृद्धि करते रहे थे । सैकडों वर्षों बाद तहखाने के खुलने पर उन चूहों ने इंसानी मांस और खून पीकर अपनी भूख पिटाई थी । मुझको सबसे बड़ा दुःख इस बात का था कि सारे घटनाक्रम में अल्फ्रेड का मित्र कैप्टन नौरोजी भी अपनी जान से हाथ धो बैठा था । कैप्टन नौरोजी की अंत्येष्टि की रस्म पर मैं ऐसा महसूस कर रहा था, जैसे मेरा बेटा अल्फ्रेड ही दुबारा मर गया हो । मैंने जीवन में फिर कभी एस्कहाम में कदम नहीं रखा और वापस अमेरिका चला आया । अमेरिका में ही मुझे खबर मिली थी कि इंग्लैंड की सरकार ने एस्कहाम को मनहूस और असुरक्षित करार देते हुए गिरा दिया था । इसके साथ ही उसकी अभिशप्त कहानी का भी अंत हो गया था । **
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15-04-2014, 05:28 PM | #25 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
रेल की पटरियों पर
वह कौन थी? घटना पुरानी है। मेरे मित्र राकेश दिल्ली से उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक निवास लौट रहे थे। ट्रेन काफी लेट हो चुकी थी। वे अपने स्टेशन पर उतरे तो रात के डेढ़ बज चुके थे। छोटे स्टेशनों पर देर रात को सवारी मिलने में दिक्कत होती है। फिर राकेश का घर शहर के बाहर पड़ता था इसलिए वे रेलवे लाइन के किनारे-किनारे चलने लगे। जैसे ही वे प्लेटफार्म छोड़कर पटरियों के किनारे आए उन्होंने एक युवती को साथ चलते देखा। उन्होंने पूछा तो उसने बताया कि वह हास्टल से घर आ रही थी ट्रेन लेट होने के कारण परेशानी में पड़ गई। इत्तेफाक से उसका घर उस गुमटी के पास ही था जहां से राकेश के घर का रास्ता निकलता था। उसने कहा कि ठीक है उसे घर पहुंचा कर ही वह आगे बढ़ेगा। उसने बताया कि वह इंटर में पढ़ती है और उसके पिता का नाम अर्जुन सिंह है। उसने पूछा कि क्या आप बैडमिंटन खेलते हैं। राकेश ने कहा-हां, खेलता हूं। उसने बताया कि वह टूर्नामेंट में उसे खेलते हुए देख चुकी है। रेल लाइन के एक तरफ खेत थे। दूसरी तरफ छिटपुट आबादी। कुछ घर अभी बन ही रहे थे। कुछ घरों से रौशनी आ रही थी। उसके साथ बात करते हुए कब हम रेल फाटक के पास पहुंच गए पता ही नहीं चला। उसने इशारे से राकेश को अपना घर दिखाते हुए कहा कि अब वह चली जायेगी। राकेश ने कहा कि उसे घर तक पहुंचा कर आगे बढ़ेगा। लेकिन उसने कहा अब कोई परेशानी नहीं। अंततः राकेश ने कहा कि वह घर पहुंचने के बाद आवाज़ देगी तभी वह आगे बढ़ेगा। बहरहाल उसने अपने दरवाजे पर पहुंचने के बाद आवाज़ दी। वह अपने रास्ते चल पड़ा। >>>
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15-04-2014, 05:30 PM | #26 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
दो चार दिन बाद राकेश शहर की ओर निकला तो उसके घर के पास से गुजरते हुए उसे लड़की की याद आई। उसने पास के एक दुकानदार से पूछा कि अर्जुन सिंह जी का घर कौन सा है। उसने एक घर की ओर इशारा करते हुए बताया कि गेट के पास जो टहल रहे हैं वही अर्जुन सिंह हैं।
राकेश उनके पास गया और कहा-नमस्ते अंकल। वे राकेश को पहचानने की कोशिश करने लगे। राकेश ने कहा-अंकल तीन चार दिन पहले मैं रात को स्टेशन से रेलवे लाइन होकर आ रहा था तो आपकी बेटी रेखा मेरे साथ आई थी। अब वह कैसी है। अर्जुन सिंह राकेश की बातें खामोशी से सुनते रहे फिर उसे अंदर आने का इशारा किया। हम ड्राइंग रूम में बैठे ही थे कि एक लड़की ट्रे में बिस्किट और पानी रख गई। अर्जुन सिंह ने बताया कि वह उनकी छोटी बेटी शविता है। राकेश ने पूछा-रेखा कहां है। इसपर अर्जुन सिंह ने दीवार की ओर इशारा किया। वहां रेखा की तस्वीर टंगी थी जिस पर माला पहनाया हुआ था। मैं चौंका। अर्जुन सिंह ने बतलायाः दो महीने पहले की बात है। रेखा ट्रेन से से उतरकर रेलवे लाइन से होते हुए पैदल आ रही थी। पीछे से दो भैंसे दौड़ती हुई आईं कुछ लोगों ने शोर मचाया तो रेखा ने पीछे मुड़कर देखा। उनसे बचने के लिए वह रेलवे लाइन पर दौड़ गई। उसी वक्त एक ट्रेन आ रही थी जिससे वह कटकर मर गई। यह कहते-कहते उनकी आंखें डबडबा गईं। फिर थोड़ा संयत होकर पूछा-रेखा बहुत हा हंसमुख लड़की थी. हमारे घर की रौनक थी। पढ़ने में बहुत तेज़ थी। अच्छा बताओ वह तुमसे मिली तो उदास नहीं लग रही थी न...राकेश ने कहा कि वह सामान्य छात्रा की तरह बात कर रही थी। कहीं से ऐसा नहीं लगा कि...राकेश धीरे से उठा और बोला-अच्छा अंकल चलता हूं। अर्जुन सिंह ने कहा-ठीक है बेटे आते रहना। राकेश भावुकता में बहता हुआ बाहर निकला। उसकी आंखों के सामने रेखा का चेहरा नाच रहा था। **
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15-04-2014, 05:32 PM | #27 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
प्रेत ने कराया तबादला
(इन्टरनेट से) वर्षों पुरानी घटना है. दानापुर रेल मंडल में एक उज्ज़ड और झगड़ालू किस्म का कर्मी मोहन सिंह ट्रांसफर होकर आया. उसका तबादला करवाया गया था. वह जहां नियुक्त था वहां सबसे लड़ता झगड़ता रहता था. उसके सहकर्मी और अधिकारी उससे आजिज आ चुके थे. उनकी कई शिकायतों के बाद उसका तबादला किया गया था. दानापुर रेल मंडल के अधिकारियों और कर्मियों को उसके बारे में जानकारी मिल चुकी थी. मोहन सिंह ज्वाइन करने के बाद तुरंत क्वार्टर की मांग करने लगा. कोई क्वार्टर खाली था नहीं. एक क्वार्टर था जो भुतहा माना जाता था. इसलिये कई वर्षों से बंद पड़ा था. रेल मंडल के अधिकारियों ने उसे वही क्वार्टर आवंटित कर दिया. वह बेहिचक उसमें प्रवेश कर गया. उसकी सफाई करायी. रंग-रोगन कराया फिर आराम से अकेला रहने चला आया. पहले ही दिन रात को लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने बैठा तो उसके आसपास कुछ पत्थर गिरे. वह चौंका लेकिन कहीं कुछ दिखायी नहीं पड़ा. वह अपना काम करता रहा. थोड़ी देर बाद फिर कुछ लकड़ी वगैरह गिरी. एक हड्डी भी गिरी. उसे गुस्सा आया. चीखकर गाली बकते हुए बाला-कौन है रे हरामजादे. हिम्मत है तो सामने आ तो तुझे बताऊं. >>>
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15-04-2014, 05:34 PM | #28 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
तभी ऊपर से एक आदमी का कटा हुआ पांव गिरा. मोहन ने उसे पकड़ा और चूल्हें में झोंक दिया. बोला-अब आ साले...
जोरों से हंसने की आवाज आयी और एक आदमी सामने आ खड़ा हुआ. उसने कहा- वाह बहादुर! तुम बिल्कुल नहीं डरे. लोग तो मेरी आहट से ही कांप जाते हैं. मोहन--क्या चाहते हो. किसलिये ये सब कर रहे थे. व्यक्ति-मुझे तुमसे बहुत जरूरी काम कराना है. तुम हिम्मती हो इसलिये मुझे विश्वास है कि तुम कर सकते हो. मोहन-क्यों करूं तुम्हारा कोई काम...मुझे इससे क्या फायदा होगा...? ---तुम मेरा काम करोगे तो मैं तुम्हारा एक काम कर दूंगा. तुम जो भी चाहो.साथ में कुछ ईनाम भी दूंगा. ---क्या मेरा तबादला वापस पुरानी जगह करा सकते हो....? ---बिल्कुल करा दूंगा...वादा करता हूं... ---तो फिर ठीक है. बोलो तुम्हारा क्या काम है. ---देखो मैं एक प्रेत हूं...मेरा भाई भी प्रेत है. उसे एक तांत्रिक ने कैद कर लिया है. वह उसे एक घड़े में बंद कर कल श्मशान ले जायेगा और जमीन में गाड़कर भस्म कर देगा. फिर वह कभी आजाद नहीं हो सकेगा. >>>
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15-04-2014, 05:36 PM | #29 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
---तो मैं इसमें तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं.
---तुम अगर घड़ा को तोड़ दोगे तो वह आजाद हो जायेगा. ---यह काम तुम क्यों नहीं कर लेते..? ---तांत्रिक के बंधन के कारण कोई प्रेत यह काम नहीं कर सकता. उसकी शक्ति काम नहीं करेगी.मनुष्य यह काम कर सकता है. इसीलिये मैं कोई साहसी आदमी ढूंढ रहा था. ---ठीक है मैं यह कर दूंगा. लेकिन मेरा तबादला कब कराओगे...? ---मेरा काम होने के एक हफ्ते के अंदर तुम्हारा काम हो जायेगा. तुम्हें दूर से पत्थर मारकर घड़ा फोड़ देना है. ----कब चलना है...? ----आज से ठीक तीन दिन बाद...मैं रात के एक बजे तुम्हें श्मशान के रास्ते में ले चलूंगा जिधर से वह घड़ा लेकर गुजरेगा. ----ठीक है मैं तैयार रहूंगा... तीसरे दिन रात के वक्त प्रेत नियत समय पर आया और मोहन को लेकर सुनसान इलाके में ले गया. थोड़ी देर बाद कुछ लोगों के आने की आहट मिली. मोहन ने देखा एक आदमी सिर पर घड़ा लिये जा रहा है. प्रेत ने इशारा किया. उसने जेब से पत्थर निकाला और निशाना लेकर जोर से घड़े पर दे मारा. निशाना सटीक बैठा. घड़ा फूट गया. जोरों के अट्टाहास के साथ एक रौशनी सी उड़ती हुई हवा में विलीन हो गयी. प्रेत ने खुश होकर मोहन से कहा-धन्यवाद..तुमने मेरे भाई को आजाद करा दिया. अब मैं तुरंत तुम्हारा काम कराउंगा. तुम्हारे क्वार्टर में कोई भी आकर रहेगा उसे तंग नहीं करूंगा. तुम जब याद करोगे तुम्हारे पास आ जाउंगा. अगले दिन रेल मंडल के कार्मिक विभाग के अधिकारी के पास प्रेत पहुंचा और मोहन का तबादला करने को कहा. अधिकारी ने आनाकानी की और पूछा कि तुम कौन हो..? तुम्हारी पैरवी क्यों सुनूं. >>>
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15-04-2014, 05:38 PM | #30 |
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Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
प्रेत ने कहा कि सोच-विचार कर लीजिये. मैं फिर मिलूंगा.
इसके बाद वह गायब हो गया. अधिकारी हैरान रह गया कि वह अचानक गायब कैसे हो गया. उसी रात अधिकारी जब अपने क्वार्टर में सोया हुआ था. प्रेत ने उसे झकझोर कर उठाया. वह भौंचक रह गया. प्रेत- तुम्हारे घर के दरवाजे खिड़कियां सब बंद हैं..फिर भी मैं अंदर आ गया. इसी तरह चला भी जाउंगा. समझे मैं कौन हूं? मैं कुछ भी कर सकता हूं. जिंदा रहना चाहते हो तो मेरी बात माननी ही पड़ेगी. मरना चाहते हो तो कोई बात नहीं. मैं अंतिम वार्निंग दे रहा हूं. कल उसके तबादले का आर्डर निकलेगा नहीं तो परसों तुम्हारी अर्थी निकलेगी. सोच लो क्या करना है. और वह गायब हो गया.अधिकारी मारे भय के कांपने लगा. रातभर नींद नहीं आयी. सुबह आफिस पहुंचा तो सबसे पहले तबादले का लैटर तैयार कराया. इधर सुबह के वक्त जब मोहन सिंह उठा तो बिस्तर पर 10 हजार रुपयों की गड्डी दिखायी पड़ी. वह समझ गया कि उसका ईनाम है. आफिस पहुंचा तो पता चला कि उसका ट्रांसफर ऑर्डर निकल चुका है. वह वापस धनबाद रेल मंडल भेजा जा रहा है. श्रेय:----छोटे
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