14-12-2014, 12:01 PM | #21 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
( अर्जुन उवाच ) चंचलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम् | तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम् || अर्थात् : ( अर्जुन ने श्री हरि से पूछा ) हे कृष्ण ! यह मन चंचल और प्रमथन स्वभाव का तथा बलवान् और दृढ़ है ; उसका निग्रह ( वश में करना ) मैं वायु के समान अति दुष्कर मानता हूँ |
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
14-12-2014, 12:02 PM | #22 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
श्लोक 14 :
(श्री भगवानुवाच ) असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् | अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्येते || अर्थात् : ( श्री भगवान् बोले ) हे महाबाहो ! निःसंदेह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है लेकिन हे कुंतीपुत्र ! उसे अभ्यास और वैराग्य से वश में किया जा सकता है |
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14-12-2014, 12:28 PM | #23 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
न चौर हार्यम न च राज हार्यम, न भ्रात्रभाज्यम न च भारकारी
व्यये कृते वर्धते नित्यं, विद्या धनं सर्वधनं प्रधानम् ।१।
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14-12-2014, 12:28 PM | #24 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
काक चेष्टा बकोध्यानम, स्वान निंद्रा तथैव च
स्वल्पाहारी गृहत्यागी, विद्यार्थी पञ्च लक्षणं । २।
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14-12-2014, 12:29 PM | #25 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
विद्या ददाति विनयम, विनयात याति पात्रत्वाम
पात्र्त्वात धनमाप्नोति, धनात धर्मः ततः सुखं । ३।
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14-12-2014, 12:29 PM | #26 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
नैनं छिदंति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः,
न चैनं क्लेदयन्त्यापो, न शोषयति मारुतः। ४।
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14-12-2014, 12:29 PM | #27 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
कर्मनेवाधिकरास्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफल हेतुर्भुर्मा, ते सन्गोत्सवकर्मनि। ५।
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14-12-2014, 12:29 PM | #28 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भावती भारतः,
अभुथानाम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्हम।६।
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14-12-2014, 12:29 PM | #29 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चित् दुःख भाग्भावेत । ७।
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14-12-2014, 01:59 PM | #30 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
संस्कृत की बहुत प्रेरणादायक सूक्तियाँ. यह हर कदम पर व्यक्ति को राह दिखने वाली हैं.
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