28-10-2011, 05:47 PM | #21 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
लंदन ! जीवन की शुरूआत 38 वर्ष की आयु में होती है ... चौंक गए । जनाब, यही वह उम्र है जब आप खुद के होने को सबसे बेहतर ढंग से महसूस करते हैं और सबसे ज्यादा संतोष का अहसास भी इसी वक्त होता है । जी हां, एक नये शोध में 2000 वयस्कों का अध्ययन किया गया और पाया गया कि जीवन के तीसरे दशक में यौन विश्वास, काम और जीवन का अच्छा संतुलन और सामाजिक स्थितियों में सुविधा सबसे ज्यादा होती है । जीवनशैली से जुड़े इस अध्ययन में खुलासा हुआ कि ज्यादातर लोगों का कहना था कि धन उनके लिए दोस्ती से ज्यादा कीमती है जबकि कई लोगों ने कहा कि वे अपने दोस्तों की जिंदगी के साथ अपनी जिंदगी की अदला बदली नहीं करना चाहेंगे । हर पांच में से दो व्यक्तियों को बूढे होने का गम सताता है जबकि चार में एक से ज्यादा व्यक्तियों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जिंदगी उनके नियंत्रण में है । विवाहित या जीवनसाथी वाले व्यक्तियों ने कहा कि 42 की उम्र में उन्होंने सबसे ज्यादा संतोष का अनुभव किया जबकि अविवाहित लोग का कहना था कि 27 की उम्र में उन्होंने सबसे ज्यादा संतोष महसूस किया । अध्ययन में खुलासा हुआ कि महिलाएं अपने बदन को लेकर सबसे ज्यादा सुविधा 31 साल की उम्र में महसूस करती हैं जबकि पुरूष 30 साल की आयु में ।
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28-10-2011, 05:59 PM | #22 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
सपनों को ‘पढने’ वाला ब्रेन स्कैनर
लंदन ! सपनों के रहस्यमय संसार का भेद जल्द ही खुल जाएगा । लोग जल्द ही कम्प्यूटर के इस्तेमाल से जान सकेंगे कि उन्होंने क्या सपना देखा और हां, वे उन सपनों को अगले दिन देख पाने के लिए रिकॉर्ड भी कर सकेंगे । है न हैरानी भरी बात ... लेकिन म्यूनिख के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के एक दल का मानना है कि ऐसा जल्द ही हो सकेगा । ‘न्यू साइंटिस्ट’ की खबर में बताया गया कि वैज्ञानिकों का कहना है कि बे्रन स्कैनर की सहायता से उन लोगों के सपनों को देखा जा सकता है जो अपने सपनों पर नियंत्रण कर सकते हैं । जागते वक्त विचारों को पढ पाने की तरह ही क्या सपनों को भी पढा जा सकता है , यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने इन खास लोगों का दिमाग निगरानी तकनीक से परीक्षण किया। उन्होंने सपनों पर नियंत्रण का दावा कने वाले छह व्यक्तियों के दिमागी क्रियाकलापों का अध्ययन किया ।
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28-10-2011, 06:25 PM | #23 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
गांवों में बच्चों की योग्यता का स्तर कम : अध्ययन
नई दिल्ली ! आज जारी एक अध्ययन के परिणामों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक कक्षाओं के अधिकतर बच्चे गणित और भाषाई ज्ञान दोनों में ही कुशलता के जरूरी स्तर से कम से कम दो ग्रेड नीचे हैं। अध्ययन कहता है कि बच्चों द्वारा अपने स्तर पर सही तरीके से वाक्य रचना करने की क्षमता जहां तेजी से कम हो रही है वहीं कक्षा चार में पढने वाले बच्चों का बड़ा हिस्सा बुनियादी गुणा भाग में भी समस्या का सामना कर रहा है। ‘ग्रामीण भारत में अध्यापन और शिक्षण’ के बारे में जारी वार्षिक शिक्षा स्तर की रिपोर्ट (एएसईआर) में आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान के करीब 30 हजार बच्चों को शामिल किया गया है और बच्चों की क्षमताओं का आकलन किया गया है। छात्रों की धीमी प्रगति को उजागर करती रिपोर्ट कहती है कि जहां पहली कक्षा में पढने वाले बच्चों से सामान्य शब्दों को पढने की उम्मीद की जाती है लेकिन उन्हें कक्षा..2 में पढने वाले 30 प्रतिशत से कम तथा कक्षा..3 में पढने वाले महज 40 प्रतिशत बच्चे ही पढ सके। इसी तरह गणित के बारे में बच्चों की समझ को बयां करती रिपोर्ट कहती है कि अध्ययन में शामिल बच्चों में से 75 प्रतिशत बच्चे एक अंक के जोड़ने के सवालों को हल कर सके, जो कि कक्षा..1 के बच्चों से उम्मीद की जाती है। रिपोर्ट में बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालयों की कक्षाओं में सुविधाएं नहीं होने की ओर भी इशारा किया गया है।
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30-10-2011, 06:52 PM | #24 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
बहुत ज्यादा शराब पी रहे हैं ब्रिटेन के बच्चे
लंदन ! ब्रिटेन के सरकारी विभागों के आंकड़ों के मुताबिक यहां के बच्चे बहुत ज्यादा शराब पीने लगे हैं, वजन घटाने के लिए खाना छोड़ रहे हैं और ठीक से सो नहीं पा रहे हैं जिस कारण वह सुबह स्कूल में तरो-ताजा नहीं होते हैं। ब्रिटेन के ‘स्कूल्स हेल्थ एजुकेशन यूनिट’ की ओर से कराए गए तीन अलग-अलग शोध में यह बात सामने आयी है। पहले शोध में यह बात सामने आयी कि 12 वर्ष तक के बच्चे भी सप्ताह में औसतन 12 ग्लास वाइन पी जाते हैं। सर्वे में शामिल किए गए बच्चों में से चार प्रतिशत ने पिछले सप्ताह में 28 या उससे ज्यादा यूनिट वाइन पी थी । एक युनिट वाइन का मतलब है दस मिलीलीटर वाइन । सामान्य तौर पर निर्धारित मानक के अनुसार एक सप्ताह में पुरूष तीन से चार और महिला दो से तीन यूनिट वाइन ही ले सकते हैं। दूसरे शोध में यह बात सामने आयी कि 10 से 11 वर्ष उम्र सीमा की एक तिहाई से भी ज्यादा लड़कियां वजन कम करना चाहती हैं। संडे एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तीसरे शोध के मुताबिक स्कूल प्रशासन द्वारा किए गए सवालोंं के जवाब में करीब आधी किशोर लड़कियों ने बताया कि वह ठीक से सो नहीं पाती हैं और स्कूल में उन्हें तरो-ताजा रहने के लिए खासी मेहनत करनी पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग के के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब को हाथ भी नहीं लगानी चाहिए।’’
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30-10-2011, 08:30 PM | #25 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
दुश्वारियों का सामना करने में मददगार है आध्यात्मिकता
वाशिंगटन ! संत और धार्मिक गुरू इन बातों को सदियों से कहते आ रहे हैं लेकिन अब एक अध्ययन ने भी इसी बात को दोहराया है कि आध्यात्मिकता गंभीर और पुरानी बीमारियो का सामना कर रहे लोगों के स्वास्थ्य नतीजों को बेहतर बनाने में मददगार साबित होती है। अमेरिका में मिसौरी विश्वविद्यालय के अनुसंधानियों ने पाया कि धार्मिक या आध्यात्मिक गतिविधियो में शामिल होने से महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है जबकि पुरूषों को बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव होता है। अध्ययन के लेखक स्टीफनी रीड आर्न्डट के हवाले से लाइव साइंस ने कहा, ‘‘नये अध्ययनों ने इस विचार को बल दिया है कि अध्यात्म या धर्म स्वास्थ्य संबंधी पुराने रोगों के नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला करने में मददगार साबित होता है।’’
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30-10-2011, 08:39 PM | #26 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
नपुंसकता से पीड़ितों को लाभ पहुंचाएगी शॉक थिरेपी
वाशिंगटन ! नपुसंकता से पीड़ित लोगों के लिए एक अच्छी खबर : वैज्ञानिकों ने एक शॉक थिरेपी विकसित की है जिसके बारे में उनका दावा है कि परंपरागत चिकित्सा से लाभ हासिल नहीं कर पाने वाले लोगों को इससे काफी फायदा हो सकता है। हाइफा स्थित रामबम हेल्थकेयर कैंपस ने इस रोग से प्रभावित 29 पुरूषों पर शॉक थिरेपी का इस्तेमाल किया और पाया कि इस तकनीक से उनके यौन क्रियाकलाप बेहतर हो गये हैं। लाइवसाइंस के अनुसार, इलाज के दो माह बीत जाने के बावजूद रोगियों को इलाज का फायदा मिलता रहा और उनमें से 30 प्रतिशत लोगों का यौन जीवन सामान्य हो गया और उन्हें दवाओं की जरूरत नहीं रही।
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30-10-2011, 08:42 PM | #27 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
फेफड़ों की मरम्मत में तेजी लाएंगे स्टेम सेल
लंदन ! वैज्ञानिकों ने ऐसी स्टेम कोशिकाओं का पता लगाया है जो फेफड़ों के सूक्ष्म हवा की थैलियों अल्वियोलाई का तेजी से पुनर्निर्माण करती हैं। वैज्ञानिको का कहना है कि यह एक बड़ा कदम होगा और इससे जल्द ही क्षतिग्रस्त फेफड़ों के रोगियों के नये इलाज का रास्ता खुलेगा। जीनोम इंस्टीट्यूट आफ सिंगापुर के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने कहा है कि इस खोज से जमकर धूम्रपान करने वाले रोगियों और अस्थमा से प्रभावित लोगों के इलाज की नयी उम्मीद जागी है।
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30-10-2011, 08:50 PM | #28 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
आपके सपनों को समझने में मददगार हो सकते हैं ब्रेन स्कैन
वाशिंगटन ! क्या आपको याद नहीं कि आपने पिछली रात सपने में क्या देखा था? अगर ऐसा है तो जल्द ही आप ऐसा कर पाएंगे क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक नयी तकनीक विकसित कर ली है जिससे वे इस बात को सटीक तौर पर जान सकते हैं कि आपने क्या सपना देखा था। जर्मनी के मनोविज्ञान के मैक्स प्लांक विश्वविद्यालय के एक दल ने ब्रेन इमेजिंग का इस्तेमाल कर कहा कि वे इसके माध्यम से मस्तिष्क की गतिविधियोें के बारे में जानकारी हासिल कर सकते थे। अपने अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने नियंत्रित सपने देखने वाले छह लोगों को एक फंक्शनल मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एफएमआरआई) मशीन में सुलाया जो मस्तिष्क को जाने वाले रक्त बहाव का माप करती है। रक्त के बहाव में बढोतरी से मालूम चलता है कि मस्तिष्क का वह विशेष हिस्सा सक्रिय है और काम कर रहा है। इस तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों ने अब तक दो सपनों के बारे में जानकारी हासिल की है हालांकि इस प्रयोग को कर पाना फिलहाल काफी कठिन है।
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30-10-2011, 09:02 PM | #29 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
मस्तिष्क की डीएनए संरचना में आता रहता है बदलाव
लंदन ! शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि मस्तिष्क की कोशिकाओं की आनुवांशिक संरचना में धीरे धीरे बदलाव आता रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि इससे मस्तिष्क की बीमारियों के बारे में जानकारी मिल पाएगी। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने रिट्रोट्रांसपोसंन नामक गुणसूत्रों की पहचान की है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के डीएनए में हजारों सूक्ष्म बदलावों के लिए जिम्मेदार हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह गुणसूत्र विशेषतौर पर कोशिकाओं की पुनर्रचना से जुड़े मस्तिष्क के क्षेत्रों में सक्रिय होते हैं।
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30-10-2011, 09:06 PM | #30 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
दो साल में मोबाइल हैंडसेट बदल लेते हैं ज्यादातर लोग : रिपोर्ट
नयी दिल्ली ! मोबाइल फोन अब सिर्फ संचार उपकरण नहीं रह गए हैं। नए एप्लिकेशंस के लिए अब ज्यादा से ज्यादा लोग दो साल के अंदर मोबाइल हैंडसेट बदल लेते हैं। उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। देश के छह प्रमुख शहरों-दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर और हैदराबाद में किए गए इस सर्वेक्षण में 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नए एप्लिकेशंस के लिए दो साल से कम समय में नया हैंडसेट खरीदते हैं। सर्वेक्षण में 20 से 30 साल के 1,370 लोगों को शामिल किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक तरह जहां हैंडसेट के दाम नीचे आ रहे हैं, वहीं लोगों की खर्च योग्य आमदनी बढ रही है। इस वजह से भी अब लोग जल्दी-जल्दी हैंडसेट बदल रहे हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि पहली बार हैंडसेट खरीदने वालों के लिए ब्रांड ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। 39 फीसद ने इस बात से सहमति जताई। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे तेजी से बढता हैंडसेट बाजार है। शहरी क्षेत्र में मोबाइल धारकों की संख्या 5.91 करोड़ है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 3.01 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन है। दूसरी बार हैंडसेट खरीदने वाला व्यक्ति गुणवत्ता पर ध्यान देता है। 15 प्रतिशत लोगों ने यह राय जताई। सर्वेक्षण में कहा गया है कि ज्यादातर लोग मोबाइल हैंडसेट खरीदने के लिए दोस्तों से सलाह लेते हैं। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘‘दूरसंचार उद्योग को नाम के महत्व को जानना चाहिए। विनिर्माताओं को खुद को विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों से जोड़ना चाहिए, जिससे उनके ब्रांड की पहचान बनेगी।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि कई तरह के फीचर्स मसलन एप्लिकेशंस, ब्लूटूथ, जीपीआरएस, कैमरा, एफएम रेडियो और एमपी 3 प्लेयर हैंडसेट खरीदने के इच्छुक युवा को प्रभावित करते हैं।
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