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Old 22-09-2011, 11:04 AM   #21
Gaurav Soni
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एक अच्छे सूत्र के लिए बधाई
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जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है।
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जिनके घर शीशो के होते हे वो दूसरों के घर पर पत्थर फेकने से पहले क्यू नहीं सोचते की उनके घर पर भी कोई फेक सकता हे
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Gaurav Soni
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Old 25-09-2011, 11:14 AM   #22
bhavna singh
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जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥

भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम ।
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम ।
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥

गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश ।
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश ॥
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥
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आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
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Old 28-09-2011, 02:50 PM   #23
bhavna singh
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आरती श्री वृषभानुसुता की।
मन्जु मूर्ति मोहन ममता की। आरती ..
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेक विराग विकासिनि,
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दतरा की॥ आरती ..
मुनि मनमोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि,
अविरल प्रेम अमित रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥ आरती ..
संतत सेव्य संत मुनिजन की,
आकर अमित दिव्यगुन गन की,
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,
अति अमूल्य सम्पति समता की॥ आरती ..
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि,
जगजननि जग दु:ख निवारिणि,
आदि अनादि शक्ति विभुता की॥ आरती ..
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Old 28-09-2011, 02:53 PM   #24
bhavna singh
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आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो।
ऐसो अद्भुत रूप हृदय धर लीजो शताक्षी दयालु की आरती कीजो।
तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ।
सब घट तुम आप बखानी माँ॥
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो।
तुम्हीं हो शाकुम्भरी, तुम ही हो शताक्षी माँ।
शिव मूर्ति माया, तुम ही हो प्रकाशी माँ॥
श्री शाकुम्भरी..
नित जो नर-नारी अम्बे आरती गावे माँ।
इच्छा पूरण कीजो, शाकुम्भरी दर्शन पावे माँ॥
श्री शाकुम्भरी..
जो नर आरती पढ़े पढ़ावे माँ
जो नर आरती सुने सुनावे माँ
बसे बैकुण्ठ शाकुम्भर दर्शन पावे,
श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो
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Old 28-09-2011, 02:58 PM   #25
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जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!

भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। जगजननी ..

तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।

सत्य सनातन, सुन्दर पर-शिव सुर-भूपा॥ जगजननी ..

आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।

अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥ जगजननी ..

अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।

कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥ जगजननी ..

तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।

मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥ जगजननी ..

राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी राधा।

तू वाâ€*छाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाघा॥ जगजननी ..

दश विद्या, नव दुर्गा नाना शस्त्रकरा।

अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥ जगजननी ..

तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू।

तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥ जगजननी..

सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।

विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥ जगजननी ..

तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।

रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥ जगजननी ..

मूलाधार निवासिनि, इह-पर सिद्धिप्रदे।

कालातीता काली, कमला तू वरदे॥ जगजननी ..

शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।

भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥ जगजननी ..

हम अति दीन दु:खी माँ! विपत जाल घेरे।

हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥ जगजननी ..

निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै।

करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥ जगजननी .. (द्बद्ब)

अम्बे तू है जगदम्बे, काली जय दुर्गे खप्पर वाली।

तेरे ही गुण गाएं भारती॥
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Old 30-09-2011, 05:07 PM   #26
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जय-जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, वर दाता॥ जय-जय ..
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर।
रुज से रक्षा करके भव द्दाता॥ जय-जय ..
बहु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या।
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता॥ जय-जय ..
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता॥ जय-जय ..
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में।
मानवलोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता॥ जय-जय ..
हरि को तुम अति प्यारी श्यामवरण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका तुमसे कैसा नाता॥ जय-जय ..
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Old 01-10-2011, 11:11 AM   #27
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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी ।
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
मैया महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
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Old 05-10-2011, 05:39 PM   #28
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जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदिति नन्दन।
द्दिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ जय ..
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ जय..
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ जय ..
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ जय ..
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ जय ..
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ जय ..
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ जय ..
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Old 05-10-2011, 05:42 PM   #29
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जय कालिंदी, हरिप्रिया जय।
जय रवि तवया, तपोमयी जय॥ जय ..
जय श्यामा, अति अभिराम जय।
जय सुखदा, श्रीहरि रामा जय॥ जय ..
जय ब्रज मण्डलवासिनि जय-जय।
जय द्वारकानिवासिनि जय-जय॥ जय ..
जय कलि कलुष नसावनि जय-जय ।
जय यमुने जय पावनि, जय-जय॥ जय ..
जय निर्वाण प्रदायिनि जय-जय।
जय हरि प्रेमदायिनी जय-जय॥ जय ..
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Old 06-10-2011, 11:33 AM   #30
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जय केदार उदार शंकर, भव भयंकर दु:ख हरम्।

गौरी, गणपति, स्कन्द, नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम्॥ जय ..


शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ्र मन्दिर सुन्दरम्।

निकट मंदाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम्॥ जय ..


उदक कुण्ड है अधम पावन, रेतस कुण्ड मनोहरम्।

हंस कुंड समीप सुन्दर, जै केदार नमाम्यहम्॥ जय ..


अन्नपूर्णा सह अपर्णा, काल भैरव शोभितम्।

पांच पांडव द्रोपदी सह, जय केदार नमाम्हयम्॥ जय ..


शिव दिगम्बर भस्मधारी, अ*र्द्धचन्द्र विभूषितम।

शीश गंगा कंठ फणिपति, जै केदार नमाम्यहम्॥ जय ..


कर त्रिशूल विशाल डमरू, ज्ञान गान विशारदम्।

मध्य महेश्वर तुंग ईश्वर, रुद्र कल्प महेश्वरम्॥ जय ..


पंच धन्य विशाल आलय, जै केदार नमाम्यहम्।

नाथ पावन हे विशालम्, पुण्यप्रद हर दर्शनम्॥ जय ..

जय केदार उदार शंकर, पाप ताप नमाम्यहम्॥
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