09-08-2011, 08:03 AM | #22 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
शालू, जो भाषा में ग्रामर के दखल के खिलाफ थी.. वो उन लोगो के भी खिलाफ थी जिनका ये कहना था कि शालू का नृत्य और उसकी भंगिमाए स्वस्थ समाज के अनुकूल नहीं है.. शालू का ये मानना था कि ये लोग जो उसके खिलाफ है घर में सी डी पे उसका नृत्य देखते है.. शालू को कतई ये गवारा नहीं था कि उसकी सीडी घर पे देखने वाले बाहर आकर उसको सीढ़ी बनाकर अपना उल्लू सीधा करे.. इसीलिए वो हमेशा उल्टी बात करती थी..
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09-08-2011, 10:30 AM | #23 | |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
Quote:
अमाँ ये उम्र बिच में कहाँ से गया, अभी तो खेलने खाने के दिन हैं
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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10-08-2011, 10:53 AM | #24 | |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
Quote:
भाई खेल खा सकते हो तो खाओ किसने मना किया है |
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Last edited by Sikandar_Khan; 10-08-2011 at 10:58 AM. |
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10-08-2011, 11:01 AM | #25 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
शालू, जो हमेशा उल्टी बात करती थी..
उसको कई बार उल्टी करते देख मोहल्ले वाले उल्टी सीधी बाते करते.. कई लोगो का ये भी कहना था कि शालू को नृत्य प्रेम के अलावा प्रकृति से भी प्रेम है..क्योंकि वो पृकृति प्रदत कुछ ऐसी क्रियाये.. ऐसे लोगो के साथ करती थी जिन लोगो की प्रकृति ठीक नहीं थी.. साथ ही उन लोगो का ये भी मानना था कि वे प्रकृति प्रेमी शालू के ऐसे प्रकृति प्रेम को देखते हुए उसे कुछ आर्थिक सहायता भी कर देते थे.. और ये बाते वो इतनी विश्वसनीयता से कहते थे जैसे पुरे घटनाक्रम के वे चश्मदीद गवाह हो.. या फिर शालू उनके खालू के घर ही गयी हो.. पर शालू को इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता था... आपको याद होगा ही कि शालू का ये मानना था कि दुनिया जाए तेल लेने...
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10-08-2011, 11:02 AM | #26 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
पोस्ट लम्बी हो रही है.. लगता है ऑल्टर करना पड़ेगा..
तो पोस्ट जो कि लम्बी हो रही है उसमे हमने तीन साल का लीप ले लिया है.. (तीन साल बाद)
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10-08-2011, 11:14 AM | #27 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
तीन साल बाद शीला
शीला जिसको कि इन तीन सालो में इतने प्रेम पत्र मिले कि उनको रद्दी में बेचने पर उसे साढे तीन सौ रूपये मिले (दरअसल लेखक ही वो रद्दी वाला है, जो भेष बदल कर रद्दी खरीदता है और उनमे मिली चिट्ठियों को अपने नाम से छापता है.. उनमे भी कुछ प्रेम पत्र ऐसे है जो छपने लायक है, पर वो फिर कभी) तो शीला ने दो साल तक उन पत्रों को एक करियर ऑप्शन की तरह चुना और कुछ को जवाब भेजकर अपने लिए दैनिक जीवन की आवश्यकताओ की पूर्ति भी की.. मसलन अपना मोबाईल रिचार्ज करवाना, सूने कानो के लिए टॉप्स खरीद्वाना, अपने लिए हैण्ड बैग्स, फास्टट्रेक की घडी और भी ऐसी कई चीज़े.. साथ ही कभी कभी हलवाई की जलेबिया और कचोरिया भी.. और सिनेमा तो आप खुद ही समझ जायेंगे.. खैर तीसरे साल शीला की ज़िन्दगी में आया रमेश जो कि शीला की ही तरह लुक्खा था.. बस दोनों की जोड़ी जम गयी.. पर शीला जो कि दीक्षित परिवार की बेटी थी उनको रमेश जैसे सिन्धी लड़के से अपनी बेटी की शादी नागवार गुजरी.. पर शीला ने हार नहीं मानी और घर से भाग गयी.. वो ये बात जानती थी कि माता पिता के आशीर्वाद के बिना कोई संतान खुश नहीं रह सकती.. इसलिए तिजोरी में से दस तोला सोना माता पिता के आशीर्वाद स्वरुप साथ ले गयी.. (भगवान ऐसी औलाद सबको दे).. रमेश कीजवानी से शादी हो गयी उसकी... सिन्धी फैमिली होने के बावजूद शीला वहा खुश है.. और अब कोई उसका नाम पूछता है तो वो कहती है कि माय नेम इज शीला... शीला कीजवानी
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10-08-2011, 11:17 AM | #28 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
तीन साल बाद रज़िया
आज से दो साल पहले एक साहब अपनी जींस ऑल्टर करवाने आये और रज़िया को दिल दे बैठे.. उम्र में वे रज़िया के अब्बू से ज्यादा तो नहीं थे पर कुछ कम भी नहीं थे.. रज़िया के पिता पहले तो बेटी के भविष्य के प्रति आशंकित थे.. पर जब उनकी आशंका देखते हुए उन साहब ने उन्हें पचास हज़ार रुपी विश्वास जताया तो वे खुदा की मर्ज़ी जानकर निकाह को राजी हो गए.. रज़िया दुल्हन बनके ससुराल पहुच गयी.. और साथ में ले गयी अपनी कैंची.. पगली, समझती होगी कि ज़िन्दगी भी इससे कट जायेगी.. ज़िन्दगी में जो लोग सरप्राईजेस में बिलीव करते है उन्हें रज़िया की ज़िन्दगी देखनी चाहिए.. जिसे ससुराल में आकर कई सरप्राईजेस मिले.. आने के छ महीने बाद ही उसके पति ने उसके अन्दर छिपी प्रतिभा को खोज लिया.. और पहले से प्रतिभावान अपनी दो पत्नियों के सुपुर्द कर दिया... ये था रज़िया का दूसरा सरप्राईज़ कि उसकी माँ की उम्र की दो सौतन का होना.. वे दोनों थी भले सौतन लेकिन रज़िया का बहुत ख्याल रखती थी.. हालाँकि शुरू शुरू में रज़िया ने अपनी प्रतिभा से दुसरो को लाभान्वित करने में आनाकानी की.. पर उसकी दोनों सौतनो ने लोहे के गर्म चिमटे का सहारा लेकर उसे समझा ही दिया.. आखिर चोट खाकर ही पत्थर हीरा बनता है.. अब रज़िया से सब खुश है.. और उसके शौहर भी जो ये जानते थे कि पचास हज़ार तो यू ही निकाल आयेंगे.. रजिया अब कुछ बोलती नहीं बस मन ही मन अल्लाह से दुआ करती है.. कि अल्लाह बचाए मेरी जान कि रज़िया गुंडों में फस गयी..
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12-08-2011, 09:00 AM | #29 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
तीन साल बाद मुन्नी
मुन्नी जिसने कि महिलाओ की सेवा करके बहुत नाम कम लिया था वो अब और भी बड़ी समाज सुधारक बन गयी थी.. पर दो साल पहले ऐसा हुआ कि लेखक को भी अचंभा हुआ.. हुआ यू कि मुन्नी केरल गयी थी एक विधवा आश्रम का उद्घाटन करने.. बस वही पर उसकी मुलाक़ात डार्विन नामक व्यक्ति से हुई.. जो वहा एक एन जी ओ चलाता था.. और चाहता था कि मुन्नी जैसी समाज सुधारक उसके मिशन में उस से जुड़े.. पहले तो मुन्नी तैयार नहीं हुई लेकिन फिर जब उसने गाँधी जी की कई सारी तस्वीरो वाला बैग दिखाया.. तो गाँधी वादी विचारधारा वाली मुन्नी मना नहीं कर सकी.. बस फिर क्या था मुन्नी ने अब तक जितने भी महिला आश्रम खुलवाए थे वहा की महिलाओ को प्रभु के मार्ग पे चलने हेतु प्रेरित किया.. और साथ ही ये भी समझाया कि ईश्वर तो ईश्वर है फिर चाहे वो राम हो या ईशु.. जो महिलाये ये समझ गयी उन्होंने तो बात माँ ली पर जो नहीं मानी उन्हें भी गांधीवादी विचारो से मुन्नी ने मनवा ही लिया.. हालाँकि इस से कुछ मूढ़ मति लोग ये भूलकर कि ईश्वर एक है.. मुन्नी जैसी भली महिला के बारे में अनाप शनाप बकने लगे.. और तब तो उसके पुतले भी जलाये जब वो मुन्नी से मार्ग्रेट बन गयी और उसने डार्विन से शादी कर ली.. डार्विन का पूरा नाम डार्विन लिंगानुराजन था.. और मुन्नी उसे प्यार से डार्लिंग कहती थी.. अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि सुहागरात पर मुन्नी ने डार्विन से क्या कहा होगा.. जी हाँ! मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए..
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12-08-2011, 09:34 AM | #30 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
तीन साल बाद शालू
अब जनाब शालू का क्या कहे.. दुनिया उसके बारे में उल्टी बाते करती रही और वो उल्टिया करती रही.. टी वी पे तो वो हिट थी ही बाद में मोबाईल पर भी उसने झंडे गाद दिए.. जो लोग बड़े परदे पर काम नहीं मिलने की वजह से छोटे परदे पर आये थे वो शालू की उससे भी छोटे परदे पर कामयाबी देखकर जलने लगे.. शालू से जलने वालो की लिस्ट लम्बी होती गयी.. पर शालू को काम की कोई कमी नहीं रही.. दो साल पहले शालू ने टी वी पे अपना स्वयंवर भी रचाया था और एक बेचारे पे तरस खाके उससे शादी भी कर ली थी.. पर वो लड़का नालायक निकला उस ने शालू को सिर्फ इस बात पे तलाक दे दिया कि शालू ने उसे बिना बताये स्वयंवर पार्ट टू के कोंट्राक्ट पे साईन कर दिया.. हालाँकि शालू ने स्वयंवर पार्ट टू किया तो सही पर उसकी टी आर पी पिछले शो के मुकाबले कम रही.. तीसरे स्वयंवर में किसी और को लेने की बात पर शालू ने ही चैनल वालो को आईडिया दिया कि शादी ना सही तो तलाक पर ही प्रोग्राम बना दो.. चैनल वालो को ये सुझाव पसंद आया.. टी वी पे ही शालू ने दुसरे स्वयंवर में हुई जिस लड़के से शादी हुई थी उसी से तलाक ले लिया.. सुना है वो लड़का तीसरे स्वयंवर में फिर से पार्टिसिपेट कर रहा है.. जिस दुनिया ने शालू के बारे में लाख बाते कही पर फिर भी शालू सफल हो गयी.. उसी दुनिया को जवाब देते हुए शालू अपने किसी डांस शो में ये गाना गा रही थी.. कि मुन्नी भी मानी और शीला भी मानी.. शालू के ठुमके की दुनिया दीवानी
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