11-09-2011, 01:08 AM | #21 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
महादेवी वर्मा हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। 1919 में इलाहाबाद में क्रास्थवेट कालेज से शिक्षा का प्रारंभ करते हुए उन्होंने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम ए की उपाधि प्राप्त की। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये 'पद्म भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ। फाइल का आकार: 7 Mb 8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) : कृपया यहाँ क्लिक करें |
11-09-2011, 01:08 AM | #22 |
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भला ईश्वरचंद्र विद्यासागर को कौन नही जानता ? उनके बहुत सारे प्रेरक प्रसंग आपने भी पढ़े होंगे। वे सही मायने में एक महापुरुष थे। उनकी उदारता के किस्से बहुत मशहूर है। उन्होंने समाज हित में बहुत काम किए।
प्रख्यात शिक्षाविद्, समाज सुधारक युग पुरुष ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म पश्चिम बंगाल के एक कुलीन निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ। आर्थिक संकटों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपनी उच्च पारिवारिक परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखा। संकट के समय में भी वह कभी अपने सत्य के मार्ग से नहीं डिगे। उनके जीवन की बहुत सी घटनाओ का रोचक वर्णन इस छोटी सी पुस्तक में किया गया है। यहपुस्तकहरकिसीकेपढनेलायकहै। यहपुस्तकपढनेमेंइतनीरोचकहैकिआपएकबारशुरूकरनेकेबाद इसेखत्मकरकेहीदमलेंगे । साइज़: 3.5 mb डाउनलोड लिंक: यहाँ क्लिक करें पासवर्ड: hindilove |
11-09-2011, 01:08 AM | #23 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
चेहरादेखकरभविष्यजानो (Face Reading Book in Hindi )
यह पुस्तक हमारी ज्योतिष सम्बन्धी पुस्तको की कड़ी में अगली पुस्तक है। इसे पढ़कर आप किसी भी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसका भविष्य बता सकतें है । पुस्तक बहुत ही सरल भाषा में लिखी गई है। बहुत से चित्र भी दिए गए है। पढ़कर अवश्य लाभ उठाएं। साइज़: 900 kb 8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) : कृपया यहाँ क्लिक करें |
11-09-2011, 01:09 AM | #24 |
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चंद्रकांता उपन्यास से देश-विदेश में प्रसिदी प्राप्त करने वाले देवकीनंदनखत्रीकाउपन्यासहै - कटोराभरखून।
कटोराभरखून - जिसकेलिएएकबापअपनीबेटीकाकत्लकरनेकोतैयारहोगया। कटोराभरखून - जिसकेलिएजानेकितनेषडयंत्ररचेगए। कटोराभरखून- जिसनेकईजिंदगियांतबाहकरदी। आख़िर क्या था इसका सच ? जानने के लिए पढिये : कटोराभरखून फाइलकाआकार: 10 Mb 8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) : कृपया यहाँ क्लिक करें |
11-09-2011, 01:09 AM | #25 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
जयशंकर प्रसाद के शिष्य रहे प्रसिद कहानी लेखक विनोदशंकर व्यास की लगभग सभी कहानिया इस संग्रह में शामिल है। ३०० पन्नो की इस पुस्तक में उनकी पचास कहानियाँ दी हुई है। सभी कहानियाँ पढने में रोचक है।
उम्मीद है इससे पाठकों का मनोरंजन होगा। 8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) : कृपया यहाँ क्लिक करें |
11-09-2011, 01:09 AM | #26 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
आपने पुनजब की कुछ प्रसिद्ध प्रेम कहानियों के बारे में तो सुना ही होगा। इस पुस्तक में ऐसी ही कुछ कहानियां दी गयी है।
कहानियांइसप्रकारसेहै : 1. हीर-राँझा 2. सोहनी- महिवाल 3. मिर्जा- साहिबां 4. दुल्ला-भट्टी 5. ससि-पुन्नू अवश्य पढ़ें । फाइल का आकार: 10 Mb 8 डाउनलोडलिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) : xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx Last edited by jitendragarg; 19-09-2013 at 04:13 PM. Reason: Suspicious link. Use skydrive/dropbox to share files. |
11-09-2011, 01:09 AM | #27 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
बड़ी दीदी शरत चंद्र का एक महान और दुर्लभ उपन्यास है। इसे पढ़कर आपको बहुत आनंद आयेगा, ऐसी आशा है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश: इस धरती पर एक विशेष प्रकार के प्राणी हैं जो मानो फूस की आग हैं। वे तत्काल जल उठते हैं और झटपट बुझ भी जाते हैं। उनके पीछे हमेशा एक आदमी रहना चाहिए, जो जरूरत के अनुसार उनके लिए फूस जुटा दिया करे। जैसे गृहस्थ-घरों की कन्याएँ, मिट्टी के दीये जलाते समय उनमें तेल और बाती डालती हैं, उसी तरह वे उसमें एक सलाई भी रख देती हैं। जब दीपक की लौ कुछ कम होने लगती है, तब उस छोटी-सी सलाई की बहुत आवश्यकता पड़ती हैं। उसी से बत्ती उकसायी जाती हैं। यदि वह न हो, तो तेल और बाती के होते हुए भी, दीप का जलना नहीं हो सकता। सुरेन्द्रनाथ की तबीयत भी बहुत कुछ इसी तरह की है। उसमें बुद्धि-बल और आत्मविश्वास सब कुछ है; लेकिन वह अकेला कोई भी काम नहीं कर सकता। जैसे थोड़ा-सा काम वह उत्साहपूर्वक कर सकता है, उसी तरह बाकी काम आलस्य में छोड़कर चुपचाप बैठा भी रह सकता है। इस, मौके पर एक आदमी की जरूरत होती है, जो उसे उकसा दे। सुरेन्द्र के पिता पश्चिम में किसी जगह वकालत करते हैं। बंगाल से उनका अधिक सम्बन्ध नहीं है। वहीं सुरेन्द्र ने बीस वर्ष की उम्र में एम.ए. पास किया—कुछ तो अपने गुणों के कारण, कुछ अपनी विमाता के गुणों के कारण। उसकी विमाता ऐसी सतर्कता से उसके पीछे पड़ी रहती कि अक्सर वह नहीं समझ पाता कि उसकी खुद की भी कोई सत्ता है या नहीं। सुरेन्द्र नामधारी कोई स्वतन्त्र जीव इस संसार में नहीं—इस विमाता की इच्छा-आज्ञा ही, मनुष्य का रूप धारण करके, सब काम-धन्धे—सोना-जागना, पढ़ना-लिखना, पास होना आदि सब करा लेती है। यह विमाता अपनी खुद की सन्तान के प्रति लापरवाह रहकर भी, सुरेन्द्र की इतनी ज्यादा फिकर करती है, जिसकी कोई सीमा नहीं। उसका खाँसना-खखारना भी उसकी निगाहों से नहीं छूटता। इस विमाता की कठोर रखवारी में, सुरेन्द्र ने नाम करने की पढ़ना-लिखना तो सीख लिया, पर आत्मनिर्भरता कतई नहीं सीख सका। उसे अपने-आप पर थोड़ा भी विश्वास न था। उसे कभी भी यह भरोसा न हो सका कि वह कभी भी कोई काम पूरा कर सकता है। उसे कब किस चीज की जरूरत है, या कब उसे क्या करना है— इसके निर्णय के लिए भी वह पूरी तरह किसी भी एक व्यक्ति पर आश्रित रहता। अकसर तो वह ठीक से यह भी निश्चित न कर सकता था कि उसे नींद आ रही है या भूख लग रही है। जब से उसने होश सम्हाला है तब से आज तक पन्द्रह वर्ष उसने अपनी विमाता पर आश्रित होकर बिताये हैं। डाउनलोड लिंक: यहाँ क्लिक करें पासवर्ड: hindilove |
11-09-2011, 01:10 AM | #28 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
"यह कहानी समय की है. इस कहानी का हीरो भी समय है। समय के सिवा कोई इस लायक नही होता कि उसे किसी कहानी का हीरो बनाया जायें।
इस उपन्यास में एक भी गाली नही है। परन्तु शायद यह पूरा उपन्यास एक गाली है। और मैं यह गाली डंके की चोट बक रहा हूँ। यह उपन्यास अश्लील है - जीवन की तरह। " - राहीमासूमरज़ा राही मासूम रज़ा (१ सितंबर, १९२५-१५ मार्च 1992) का जन्म गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गंगा किनारे गाजीपुर शहर के एक मुहल्ले में हुई थी। बचपन में पैर में पोलियो हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ सालों के लिए छूट गयी, लेकिन इंटरमीडियट करने के बाद वह अलीगढ़ आ गये और यहीं से एमए करने के बाद उर्दू में `तिलिस्म-ए-होशरुबा' पर पीएच।डी. की। पीएच.डी. करने के बाद राही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के उर्दू विभाग में प्राध्यापक हो गये और अलीगढ़ के ही एक मुहल्ले बदरबाग में रहने लगे। अलीगढ़ में रहते हुए ही राही ने अपने भीतर साम्यवादी दृष्टिकोण का विकास कर लिया था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वे सदस्य भी हो गए थे। अपने व्यक्तित्व के इस निर्माण-काल में वे बड़े ही उत्साह से साम्यवादी सिद्धान्तों के द्वारा समाज के पिछड़ेपन को दूर करना चाहते थे और इसके लिए वे सक्रिय प्रयत्न भी करते रहे थे। आधा गाँव, नीम का पेड़, कटरा बी आर्ज़ू, टोपी शुक्ला, ओस की बूंद और सीन ७५ उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। फाइलकाआकार: 10Mb 8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) : कृपया यहाँ क्लिक करें |
11-09-2011, 01:11 AM | #29 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
मैंने कहा... (हास्य-व्यंग्य)
यह पुस्तक प्रसिद्ध लेखक श्री विनोदशंकर व्यास के चुने हुए हास्य-व्यंग्य लेखों का संग्रह है। पढने में बहुत ही मनोरंजक है। आशा है, आपको पसंद आयेगी। डाउनलोड लिंक पासवर्ड: hindilove |
11-09-2011, 01:11 AM | #30 |
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Re: नि:शुल्क हिंदी साहित्य एवं पुस्तकें
सेवासदन - उपन्यास (प्रेमचंद) |
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