29-12-2012, 03:04 AM | #21 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को न भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर विपक्षी शिकस्त दे पाए और न ही कांग्रेस की कलह नुकसान पहुंचा सकी। अपने जबरदस्त प्रचार अभियान के बाद वीरभद्र कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में राज्य में फिर सत्ता में वापस ले आये और एक रिकार्ड बनाते हुये 78 वर्षीय इस नेता ने 25 दिसंबर को छठवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अदालत ने भी वीरभद्र को राहत देते हुये उन्हें भ्रष्टाचार और साजिश के मामले से बरी कर दिया। इस मामले की वजह से उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था।
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29-12-2012, 03:05 AM | #22 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
नरेन्द्र मोदी
भाजपा के कद्दावर नेता नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में सत्ता विरोधी लहर को पराजित कर और कांग्रेस तथा केशूभाई पटेल से मिली मामूली सी चुनौती को पार करते हुए हैट्रिक बनाई। राज्य में भाजपा को लगातार पांचवीं जीत दिलाते हुए मोदी ने अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के अंदर प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी मजबूत की और 182 सदस्यीय विधानसभा में 115 सीटें हासिल कर पार्टी को शानदार जीत दिलाई। मोदी तीसरी बार मुख्यमंत्री भी बने।
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29-12-2012, 03:10 AM | #23 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
राजनीति कोयले के कारण तपती रही छत्तीसगढ की राजनीति
छत्तीसगढ में कोयले के कारण इस वर्ष राजनीति की हवा तपती रही। वहीं यह साल नेताओं के विवादास्पद बयानों के कारण भी जाना जाएगा। छत्तीसगढ में पिछले नौ सालों से भारतीय जनता पार्टी का राज है और इस दौरान राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार पर कई बार हजारों करोड़ रूपए के भ्रष्ट्राचार का आरोप लगाया, लेकिन सीएजी रिपोर्ट में कोल ब्लाक आबंटन को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राज्य में कांग्रेस को जैसे बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया। इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने केंद्र सरकार को घेरा तब बदले में यहां कांग्रेस ने राज्य सरकार पर कोल ब्लाक आबंटन में भारी भ्रष्टाचार करने और राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी संचेती को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। विधानसभा में पेश रिपोर्ट में भटगांव कोल ब्लाक आबंटन को लेकर सीएजी ने तीखी टिप्पणी की थी, लेकिन तब मामला ठंडा पड़ गया था। लेकिन एक बार फिर जब संसद में मामला उठा तब भटगांव का कोयला फिर गर्म हो गया। अंतत: कोल मंत्रालय ने भटगांव कोल ब्लाक का आबंटन रद्द कर दिया और अब कांग्रेस इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है। राज्य में सरकार और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा और सरकार भी चलती रही लेकिन यहां के डाक्टरों की गलतियों ने एक बार फिर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में गड़बड़ी को लेकर पहले ही सरकार कई बार विधानसभा में घिर चुकी है। लेकिन इस बार बगैर किसी ठोस कारण के चिकित्सकों पर गर्भाशय निकालने का आरोप लगा। सरकार ने जांच करवाने का आश्वास दिया और नौ चिकित्सकों पर कार्रवाई भी हुई। अब जांच हो रही है। रही सही कसर मोतियाबिंद के आपरेशन ने पूरी कर दी। इस बार लापरवाही का शिकार हुए महासमुंद जिले के 12 मरीज। अब इन मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई है और इस मामले की भी जांच हो रही है। दोनों मामलों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा और जवाब मांगा। बहरहाल इन मामलों को लेकर राजनीति अभी भी गर्म है। राज्य में सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए कई घोषणाएं की और इस वर्ष अलग से कृषि बजट भी पेश किया गया। छह हजार करोड़ रूपए के इस बजट में किसानों की बेहतरी के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। अब राज्य सरकार का बजट लगभग 50 हजार करोड़ रूपए का हो गया है। राज्य में राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य के उत्तर क्षेत्र सरगुजा और दक्षिण क्षेत्र बस्तर की सीटों की वजह से यहां सरकार बनती है। और इसके लिए आदिवासी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन साल के शुरूआती महीने में विधानसभा घेराव करने जा रहे आदिवासियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और इससे नाराज आदिवासियों ने सरकार पर अत्याचार करने का आरोप लगा दिया वहीं विपक्ष ने सरकार से इस्तीफे की मांग की। मामला यही खत्म नहीं हुआ आदिवासी विरोधी होने का आरोप तो कांग्रेस पर भी लगा। राष्ट्रपति चुनाव में पी.ए. संगमा का साथ दे रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब राज्य की दोनों ही पार्टियां आदिवासियों को रिझाने का प्रयास कर रही हैं, क्योंकि अगले साल राज्य में विधानसभा का चुनाव होना हैं। राज्य में साल भर के भीतर चुनाव होने हैं और मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि गुजरात की तरह यहां उनकी हैट्रिक होगी, लेकिन विपक्षी कांग्रेस भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का ख्वाब देख रही है। राज्य सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ में केंद्र से पहले ही खाद्य सुरक्षा कानून बना दिया गया। हालंकि मुख्यमंत्री रमन सिंह अभी भी दावा कर रहे हैं कि उनके पास एक ब्रम्हास्त्र शेष है। इधर प्रदेश कांग्रेस के मुखिया नंद कुमार पटेल कहते हैं कि वर्ष 2013 कांग्रेस का होगा और इसके लिए तैयारी पूरी है। लेकिन उन्हें पार्टी के ही नाराज नेताओं को मनाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ रहा है। राज्य में आरोप प्रत्यारोप का दौर तो चलता ही रहा लेकिन इस दौरान वरिष्ठ नेताओं के बयानों ने काफी विवाद भी मचाया। जुलाई महीने में देश के 45वें विज्ञान केंद्र के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जीन और अनुवांशिक गुणों के बारे में जानकारी देते हुए कह दिया कि बेटा गलती करता है तो बाप की ठुकाई होनी चाहिए। फिर क्या था विपक्ष को मुद्दा मिल गया और कांग्रेस ने इसे मुख्यमंत्री की बौखलाहट में निकला बयान करार दिया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। इसी महीने राज्य के आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले में कांग्रेस के महासचिव हरिप्रसाद ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को पहला आतंकी संगठन कह दिया। अब बारी भाजपा की थी और भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के नेताओं को हरिप्रसाद का इलाज करवाने की सलाह दे डाली। राज्य में बयानों का सिलसिला चलता रहा और विवाद भी होते रहे। लेकिन नवंबर महीने में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सड़क दुर्घटनाओं के लिए मोबाइल, बाइक और गर्लफ्रेंड को दोषी ठहरा दिया। राजधानी रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमीनार का शुभारंभ करते हुए सिंह ने कहा कि ‘अच्छी मोटर सायकल, अच्छा मोबाइल और अच्छी गर्लफ्रेंड हो तो एक्सीडेंट होना ही है।’ बयान के बाद कांग्रेस ने इसे बड़ा मुंह और छोटी बात कहा और सरकार को राज्य में सड़क निर्माण में हो रही गड़बड़ी की तरफ ध्यान देने को कहा। छत्तीसगढ में इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक कुप्पहल्ली सीतारामय्या सुदर्शन का निधन दुख दे गया। रायपुर में 18 जून 1931 को सुदर्शन का जन्म हुआ था। और 81 वर्ष की आयु में रायपुर में ही उनका 15 सितंबर को निधन हो गया। सुदर्शन नौ वर्ष तक आरएसएस के सरसंघचालक रहे। वे आरएसएस की शाखाओं में नए प्रयोगों और अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते रहेंगे।
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29-12-2012, 03:21 AM | #24 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
वर्ष 2012 में मनोरंजन जगत ने गंवाए कई अनमोल रत्न
इतिहास का पन्ना बनने जा रहे वर्ष 2012 में मनोरंजन जगत को खासा नुकसान हुआ क्योंकि उसके कई अनमोल रत्नों ने अपनी समृद्ध विरासत छोड़ कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया। प्रख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर, जानेमाने गजल गायक मेहदी हसन, रोमांस को पर्दे पर नया रूप देने वाले यश चोपड़ा, हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना और रूस्तम ए हिन्द दारा सिंह जैसे कई नाम इस साल सिर्फ यादों में रह गए। भारतीय संगीत का दुनियाभर में प्रचार प्रसार करने वाले मशहूर सितारवादक पंडित रविशंकर का 12 दिसंबर को अमेरिका के सैन डियागो में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 1999 में भारत रत्न से सम्मानित रविशंकर का ‘द बीटल्स’ जैसे पश्चिमी संगीतकारों पर काफी प्रभाव था। तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित रविशंकर ने आखिरी बार गत चार नवम्बर को कैलीफोर्निया में अपनी पुत्री अनुष्का शंकर के साथ प्रस्तुति दी थी। उनको उनके एल्बम ‘द लिविंग सेशंस पार्ट.1’ के लिए वर्ष 2013 के ग्रैमी पुस्कार के लिए नामांकित किया गया था तथा उस श्रेणी में उनका मुकाबला अनुष्का से ही था। ‘रंजिशें सही’, ‘जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं‘, ‘पत्ता पत्ता बूटा बूटा’ जैसी बेहतरीन गजलों को अपनी मखमली आवाज से नवाजने वाले मेहदी हसन ने कराची के अस्पताल में 13 जून को आखिरी सांस ले ली। उनका जन्म राजस्थान के लूना में 18 जुलाई 1927 को हुआ था। वह कलावंत घराने के 16वीं पीढी के फनकार थे। भारत के विभाजन के बाद वह पाकिस्तान चले गए थे। उनके फन की काबिलियत की वजह से उन्हें शहंशाह ए गजल कहा जाने लगा। रूपहले पर्दे पर रोमांस को एक नया अंदाज और एक अलग तरह की नफासत देने वाले रोमांटिक फिल्मों के बादशाह प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा ने 21 अक्तूबर को दुनिया को अलविदा कह दिया। 80 वर्षीय यश चोपड़ा ने अपने पांच दशकों के करियर में बॉलीवुड को ‘त्रिशूल’, ‘दीवार’, ‘सिलसिला’, ‘चांदनी’, ‘कभी कभी’, ‘वीर जारा’ और ‘दिल तो पागल है’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। हिन्दी सिनेमा के एक पूरे दौर को अपने नाम करने वाले अभिनेता राजेश खन्ना ने 18 जुलाई को हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं। वर्ष 1969 से 1972 के बीच ‘आराधना’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘आनंद’ और ‘अमर प्रेम’ लगातार 15 सुपरहिट फिल्में देने के कारण राजेश खन्ना को भारत का पहला सुपरस्टार कहा जाता था। ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता...’, ‘इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं’, दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए’, ‘सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है....’ जैसे अमर गीतों की रचना करने वाले उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अखलाक मोहम्मद खान का 13 फरवरी को निधन हो गया। वह ‘शहरयार’ के नाम से मशहूर थे और 75 वर्ष के थे। कुश्ती की दुनिया में कई सूरमाओं को धूल चटाने के बाद अभिनय जगत में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले रामायण के हनुमान दारा सिंह का 12 जुलाई को देहांत हो गया। राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियन दारा सिंह ने पचास के दशक में फिल्म उद्योग में कदम रखा था। वह ‘किंग कांग’ और ‘फौलाद’ में अपनी दमदार भूमिका के लिये जाने जाते हैं। दारासिंह ने रामानंद सागर के टीवी सीरियल ‘रामायण’ में हनुमान की कालजयी भूमिका निभाई थी और घर घर में लोकप्रिय हो गए थे। फिल्म ‘शोले’ में एक डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ लरजती आवाज में बोल कर इकलौते पोते को खोने की आशंका तथा लाचारगी का अहसास कराते नेत्रहीन रहीम चाचा के किरदार को अमर बनाने वाले अभिनेता ए के हंगल ने 26 अगस्त को आखिरी सांस ली। मशहूर बॉलीवुड पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता ओपी दत्ता का 10 फरवरी को निधन हो गया। दत्ता ने अपने कैरियर की शुरूआत एक निर्देशक के तौर पर वर्ष 1948 में ‘प्यार की जीत’, फिल्म से की थी। उन्होंने ‘सूरजमुखी’, ‘एक नजर’, आंगन और अन्य फिल्मों का निर्देशन किया। बाद में दत्ता ने अपने बेटे जेपी दत्ता की फिल्में ‘गुलामी’, ‘हथियार’, ‘बॉडर’, ‘रिफ्यूजी’, ‘एलओसी कारगिल’ के लिए पटकथा लिखी। संगीतकार रवि इस बार ‘बसंती होली’ का दीदार नहीं कर सके और एक दिन पहले, सात मार्च को दुनिया को अलविदा कह गए। संगीत निर्देशक के रूप में रवि ने बुलंदी को छुआ। फिल्म ‘भरोसा’ का गीत ‘इस भरी दुनिया में कोई हमारा न हुआ’, हमराज का गीत ‘किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है, चौदहवीं का चांद फिल्म का गीत ‘चौदहवीं का चांद हो या...’ चाइना टाउन का ‘बार बार देखो, हजार बार देखो’, दो बदन का ‘लो आ गई उनकी याद वो नहीं आए’ लोगों के पसंदीदा हैं। उनकी अंतिम उल्लेखनीय फिल्म निकाह है जिसके गीत ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए’ को संगीत प्रेमी काफी पसंद करते हैं। आम आदमी की समस्याओं को व्यंग्य के माध्यम से उठाने वाले प्रसिद्ध हास्य कलाकार तथा फिल्म निर्माता जसपाल भट्टी का 25 अक्तूबर को जालंधर के निकट सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। बीते दौर की अभिनेत्री अचला सचदेव, अभिनेता जॉय मुखर्जी, निर्देशक बी आर इशारा, सिनेमेटोग्राफर अशोक मेहता तथा रंगमंच के जाने माने कलाकार और निर्देशक दिनेश ठाकुर ने भी इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया।
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29-12-2012, 03:28 AM | #25 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
किसी न किसी कारण से सितारे बरस भर बने रहे खबरों में
बॉलीवुड और खबरों का कभी न टूटने वाला नाता है। वर्ष 2012 इस मामले में अपवाद नहीं रहा। इस साल भी सितारों से जुड़ी खबरें लगातार सुर्खियां बनी रहीं। साल के शुरू में ही कभी शाहरूख खान और उनकी सबसे अच्छी मित्र रहीं फराह खान के निर्देशक पति शिरीष कुंदर के बीच झगड़ा हो गया। रितिक रोशन अभिनीत ‘अग्निपथ’ की पार्टी में शिरीष ने शाहरूख की फिल्म ‘रा.वन’ के खिलाफ टिप्पणी की और शाहरूख ने शिरीष को पीट दिया। बाद में शिरीष और फराह ने शाहरूख से मुलाकात की और झगड़ा खत्म हो गया। शाहरूख मुंबई में वानखेड़े स्टेडियम विवाद में भी घिरे और उनके स्टेडियम में प्रवेश पर रोक लग गई। एक आईपीएल टीम के मालिक शाहरूख पर मैदान में जाने से रोके जाने पर सुरक्षा कर्मियों से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा। किंग खान ने अपने बचाव में कहा कि सुरक्षा कर्मियों ने उनके साथ गए उनके बच्चों से धक्कामुक्की की जिससे तकरार हुई। बाद में उन्होंने माफी भी मांगी। शाहरूख के खिलाफ आठ अप्रैल को अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच सवाई मान सिंह स्टेडियम में धूम्रपान करते देखे जाने की शिकायत भी हुई। जयपुर की एक अदालत ने उन्हें मई में तलब किया। शाहरूख ने एक अगस्त को अदालत में अपना दोष कबूल कर लिया, जिसके बाद उन्हें मात्र 100 रूपये जुर्माने की सजा हुई। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का इस साल 11 फरवरी को पेट का आॅपरेशन हुआ। वह लंबे समय से पेट की बीमारी से परेशान थे। यह दर्द 1982 में फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान लगी चोट से जुड़ा था। मार्च में, हिंदी फिल्म जगत में ‘धक धक’ गर्ल के नाम से मशहूर माधुरी दीक्षित नेने की मोम की प्रतिमा का विश्व प्रसिद्ध मैडम टुसाद के संग्रहालय में अनावरण किया गया। इसी माह अभिनेता जॉन अब्राहम को साल 2006 में लापरवाही से गाड़ी चलाने के एक मामले में पुलिस हिरासत में ले लिया गया। बाद में वह जमानत पर छोड़ दिए गए। फिल्म-निर्माता सुभाष घई को करारा झटका देते हुए चार अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश पर मुहर लगाकर घई की याचिका खारिज कर दी जिसमें मुंबई की फिल्मसिटी में उनके ‘व्हिसलिंग वुड्स इंस्टीट्यूट’ के लिए 20 एकड़ जमीन के आवंटन को रद्द करने का फैसला सुनाया गया था। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने 2004 में जमीन आवंटित करने के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की भी यह कहते हुए खिंचाई की कि सरकारी जमीन देने के लिए मुख्यमंत्री झुक नहीं सकते और न ही नियमों को ताक पर रख सकते हैं। अभिनेता सैफ अली खान अप्रवासी भारतीय कारोबारी इकबाल शर्मा के साथ मुंबई में धक्कामुक्की की वजह से विवादों में घिरे। ताज महल होटल के जापानी रेस्तरां ‘वसाबी’ में करीना और मित्रों के साथ अपनी फिल्म ‘एजेंट विनोद’ की पार्टी के दौरान सैफ से इकबाल ने पार्टी का शोर कम करने को कहा तो सैफ ने कथित तौर पर उसे धक्का मार दिया। बाद में सैफ ने कहा कि उन्होंने आत्मरक्षा के लिए ऐसा किया। सैफ को कुछ समय के लिए गिरफ्तार भी किया गया। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर मुकदमा कर दिया। बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की मौत के बाद अनिता अडवानी नामक एक महिला ने खुद को उनकी ‘लिव इन पार्टनर’ बताया और अदालत में याचिका दायर कर कहा कि राजेश की पत्नी डिंपल और दामाद अक्षय कुमार ने उन्हें संपत्ति में से हिस्सा देने से मना कर दिया है। अभिनेता आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव ने पहले ओशियन-सिनेफैन नीलामी में फिल्मों से जुड़ी यादगार वस्तुओं के लिए 2,38,000 रुपए की सफल बोली लगाई। नयी दिल्ली में एक अगस्त को आयोजित इस नीलामी में आमिर ने शम्मी कपूर की 88,000 रूपये की जैकेट खरीद ली। मेलोडी क्वीन लता मंगेशकर ने एक साक्षात्कार में कहा कि मोहम्मद रफी के गुस्से के कारण उन्होंने उनके साथ गाना बंद कर दिया था। उनके बीच रॉयल्टी विवाद भी था। लता के अनुसार, रफी के लिखित में माफी मांगने के बाद उनके बीच की दूरी खत्म हुई। लेकिन इस साक्षात्कार के बाद रफी के पुत्र शाहिद ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर वह पत्र लता के पास हो तो वह पेश करें। उन्होंने लता पर शोहरत के लिए दुष्प्रचार का आरोप भी लगाया। रानी मुखर्जी के भाई राजा टीवी अदाकारा प्रिया मिश्रा से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किए गए। इन दिनों वह जमानत पर हैं। बालीवुड के दिग्गज दिलीप कुमार द्वारा पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार स्थित पैतृक मकान को छोड़े जाने के आठ दशक बाद इस साल अप्रैल में पाकिस्तानी अधिकारियों ने जीर्णशीर्ण इमारत के अधिग्रहण की तैयारी शुरू की ताकि इसे राष्ट्रीय धरोहर स्थल के तौर पर संरक्षित किया जा सके।
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29-12-2012, 03:32 AM | #26 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
वर्ष भर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में याद किए गए बापू
अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बात ही कुछ निराली है। बापू की हत्या को 60 साल से अधिक समय बीत गया लेकिन उनकी चर्चा दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जब तब होती रहती है। यह गुजरता बरस भी इससे अछूता नहीं रहा। दक्षिणी आस्ट्रेलिया के एडीलेड शहर में 19 जनवरी को बापू की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। इसके स्तंभ पर गांधी की प्रसिद्ध उक्ति ‘वह बदलाव बनें, जो बदलाव आप देखना चाहते हैं’ लिखी है। एडीलेड विश्वविद्यालय में लगाई गई 1.95 मीटर लंबी इस प्रतिमा निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार गौतम पाल ने किया जिनकी बनायी कांस्य प्रतिमाएं दुनिया भर में कई जगहों पर लगायी जा चुकी हैं। कोलकाता निवासी पाल द्वारा निर्मित यह प्रतिमा भारत सरकार ने एडीलेड विश्वविद्यालय को उपहार में दी थी। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जे वेदरील ने प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि गांधी की यह प्रतिमा दक्षिणी आस्ट्रेलिया और भारत के मजबूत रिश्तों का प्रतीक है। जुलाई में लंदन में महात्मा गांधी से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों और तस्वीरों को भारत ने 12.8 लाख डालर में खरीद कर उन्हें नीलाम होने से बचा लिया। इनमें बापू के वास्तुकार मित्र हर्मन कालेनबाख के साथ विवादास्पद संबंध पर भी दस्तावेज एवं तस्वीरें हैं। गांधीजी के करीबी मित्र और जर्मन यहूदी बडी बिल्डर कालेनबाख से संबद्ध ये अभिलेख नीलाम होने वाले थे लेकिन भारत सरकार एवं नीलामी घर के बीच पर्दे के पीछे वार्ता के बाद इसे रद्द कर दिया गया। कालेनबाख के परिवार के सदस्यों ने भारत को इन दुर्लभ दस्तावेज हासिल करने में मदद की। विदेश मंत्रालय, भारतीय अभिलेखागार के साथ विचार विमर्श के बाद तीन पक्षों - भारत सरकार, सोथबी तथा कालेनबाख की भतीजी इसा सारिद के बीच समझौता हुआ। सारिद परिवार ने इस अमूल्य खजाने का दाम 50 लाख डालर रखा था लेकिन अंतत: 12.8 लाख डालर का भुगतान किया गया। इन दस्तावेजों में कई ऐसे पत्र भी शामिल हैं जो गांधी और कालेनबाख के बीच विवादित रिश्ते पर प्रकाश डालते हैं। जब गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे तब कालेनबाख उनके बेहद करीबी मित्र थे। इन दुर्लभ सामग्रियों में बेहद मुश्किल में फंसे गांधीजी के पहले पुत्र हरिलाल के मर्मस्पर्शी पत्र, उनके दूसरे पुत्र मणिलाल के कालेनबाख के साथ गहरे संबंध, और उनके तीसरे पुत्र रामदास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल हैं। वर्ष 1948 में जिस जगह गांधीजी की हत्या हुई थी वहां की, बापू के खून में भीगी चुटकी भर रेत और खून से सनी घास को लंदन में 17 अप्रैल को एक नीलामी में 10,000 पाउंड में बेच दिया गया। महात्मा गांधी द्वारा 1992 में रवींद्रनाथ टैगोर के सबसे बड़े भाई द्विजेंद्रनाथ को लिखे पत्रों को दिसंबर में लंदन में सोथबी की नीलामी में एक अज्ञात व्यक्ति ने इसकी अनुमानित कीमत से सात गुना राशि में खरीदा। बापू ने द्विजेंद्रनाथ को साबरमती जेल से पत्र लिखे थे जिन्हें सोथबी की अंग्रेजी साहित्य, इतिहास, बाल पुस्तकें और रचनाओं की नीलामी में 49,250 पाउंड में बेचा गया। इनकी बिक्री पांच से सात पाउंड में होने का पूर्वानुमान लगाया गया था। राष्ट्रपिता ने इस पत्र में द्विजेंद्रनाथ से यंग इंडिया पत्रिका के समर्थन में संदेश भेजने को कहा था और इसे पेंसिल से लिखा गया था। इससे पहले नवंबर में गांधीवादी लेखक गिरिराज किशोर ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से संपर्क कर दोनों पत्रों की नीलामी रोकने का आग्रह किया था।
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29-12-2012, 03:37 AM | #27 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए मुश्किलों से भरा रहा वर्ष 2012
वर्ष 2012 विमानन उद्योग के लिए मुश्किलों से भरा रहा और इस दौरान जहां किंगफिशर एयरलाइंस आसमान से जमीन पर आ गई, वहीं वित्तीय संकट ने एयर इंडिया और अन्य विमानन कंपनियों को परेशान कर दिया । वहीं, भारत की ढांचागत क्षेत्र की एक कंपनी के 50 करोड़ डालर के ठेके को मालदीव की सरकार द्वारा निरस्त किए जाने से साल का अंत विवादों से भरा रहा। हालांकि, विमानन क्षेत्र को राहत प्रदान करने के लिए सरकार ने कुछ अनुकूल नीतियों की घोषणा की जिसमें विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद की अनुमति देना शामिल है। टिकटों के उंचे दाम पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों का अपेक्षित असर नहीं दिखा और कम दाम में हवाई सैर करना दूर की कौड़ी बना रहा। इससे घरेलू हवाई यातायात में गिरावट आई और जनवरी..नवंबर के बीच यातायात 2.94 प्रतिशत घटा। ढांचागत क्षेत्र की भारतीय कंपनी जीएमआर को मिला माले हवाईअड्डा विस्तार एवं आधुनिकीकरण का ठेका मालदीव सरकार द्वारा मनमाने ढंग से रद्द किए जाने से दोनों देशों के बीच तनाव जैसी स्थिति बन गई। भारत में एफडीआई संबंधी निर्णय के बारे में आईएटीए प्रमुख टोनी टेलर ने कहा, ‘जब तक कर की उंची दरें कायम रहेंगी, हवाईअड्डा शुल्क एवं अन्य परिचालन लागत उंचे बने रहेंगे, लोग भारतीय विमानन कंपनियों में निवेश नहीं करने वाले।’ इस साल भारत सरकार ने एयर इंडिया को उबारने के लिए 30,231 करोड़ रुपये की अतिरिक्त इक्विटी देने का वादा किया। यह राशि 2012 और 2021 के बीच किस्तों में दी जाएगी, बशर्ते विमानन कंपनी समयबद्ध तरीके से अपनी पुनर्गठन योजनाओं को लागू करे और सौंपे गए कार्यों को पूरा करे। इस साल विमानन क्षेत्र को कर्मचारियों की हड़ताल का सामना भी करना पड़ा जिससे एयर इंडिया का परिचालन 58 दिनों तक प्रभावित रहा, जबकि किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों की हड़ताल ने कंपनी की हालत और खराब कर दी जिससे कंपनी को तालाबंदी की घोषणा करनी पड़ी। इसके बाद विमानन क्षेत्र के नियामक डीजीसीए ने कंपनी का उड़ान परमिट निरस्त कर दिया। विजय माल्या की अगुवाई वाली किंगफिशर एयरलाइंस ने 2013 से सीमित परिचालन बहाल करने के लिए अंतरिम बहाली योजना डीजीसीए को सौंपी है।
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29-12-2012, 04:00 AM | #28 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
राजस्थान : दारिया फर्जी मुठभेड, भंवरी देवी मामलों के उतार चढाव में बीता साल
राजस्थान में बीते साल अदालतों में चल रहे दारा सिंह उर्फ दारिया फर्जी मुठभेड़, नर्स भंवरी देवी हत्याकांड प्रकरण की सुनवाई में आ रहे उतार चढाव से प्रदेश की राजनीति में नित दिन उतार चढाव आते रहे, वहीं पाकिस्तानी जीव वैज्ञानिक मोहम्मद खलील चिश्ती प्रकरण तथा वनस्थली विद्यापीठ में छात्रा के साथ कथित दुष्कर्म घटना के कारण राजस्थान सुर्खियों में रहा। दूसरी ओर राजस्थान सरकार द्वारा भारत रत्न की तर्ज पर पहली बार प्रदेश की सात विभूतियों को राजस्थान रत्न से नवाजा जाना, मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना, भ्रष्ट तरीके से अर्जित सम्पति जब्त करने का कानून और समाचार पत्रों में नियमित रूप से बीस साल तक काम कर चुके बासठ वर्षीय पत्रकारों को पांच हजार रूपये महीने की मदद देने की घोषणा बरसों तलक याद रहेगी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल के ताजा फेरबदल मेंं लाल चंद कटारिया और चन्द्रेश कुमारी के शामिल होने से केन्द्र में राजस्थान का प्रतिनिधित्व बढना सुकून भरा रहा। कटारिया, विभाग वितरण और हत्याकांड में कथित संलिप्तता मुद्दे को लेकर चर्चा में रहे। कटारिया को कई दिन तक इसके लिए सफाई देनी पड़ी। नर्स भंवरी देवी हत्या कांड और दारिया फर्जी मुठभेड प्रकरण में कांग्रेस के दो और भाजपा के एक विधायक की संलिप्तता का चालान अदालत में पेश करने से साफ सुथरी और शान्त राजनीतिक गतिविधियों के लिए ख्यात राजस्थान को शर्मशार होना पड़ा। नर्स भंवरी देवी और आरोपी पूर्व काबीना मंत्री महिपाल मदेरणा की अश्लील सीडी के सम्पादित अंश यू ट्यूब समेत अन्य सोशल साइट पर कई महीने तक छाये रहने से राजस्थान की छवि को खासा नुकसान पहुंचा। केन्द्रीय जांच ब्यूरो की ओर से अदालतों में पेश चालान में नर्स भंवरी देवी प्रकरण में राज्य के पूर्व काबीना मंत्री और मौजूदा विधायक महिपाल मदेरणा, कांगे्रस विधायक मलखान सिंह, दारिया कथित फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में भाजपा के तेजतर्रार विधायक राजेन्द्र सिंह राठौड़ का नाम अन्य आरोपियों के साथ शामिल हैं। राज्य के पूर्व जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री महिपाल मदेरणा, कांगे्रस विधायक मलखान सिंह जेल में हैं, जबकि दारिया कथित फर्जी मुठभेड प्रकरण में राजस्थान के पूर्व काबीना मंत्री और मौजूदा भाजपा विधायक राजेन्द्र सिंह राठौड़ को कई दिन तक जेल में रहना पड़ा। प्रदेश में घटी इन दो घटनाओं में तीन निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की कथित संलिप्तता की वजह से प्रदेश की राजनीति का एक नया चेहरा सामने आया। हालांकि जयपुर की एक अदालत ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो की ओर से भाजपा विधायक राजेन्द्र राठौड़ को दारिया कथित फर्जी मुठभेड़ में आरोपित करने को खारिज कर चुकी है पर यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। बुजुर्ग पाकिस्तानी जीव वैज्ञानिक मोहम्मद खलील चिश्ती को अजमेर की एक अदालत द्वारा हत्या के जुर्म में दी गई सजा, स्वयंसेवी संगठनों द्वारा मानवीयता के आधार पर सजा में माफी की मांग, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत स्वीकार कर पाकिस्तान जाने की अनुमति देना और पिछले दिनों आरोप से बरी करने का मामला देश में ही नहीं, विदेश में भी सुर्खियों में रहा। बीते साल दारिया कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में राजस्थान के निलम्बित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अरविन्द कुमार जैन की कई महीनों की लुकाछिपी के बाद अदालत में आत्मसमर्पण (जैन अभी न्यायिक हिरासत में जेल में है) जयपुर की एक अदालत द्वारा राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री राज कुमार शर्मा, भाजपा विधायक हनुमान बेनीवाल को रास्ता रोकने के जुर्म में तीन साल की कैद को लेकर राजनीतिक गलियारों में फिर उबाल आ गया। कोटा की दो अलग अलग अदालत में रास्ता रोकने के जुर्म में आरोपी भाजपा विधायक भवानी सिंह राजावत, ओम बिडला का आत्मसमर्पण, एक अदालत द्वारा पूर्व विधायक रणवीर सिंह गुढा को हमले के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजना चर्चा में रहे। टोंक जिले के निवाई कस्बे में स्थित लड़कियों के वनस्थली विद्यापीठ में एक छात्रा के साथ कथित दुष्कर्म को लेकर कई दिनों तक मचा बबाल, राज्य के पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया की यात्रा को लेकर राजस्थान की नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे के समर्थक विघायकों की पार्टी छोडने की घुड़की, राजे-भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा अरूण चतुर्वेदी के बीच मतभेद जगजाहिर हुए। कांगे्रस विधायक सोना राम, संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र सिंह विधूड़ी, मुख्य सरकारी सचेतक डा रघु शर्मा, कांगे्रस के पूर्व विधायक डा संयम लोढा और कांगे्रस के कुछ विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष डा. चन्द्रभान पर आरोपों के तीर चलते रहे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा को अमली जामा पहनाते हुए संस्कृति, धरोहर, लोककला, लोकगायकी और साहित्य के क्षेत्र की राज्य की सात विभूतियों को राजस्थान रत्न से सम्मानित करने का सिलसिला इसी साल शुरू किया गया। राज्यपाल मार्गेट आल्वा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लक्ष्मी कुमारी चूंडावत, विजय दान देथा और विश्वमोहन भट्ट को यह सम्मान प्रदान किया। चार विभूतियों कोमल कोठारी, कन्हैया लाल सेठिया, अल्लाह जिलाई बाई और जगत सिंह को मरणोपरांत राजस्थान रत्न से नवाजा गया।
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29-12-2012, 04:23 AM | #29 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
इस साल भी राजनीतिक बिसात पर रहा मुस्लिम समाज
देश के मुस्लिम समाज को इस साल भी राजनीतिक गलियारों से लुभाने की खूब कोशिशें हुर्इं। कहीं आरक्षण के नाम पर तो कहीं विकास के एजेंडे के नाम पर देश के इस सबसे बड़े अल्पसंख्यक तबके का वोट हासिल करने की जद्दोजहद अमूमन सभी राजनीतिक दलों में देखी गई। राजनीतिक मुद्दों के साथ असम हिंसा और उत्तर प्रदेश एवं कुछ अन्य स्थानों पर भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर भी मुस्लिम जगत में एक तरह की चिंता देखी गई। इसी को लेकर कई मुस्लिम संगठनों ने सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की। इस्लामी जानकार अख्तरूल वासे का कहना है, ‘देश को प्रभावित करने वाले हर मुद्दे और विषय का मुस्लिम समाज पर बराबर का असर होता है। मेरा मानना है कि यह साल कुल मिलाकर देश के लिए अच्छा रहा है और ऐसे में मुस्लिम समाज के लिए भी अच्छा था। आरक्षण या कुछ मुद्दों पर कोई खास नतीजा नहीं देखने को मिला, लेकिन लोकतंत्र में उम्मीद हमेशा रखनी चाहिए।’ साल 2012 की शुरुआत में ओबीसी कोटे में अल्पसंख्यकों के लिए साढे चार फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले को लेकर खूब बहस हुई। उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले से आए केंद्र के इस फैसले को राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश के तौर पर देखा गया। यह बात दीगर है कि इसका उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ। आरक्षण का भाजपा ने पुरजोर विरोध किया तो सपा और बसपा ने इसे छलावा करार दिया। इसी बीच मई में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने साढे चार फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया। अब केंद्र सरकार कह रही है कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष व्यापक रूप से रखेगी। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सपा नेता कमाल फारूकी कहते हैं, ‘आरक्षण के बारे में मुस्लिम समाज से जो वादे किए गए, वे पूरे नहीं हुए हैं। केंद्र ने 4.5 फीसदी को आरक्षण को बहाल करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उम्मीद करते हैं कि उत्तर प्रदेश में मेरी पार्टी इस दिशा में तेजी से कदम उठाएगी।’ कांग्रेस और संप्रग का आरक्षण का सियासी दाव भले ही नाकाम रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने का वादा करने वाली सपा को इसका खूब फायदा मिला। उसे राज्य विधानसभा के चुनाव में भारी बहुमत मिला। वर्ष 2012 में दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी और सपा नेता आजम खान के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी सुर्खियों में रहा। बुखारी ने मुसलमानों से किए वादे को पूरा नहीं करने का आरोप लगाकार मुलायम से खुलकर नाराजगी जताई तो आजम ने उनकी नाराजगी को अपने निजी स्वार्थ पूरे करने का जरिया बताया। इस साल अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का मुखिया भी बदला। बीते साढे आठ साल से इस मंत्रालय की जिम्मेदारी सलमान खुर्शीद संभाल रहे थे, लेकिन कैबिनेट के पिछले फेरबदल में यह जिम्मा के. रहमान खान को सौंप दिया गया। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भले ही इस साल नया मंत्री मिल गया, लेकिन इसके अधीनस्थ कई प्रमुख संस्थानों में अहम पद खाली हैं। मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान में बीते कई वर्षों से स्थायी तौर पर सचिव की नियुक्ति नहीं हो पाई है तो अजमेर दरगाह कमिटी के नाजिम का पद भी कई महीने से खाली पड़ा है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम के प्रबंध निदेशक का पद भी बीते दो महीने से खाली है। मंत्रालय में अधिकारी वाईपी सिंह को इसका अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। साल के आखिर में गुजरात विधानसभा चुनाव के समय भी मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने की कोशिश हुई, लेकिन पिछले चुनावों के उलट इस बार मुद्दा विकास पर केंद्रित रहा। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम अटकलों से उलट एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया, लेकिन चुनाव के बाद नतीजों से पता चला कि इस बार इस समुदाय का अच्छाखासा वोट भाजपा को मिला । इसको लेकर भी खूब बहस हो रही है। इस वर्ष कई स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा भी हुई। सबसे बड़ी हिंसा असम में हुई। इसको और म्यामां में रोहिंगया मुस्लिम विरोधी हिंसा को लेकर भारतीय मुसलमानों ने खुलकर अपने गुस्से का इजहार किया। इसी तरह की एक विरोध रैली का आयोजन 11 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में किया गया, जहां हिंसा भड़क गई थी। इसको लेकर भी जमकर राजनीति हुई। उत्तर प्रदेश में बरेली, फैजाबाद, गाजियाबाद के मसूरी, प्रतापगढ और कई अन्य स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा भड़की। इसको लेकर अखिलेश सरकार को मुस्लिम संगठनों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। साल की शुरुआत में विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी के विरोध की खूब चर्चा रही। जयपुर साहित्य महोत्सव में रूश्दी आने वाले थे लेकिन दारूल उलूम देवबंद और कई अन्य मुस्लिम संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया। इस कारण उनके आने के कार्यक्रम को टाल दिया गया। मुस्लिम संगठन ‘सेटेनिक वर्सेस’ पुस्तक के कारण रूश्दी का विरोध करते हैं। वर्ष 2012 में कई अजीबो-गरीब फतवे भी आए जिनको लेकर बहस हुई। दारूल उलूम ने कई ऐसे फतवे जारी किए। एक फतवे में कहा गया कि बांह पर टैटू होने और अल्कोहल युक्त परफ्यूम इस्तेमाल करने की स्थिति में नमाज जायज नहीं है। एक अन्य फतवे में कहा गया कि मुस्लिम लड़की किसी आफिस में रिसेप्शनिस्ट नहीं हो सकती।
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07-01-2013, 11:34 PM | #30 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
बीते साल का सबसे प्रचलित नाम-‘मलाला’
महिलाओं की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली पाकिस्तान की युवा मानवाधिकार कार्यकर्ता ‘मलाला’ यूसुफजई बीते वर्ष 2012 में सबसे प्रचलित नाम रहा। साथ ही ‘एपोकेलिप्स’ को इस साल का सबसे प्रचलित शब्द बताया गया। एपोकेलिप्स का अर्थ दुनिया खत्म होने से जुडेÞ कारणों के प्रति आकर्षण है। अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग और उनके सांस्कृतिक प्रभावों का विश्लेषण करने वाली संस्था ‘ग्लोबल लैंग्वेज मॉनिटर’ द्वारा किए गए 13वें वैश्विक सर्वेक्षण में ‘मलाला’ और ‘एपोकेलिप्स’ के अलावा कोरियाई रैप गायक साई के ‘गंगनम स्टाइल’ को सर्वाधिक प्रचलित वाक्यांश घोषित किया गया। एपोकेलिप्स के बाद प्रचलित शब्दों की सूची में ‘डेफिसिट’, ‘ओलंपियाड’, ‘बाकतुन’ और ‘मेमे’ रहे वहीं वाक्यांशों की सूची में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ ‘फिस्कल क्लिफ’ ‘द डेफिसिट’ ‘गॉड पार्टिकल’ ‘रोग न्यूक्स’ ‘अरब स्प्रिंग’ ‘सोलर मैक्स’ और ‘बिग डाटा’ जैसे शब्द शामिल रहे। साल 2012 के शीर्ष नामों में मलाला और न्यूटाउन के बीच बराबरी रही। शीर्ष नामों की सूची में इन दोनों नामों के बाद शी चिनफिंग, केट मिडलटन, बराक ओबामा, मिट रोमनी, लंदन ओलंपिक, हिग्स बोसोन, यूरोप जैसे नाम रहे। ग्लोबल लैंग्वेज मॉनिटर के अध्यक्ष जे जे पायाबैक ने बताया कि 2012 के शीर्ष शब्दों में से शीर्ष आठ शब्द दुनिया खत्म होने के सिद्धांतों से जुड़े थे। जी एल एम के अनुसार साल भर उभरे शब्दों, नामों और वाक्यांशों को उनके वैश्विक प्रयोग, 25000 लोगों द्वारा उल्लेख, उनके इस्तेमाल के प्रचलन और मीडिया में प्रयोग के आधार पर ही इस सूची में जगह मिलती है।
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