24-09-2014, 08:55 AM | #21 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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अगर में कहुं, आपने आते ही फोरम पर धुम मचा दी है तो अतिशयोक्ति नही होगी. आपके नए सुत्र और पुराने सुत्रो पर आपका योगदान भी प्रशंसा-पात्र है। में समझता हुं, मेरे बाकी मित्र भी ईस बात से सहमत होंगे। मेरे मतानुसार जीवन क्या है, जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहीए ईस के बारे में वेद-ग्रंथ में जो लिखा है वही सत्य होगा। चाहे हम जिस धर्म के हो, हमारे लिए धर्मग्रंथ बने हुए है जहां विद्वानो ने मंथन कर के जीवन का पुरा नीचोड लिखा है। समय, काल के परिवर्तन के साथ हम भी बदल जातें है। आज ईस अत्याधुनीक युग में यह सब सोचने का समयभी नही मिलता। हमारी प्रायोरीटी बदल जाती है। हमे उलझन में डालने वाली बहुत सी चीजें यहां उपलब्ध है। हमारे पास ईतने सारे ओप्शन है, ईतने सारे मार्ग, जानकारीयां, उदाहरण, ट्युटोरीयल उपलब्ध है कि हम समझ ही नही पाते के सही-गलत क्या है! वास्तव में सही-गलत की परिभाषा भी बदल गई है! फिर बी कोई फर्क नहि पडना चाहीए अगर समय बदल गया है, क्यों की वेद-उपनिषद लिखनेवालों को यह भी सोचा ही होगा। समय भी क्या चीज़ है। ईश्वर न करे लेकिन अगर फिर से कीसी कारणवश यह सब समाप्त हो जाए....शुरुआत तो शुरु से ही होगी! वही...आदिमानवो से एन्ड्रोईड तक में आपके प्रश्नो से भटक नही रहा....लेकिन में यही सोचता हुं। ग्रंथो में जो लिखा है, जीवन माया है, उसका उदेश्य सबका भला करना है, हमे सिर्फ पुण्य एवं ज्ञान प्राप्त करना चाहीए और आखरी प्रश्न का उत्तर है..सबसे आवश्यक ईन सब प्रश्नोको मनमें जगाए रखना है!
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24-09-2014, 09:40 AM | #22 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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24-09-2014, 09:58 AM | #23 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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24-09-2014, 03:24 PM | #24 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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ये आप सभी का प्रोत्साहन , सहयोग और आप सब से मिली प्रेरणा है जिसकी वजह से मैं फोरम पर थोड़ा बहुत योगदान दे पा रही हूँ। आप सभी आगे भी इसी तरह प्रेरित करते रहे यही अभिलाषा है। मेरी जिज्ञासा के विषय में अपने विचार प्रकट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद , मेरा मानना भी यही है कि जीवन का उद्देश्य तो मानव-कल्याण ही होना चाहिए। |
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24-09-2014, 03:31 PM | #25 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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24-09-2014, 03:38 PM | #26 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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रजत जी मैं Economis की ही student हूँ तो Barter system(वस्तु विनिमय) समझती हूँ। पर आपको नहीं लगता कि हर जगह ये बात लागू नहीं हो सकती। अब देखिये लोग कहते हैं कि अगर आप चाहते हो कि दूसरे लोग आपको सम्मान दें तो पहले आप को उन्हें सम्मान देना होगा , अगर आप चाहते हैं कि लोग आपसे प्यार से बात करें तो आपको भी दूसरे से प्यार से ही बात करनी होगी। …।ऐस थोड़े ही होता है कि - जैसे मेरा स्वभाव क्रोधी हो और मैं आपसे गुस्से से बात करूँ और बदले में आप मुझे सम्मान दें। |
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24-09-2014, 05:11 PM | #27 |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
पवित्रा,मैं काफी हद तक तुमसे सहमत हूँ पर पूरी तरह से नहीं। मैं मानती हूँ की अगर हम किसी को सम्मान और प्यार देंगे तो ही बदले में हमें सम्मान और प्यार मिलेगा ,लेकिन हर बार ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं होता। कई बार लोग आपकी अच्छाई को ,आपकी विनम्रता को आपकी कमज़ोरी मान लेते हैं और आपको हलके में लेने लगते हैं। इसलिए हमें देखना चाहिए की सामने वाला कौन है और कैसा है वैसा ही व्यव्हार करना चाहिए ,क्यूंकि अगर सामने वाले के पास तरबूज़ है तो वो आपको तरबूज़ ही देगा न केला नहीं।
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24-09-2014, 10:31 PM | #28 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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Last edited by Rajat Vynar; 24-09-2014 at 10:33 PM. |
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24-09-2014, 10:47 PM | #29 | |
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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कभी कभी हम दूसरों को सम्मान देते हैं तब हमें सम्मान मिलता है , तो कभी कभी किसी के लिए कितना भी कर लो पर बदले में सिर्फ तिरस्कार ही मिलता है। इसलिए मुझे लगता है कि कोई Universal Formula नहीं हो सकता रिश्ते जीने का , हाँ ये जो कुछ बातें मैंने कही हैं ऊपर उसके माध्यम से रिश्ते निभाने का प्रयास अवश्य हो सकता है। पर पुनः दुहराना चाहूंगी कि रिश्ते व्यक्तियों पर निर्भर करते हैं , तो हमें रिश्ते निभाने का तरीका हमेशा बदलते रहना होता है , व्यक्ति के हिसाब से। |
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24-09-2014, 10:54 PM | #30 | ||
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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Kuki ji आपके पोस्ट्स सच में ज्ञान वर्धक और व्यवहारिक होते हैं। उनमें समाज की सच्चाई होती है। इसलिए ऐसे ही आगे भी अपने विचार हमसे बांटती रहिएगा। रजत जी , जिस तरह से आजकल kuki ji पोस्ट कर रही हैं मुझे लगता है बहुत जल्दी ही आप तो Zero पॉइंट्स पर आजायेंगे। क्यूंकि उनका हर एक पोस्ट इनाम के काबिल होगा और आप इसी तरह points इनाम में देते रहे तो आपके पास तो कुछ बचेगा भी कि नहीं , कह नहीं सकते। ......LOL |
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